कार्टूनिस्ट पवन क परिचय देबाक आइ जरुरत नहि अछि। बिहार नहि बल्कि समस्त भारत पवन क कार्टून क सब भोर बाट तकैत अछि । राजनीतिक टीका हो बा सामाजिक कटाक्ष पवनक कार्टून अपना आप मे बहुत किछु कहि दैत अछि। देशक आन कार्टूनिस्ट स पवन एकटा आओर कारण स अलग छथि आ ओ अछि हुनक कार्टून क भाषा। बिहारक समस्त भाषा आ बोली कए अपना मे समेटने पवन क भाषा कए एखन धरि कोनो नाम नहि देल जा सकल अछि, मुदा एहि भाषा क लोकप्रियता कार्टूनक संग जुडि चुकल अछि। प्रस्तुत अछि शुरुआती संघर्ष स आजुक ब्रांड बनबा तक हर विषय पर पत्रकार आशीष झा संग भेल कार्टूनिस्ट पवन क अनौपचारिक गपशप क अंश:- समदिया।
प्र.- आरके लक्ष्मण जेकां अहां कार्टून मे आम आदमी जेकां कोनो स्थाई पात्र नहि अछि, किया।
पवन.- एकर पाछु दूटा कारण अछि । पहिल इ जे हमर शुरुआत बहुत संघर्ष आ अव्यवस्थित रहल, एहन मे कोनो स्थाई पात्र कए राखब हमरा लेल संभव नहि भेल। दोसर जे हमर विषयवस्तु आम आदमी स जुडल रहल आ हम ओहि मे कोनो खास स्थाई पात्र कए जबरन घुसेबाक पक्ष मे नहि रहैत छी। अगर जूता आ मोजा अपना मे गप क रहल अछि त फेर ओहि मे तेसर पात्र कए रखबाक कोन काज।
प्र.- कार्टून मे कोन चरित्र लोकप्रिय अछि ।
पवन.- राजनीतिक चेहरा कार्टन क सबस आम आ लोकप्रिय चरित्र मानल जाइत रहल अछि, मुदा आब लोक राजनीतिक चेहरा स अकच्छ भ गेलथि अछि । आम आदमी क समस्या स जुडल चरित्र आब लोक पसंद करैत अछि । एहन चरित्र बनेबा मे हमरा सेहो संतुष्टि भेटैत अछि ।
प्र.- पवन क आम आदमी अधिकतर भीखमंगा किया होइत अछि।
पवन.- (हंसैत) जेकरा संग समय बीतल रहत हमरा लेल त ओ सबस प्रिय पात्र रहबे करत । 1999 स 2002 तक हमर जीवन रोड पर बीतल । हम अपन लक्ष्य तय क लेने रही, घर छोडी पटना आबि गेल रही। कोनो हाल मे कार्टूनिस्ट बनबाक छल। भरि दिन इ कार्यालय स ओ कार्यालय आ राति कोनो चौराहा पर या स्टेशनक प्लेटफार्म पर बीतैत छल। कोनो मित्र क घर मे कपडा साफ भ जाइत छल, त ककरो संग भोजन भ जाइत छल । किछु दिन टका क लेल कारपेंटर संग सेहो काज केलहुं । एहि दौरान भीखमंगा संग समय गुजारबाक मौका भेटल आ कई दिन ओकर बगल मे सूतबा लेल जगह भेटल । ओ दिन एखनो हमरा पात्र आ विषय चुनबा मे मदद करैत अछि । हमर ओ संघर्ष क दिन आइ कार्टून मे गुदगुदी पैदा करबा लेल मददगार भ जाइत अछि । सच पूछू त हमर संघर्ष मे कार्टूनक गुदगुदी नुकायल अछि ।
प्र.- कार्टूनिस्ट पवन क भाषा की अछि
