कोशी शिखर सम्मेलन क दोसर दिन कोशी पर विशेष सत्र
प्रख्यात नदी विशेषज्ञ दिनेश मिश्र छल मुख्य वक्ता
रंजीत कुमार, रामदेव शर्मा, ब्रह्मदेव यादव छलाह विशेष वक्ता
बाढ़िक समस्या आ समाधान पर भेल चर्चा
सहरसा । कोशी शिखर सम्मेलन क दोसर दिन कोशी पर एकटा विशेष सत्र मे प्रख्यात जल विशेषज्ञ श्री दिनेश मिश्र कहलाह जे कोशी दुनिया क पहिल नदी अछि जेकरा लोग माइयो कहैत अछि आ डायनो । अपन विभिषिका क चलते लोग एकरा डायन कहि दैत अछि मुदा हमरा हिसाबे माय कहियो डायन नहि भए सकैत अछि । दरअसल एकरा डायन हम सब बनेलहूँ । हम सभ कोशी क समाधान लेल एहन आदमी क चुनलहूँ जेकरा नदी क न मालूम नहि अछि । आजुक समय मे जे आदमी नदी कए जतेक कम बुझैत अछि ओ नदी क ओतबा पैघ मालिक होएत अछि ।
हम तटबंध बना देलहूँ आ मानि लेलहूँ जे सभ ठीक भए गेल । मुदा असली विनाश ओकर बादे आयल । कोशी एहन चंचला नदी क बन्हनाय कोनो भी इंजिनियर लेल बड्ड मुश्किल अछि । ओ तटबंध बना त देलक मुदा एक्को बेर कोशी क लोग स नहि पुछल गेल जे एकर समस्या लेल की करबाक चाही । ओ समाधान केलाह त एहन जेकरा विषय मे हुनका अपने नहि पता छल जे इ कतेक सफल होएत ।
अखैन कोनो इंजिनियर वा वैज्ञानिक स पुछब जे एहि समस्या क कि समाधान होएत त ओ कहत वाराह क्षेत्र मे बाँध बना देला स एहि समस्या क स्थाई समाधान भए जाएत । मुदा हम कहैत छी दोसर क जमीन पर बाँध बनेबा लेल कहिया धरि खेखनी करब । एकर समाधान अपन जमीन पर किएक नहि । अपन जमीन पर योजना लेल कहियो कियो गपे नहि करैत अछि । 1992 मे जल समस्या लेल ब्राजील मे एकटा सम्मेलन भेल । जाहि मे कहल गेल जे पानि पर मानव मात्र क हक अछि । एहि पर कोनो देश, प्रक्षेत्र क अधिकार नहि हेबाक चाहि । एहि चर्चा क बाद नेपाल भारत कए बराह क्षेत्र मे सर्वेक्षण लेल नौत देलाह । मुदा आय 28 साल बाद धरि एहि योजना क डीपीआर धरि नहि बनल प्रोजेक्ट रिपोर्ट क त गपे नहि पुछू ।
नदी जोड़ो योजना क हाल सैह अछि । जाहि योजना कए शुरू शुरूआती लागत 5 लाख 60 हज़ार करोड़ छल आया वैह योजना 20 लाख करोड़क भए गेल अछि । आ ई बात हम दावा क संग कहि सकैत छी जे पुरा होएत होएत होएत ई 60 लाख करोड़ धरि पहुँच जाएत ।
तटबंध त आर पैसा कमेबाक जरिया बनि गेल अछि । हरेक साल अगस्त स अक्टूबर धरि जखन बाढ़ि अबैत अछि आ सदन मे एहि समस्या लेल जोर-शोर स आवाज उठैत अछि त इंजिनियर क टीम बिहार स नेपाल करय लगैत अछि । फेर बाढ़ि जाएत अछि आ लोग ठंढ़ा जाएत अछि । अखैन धरि जतेक बेर भी तटबंध रिपेयर भेल अछि सब बेर यैह कहल जाएत अछि जे एहि बेर तटबंध एतेक मजबूत भए गेल अछि जे आबय बला दस साल धरि कोनो दिक्कत नहि होएत । मुदा तखनो हाल एहन अछि जे 7 बेर बॉंध रिपेयर भए चुकल अछि । आ तटबंध एतेक उँच भए गेल जे कोशी आब जमीन से 5 मीटर उपर बहि रहल अछि ।
बाढ़िक समस्या आ ओकर समाधान पर गप करैत ओ कहलाह जे कोशी पर नियंत्रण लेल एकर धारा कए फेर से 16 टा धारा मे बहा देल जाए त एकर समस्या खतैम भए सकैत अछि । कोशी फेर स पुरान स्वरूप मे धुरि आएत ।
