कुसुम ठाकुर
ओना तs हमर स्वभाव अछि हम नहि लोक के उपदेश दैत छियैक आ नहि अपन मोनक भावना लोकक सोझां में प्रकट होमय दैत छियैक । हम सुनय सबकेर छियैक मुदा हमरा मोन में जे ठीक बुझाइत अछि ओतबा धरि करैत छियैक। एकर परिणाम इ होइत अछि जे हमरा सलाह देबय वाला केर कमी नहि छैक। सब के होइत छैन्ह जे ओ जे कहताह कहतिह से हम अवश्य मानि लेबैन्ह।अपन अपन भावना केर हमरा पर थोपय के कोशिश बहुत लोक करय छथि। परोपदेश देनाइयो आसान होइत छैक । मुदा हमर भलाई केर विषय में के सोचि रहल छथि इ ज्ञान तs हमरा अछि । मुदा दोसराक विचार सुनालाक किछु फायदा सेहो छैक। लोकक विचार सुनि अपन विचार व्यक्त करय में आसानी होइत छैक आ आत्म विशवास सेहो बढैत छैक।
एकटा कहबी छैक “कोठा चढ़ी चढ़ी देखा सब घर एकहि लेखा ” सब ठाम कमो बेसी एके स्थिति छैक, मुदा दोसरा केर विषय में कम बुझय में, आ देरी सs बुझय में आबैत छैक, अपन तs लोक के सबटा बुझल रहैत छैक। पारिवारिक हो सामाजिक हो वा देशक, सब ठाम आपस में विचार में मतान्तर होइत रहैत छैक जे कि मनुष्य मात्र के लेल स्वाभाविक छैक आ हेबाक सेहो चाहि । जखैन्ह दस लोकक विचार होइत छैक तs ओहि में किछु नीक किछु अधलाह सेहो विचार सोंझा में आबैत छैक। मुदा आजु काल्हि सब ठाम स्वार्थ सर्वोपरि भs जाइत छैक । लोक के लेल देश समाज सs ऊपर अपन स्वार्थ भs गेल छैक।
संस्था व न्यास केर स्थापना होइत छैक समाज आ संस्कृति केर उत्थानक लेल । मुदा संस्थाक स्थापना भेलैक नहि कि ओहि संस्थाक मुखिया पद आ कार्यकारणी में सम्मिलित होयबाक लेल राजनीति शुरू भs जाइत छैक । एकटा संस्था में कैयैक टा गुट बनि जाइत छैक । आ ओहि में सदस्य ततेक नहि व्यस्त भs जाइत छथि कि हुनका लोकनि के सामाजिक कार्य आ संस्कृति के विषय में सोचबाक फुर्सते कहाँ रहैत छैन्ह । आ ताहू सs जौं बेसी भेलैक आ बुझि जाय छथि जे आब हुनक ओहि ठाम चलय वाला नहि छैन्ह तs एक टा नव संस्था केर स्थापना कs लैत छथि। सामाजिक कार्य केर नाम पर साल में एकटा वा दू टा सांस्कृतिक कार्यक्रम कs लैत छथि आ बुझैत छथि समाज केर उद्धार कs रहल छथि । ओहि कार्यक्रम में पैघ पैघ हस्ती , नेता के बजा अपन डंका बजा लैत छथि।बाकि साल भरि गुट बाजी आ साबित करय में बिता दैत छथि जे हुनक कार्यकाल में कार्यक्रम बेसी नीक भेलैक। हम मानय छियैक जे कार्यक्रम अपन संस्कृति केर आइना होइत छैक, मुदा ओ तs स्थानीय कलाकार के मौक़ा दs कs सेहो करवायल जा सकैत छैक। इ कोन समाजक उत्थान भेलैक जे लोक सs मांगि कs कोष जमा कैल जाय आ मात्र कार्यक्रम में खर्च कs देल जाय। बहुतो एहेन बच्चा शहर वा गाम में छथि जे मेधावी रहितो पाई के अभाव में आगू नहि पढि पाबय छथि। दवाई केर अभाव