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कोना बदलल तीने महीना मे मतदाता क मूड!

September 29, 2009
in विचार
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दोसरसमाचार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

मिथिलाक धरोहर छलाह प्रदीप

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

May 30, 2020
नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

December 5, 2019

सुरेन्द्र किशोर जी बिहारक विकास लेल चिंतित रहैत छथि। समय-समय पर ओ अपन चिंता कलम स लिखैत रहला अछि। हिन्दुस्तान स सेवानिवृत्त भेलाक बाद हुनक इ चिंता आओर प्रखर रूप मे सामने आयल अछि। बदलैत बिहार कए देखबाक हुनकर नजरि कए समाद परिवार समय-समय पर समर्थन केलक अछि। समाद परिवारक विशेष अनुरोध पर ओ अपन इ आलेख एहि ठाम देबाक स्वीकृति प्रदान कैलथि अछि।

Surendra_KishoreWEB

मात्र तीन मास मे बिहार क राजनीति मे की भ गेल जे मतदाता क मूड एना बदलि गेल ? किया बिहार विधानसभा क सितंबर क उप चुनाव मे 18 सीट मे स 13टा सीट पर राजग हारि गेल ? की इ बदलल मूड एक बेर फेर बदलत या इ मूड अगिला साल तक कायम रहत ? हाल क लोक सभा चुनाव मे पैघ बहुमत स बिहार मे चुनाव जीतय वाला एनडीए बिहार विधान सभा क उपचुनाव मे किया एना पराजित भ गेल? की अगिला साल हुए वाला बिहार विधान सभा क आम चुनाव मे मतदाता क एहने मूड कायम रहत या फेर बदलत? तीन मास मे बदलल इ मूड क पाछु स्थानीय आ तात्कालिक कारण अछि बा एकर स्थायी भाव छै?
इ किछु सवाल अछि, जेकर ठोस जवाब अबैय वाला समय मे ताकल जाइत। मुदा फिलहाल सरसरी तौर पर देखबा स दूटा गप सामने अबैत अछि। इ गप लोक सभा चुनाव क बाद घटित भेल अछि। एकटा त नीतीश कुमार क नेतृत्व वाला बिहार राजग इ तय केलक अछि जे एहि बेर कोनो नेताक परिजन कए टिकट नहि देल जाइत आ देबो नहि केलक। एहि अभियान क पाछु नीतीश कुमार क मुख्य भूमिका छल। मुदा एहि काज मे जदयू अध्यक्ष शरद यादव सेहो हुनकर समर्थन केलथि। एहि स लोहियावादी समाजवादी क छवि सुधरल। नीतीश कुमार क एहि पहल क देश भरि मे सराहना भेल। नीतीश कुमार एहन समय मे इ काज केलथि, जखन भाजपा सेहो परिवारवाद क थाल मे धंसल जा रहल अछि। जदयू क एहि डेग कए देश आ प्रदेश क राजनीति क सुधारीकरण क दिशा मे एकटा महत्वपूर्ण कदम मानल गेल। कम्युनिस्ट पार्टी क अलावा जदयू मात्र देश मे अब एकटा एहन प्रमुख दल अछि, जाहि मे परिवारवाद नहि अछि। मुदा राजग यानी एनडीए क परिवारवादी नेता एकरा अपन राजनीतिक भविष्य क लेल Óघातक’ मानलाह। जदयू सांसद पूर्णमासी राम आ जदयू क डॉ जगदीश शर्मा एहि पर विद्रोह सेहो करि देलथि। एहि दूनू क परिजन उम्मीदवार बनलथि। डॉ शर्मा क पत्नी जीत गेलीह, मुदा पूर्णमासी राम क पुत्र हारि गेलाह।
मुदा इ मामला केवल एहि दूनू नेता कए प्रभावित नहि करैत अछि, बल्कि बिहार राजग क ओ अनेक नेता कए सेहो प्रभावित करैत अछि जे अपन परिजन क लेल भविष्य मे राजग स विधायिका क टिकट आ मंत्री पद चाहैत छलाह। कईटा लोक कए परिवारवाद क आधार पर पहिने टिकट भेट जाइत छलैन मुदा आब ओ बंद भ गेल । पूरे बंद भ गेल। जाहिर छै जे एहन लोक इ चाहत जे नीतीश कुमार क इ परिवारवाद विरोधी अभियान फेल भ जाए। एहि मे स संभव अछि जे किछु लोक एहि प्रयोग कए फेल करबा लेल एहि उप चुनाव मे सक्रिय सेहो भेल हेताह। किछु नेता निष्क्रिय रहि गेल हेताह। मुदा राजग क किछु नेताक एहिन् उप चुनाव मे निष्क्रियता क सेहो विपरीत असर राजग उम्मीदवार पर पड़ल होयत, त इ स्वाभाविक अछि। जतय तक चुनावी मुकाबला कड़ा हेबाक संभावना छल, ओहि ठातहिनकर कम प्रभाव देखला पर मतदान मे निर्णायक अंतर भ जाइत अछि। एहि बेर एहने भेल।
