समस्तीपुर। नागपंचमी क मौका पर समस्तीपुर मे पिछला 300 साल स लगैत आबि रहल सांप मेला आब पर्यटक कए सेहो अपना दिस आकर्षित क रहल अछि। केवल दोसर राज्य स नहि बल्कि विदेश स सेहो लोक एहि अदभुत मेला कए देखबा लेल पहुंचल अछि।
सब साल आयोजित भ रहल एहि मेला मे सबस पहिने भगवती क आराधना कैल जाइत अछि फेर शुरू होइत अछि गंडक नदी स सांप कए निकालबाक सिलसिला। लोकक मान्यता अछि जे एहि दिन मांगल गेल मनोकामना जरूर पूरा होइत अछि।
समस्तीपुर क विभूतिपुर प्रखंड क सिंघिया आ रोसड़ा गाम मे भगत जतए गंडक नदी मे डुबकी लगा कए सांप निकालैत छथि ओतहि सरायरंजन मे एकटा प्राचीन पोखरि स सांप निकालि कए ओकर पूजा कैल जाइत अछि। स्थानीय लोकक कहब अछि जे नाग पंचमी क दिन नाग क पूजा करबाक इ पुरान प्रथा अछि। नाग क भगत (पुजारी, भक्त) गंडक नदी आ पोखरि मे डुबकी लगा कए नदी स सांप निकालैत दथि आ ओकर पूजा कैल जाइत अछि। एहि दौरान नदी क कछैर मे सांप क मेला लगैत अछि। लोक क कहब अछि जे एखन धरिक इतिहास मे एहन कोनो घटना नहि घटल अछि जाहि मे सांप एहि भगत सब कए कोनो नुकसान पहुंचेलक अछि।
सिंघिया गाम क भगत रासबिहारी भगत क कहब अछि जे इ काफी प्राचीन प्रथा अछि। ओ कहैत छथि जे इ प्रथा कहिया स शुरू भेल एकर ठीक ठीक जानकारी त उपलब्ध नहि अछि मुदा करीब 300 वर्ष स इ चलि आबि रहल अछि। ओ कहैत छथि जे हुनकर भगवान नाग छथि । ओ पिछला 25 साल स नदी स नाग निकालैत छथि आ ओकर पूजा करैत छथि। भगत कहैत छथि जे नाग कए नदी स निकालबाक उपरांत नदी क कात मे बनल नाग मंदिर आ भगवती मंदिर मे हुनकर पूजा कैल जाइत अछि, हुनका सामूहिक रूप स दूध आ लावा खुआउल जाइत अछि आ फेर सबटा नाग कए नदी मे छोडि देल जाइत अछि। एहि दौरान सांप कए दूध आ लावा देबा लेल पुरूष आ महिला क भारी भीड़ लगैत अछि। किछु साल स एहि दौरान कीर्तन आ भजन क सेहो कार्यक्रम भ रहल अछि।
पिछला 36 साल स इ कार्य क रहल एकटा अन्य भगत रामचंद्र भगत क कहब अछि जे इ परम्परा आब एहि गाम सबहक पहचान भ गेल अछि। मिथिलाक आन गाम मे सेहो इ होइत होएत, मुदा आब इ परंपरा एहि ठाम बचल अछि आ नाग पंचमी क दिन नाग क पूजा करबा स केवल अपन नहि बल्कि गाम आ राज्यक सेहो कल्याण होइत अछि। ओ कहला जे एहि पूजा स सांप या मनुष्य कए कोनो नुकसान नहि होइत अछि। इ त भगवान आ भक्त क एक दोसरक प्रति समर्पण क भावना अछि।
रामचंद्र कहैत छथि जे किछु लोक एकरा सांप क खतरनाक प्रदर्शन कहैत दथि मुदा इ भावना संग खिलवाड अछि। इ गलत आरोप अछि। एहि ठाम कोना प्रदर्शन या खेल नहि देखाउल जाइत अछि बल्कि इ एकटा पूजा अनुष्ठान छी। इ अलग गप अछि जे दूर-दूर स लोक एहि पूजा कए देखबा लेल एकत्र भ रहल छथि।
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