में कतेक लोकक जान नहि बचा पाबय वाला परिवारक मददि केनाई समाजक उद्धार नहि भेलैक? आय काल्हि तs लाखक लाख खर्च करि कs एकटा कार्यक्रम कैल जाइत छैक। कहय लेल हम ओहि महान हस्ती केर पर्व मना रहल छी। कार्यक्रम करू मुदा कि अपन गाम शहर के भूखल के खाना खुआ तृप्त कs ओहि महान हस्ती के श्रद्धाँजलि नहि देल जा सकैत छैक। इ तs मात्र एक दू टा समाज के सहायतार्थ काज भेलैक ओहेन कैयैक टा सामाजिक काज छैक जे कैल जा सकय छैक । यदि सच में लोक के अपन समाज आ संस्कृति सs लगाव छैन्ह तs जतेक कम संस्था रहतैक ततेक नीक काज आ समाजक उत्थान होयतैक। ओहि लेल मोन में भावनाक काज छैक नहि कि दस टा संस्थाक ।
देश में नित्य नव नव राज्यक माँग भs रहल अछि। ओहि में मिथिलांचलक माँग सेहो छैक। हमरा सँ सेहो बहुत लोक पूछय छथि “अहाँ मिथिला राज्य अलग हेबाक के पक्ष में छी कि नहि “? हम एकहि टा सवाल हुनका लोकनि सँ पूछय छियैंह “कि राज्य अलग भेला सँ मिथिलाक उत्थान भs जेतैक “? इ सुनतहि सब के होइत छैन्ह हम मैथिल आ मिथिलाक शुभ चिन्तक नहीं छी। बुझाई छैन्ह जे अलग राज्य बनि गेला सँ मिथिलांचलक काया पलट भs जेतैक । एक गोटे जे अपना के मिथिला के लेल समर्पित कहय छथि, साफ़ कहलाह “मैथिल के मोन में मिथिला के लेल जे प्रेम हेतैक से दोसरा के नहि” । हमर हुनका सँ एकटा प्रश्न छल “कि पहिने बिहार में मैथिल मुख्य मंत्री, मंत्री नहि भेल छथि “? जवाब भेंटल ” ओ सब मैथिल छलथि मिथिलाक नहि”। अलग राज्य भेलाक बाद जे कीयो मुख्य मंत्री होयताह ओ मिथिलाक होयताह आ मात्र मिथिला के लेल सोचताह ।
हमरा इ बुझय में नहि आबैत अछि जे लोकक मानसिकता के कोना बदलल जा सकैत छैक ? एखैंह ओ दरभंगा के छथि , ओ सहरसा के …..ओ मुंगेर के छथि ….कि अलग राज्य भेला सँ आदमी केर मानसिकता बदलि जेतैक …..कि दरभंगा , सहरसा आ कि मुंगेर वाला भेद भाव मोन में नहि औतेक ? आ जौं इ भेद भावना रहतैक तs सम्पूर्ण राज्यक विकास कोनाक भs सकैत छैक ? कि मिथिलाक होइतो ओ सम्पूर्ण मिथिला केर विषय में सोचताह ?
छोट छोट राज्य नीक होइत छैक , ओकर पक्ष में हमहू छी मुदा बिना राज्यक बंटवारा केने सेहो बहुत काज कैयल जा सकैत छैक, जौं करय चाहि तs । ओना सब अपन स्वार्थ सिद्धि में लागल रहय छथि इ अलग गप्प छैक। कि नीक स्कूल कॉलेज कारखाना के लेल बिना राज्य अलग बनने प्रयास नहि कैयल जा सकैत छैक? कि मात्र मिथिला राज्य बनि गेला सँ मिथिलाक उद्धार भs जयतैक ? मिथिला राज्यक अलग हो ताहि आन्दोलन में अनेको लोक सक्रीय छथि , मुदा हुनका लोकनि सs एकटा प्रश्न …….ओ सब आत्मा सs पुछथि कि ओ सब मात्र राज्य आ समाज के लेल सोचय छथि कि हुनका लोकनि के मोन में लेस मात्र स्वार्थक भावना नहि छैन्ह ?