सवाल ओ परिवारवादी नेता क राजनीतिक पारिवारिक कैरियर क जे अछि। एहि पारिवारिक राजनीतिक कैरियर कए कायम रखबा लेल त जदयू सांसद पूर्णमासी राम अपन पुत्र कए राजद स बगहा मे उम्मीदवार बनबा देलथि। ओ पहिने कहि देने छलाह जे हमर पुत्र कहि रहल छथि जे हुनका उम्मीदवार नहि बनाउल गेल त ओ जहर खा लेताह।
राजनीति मे परिवारवाद क खात्मा क काज राजनीतिक सुधार क आइ मौलिक काज भ चुकल अछि। इ सती प्रथा आ बलि प्रथा क कानूनी समाप्ति स अधिक कठिन काज लगैत अछि। सुधार क काज करैयवाला सुधारकगण एहि दुनिया मे कई बेर गोली सेहो खाइत रहलथि अछि। एहि ठाम त मात्र गद्दी जेबाक खतरा नीतीश कुमार क समक्ष अछि। मुदा एहन सुधारक लोक इतिहास पुरूष होइत छथि। आब भला कहू जे परिवारवाद क आधार पर सब ठाम टिकट देल जा रहल अछि इ वाजिब राजनीतिक कार्यकर्ता क बलि भेल की नहि? कोनो चुनावी सीट कए कोनो राजनीतिक परिवार क साथ सती किया करि देबा लेल प्रयासरत रही ? इ लोकतंत्र अछि या राजतंत्र? आब इ नीतीश कुमार पर निर्भर करैत अछि जे ओ अगिला कोनो चुनाव मे Óएहि सुधार कार्यक्रम क गलती कए सुधारि कए’ अपन गद्दी बचेबाक कोशिश करैत छथि या फेर इतिहास मे अपन गौरवशाली नाम कए दर्ज करबैत छथि। स्मरण रहे जे पूरा देश क राजनीति मे आइ परिवारवाद क बुराई एतबा व्यापक आ गंभीर भ चुकल अछि जे एकर खिलाफ भारी विद्रोह एक न एक दिन हेबाके छैक। यदि आइ नीतीश कुमार अपन डेग पाछु करि लैत छथि त कोई अन्य सुधारक एकर श्रेय ल लेत। आइ नहि त काल्हि इ हेबाके छै । एहि लेल सवाल इ बनल जा रहल अछि जे एकटा नेता क बेटा, बेटी या पत्नी कए टिकट भेटत त कोनो दोसर नेता एकरा स वंचित किया हुए चाहत ? एहि तरहे इ बुराई क श्रृखंला पूरा राजनीति कए निगलि लेत। जेना करोड़पति आ अरबपति क एहि देश क संसद पर कब्जा होइत जा रहल अछि। एखने एहि साल 543 मे स 360 करोड़पति लोक सभा सदस्य चुनल गेलाह अछि। एहि गरीब देश मे इ एकटा खतरनाक बुराई अछि, जेकरा स कोनो व्यक्ति या संगठन कए एक दिन लड़बाक छैक। किया कि जाहि देश मे 84 करोड़ लोक क रोज क औसत आय मात्र बीस टका अछि ओहि देश क संसद पर सिर्फ करोड़पति क कब्जा केना हुए देल जा सकैत अछि ? यदि होइत त ओ सरकार क मंत्री कैबिनेट क बैठक मे एहि गप कए लेकए झगड़ा करताह जे हुनका एहन होटल मे राखल गेल जेकर एकटा कोठलीक एक राति क भाड़ा मात्र एक लाख टका छल।
इ बहुत नीक गप अछि जे ताजा उप चुनाव मे झटका खेलाक क बावजूद शरद यादव आ नीतीश कुमार कहि देलथि अछि जे ओ परिवारवाद क विरोध जारी रखताह। जाहिर अछि जे शरद-नीतीश क एहि ऐतिहासिक कदम स डॉ राम मनोहर लोहिया क आत्मा कए शांति भेटल होयत। शायद इ डेग आगू कखनो एहि देश क लेल निदेशक सेहो साबित हुए!
कारण आओरो भ सकैत अछि, मुदा विधान सभा उप चुनाव मे राजग क हारि क एकटा दोसरा तात्कालिक कारण इ बूझबा मे अबैत अछि जे राज्य सरकार क राजस्व आ भूमि सुधार विभाग क सूत्र क हवाले स अखबार मे इ खबरि छपल छल जे राज्य सरकार बटाईदारी कानून मे सुधार सहित भूमि सुधार आयोग क किछु सिफारिश कए जल्द लागू करत। इ खबरि क मीडिया मे अबैते राज्य भरि मे छोट -पैघ किसान मे खलबली मचि गेल । ओहि मे स अनेक लोक राजग क ठोस मतदाता छलाह। आशंकित बटाईदारी कानून स तमसा सब जाति क किसान, जिनका लग बंटाई पर देबा लेल जमीन अछि । राज्य सरकार कए अपन Óगलती’ क एहसास करा देलथि। एकर बाद राज्य सरकार 5 अगस्त 2009 कए इ घोषणा करि देेलक जे एखन पुराने सीलिंग आ बटाईदारी कानून लागू रहत । ओहि मे कोनो बदलाव नहि हुए जा रहल अछि। राज्य सरकार इ सेहो कहलक जे बंदोपाध्याय आयोग क रपट समग्रता मे नहि अछि ताहि लेल ओकरा तत्काल लागू नहि कैल जाइत। मुदा राज्य सरकार क इ सफाई पर अनेक किसान कए एखनो विश्वास नहि भ रहल अछि।
