सुनील कुमार झा
बहुत दिन पर अखबार मे लालू क फोटो मुख्य पृष्ठ पर देख नज़रि ठहरि गेल, चूकिं खबरि लालू जी क छल आओर सेहो मुख्य पृष्ठ पर त इ सोचि कए जे खबरि बिहार क होएत पढबा लेल बैस गेलहुं, जों-जों खबरि पढैत गेलहुं उत्सुकता आओर आश्चर्य दूनू होइत गेल। सावन क मेघ जेकां दूनू बढैत गेल। खबरि क अंत तक जे गप ठीक-ठीक बुझबा मे आयल ओकरा एक शब्द मे कहि त ओ छल ” भ्रष्टाचार क रफ़्तार”।
ओना त खबरि पर गौर करि त ओ बिहार क बहुचर्चित घोटाले ‘चारा घोटाला’ स सम्बंधित छल जेकर वृतांत अगर सही सही लिखल जाए त इ आजाद भारत मे भ्रष्टाचार क प्रतिनिधि उदहारण देल गेल अछि। ओना अखबार मे छपल खबरि छल जे सीबीआई क आदालत चारा घोटाला क एकटा मामला मे लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्रा, ध्रुव भगत आओर किछु लोक कए उपर आरोप तय करि देलक अछि। ओना इ आरोप पत्र 1994-96 क बीच 46 लाख टका क घोटाला क अछि। इ आरोप बता रहल अछि जे एहि देश मे ताकतवर लोक लेल भ्रष्टाचार क गति केतबा तेज अछि जे आइ लाख मे त कोनो घोटाला मानले नहि जाइत अछि। कानून क प्रक्रिया केतबा तेज जे लगभग 17 साल बाद सिर्फ आरोप तय भ सकल अछि। कहिया मुकदमा चलत आ कहिया फैसला आउत इ कहब त ककरो लेल असंभव अछि। ओना घोटाबाज सब सेहो घोटाला करबा स पूर्व भारत क न्याय-व्यवस्था स हर परिचित रहला अछि। ओना पूछल जाए त मुकदमा कए देखैत देश मे न्यायालय आ न्यायाधीश दूनू क कमी अछि। एहन मे अदालत मे मुकदमा साल क साल चलैत रहैत अछि। किछु मामला मे त फैसला अबैत अबैत उम्र कम पडि जाइत अछि। चारा मामला मे सेहो भोलाराम तूफानी आ राधो सिंह आब एहि दुनिया मे नहि छथि। ओ एहि मामला मे न रिहा भ सकलाह आ नहि सजा सुनि सकलाह। ओना लालू प्रसाद आ जगन्नाथ मिश्रा एहि मामला मे कई बेर जेल जा चुकल छथि।
ओना देखल जाए त घोटाला लालू स पूर्वहि पकडा सकैत छल। 1985 मे अगर राज्य सरकार कैग क ओहि रिपोर्ट कए गंभीरता स ल कार्रवाई क दैत त आइ एहि 46 लाख क घोटाला हमर सबहक सामने नहि रहिते। पहिने जगन्नाथ मिश्र आ बाद मे लालू प्रसाद एकरा दबा देलथि। मुदा जखन घोटाला सामने आयल त एकर जांच हिनक राजनीतिक प्रभाव क कारण प्रभावित होइत रहल आ न्यायिक प्रक्रिया सेहो तेज नहि भ सकल। मुदा आब नहि त जगन्नाथ मिश्रा मुख्यमंत्री छथि आ नहि लालू प्रसाद। आब दूनू नेताक राजीनीति मे दबदबा सेहो कम भ रहल अछि। जगन्नाथ मिश्र क त राजनैतिक पतन भ चुकल अछि आ लालू मे सेहो कोनो खास ताकत नहि बचल अछि। एहन मे उम्मीद कैल जा सकैत अछि जे एहि न्यायिक प्रक्रिया मे तेजी आउत आ फैसला जल्द सुनाउल जाएत। देश मे जेना करोड आ अरब मे घोटाला भ रहल अछि ओकरा देखी इ लाख क घोटाला क फैसला एकटा नजीर बनि सकैत अछि। मुदा जरुरत अछि एकटा प्रभावी कानून क जे भ्रष्टाचार कए रोकबा मे सहायक बने।