कैयैक टा राज्य अलग भेलैक अछि मुदा बेसी केर स्थिति पहिने सs बेसी खराब भs गेल छैक, झारखण्ड ओकर उदाहरण अछि । खनिज संपदा सँ संपन्न राज्यक स्थिति बिहार सs अलग भेलाक बाद आओर खराब भs गेल छैक। एहि राज्य में नौ साल के भीतर सात टा मुख्यमंत्री बनि चुकल छथि । लोक के उम्मीद छलैक जे १० साल के भीतर एहि राज्य केर उन्नति भs जयतैक। उन्नति भेलैक अछि, मुदा राज्य केर नहि नेता सब केर । चोर उचक्का खूनि सब नेता भs गेल छथि आ पैघ सs पैघ गाड़ी में घुमि रहल छथि , देश आ जनता केर संपत्ति केर उपभोग कs रहल छथि इ कि उन्नति नहि छैक ?
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आहांक आलेख पढलहुं बहुत निक लागल र्।र् इ बात वास्तवमे बड कठिन छै जे राज्य बटवारा स कि निक हेतैक आ कि खराव – मुदा जाहि हिसाब सं मिथिलामे हिन्दीमय वातावरण भ गेल छै ताहिमे किछुए सहि कमी आओत जका बुझाईत अछि । जखन मैथिली हाथमुह जोरवला भाषाके रुपमे स्थापित भ जाएत तखन मैथिलीके विकास होत से विश्वास अछि हमर । तखन आहांके बात बहुत निक अछि जे एखन हम सब किछ क सकैत छि कि नै – हम सभ अवश्य नीतिगत बातक अलावा सभ काज क सकैत छि । ओहुना विकासक कोनो हार्ड एण्ड फास्ट रुल त नै छै । अलग तरहक जगह पर अलग तरह स विकास होइत छै ।
अहाँ लिखै छि …….”खनिज संपदा सँ संपन्न राज्यक स्थिति बिहार सs अलग भेलाक बाद आओर खराब भs गेल छैक। एहि राज्य में नौ साल के भीतर सात टा मुख्यमंत्री बनि चुकल छथि । लोक के उम्मीद छलैक जे १० साल के भीतर एहि राज्य केर उन्नति भs जयतैक। उन्नति भेलैक अछि, मुदा राज्य केर नहि नेता सब केर ।”
कुशुम जी कोनो झारखंडी सा पूछियो की , झारखण्ड पाहिले बढियां रही, व की आब ?
निश्चित रूप सा झारखण्ड के विकास भेलाइए , हाँ स्थिरता रहिते ता आर होयितई ,
कोनो एकटा मूल झारखंडी के देखाऊ जे कहैत हुए , जे हमरा बिहार में वापस मिला दिये …………….
आहां व्यकितगत रूप सा कोन एहन काज केलिए मिथिला के विकास के लेल, से बताऊ………….
जे अहन दोसर कोनो व्यक्ति आ संगठन के बदनाम करै छि ….
अहिं सब सन व्यक्ति सबके चलते मिथिला के इ दुर्दशा छै, जे खुद ता किछ करै नै छै … आ दोसर किछ करै चाहै छै ता ओकरा मिथ्या आरोप लगा . बदनाम करै छै ……..
हमरा सब लेल ओ व्यक्ति आहां सा नीक छथि जे , किछ ता मिथिला आ मैथिलि के लेल कराइ छथि, भले ही ओ पद के लेल लारैत होइठ , वा किछ कार्यक्रम करैत छथि ,
कहबी छै नै मामा सा कान्हा मामा नीक …………….
आ …..पर उपदेश कुशल बहुतेरे………….
