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बिका गेलहू हम एक क्विंटल गहूम आ 2200 टका पर

September 7, 2016
in विचार
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दिनेेश मिश्र

  1. डलवा – नेपाल 21  अगस्त , 1963
  2. जमालपुर – दरभंगा 5 अक्टूबर, 1968
  3. भटनिया – सुपौल 14 अगस्त, 1971
  4. बहुअरवा – सहरसाअगस्त 1980 (तारीख ताकय पड़त)
  5. हेमपुर – नवहट्टा, सहरसा , 5 सितम्बर, 1984.
  6. गनडौल / समानी, सहरसा, 16 अगस्त, 1987
  7. जोगिनियाँ, नेपाल 18 जुलाई, 1991
  8. कुसहा, नेपाल, 18 अगस्त, 2008

Dinesh Mishraकोसी नदी आओर ओहि पर बनल तटबंध कैक सालक बाद चर्चा मे आबि रहल अछि । एकर निर्माण सही भेल आकि गलत एहि बहस मे पड़ल बिना आजुक जों गप करी त तटबंध जों मजबूती क संग कोसी क मुकाबला ठाड़ रहत त ओकर वजह स तटबंध क बीच रहनिहार 12 लाख क आबादी फँसत आओर जों तटबंध कए, भगवान नहि करय, किछु होएत त बाहर बसल कतेक लोगक जान साँसत मे फँसत कहनाय मुश्किल अछि। एकर अलावा तेसर गति नहि‍ अछि एहि तटबंध क । ई सलामत रहत त अंदर बला मरत आओर जों टूटत त बाहर बला । नीक विकल्प देने अछि सरकार हमरा सबहक ।

रसिक लाल यादव आय से 57 साल पहि‍ने 1959 मे बिहार विधान सभा मे सरकार स पूछने छल, “कोशी नदी कए बान्हि देल गेल अछि । एहिक बीच स पहिने लोग निकैल सकैत छल मुदा आब एकरा घेर देल गेल अछि जाहि स ओ निकैल नहि‍ सकत । रेवेन्यू डिपार्टमेंट क हालत ई अछि जे सरकारक सर्किल अफसर लोग कए पछाडि़ – पछाडि़ कए मालगुजारी असूल करि‍ लैत अछि जखनकि हुनकर घर पानि‍ मे छल। ओ एहन लोग कए सेहो पछाडि़ – पछाडि़ कए मालगुजारी असुलैत अछि जे खाली ककड़ी पैदा क कए अपन जीवन बसर करैत अछि। जे नदी क बाहर अछि हुनका कहल जाएत अछि जे खेती करबा क लेल बांध क बीच मे जाउ। मुदा जखन ओ खेती करय  आबैत अछि ते  घटवार लोग हुनका स पछाडि़ कए घाट वसूल लैत अछि । कोशी योजना हुनकर रक्षा क लेल बनाओल गेल छल नहि कि हुनका खदेड़बा क लेल।”

”हमर अन्याय बर्दाश्त करबाक अद्भुत क्षमता हमरा कतहुक नहि‍ छोड़लक । बिका गेलहू हम एक क्विंटल गहूम आ 2200 टका पर।”

हमर एहि राय स केकरो आपत्ति भए सकैत अछि मुदा जे नदी आ बाढ़ि‍क प्रामाणिक इतिहास हमरा उपलब्ध अछि ओकरा मे दामोदर अओर कावेरी क चर्चा भेटत। जेम्स रेनेल 1779 मे गंगा क बाढ़ आओर ओहि पर बनल तटबंध क कनिकटा ज़िक्र केने छथि‍ आओर बाद मे फ्रान्सिस बुकानन कि‍छु गप कोसी क तटबंध क बारे मे केने अछि जेकरा विलियम हंटर आँगा बढेलथि‍ । विलियम विल्कॉक्स दामोदर क बाढ़क बारे मे बड्ड रास लिखने अछि । एहि कृती मे ज़मींदारी आओर महाराज क छोट ऊंचाई क बांधक चर्चा भेटैत अछि जे बेसी सफल एहिलेल छल किएक ओकर रख-रखाव क जिम्मा स्थानीय छल आओर ओकरा लेल संसाधन सेहो स्थानीय सत्ता स्रोत से भेटैत छल ।  अंग्रेज़ शुरू शुरू मे बाढ़ सुरक्षा क नाम पर पैसा बनेबा क सोचलक आओर नीक जेंका मुंह कए खेलक । 1869 मे हुनका दामोदर क तटबंध कए तोड़य पड़ल आओर ओकर बाद ओ कहियो तटबंध नहि‍ बनेलक। हुनका जहिया देशज ज्ञानक बोध भेल तखैन धरि बड्ड देर भए चुकल छल । एहि बीच ओ ह्वांग हो आओर मिस्सिस्सिपी क तटबंध क समस्याक अध्ययन कए चुकल छलाह आओर हुनका लागल जे ओ बाढ़ रोकबाक काज बिसैर कए कोनो गलती नहि‍ केलक ।

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भारत छोड़बा क पहि‍ने ओ बराहक्षेत्र बांध क शोशा छोड़लक आओर चलि‍ गेल । 1952 तक पूरा माहौल बराहक्षेत्रक हक मे बनल रहल मुदा नेहरू क 1953 क बाढ़क बादक एकटा वाक्य “इनन लोगों के लिये तुरंत कुछ करना चाहिये” तटबंघ कए राजनैतिक मान्यता दए देलक । बाद मे इंजीनियर सब अपन खेल खेललक आओर कोसी पर तटबंध बनि‍ गेल । बहस खतम भए गेल आओर आय धरि नफा-नुकसान क मूल्यांकन नहि‍ भेल ।

ओकर बाद सेहो तटबंध क बीच अओर ओकर बाहर क कोनो भी तकलीफ क बदले रिलीफ देबाक प्रचलन बढ़ल आओर ओ सेहो बड्ड नेता क विरोध क बावजूद किएक हुनका डर छल जे रिलीफ लोग कए सरकार पर आश्रित आओर अंततः भिखमंगा बना देत । बाढ़ि‍क काल कहियो TV देखब त ई लोग कतहू स एकटा बूढ़ वा बूढ़ि‍य पकैड़ आनैत अछि आओर ओकर हाल चाल पूछत ‍। वो कहत/ती जे हमरा कि‍छु नहि‍ भेटल । हम आयधरि केकरो ई कहैत नहि‍ सुनलहूँ जे ओ कहताह जे हुनकर सब कि‍छु चलि‍ गेल । एकर मर्म राजनीतिग्य बुझैत अछि आओर ओ नीक जेंका जानैत अछि जे जों ओकरा किछु कुछ भेट जाएत त ओ चुप भए जेताह/जेतीह । आओर हुनकर राजनीति पर कतहू आँच नहि‍ आउत । यैह वजह छल जे कुसहा त्रासदी क बादक चुनाव मे राजग कोसी क्षेत्र क सभटा सीट पर चुनाव जीती गेल छल । ई प्रताप वैह एक क्विंटल गहूंम आओर 2200 टका क छल जाहिक संग आरो ढेर वादा कैल गेल छल जे आय धरि पूरा नहि भेल । पीड़ित सब रिलीफ देनिहार क एहसान हुनका वोट दकए चुकेलथि‍ । ओ बिसैरि‍ गेल छल जे हुनकर बदहाली क वजह वैह लोग छल जेकर एहसान ओ वोट दकए चुकेने छल । ई व्यवस्था 2005 स लागू भेल आओर नहि जानय कहिया धरि चलत ।

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