आँगा सत्र कए संबोधित करैत प्रभात खबर क पत्रकार रंजीत कुमार कहलाह जे कोशी पर सभ कियो खाली राजनीति टा करैत अछि । 2008 मे नीतीश कुमार कोशी लेल जे वादा करलक ओ सहो अखैन धरि पुरा नहि भए सकल । कोशी पुनर्वास क नाम पर खानापुर्ती टा भेल अछि । कुसहा मे टुटल 2 लाख 2 हज़ार 6 सौ बत्तीस घरक एवज मे सरकार जे घोषना केलक जे 1 लाख 57 हजा़र घर बनाएब । ओहि मे मात्र 57 हज़ार घर बनल अछि । सरकार खाली कोशी क नाम पर वर्ल्ड बैंक क कर्जा लए सरकार मौज करैत अछि । दरअसल कोशी क योजना राजनीतिक खर्चा कए पुरा करबाक लेल होएत अछि ।
सत्र मे वक्ता क रूप मे आएल महेन्द्र यादव कहलाह जे विकाश क नाम पर विनाशक परियोजना खाली कोशी टा अबैत अछि । कोशी कहियो अभिषाप नहि छल । तटबंध बनाकए एकरा अभिषापित करल गेल । आब हाल ई अछि जे कतेक बेर ई टुटल आ परिणामस्वरूप जान-मालक छति भेल ।
सत्र क संबोधित करैत कोशी क पेट मे रहनिहार रामदेव शर्मा कहलाह जे तटबंध बनैत काल जखन ओतहुका लोग तत्कालीन मंत्री जग्गनाथ मिश्र कए कहलाह जे सरकार बाँध बनाकए किएक कोशी माय क किएक बान्हि रहल छी बन्हलाक बाद त आर विकराल भए जाएत । त जग्गनाथ् मिश्र कहलाह जे ई तटबंध अहाँ सभलेल दुधारू गाय साबित होएत । हरेक साल एकरा लेल योजना अबैत रहत आ अहाँ सब ओहि योजना कए खाएत रहब । तखन त लोग मानि गेल मुदा हाल ई अछि जे लाखो एकड़ जमीन खाली एकर सीपेज स बर्बाद भए रहल अछि । पानि अबैत त अछि मुदा घुरि नहि पबैत अछि ।
कोसी क पेट स आएल ब्रह्मदेव चौधरी कहलाह जे गाम बांध बनलाक बाद कटैत अछि पहिने कोशी कोनो खेत कोनो गाम नहि काटैत छल । ई बान्ह बनलाक बाद स शुरू भेल अछि । ओ एकटा नब जानकारी देलथि जे कोशी क जमीन खाली खेतीटा लए नहि अपितु हथकरघा उद्योग लेल सेहो प्रसिद्ध छल । मुदा बांध बनलाक बाद स्थिती दोसर भए गेल । सभ पलायन क दंश झेलबा ले मजबूर भए गेल । एहन भए गेल कि जे कोशी धानक कैक टा वेराईटी उगेनिहार आब मकई पर आश्रित भए गेल । सेहो मकई आब समर्थित मुल्य स कम पर बिकैत अछि ।
पुनर्वाश क स्थीति त आर गड़बड़ अछि । हमर एक एकड़ जमीन छिनी कए सरकार हमरा 1 धूर पर आनि देलक । आ सोंसे गाम कए ढ़िढ़ोरा पीट रहल अछि जे हम पुर्नवाश केलहूँ । बाढ़िक विभिषिका कैक गोटे क नक्सल बनबा पर विवश कए देलक । एहि सत्र मे ओ विस्थापित लोगक समस्या आ ओकर पुनर्वाश पर चर्चा केलथि ।
यैह सत्र मे प्रभातखबर क वरिष्ट आ खोजी पत्रकार पुष्यमित्र क चर्चित किताब रेडियो कोशी क विमोचन सेहो संयुक्त रूप स करलाह । पुष्यमित्र अपन संबोधन मे कहलाह जे हुनकर आत्मा क एकटा कोन मे ई छल जे हुनकर किताब कोशी क लोगक बीच एहने कुनू सत्र मे होए आ आय हुनकर इच्छा पुरा भए गेल । ओ कहलाह जे चीनक ह्वागहो नदी क अध्ययन लेल टीम गेल छलाह आ ओहि क अनुरूप कोशी क विकाश पर विचार बनि रहल अछि । दोसर जानकारी दैत ओ कहलाह जे भारत सरकार नेपाल कए कोशी क रास्ता हुगली धरि एकटा जलमार्ग बनेबा पर सेहो विचार कए रहल छलाह । जों सब किछु ठीक रहत ई योजना जल्दिए जमीन पर उतरत । ओ कहलाह जे कोशी क समस्या क समाधान हमरा सबकए अपनै ताकय पड़त कियो दोसर हमरा समस्या कए हमरा स नीक नहि बुझि सकत ।