दरभंगा। अपन सांस्कृतिक विशेषता क लेल ख्यात मिथिला क राजधानी दरभंगा मे पर्यटन क अपार संभावना छै। हालांकि एखन जिला मे एहि दृष्टि स केवल दूटा स्थल क विकास क दिशा मे काज भ रहल अछि, शेष स्थल एकर बाट जोह रहल अछि। रामायणकालीन आख्यान स संबंधित पौराणिक स्थल अहल्यास्थान आ मिथिला क बाबाधाम कहल जाइवाला कुशेश्वरस्थान शिव मंदिर क विकास त पर्यटन क मद्देनजर भ रहल अछि, मुदा देश-विदेश मे चर्चित राज परिसर स्थित महाराज रमेश्वर सिंह क चिता पर प्रतिष्ठित मां श्यामा काली मंदिर परिसर, कुशेश्वरस्थान क पक्षी विहार, दरभंगा राज परिसर आ धरोहर घोषित भ चुकल राज किला, मनीगाछी क वाणेश्वरी स्थान, महाराज देवसिंह स संबंधित देकुली सहित अनेक स्थल क विकास पर्यटन क दृष्टि स कैल जा सकैत अछि। एहि तरह जिला मुख्यालय मे अवस्थित विशाल तीन टा पोखर कए जोड़िकए ओकर सौंदर्यीकरण कैल जा सकैत अछि। जिला मे डीह शब्द युक्त स्थल क उत्खनन स पुरातात्विक पर्यटन स्थल क विकास संभव अछि। ओतहि पांडुलिपि क खान मिथिला शोध संस्थान आओर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय क प्रधान पुस्तकालय क अलावा दरभंगा राज अभिलेखागार कए बौद्धिक पर्यटन केंद्र क रूप मे विकसित कैल जा सकैत अछि। ओना किशोर कुनाल क कार्यकालक दौरान किछु बहुमूल्य पांडुलिपि क चोरी भ चुकल अछि। तकर उपरांतो व्यावहारिक रूप स बौद्धिक पर्यटन केंद्र क रूप मे देश-विदेश मे इ शैक्षिक संस्थान मान्य अछि, जतए विभिन्न देश स लोक अक्सर अबैत रहैत छथि।