जाहि ठाम उप चुनाव भेल , ओहि मे एकटा चुनाव क्षेत्र फुलवारी शरीफ क एक सवर्ण बहुल गाम क एकटा किसान मतदान क दिन यानी 15 सितंबर, 2009 कए कहलथि जे रामाश्रय प्रसाद सिंह (बिहार सरकार क मंत्री) क इज्जत रखबा लेल किछु लोक जरूर जदयू कए वोट देत अन्यथा पूरा गाम बटाईदारी कानून लागू हेबाक आशंका स पी$िडत भ राजग स तमसाइल अछि। एहि गाम क अधिकतर वोट एहि बेर कांग्रेसी उमीदवार कए भेटल। किछु एहने समाद सारण जिला क एकटा राजपूत बहुल गाम स सेहो भेटल छल। एहि गाम क किसान बटाईदारी कानून नहि चाहैत छथि। हालांकि इ आशंका सिर्फ एहि दूनू गाम आ जाति मे नहि अछि।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल मे एकटा अन्य संदर्भ मे कहने छलाह जे हम कई तरह क बीमारी क इलाज करबा लेल मुख्यमंत्री बनलहू अछि। ओनाओ ओ एखन धरि अनेक एहन सराहनीय आ ऐतिहासिक काज कैलथि अछि, जेकर प्रसंशा हुनकर किछु राजनीतिक प्रतिद्घंद्घी सेहो समय -समय पर केलथि अछि। हुनकर कईटा काज कए अन्य राज्य बाद मे अपना ओहिठाम लागू केलक अछि। मुदा हाल क हुनकर किछु डेग क नतीजा स एहन लागल जे सबटा बुराई स एक संग नहि लड़ल जा सकैत अछि। बिहार मे त बिल्कुल नहि, जेतुका प्रशासन आ राजनीति कए हाल कए किछु दशक मे नेता बिगाडि़ कए राखि देलथि अछि। किया कि कईटा बुराई क काई त एतबा भ बैस चुकल अछि जे ओकरा छोड़ैब दुरूह काज अछि। बटाईदारी क समस्या एहने एकटा समस्या अछि, जेकरा मे हाथ लगा कए लालू प्रसाद सन महाबली सेहो पाछु हटि गेल छलाह। सन् 1992 मे किछु वामपंथी दल आ बुद्घिजीवी तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद कए सलाह देलथि जे ओ भूमि सुधार लागू करि दथि। लालू प्रसाद फरवरी, 1992 मे इ घोषणा करि देलथि जे हुनकर सरकार भूहदबंदी क सीमा घटाउत आ बटाईदारी कानून मे संशोधन करि क ए बटाईदार कए हुनका वाजिब हक देल जाइत। मुदा इ घोषणा क सबस कड़ा विरोध तत्कालीन निर्दल विधायक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव केलाह। बाद मे चर्चित पप्पू यादव सांसद सेहो भेलाह। पप्पू यादव क आवाज एक खास दबंग पिछड़ी जाति यानी यादव क आवाज मानल गेल, जे जाति लालू क मजबूत वोट बैंक मानल जाइत अछि।
बाद मे वोटर मे भारी असंतोष कए देखैत लालू प्रसाद अपन घोषणा वापस ल लेलाह। आब जखन नीतीश सरकार एहि पर किछु कहलक त कईटा राजग समर्थक कए लालू प्रसाद बेहतर लगैत छथिन।
दरअसल व्यावहारिक राजनीति करैवाला किछु लोक कहब छैन जे बंटाईदारी सन विवादास्पद मामला मे हाथ देबा स नीक रहत जे नीतीश गाम क विकास क गति कए आओर तेज करथि। कुल मिलाकए इ कहल जा सकैत अछि जे होम करैत हाथ जरबाक आशंका हुए त होम क ज्वाला कए अधिक तेज नहि हुए देबाक चाहि। पुरान मॉडल क जर्जर एम्बसेडर कार क गति कए अचानक अधिक बढ़ा देला पर खतरा बढि़ जाइत छैक। हालांकि नीतीश कुमार कहि रहल छथि जे बंटाईदारी कानून त बिहार मे पहिने स अछि। एहि मे संशोधन करबाक एखन कोनो विचार नहि अछि। दरअसल पूरा मामला मे गलतफहमी फैलल अछि। कौआ कान ल गेल, इ चर्चा एहि गप कए देखि बिना भ गेल जे कान अपन जगह पर अछि कि नहि।

Tags: Biharnitishpatna

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