बिहार मे सरकारी घोटालाक जन्मक संबंध मे पटना स ल कए दिल्ली तक जखन चर्चा होइत अछि लालू प्रसाद कए एकर जनक कहल जाइत अछि। लालू-राबडी राज कए बिहारक इतिहास मानि लेनिहार लोक लेल सुरेंद्र किशोर जी समय -समय पर इ बतेबाक कोशिश करैत रहलाह अछि जे बिहार ओहि स पहिनो छल। सुरेंद्र किशोर बिहार क ओहि चंद पत्रकार मे स एकटा छथि जे पिछला 40 साल स लगातार बिहार सरकारक कामकाज कए लग स देखी रहल छथि। एकटा पत्रकार क इ अनुभव समाज लेल कतेक लाभकारी अछि इ किशोर जीक आलेख स बुझबा मे अबैत अछि। हाल मे कैग रिपोर्ट पर मचल हंगामा मे एक बेर फेल इ सवाल उठल जे बिहार मे एहन परंपरा क शुरूआत आखिर कहिया आओर केना भेल। प्रस्तुत अछि किछु एखने सवाल कए उत्तर दैत सुरेंद्र किशोर क इ आलेख
सुरेंद्र किशोर
छह दिसंबर, 1985 कए रांची स सड़क मार्ग स घागरा चारिटा सांड़ पहुंचाउल गेल। रांची स घागरा क दूरी 344 किलोमीटर अछि। बिहार सरकार क पशुपालन विभाग एकर एवज मे तैयार 1289 टकाक जाली बिल क भुगतान ठेकेदार कए करि देलक । मुदा जखन एहि विपत्र क सघन जांच सी.ए.जी..केलक त पता चलल जे जाहि वाहन क बिल पेश कैल गेल छल, ओ कोनो मालवाहक नहि बल्कि स्कूटर छल। यानी सांड़ स्कूटर पर लादल गेल।
एतबे नहि तीस मई, 1985 कए रांची स झिंकपानी चारि टा आओर सांड़ पठाउल गेल। बिल बनल 1310टकाक। विभाग एकर सेहो भुगतान करि देलक। मुदा जखन एहि बिल पर जांच भेल त पता चलल जे जाहि वाहन क नंबर बिल क संग देल गेल ओ वाहन वास्तव मे एकटा कार छल।
सी.ए.जी. क जाहि रपट मे एहि गप क उल्लेख अछि ओकर कॉपी कई गोटा लग अछि। ओहि रपट मे एहन आओर उदाहरण देल गेल अछि। सी.ए.जी. 1985 मे बिहार सरकार कए समर्पित अपन रपट मे एहन अन्य अनेक सरकारी घोटाला क भंडाफोड़ केने छल। यदि ओहि समय मे घोटाला क सूत्रधार क खिलाफ सख्त कार्रवाई भ जइते त आई खगड़िया राहत सामग्री घोटाला क एहन रपट सी.ए.जी. कए शायद नहि देबाक जरूरत पडितए । इ कहाक जरूरत नहि जे 1985 मे कांग्रेस क पैघ बहुमत वाला बिहार मे सरकार छल आ ओकर मुख्य मंत्री बिंदेश्वरी दुबे छलाह, जिनका हाई कमान क पूरा समर्थन सेहो हासिल छल। ओ चाहतथि त कार्रवाई करि सकैत छलाह। मुदा कोनो कार्रवाई नहि भेल आ अगिला सरकार सब मे एहन घोटाला जारी रहल। आखिर कार 1996 मे वीर सिंह पटेल आ किछु अन्य लोक चारा घोटाला क सी.बी.आई. जांच क लेल पटना हाई कोर्ट मे लोकहित याचिका दायर केलथि, ओहि मे याचिका संग सी.ए.जी.रपट क जे फोटोकापी संलग्न छल ओहि मे स्कूटर पर सांड़ ढोबाक सबूत पेश कैल गेल छल। संभव अछि जे 1985 स पहिनो भ्रष्ट सरकारी कर्मी स्कूटर आ मोटर साइकिल पर साड़ ढोबाक जाली बिल बना कए सरकारी खजाना कए लूटबाक काज केने होएथि, मुदा सबूत त 1985 क कार्य काल मे सामने आएल।
