रामबाबू
नयी दिल्ली । वास्तवमे एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) क वृद्धि दर मुँहे भरि खसल अछि। आंकड़ाकें मोताबिक, एफडीआई केर वृद्धि दर साल 2017-18 मे पछिला 5 सालक सभसँ निचला स्तर पर पहुँच गेल अछि। इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन विभागकें आंकड़ा के’ मोताबिक, 2017-18 मे एफडीआई 3 प्रतिशत केर वृद्धि दर सँ 44.85 बिलियन डॉलर रहि गेल, जखन कि साल 2016-17 मे एफडीआई केर वृद्धि दर 8.67 प्रतिशत, 2015-16 मे 29 प्रतिशत आ 2014-15 में 27 प्रतिशत रहल छल।
विशेषज्ञ केर मोताबिक, देशमे घरेलू निवेश बढयबाक आऔर बिजनेस करयकें नियम आसान कएने बिना प्रत्यक्ष विदेशी निवेशमे वृद्धिमे बेसी दिकदारी अछि। लाइव मिंट केर खबरि मोताबिक, डेलोइटे इंडियाकें पार्टनर अनिल तलरेजा मोताबिक देशक उपभोक्ता आऔर खुदरा क्षेत्रमे एफडीआई केर कम वृद्धि दरक कारण अहि क्षेत्रक अनिश्चित्ता आऔर जटिलता अछि। ओना सरकारकें तरफ सँ प्रयास निरन्तर चलि रहल अछि, लेकिन अन्तरराष्ट्रीय उपभोक्ता आऔर रिटेल कंपनी सभ एखन सेहो भारतमे निवेश करय सँ परहेज कS रहल अछि। जखन कि सरकार देशमे बिजनेस शुरु करय लेल नियम बेस सहज कS देलक अछि, एकर बादो विदेशी निवेशक सभमे ओ आत्मविश्वास नहि आबि रहल अछि कि ओ एतय आबि निवेश कS सकैए।
जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी केर प्रोफेसर बिश्वजीत धर केर मोताबिक, कोनहुँ देशक एफडीआई मे ओहि देशक अर्थव्यवस्था केर छवि देखल जाएत अछि। पछिला किछु सालसँ घरेलू निवेशमे बेसी उदासीनता देखल गेल अछि। जेकर असरि आब एफडीआई पर देखल जा रहल अछि। UNCTAD केर एकटा रिपोर्टक मोताबिक, भारतमे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश साल 2017 मे 44 बिलियन डॉलर सँ घटिकS 40 बिलियन डॉलर पहुँचि गेल अछि। आंकड़ाकें मोताबिक, देश मे सभसँ बेसी विदेशी निवेश सेवा क्षेत्र (6.7 बिलियन डॉलर) मे आएल अछि। एकर बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर आऔर हार्डवेयर (6.15 बिलियन डॉलर), टेलीकम्यूनिकेशन (6.21 बिलियन डॉलर), ट्रेडिंग (4.34 बिलियन डॉलर) कंस्ट्रक्शन (2.73 बिलियन डॉलर), ऑटोमोबाइल (2 बिलियन डॉलर) आऔर ऊर्जा (1.62 बिलियन डॉलर) निवेश भेल अछि।
ओतय जँ भारतमे सभसँ बेसी विदेशी निवेश करनिहार देशक गप्प करि त’ मॉरीशस सभसँ ऊपर अछि, जे भारत मे 15.94 बिलियन डॉलर केर निवेश कएलक अछि, एकर बाद सिंगापुर (12.18 बिलियन डॉलर), नीदरलैंड्स (2.8 बिलियन डॉलर), अमेरिका (2.1 बिलियन डॉलर) आऔर जापान (1.61 बिलियन डॉलर) कएलक अछि।उल्लेखनीय अछि कि भविष्यमे भारतकेँ बड़का स्तर पर विदेशी निवेशक जरुरत होयत। विदेशी निवेशक मदति सँ सेहो देशमे इंफ्रास्टक्चरकें विकास कएल जाएत, परञ्च विदेशी निवेश मे कमी सँ देशक इंफ्रास्टक्चर विकासक पर्यासकें जोरगर धक्का लागत