शायद अहि लेल लिखल गेल
जय मिथिला , जय भारत
Respected Kushumjee, Why so much negativity about Mithila State. Why do you think that Mithila will not do better after getting state hood. There was Maithila Chief Ministers from Mithila but they were interested in promoting Urdu instead of Maithil. Do you think that if Maithil Chief Ministers did not put much attention on the development of Mithila so we should not demand for that.
Since early 14th century, Mithila is ruled by outsiders so why will they put attention for the development of the region. The machinery works for the government. So if there will be a government dedicated for Mithila it will work for Mithila not for other region. As so far other works of social activists are concern, they are working on their own Model. But we have tried for last 6 decades for the development of Mithila without getting separate state, it has not worked. even if see the cite of Bihar government you will hardly find any citation of Maithili language. The only language from Bihar is Maithili which has constitutional recognition and largest spoken but still there is not any administrative arrangement from the government in the state. Can you say why is such ignorance from the government.
In our constitution there are two language which is not the language of any state government those are Sindhi and Maithili, and you see there is hardly any effort from central and state government to promote them. Even the Central government has not bothered to establish dedicated Doordarshan Channel for them. Others have the state protection so the central government also promote them….
One side you say that you are supporter of small states and another side you are opposing the creation of Mithila state, it is completely contradictory. As so far Jharkhand is concern, it has developed more than the speculation of Planing Commission. See India Today 30 Dcember 2009. All the other new state have done better than the parent states. You should analyse the Human Development Index first and then write.
Dear Jha Sir,
I agree ur concern. ur comment is very informative.thanks
हम नंदनजी क गप स पूर्णरूपेण सहमत छी. हमरो ई जिज्ञासा भेल जे अहां अपना दिस सs बिहारक विकासक लेल की-की केलहुं अछि से कहू. वा कोनो फ़राक प्लानिंग अछि त आगू बढ़ू हमर पूरा सहयोग अहांक संग रहत. जौं ने किछु केलहुं आ ने कोनो प्लानिंग अछि त अहांक एहन विचार विवाद ठाढ़ कs कs अनेरे लोकक नजरि में एबाक प्रयासे मानल जायत.
Aadarniye Kushumge, do din Supaul amdhepuara ke gam me jaee rahu pata chalta maithilak maithilak kon das chhae. kono sahar men neek makan me ac laga ke baisla habah ten phuraai chha.
apnek aalekh neek aichh muda alag rajyak mang mithilawasik uchit aichh.ekhno sabh gote ke ekjut hebak chahi se ta theek likhne chhi muda mithilak bikasak lel sab mithila wasi ke sahyog karya parat. alag rajyak nirman bhela sa bikas seho hoyat. udaharank tour par chhatisgarh ke dekhoo. eke bair e kahnai uchit naih je alag rajya bhela sa bikas nai hoyat..yadi rajyak aarthik bikas ke lel sahi neeti banyal jyat ta kono rajya aarthik sampann hoyat.
jai mithila-jai bharat.
sab ke namaskar,
i second the thought of Mr.K.N.Jha.
jai mithila, jai bharat.
बड नीक लागल अपनॅक बिचार पढि !!
ओ. झा,
जर्सी सिटी
NANASKAR KUSUM JEE,
AGAR AAP MAITHILI BHASHA KI UNNATI CHAHTI HAIN, TOH YEH NISHCHIT KAR LIJIYE KI MAITHILI APNA ASTITVA TABHI BACHA PAYEGA JAB WO EK SWATANTRA RAJYA BAN JAYEGA.
I KNOW KI YEH SAB ITNA ASAAN NAHIN HAI.
OUR CM IS MORE CONCENTRATING ON PROMOTION OF URDU, IGNORING MAITHILI.
IT MUST BE REMINDED KI BIHAR KI PEHCHAN MATHILI SE HO SAKTI HAI, URDU SE KADACHIT NAHIN.
ONE CAN PROUD OF BEING MAITHIL, SAYING I SPEAK MAITHILI…..THIS DOES NOT COME TRUE WITH URDU.
WITH REGARDS,
ARMAAN ALI AKHTAR
बड नीक जय मिथिला , जय भारत