हाल मे सार्वजनिक रूप स नीतीश सरकार स इ सवाल पूछल गेल जे की नीतीश कुमार अपन पिछला सरकार स स्कूटर – मोटर साइकिल पर अनाज ढोबाक तकनीक सीखलथि अछि ? इ सवाल पूछनिहार कांग्रेसी नेता प्रेम चंद्र मिश्र सेहो सन 1996 मे अलग स चारा घोटाला क सी.बी.आई. जांच क लेल लोकहित याचिका दायर केने छलाह। हुनका स एहन सवालक उम्मीद नहि कैल जा सकैत अछि, कम स कम हुनका त एहि सवाल क उत्तर पता हेबाक चाही जे एहि कलाक जन्म कौन पार्टी आ केकर सरकार मे भेल। स्कूटर पर सांड़ ढोबाक परंपरा कौन दल आ कौन नेता क शासनकाल मे शुरू भेल इ बुझब बिहारक संग-संग देशक लोक कए बुझब जरूरी अछि। एखन तक भेटल सबूत क आधार पर इ कहल जा सकैत अछि जे एहि अद्भुत परंपराक सूत्रपात 1985 मे भेल आ आगू जारी रहल।
प्रेमचंद्र मिश्र क इ सवाल एक तरह स बिहारक जनता क स्मरणं शक्ति परीक्षा लेबाक प्रयास अछि, जाहि प्रकार स बिहारक लोक कए फूल्लकर मानि बिहार कांग्रेस क मुख्य प्रवक्ता मिश्र चटखारा लैत नीतीश कुमार आ सुशील कुमार मोदी स इ सवाल केलथि ओहि स साफ छल जे खगड़िया क राहत सामग्री कए मोटर साइकिल पर ढोबाक कला नीतीश सरकार लालू सरकार स सीखलक अछि।
निष्पक्ष प्रेक्षक भ्रष्टाचार क कई मामला क लेल लालू सरकार कए श्रेय दैत छथि। खुद नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत रूप स त नहि, मुदा हुनकर सरकार पर सेहो भ्रष्टाचार क आरोप लगैत रहैत अछि। कईटा आरोप मे दम सेहो अछि। खुद नीतीश कुमार ओहि भ्रष्टाचारी स परेशान छथि। एहि लेल ओ हाल मे बिहार स्पेशल कोर्ट एक्ट, 2010 नाम स कड़ा भ्रष्टाचार निरोधक कानून सेहो बनौलथि अछि। मुदा एकटा गप जरूर अछि जे बिहार क सबटा भ्रष्टाचार क लेल सिर्फ लालू प्रसाद कए जिम्मेदार ठहराउल जाए त इ लालू प्रसाद क संग अन्याय होएत आ सच स आंखि चुरेबाक प्रयास कहल जाएत। सन 1990 मे लालू प्रसाद क सत्ता मे एबा स पहिने बिहार सरकार आ ओकर कईटा मुखिया भ्रष्टाचार क लेल पूरा देश मे चर्चित रहला अछि। अस्सी क दशक मे लंदन टाइम्स क एकटा संवाददाता ट्रेवर फिसलॉक लिखलथि जे कई तरह क गंदगी सरकारी आ राजनीतिक भ्रष्टाचरण क मामला मे बिहार, भारत क गंदा नाला बनि चुकल अछि।
फिशलॉक ओहि समय आबि कए बिहार सरकार मे भ्रष्टाचार कए संस्थागत रूप द चुकल अछि। मुदा बिहार क दुर्भाग्य द अछि जे जखन कोनो दल क सरकार क कार्यकाल मे भ्रष्टाचार क मामला उजागर होइत अछि त प्रतिपक्षी दल बिना किछु सोचने-बुझने राजनीतिक लाभ क लेल निराधार आरोप-प्रत्यारोप करबा मे लागि जाइत अछि। दरअसल आजुक अधिकतर नेता सिर्फ कुर्सी हड़पबा लेल तरह-तरह क राजनीतिक कसरत करैत रहैत छथि, हुनका लेल सरकारी भ्रष्टाचार कए कम करबा लेल या समाप्त करबा लेल कोनो खाका नहि अछि। आजादी क बाद क राजनीतिक इतिहास देखला स साफ होइत अछि जे अधिकतर नेता मौजूदा सरकार पर भ्रष्टाचार क सही-गलत आरोप लगा कए जनता कए प्रभावित करैत छथि आ कुर्सी हासिल करैत छथि आ जखन खुद कुर्सी पर बैस जाइत छथि त पिछला सरकार स बेसी भ्रष्टाचार करै लगैत छथि। आम तौर पर एहि देश मे यह देखल गेल अछि। दरिद्र बिहार आ एहि गरीब देश क इ सबस पैघ दुर्भाग्य अछि। जे नेता अपन भीतर क झूठ, स्वार्थ आ अज्ञानता स नहि लड़ सकैत अछि, ओ भ्रष्टाचार नामक भीषण दानव स कोनो लड़ि सकैत अछि?