समदिया
पटना । लालकिलाक बहाने देश मे चलि रहल बहसक बीच पुरातत्व आ धरोहर विषय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सेहो गंभीर भेलथि अछि। मुख्यमंत्री बिहार खास क मिथिला क्षेत्रक धरोहर आ पुरातत्व पर अधिकारी कए तथ्य ठीक करबाक निर्देश देलथि अछि। मानल जा रहल अछि जे प्रधानमंत्री संग 2 मई कए प्रस्तावित बैसार मे मुख्यमंत्री बलिराजगढ़ क खुदाईक मामला हुनकर समक्ष उठौताह। मोदी संग एहि बैसार मे नीतीश बिहार कए विशेष दर्जा देबाक सेहो मांग करता। जदयू नेता केसी त्यागीक कहब अछि जे नीतीश कुमार संग बैसार क बाद प्रधानमंत्री बिहार सदन क नव भवन क शिलान्यास करताह।
उल्लेखनीय अछि जे बलिराजगढ़ क खुदाई लेल भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण क भारत मे स्थापना भेल छल। 1938 मे भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण बलिराजगढ़ एक अपन पहिल शोध लेल आरक्षित केलक मुदा खुदाई 1962 मे शुरु भेल। किछु महत्वपूर्ण तथ्य सामने आयल मुदा खुदाई बंद क देल गेल। फेर 1972 मे खुदाई शुरु भेल। एहि बेर जे तथ्य भेटल ताहि स भारतीय इतिहास नहि अपितु विश्व इतिहास प्रभावित होइत प्रतीत भेल, मुदा खुदाई रोकि देल गेल। केंद्र क उपेक्षाक कारण इ सतत माटी मे नुकायल अछि।
जदयू नेता व पूर्व विधान पार्षद संजय झा एहि ठामक खुदाई लेल सतत प्रयास क रहल छथि। किछु दिन पूर्व ओ मुख्यमंत्री स एहि संदर्भ मे विचार विर्मश केने छलाह। मुख्यमंत्री हुनका आश्वासन देने रहथि जे प्रधानमंत्री संग अगिला बैसार मे बलिराजगढ़क मसला उठायब।
2005 मे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बलिराजगढ़ जा कए ओहि ठामक हाल अपन आंखि स देल चुकल छथि। अदालत मे सेहो इ मामला पहुंचल। राज्य सरकार बेर बेर एहि ठामक खुदाई लेल आग्रह करैत रहल अछि मुदा भ किछु नहि अछि। किछु शोधकर्ता क त कहब अछि जे विदेहक मिथिला नगरीक प्रमाण सेहो एहि ठाम खुदाई स भेट सकैत अछि, मुदा ताहि लेल खुदाई गहीर आ गंभीर तरीका स हेबाक चाही।
एहि संबंध मे मुख्यमंत्री क नजरि साफ अछि। ओ कहैत छथि जे एएसआई क उपेक्षाक कारण एक हजार टन सोना स बेसी मूल्यवान बिहारक मिथिला क्षेत्र क इतिहास अछि जे धूल क गर्त मे अछि। ओकर खुदाई आवश्यक अछि। मधुबनी जिला मे बलिराजगढ़ क किला जे 2200 साल पुरान अछि तेकरा लेल केंद्र सरकार लग कोनो समय नहि अछि। एहन पुरातात्विक महत्व क स्थल क खुदाई एएसआई द्वारा हेबाक चाहैत छल, मुदा बिहार सरकारक बेर-बेर आग्रह करबा क बावजूद ओहि ठाम खुदाई नहि कैल जा रहल अछि। मुख्यमंत्री कहला जे बलिराजगढ़ क खुदाई स केवल भारत इतिहास नहि बल्कि विश्व क इतिहास बदलि जाएत। विश्व सभ्यताक एकटा नव अध्याय ख्ुालत, मुदा एहि लेल केंद्र लग समय नहि अछि।