पवन.- यउ, सच पूछू त हमरा आइ धरि इ नहि बुझल अछि जे हमरा भाषा की अछि। एकरा हम नहि त भोजपुरी कहि सकैत छी आ नहि मगही छी, मैथिली सेहो एकरा कहब गलत होएत। एहन मे हमरा लेल इ बस पटना मे सुनल एकटा बोली छी जाहि मे सबटा भाषाक ध्वनि सुनाई दैत अछि। ओना किछु साल पहिने भागलपुर मे एहि पर एकटा कार्यक्रम भेल छल, जाहि मे हमर भाषा पर भाषा क जानकार सब अपन राय रखने छलाह, मुदा ओहि ठाम सेहो एहि भाषा कए कोनो नाम नहि देल जा सकल । ओना हम चरित्र क आधार पर शब्द क चयन करबाक कोशिश रहैत अछि।
प्र.- अहांक कार्टून क भाषा मे कोनो कॉलम लिखल गेल अछि या आन कोनो काज भ रहल अछि।
पवन.- हम अपन कॅरियर क शुरुआती दिन मे नभाटा मे लिखैत रही। छल त ओ हिंदी मे, मुदा ओहि कॉलम मे सेहो हम एहि भाषाक प्रयोग करैत छलहुं । एनडीटीवी क रवीश कुमार अपन ब्लाग मे एक-दू टा पोस्ट एहि भाषा मे केने छथि। आओर कोनो काज ध्यान पर नहि आबि रहल अछि। ओना फिल्मकार नितिन चंद्रा सेहो एहि भाषा मे सिनेमा बनेबाक गप केने छलाह, मुदा एहि लेल प्रयाप्त समय चाही, जे हमरा लेल एखन संभव नहि अछि।
प्र.- अहांक कार्टून क पात्र मे भाषाई अंतर सेहो देखाइत अछि, इ कोना संभव होइत अछि।
पवन.- एकरा पर हम शुरु स शोध करैत एलहुं अछि । सोनिया गांधी कए हिंदी कए कार्टून लेल प्रयोग करबा स पूर्व यू-टयूब पर हुनकर भाषण कई बेर सुनलहुं, तखन जा कए किछु शब्द तैयार भ सकल। एहिना बिहार मे जखन बूटा सिंह राज्यपाल छलाह त एकटा सरदार क साइकिल दुकान पर जा कए बैस रही, ओकरा संग गप करैत रही, ओकरा बुझए नहि देलहुं मुदा हमर लक्ष्य ओकर हिंदी मे पंजाबी टोन ताकब छल, एक दिन किछु शब्द जमा भेल आ ओ हम बूटा सिंह लेल खूब प्रयोग केलहुं।
प.- पवन क उत्तराधिकारी के ।
पवन.- कार्टून मे उत्तराधिकारी सन कोनो चीज नहि भ सकैत अछि। किछु लोक नीक काज क रहल छथि । ओना एहन नहि अछि जे हम युवा कए एहि क्षेत्र मे अनबा लेल प्रोत्साहित नहि केलहुं अछि । तीन चारिटा लडका-लडकी कए हम विभिन्न जगह पर मौका दियेलहुं अछि, मुदा कार्टून नकल करबाक वस्तु नहि अछि, रोज किछु नहि किछु नव चाही, मुदा नवका पीढी नव सोच स बेसी पुरानक बाट पर चलबाक कोशिश करैत अछि, संगहि हिनका सब मे ध्यर्य क घोर अभाव अछि। नव पीढी लेल राता राति सब किछु पाबि लेबाक लक्ष्य सबस पैघ बाधक अछि ।
प्र.- अहांक बेटी क हाथ मे बहुत लोक अहांक कला देख रहल छथि।
पवन.-(हंसैत) हमर बेटी देखैत देखैत आइ कार्टून क नीक नकल क लैत अछि । दरअसल, हमर पत्नी जखन काज लेल जाइत छलीह त ओ हमरा लग रहैत छल, आ चुपचाप पेंसिल आ कागज पर हमर बनाउल कार्टून बनबैत रहैत छल, एक दिन हमरा एकटा कार्टून बना कए देखेलक जे एकदम हमर बनाउल कार्टन जेकां छल । देखू आगू ओकरा मे नव सोच केतबा जागृत होइत अछि।
प्र.- इ’समाद स गप करबा लेल धन्यवाद
पवन.- अहूं कए धन्यवाद।
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