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वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक क गुरु अछि बिहार

July 6, 2010
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पटना । जल संसाधन विकास अभियांत्रिकी क आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धांत मे रेनवाटर हार्वेस्टिंग क माडल आ ओकर प्रक्रिया चाहे जे हुए, मुदा वर्षा जल संचयन क संग-संग बाढ जल संचयन क क्षेत्र मे बिहार क संजीदगी इतिहास क पन्ना मे दर्ज अछि। कौटिल्य क अर्थशास्त्र मे त एकर चर्चा अछि संगहि फ्रांसिस बुकानन सेहो अपन डायरी मे जल संचयन क बिहार माडल क जिक्र केने छथि। फ्रांसिस बुकानन (1810-12) क बाद डब्ल्यूडब्ल्यू हंटर (1976) अपन अभिलेख मे जतय रेनवाटर हार्वेस्टिंग क प्राचीन तकनीक क जिक्र केने छथि, ओतहि विलेज नोट मे फल्डवाटर हार्वेस्टिंग क प्राचीन तकनीक क जिक्र अछि। मौर्यकाल (327-297 ईसापूर्व) मे जल संग्रहण आ भूगर्भ जल क पुनर्भरण (वैज्ञानिक शब्दावली मे वाटर रिचार्ज) क पूरा संदर्भ कौटिल्य क अर्थशास्त्र (धर्मस्थीय नामक तृतीय अधिकरण मे) मे व्याख्यायित अछि।

की छल माडल
आहर-पईन क पुरातन व्यवस्था जतय वर्षा जल संचयन पार्ट छल ओतहि डेग-डेग पर पोखरी बाढ जल संचयन पार्ट छल। इ व्यवस्था पुरान अछि। वर्षा जल क संग्रहण आ वितरण क लेल जल छाजन आधारित जल प्रबंधन छल आ आइ सेहो ओकर मूल स्वरूप मे इ लागू अछि। इ भूजल पुनर्भरण क प्रदेश क स्वविकसित व्यवस्था छल। आहर मे पाइन क संग्रहण कैल जाइत छल जेे ऊपर क क्रम स पईन स निरूसृत होइत अछि। वर्षा जल क संग्रहण आहर मे होइत अछि जे श्रृंखलाबद्ध बनाउल जाइत अछि।

पईन स पाइन क वितरण
आहर दर आहर पानी क प्रवाह न केवल भूजल क पुनर्भरण क लेल उपयोगी अछि, बल्कि इ बाढ़ प्रबंधन क लेल सेहो कारगर अछि। जमींदारी प्रथा मे इ व्यवस्था खूब विकसित भेल। बाद मे जखन अंग्रेज क शासन भेल त नहर आ सिंचाई क अन्य तकनीक क बीच एहि पुरातन प्रणाली क महत्व घटि गेल। भागलपुर आओर मगध प्रमंडल क जिला गजेटियर मे फ्रांसिस बुकानन क ओ संदर्भ रेखांकित अछि, जाहि मे ओ खेत मे आहर-पईन क माडल देखने छलाह। बुकानन क बाद जखन अंग्रेज सरकार प्रथम सिंचाई कमीशन (1901-02) बनेलक त ओ कमीशन सेहो अपन रिपोर्ट मे एहि पुरातन व्यवस्था क जिक्र केने अछि। एहि ठाम इ उल्लेखनीय होएत जे आहर-पईन जइसन सिंचाई पोखरि क निर्माण जतए भेल श्रमदान स भेल। बिहार मे सामूहिक श्रमदान क इ प्रमाण खेत खलिहान तक बिखरल पड़ल अछि।

Tags: Biharwaterरेनवाटर हार्वेस्टिंग

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Comments 2

  1. Dr. shashidhar Kumar says:
    14 years ago

    ई बात सत्ये । प्राचीन शास्त्र सभ मे सेहो मिथिला मे “डेग डेग पर पोखड़ सरोवर होयबाक उल्लेख अछि” । एखनहु बाँचल पोखड़ि तकर साक्षी अछि । हम सेहो अपना नेनपन मे पोखड़ि मे नहयबाक आनन्द लेने छी ।

    पग पग पोखड़ि , पान , मखान ……………………… आओर कि कहल जाए ।

    Reply
  2. Raman Dutt Jha says:
    13 years ago

    flood control ke akhno i unnat tarika achi.Bina study kene flood control lel bandh k nirman se aab seb nadi vinaskari bh gel.Bandh k upyogita per gahan vichar hebak chahi.

    Reply

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