पटना । मैथिली साहित्य संस्थान, पटना द्वारा भारत सरकार के समक्ष मांग राखल गेल कि मैथिली के उत्कृष्ट भाषा (Classical Language) के रूप में अधिसूचित कयल जाए। संस्थानक सचिव भैरव लाल दास आ कोषाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्रक द्वारा भारत सरकार के शिक्षा मंत्री के देल गेल ज्ञापन में उल्लेख कयल गेल अछि कि मैथिली भाषाक इतिहास 1500 वर्ष सँ पुरान अछि। बौद्धकालीन मिथिला में सिद्धगण मैथिली के उपयोग अपन दोहा में करय छलथि। बाद में ई संत साहित्य के रूप में विकसित भेल। पालवंश द्वारा विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना कयल गेल आ बौद्ध विद्वान सबद्वारा तिब्बत पठाओल गेल पाण्डुलिपि सबकें अध्ययन सँ स्पष्ट होईत अछि कि एहि विश्वविद्यालय में मैथिली भाषा के उपयोग होईत छल। मिथिला में प्राप्त विभिन्न शिलालेख, ताम्रपत्र, सिक्का आ पाण्डुलिपि सब एहिके प्रमाण के समर्थन करैत अछि। संस्थान द्वारा देल गेल ज्ञापन में कहल गेल अछि कि मैथिली भाषा को तिरहुतिया, देसी, अवहट्ट आदि विभिन्न नाम सबसँ से जानल जाईत रहल अछि। ‘वर्ण रत्नाकर’ के बाद के पाण्डुलिपि सब उपलब्ध अछि। विद्यापति के समय में ई लोकभाषा के रूप में अत्यधिक समृद्ध बनल।
संस्थान में देल गेल ज्ञापन में कहल गेल अछि कि मैथिली भाषा के प्रसार क्षेत्र बहुत व्यापक अछि आ लगभग पांच करोड़ आबादी के ई मातृभाषा अछि। एहिमें विशिष्ट पाण्डुलिपि सब आ विपुल साहित्य उपलब्ध अछि। मैथिली भाषा में ओ सब तत्व मौजूद अछि जहि आधार पर एकरा आदर्श या उत्कृष्ट (Classical Language) भाषाक संज्ञा देल जा सकैत अछि। यदि भारत सरकार मैथिली के उत्कृष्ट भाषाक संज्ञा दै छथि त एहिके विकास के नवीन आयाम खुलबाक प्रबल संभावना अछि।