विनीत ठाकुर
पटना। मंदिर भारतक सामाजिक, सांस्कृतिक एकताक प्रकाश स्तंभ क रूपेँ प्राचीन काल से विद्यमान अछि आ अपन भव्यता, शिल्प क लेल विश्वविख्यात अछि। एहि मंदिर सबहक मध्य विहार क राजधानी पटना क समीप हाजीपुर मे कौनहारा घाट पर बनल नेपाली मंदिर काष्ठ कला क अद्भुत नमूना अछि। ई गाँधी सेतु क बाद जडुआ मोड़ से छ किमी दूर हाजीपुर क पश्चिम क्षेत्र मे अवस्थित अछि। मंदिर काठ सँ बनल अछि आ परिसर मे लकड़ी क खम्भा सब पर काम कलाक विभिन्न आसन प्रदर्शित करैत मूर्त्ति सब बनल अछि जे अनायासे खजुराहो, अजंता, एलोरा क मूर्त्ति सबहक स्मरण करबैत अछि।विहार क ई मंदिर काम कला क शिक्षा दैत स्वयं में अद्भुत अछि।
स्थानीय लोक सब एहि मंदिर क महत्व से अवगत नहि छथि परन्तु देशी विदेशी सैलानी सब मंदिर क मंच सौन्दर्य क आनन्द लेबा लेल भारी संख्या मे अबैत छथि। मंदिर मे पूजा पाठ कम होइए।ई भारतीय पुरातत्व विभाग सँ संरक्षित अछि तथापि अगल बगल मे निर्माण भेल छैक। गंगा आ गंडक नदी क संगम पर बनल एहि मंदिर क प्राकृतिक दृश्यावली अत्यन्त मनोरम अछि। एक दिश महाश्मशान मे सतत चिता प्रज्वलित रहैत अछि,लगे मे अछि नारायणी घाट जकरा से आगू एक विशाल कक्ष क मध्य नेपाली मंदिर अवस्थित अछि। मंदिर क वाह्य ऊपरी भाग आ शिखर नेपाल क पशुपतिनाथ मंदिर क अनुकृति थिक। एकर शिल्प अन्य मंदिर से भिन्न अछि।
मंदिर क निर्माण लगभग ५५० वर्ष पूर्व ओतुका राजा अपन साम्राज्य विस्तार आ अन्य राजा सबकेँ अपन अधीन करबाक उपलक्ष मे करौने छलाह।यौन शिक्षा सँ समाज केँ अवगत करेबा लेल बनल ई मंदिर क वास्तुकला पैगोडा शैलीक अछि जे सैलानी सब केँआकर्षित करैत अछि। एहि मंदिर क निर्माण नेपाली कमांडर मातवर सिंह थापा के निदेश मे भेलाक कारणे ई नेपाली मंदिर कहबैछ। मूलतः ई भोला नाथ, शिवजी क मंदिर थिक। काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान क अनुसार विहार क उत्तर मुगलकालीन देवालय सब मे ई मंदिर अपन बनाबट आ युग्म मूर्तिसब लेल विश्व प्रसिद्ध अछि।ओना त पर्यटक सालोभरि अबैत छथि परन्तु श्रावण आ कार्तिक मास मे लाखो क संख्या मे अबैत छथि।