मधुबनी। चलो रे डोली उठाओ कहार..गीत आब केवल ब्याह दिन बैंड पर बजैत अछि। आधुनिक युग मे मिथिला मे आएल सांस्कृतिक पतनक कारण आब कोनो दुहारि स डोली नहि उठैत अछि। धनीक स धनीक आ गरीब स गरीब लोक अपन बेटी-पुतहु कए मोटर स ल कए रिक्शा तक पर विदा करैत अछि। नवतुरिया त आब सिनेमा मे छोडि़ डोली कतहू नहि देखैत अछि। मिथिलाक एक-दू टा गाम छोडि़ कए कतहू डोली अर्थात खरखरिया देखबा मे नहि अछि। जाहि गाम मे अछि ओहि ठाम सेहो ओ जर्जर अवस्था मे अछि। दरअसल आब विवाह मे चलि रहल रस्म ओ रिवाज मे भारी बदलाव आबि रहल अछि। एकर पाछु बिहार स पलायन सेहो महत्वपूर्ण कारण मानल जा रहल अछि। जाहि प्रदेश स लोक बिवाह करबा लेल बिहार अबैत अछि ओकर संस्कृति एहि ठामक संस्कृति मे मिला दैत अछि। गाम हुए या शहर अपन संस्कृति कए त्यागि शान बढ़ेबा लेल नव-नव तरीके अपना रहल मिथिला समाज अपन जडि़ स कटल जा रहल अछि। गप मात्र डोली क नहि अछि आन रिवाज सेहो खत्म भ रहल अछि। आदिकाल स चलल आबि रहल रिवाज कए मानि हम सब दुनिया मे अपन अलग स्थान बनेने छी। एहि पर आइ सेहो शोध जारी अछि जे आखिर मिथिला मे विवाह क सफलता क राज की अछि। मुदा इ हाल रहल त जल्दहि हम सब ओहि भीड़ मे शामिल भ जाएब, जतय राति मे विवाह आ भोर मे तलाक भ जाइत अछि। हम लग्न के छोडि़ लगन मे विवाह करै लगलहुं, जखन कि मिथिलाक देखा-देखी अमिताभ बपन बेटाक विवाह लग्न देखी कए केलथि।
तहिना मिथिला संग पूरा भारत मे डोली आ पालकी जेकरा मिथिला मे हम सब खरखरिया आ सबारी कहैत छी, क समाज मे एकटा अलग महत्व अछि। राजा हो या रंक ब्याह क समय डोली आ पालकी मे बैसबाक रिवाज रहल अछि। हाईटेक युग मे लाख टका नाच गान पर खर्च करबा मे ककरो दिक्कत नहि अछि, मुदा कहार कए हजार टका देबा मे बटुआ खाली भ जाइत अछि। एकर कारण आइ डोली-पालकी आ कहार कहानी बनि कए रहि गेल अछि।
पहिने जतय ब्याह क बाद कनिया आ वर कए ल जेबा लेल दुहारि पर चारि टा कहार लाठी लकए ठार रहैत छल, आइ खटारा गाड़ी मे ड्राइवर बैसल नजरि अबैत अछि। कहबा लेल इ हमर आधुनिक सोच आ आर्थिक उत्थान कए देखा रहल अछि, मुदा असल मे इ हमर पिछड़ापन आ दिमागी तौर पर अंगाली कए देखा रहल अछि। राजस्थान मे जेकर दुहारि पर करोड़ टकाक गाड़ी लागल अछि ओ जखन विवाह लेल जाइत अछि त लाख टका खर्च करि घोडि़ मंगबैत अछि, दू डेग लेल लाख टका खर्च करैत अछि, मुदा करोड़ टकाक गाड़ी घोडि़क स्थान नहि ल पेलक, मुदा मिथिला मे हजार टका कहार कए नहि द खटारा गाड़ी पर चढ़बा स औकात बढि़ जाइत अछि। आइ स्थिति एहन अछि जे टका खर्च करबाक बावजूद कहार नहि भेट रहल अछि। किया कि जखन डोली या पालकी ककरो दरबाजा पर नहि अछि, त कहार कतय भेटत।
आई बरियाती क मायने बदलि गेल अछि। पहिने बरियाती मे शरबत चलैत छल आइ कोल्ड ड्रिंक्स या शराब तक परनेसल जा रहल अछि। गप आ ठहाकाक स्थान पर नाच शुरू भ गेल, एहि फूहड़ताक कारण बुजुर्ग बरियाती जेबा स तौबा करि रहल छथि।