सावित्री कुमारी
दरभंगा : इसमाद फाउंडेशन दिस स आयोजित साहित्य समाद मे मैथिली आ भोजपुरीक कईटा वरीय साहित्यकार शामिल भेला. मैथिली आ भोजपुरी साहित्यक कथावस्तु आ वर्तमान समाज विषय पर आयोजित एहि चिंतन बैसार में मैथिलीक प्रसिद्ध निर्देशक आ मैलोरंग संस्थाक संस्थापक डॉ प्रकाश झा, मैथिलीक वरीय साहित्यकार आ आलोचक तारानंद वियोगी, भोजपुरी कवि प्रकाश उदय आ भोजपुरी साहित्य समीक्षक प्रमोदी तिवारी भाग लेलथि.
शनिदिन राति 8 बजे मैथिली साहित्यक मजगूत हस्ताक्षर शेफालिका वर्मा क अध्यक्षता मे भेल एहि साहित्य समाद क संचालन पत्रकार निराला बिदेसिया केलथि. मैथिली साहित्य मे वर्तमान समाजक प्रतिनिधित्व क सवाल पर निर्देशक डॉ प्रकाश झा कहलथि जे बिहारक क्षेत्रीय भाषा सब मे साहित्य खूब लिखल जा रहल अछि आ किताबो खूब छपि रहल अछि, मुदा मैथिली हो या भोजपुरी साहित्यक स्तर बहुत नीचा अछि आ कथावस्तु सेहो वर्तमान समाजक आइना नहि कहल जा सकैत अछि. एहन साहित्य गिनती लेल त ठीक मुदा कोनो काजक नहि.
सीधा आ सपाट बजनिहार प्रकाश झा कहला जे उपन्यास मे किछु नव विषय आयल अछि, कवितो मे कहि सकैत छी, मुदा बहुत कम, पांच सात प्रतिशत स बेसी नहि. सबस खराब स्थिति नाटक कए अछि. प्रकाश झा दुखी भाव स कहला जे मैथिली आ भोजपुरी मे स्तरीय नाटक नहि लिखल जा रहल अछि. जे नाटक लिखल जा रहल अछि ओ ओकर कथावस्तु मे नयापन नहि अछि. 13वीं सदी मे जे नाटक मैथिली मे लिखल गेल, ओहि स्तर स एखुनका नाटककार बहुत दूर छथि. जहां धरि कथावस्तुक सवाल अछि त हम सब जनैत छी जे मिथिला मे बाढ़ि एकटा पैघ विषय अछि. अहां विश्वास करब जे बाढ़ि पर एखन धरि केवल एकटा नाटक लिखल गेल अछि. सेहो हिंदी में जल डमरू बाजे. मतलब जे विषय समाज कए सबस बेसी प्रभावित कर रहल अछि पिछला 50 साल मे ओहि विषय पर कोनो मैथिली नाटक एखन धरि नहि लिखल गेल अछि. प्रकाश झा कहला जे नायक हमर समाज मे एक स एक भेला, मिथिलाक राजा महाराजा सेहो युद्ध लड़लाह, हुनक नायकत्व पर सेहो नाटक हेबाक चाहैत छल, मुदा मिथिलाक नायक पर कोनो नाटक एखन धरि नहि लिखल गेल अछि.
संचालक निराला बिदेसिया प्रकाश झाक चिंता कए आगू करैत मैथिलीक आलोचक आ साहित्यकार तारानंद वियोगी स एकर कारण पूछलथि त ओ कहला जे साहित्य मे कथावस्तु ठहरल छल, मुदा आब नव विषय पर लिखल जा रहल अछि. पिछला पांच सालक किछु उदाहरण दैत श्री वियोगी कहला जे साहित्य मे स्त्री विमर्श मजगूती स सामने आबि रहल अछि. दलितक गप सेहो आब बेसी संख्या मे आबि रहल अछि. श्री वियोगी कहला जे मैथिली आ भोजपुरी दूनू क चुनौती अलग अलग अछि. भोजपुरी क चुनौती किछु बेसी अछि. मुदा साहित्य रचना आब दूनू भाषा मे खूब भ रहल अछि.
संचालक निराला बिदेसिया एहि चुनौती पर जखन भोजपुरी कवि प्रकाश उदय स सवाल केलथि त ओ कहला जे हिंदी आ भोजपुरी क समय या कालखंड एक नहि अछि. हिंदी क समय छोट कालखंड मे देखल जा सकैत अछि, मुदा भोजपुरीक समय एकटा पैघ कालखंड मे निर्धारित हेबाक चाही. अपन समाज अपन अपन समय मे दूनू भाषा मे व्यक्त भ रहल अछि. ओ कहला जे एकर एकटा कारण इ सेहो अछि जे हिंदी क तमाम बोली बना रखल गेल एहि भाषा सब लेल अतिरिक्त मेहनत चाही अपना कए हिंदी स अलग पहचान कायम करबा लेल. मैथिली एहि लेल प्रयास केलक आ आठवीं अनुसूचि मे गेल. हमरा सब लेल मैथिली एकटा बाट बनौलक, जाहि पर हमसब सेहो अपन अलग पहचान बनेबा मे लागल छी. श्री प्रकाश कहला जे इ दुखद अछि जे हम मैथिली आ मैथिली हमरा कम पढैत बुझैत रहल अछि. एहि दूनू भाषा क बीच वार्तालाप बेसी स बेसी हेबाक चाही. ओ कहला जे आइ साहित्य तीन प्रकार स भोजपुरी इलाका मे लिखल जा रहल अछि. एकटा भोजपुरी समाजक गप भोजपुरी मे, दोसर भोजपुरी समाजक गप हिंदी मे आ तेसर आन समाजक गप भोजपुरी मे. प्रकाश कहला जे इ तेसर सबस खतरनाक आ चिंताक विषय अछि.
विषय कए आगू करैत निराला जखन साहित्य समीक्षक प्रमोद तिवारी स सवाल केलाह जे आखिर भोजपुरी साहित्य मे वैह सब किछु किया लिखल जा रहल अछि जे पहिने बहुत मजगूती स लिखल जा चुकल अछि. निराला कहला जे व्यास, तुलसी से भिखारी तक जे लिखलथि ओ अगिला पीढी लेल सेहो उपयोगी रहल. आजुक कथाकार एहन किछु लिखी रहल छथि जेकरा हम सब आगूक पीढी लेल उपयोगी कहि सकैत छी. निराला क सवाल पर प्रमोद तिवारी कहला जे ओ कहला जे भोजपुरी समाजक साहित्य लिखा रहल अछि, मुदा ओ भोजपुरीक बदला मे हिंदी मे लिखा जाइत अछि. हम एकरा खराब नहि कहब. हिंदीक कईटा साहित्यकार भोजपुरी भाषी रहल अछि. आजुक समय मे सेहो हिंदीक नव कथावस्तु क 90 प्रतिशत हिस्सा भोजपुरी समाज स अछि. ओ कहला जे एकर पैघ कारण भोजपुरी लेल सरकारी मान्यता क अभाव आ भोजपुरीक कोनो पैघ संस्थाक नहि रहब सेहो अछि. प्रमोद तिवारी मध्य प्रदेश स छपल एकटा किताब उल्लेख करैत कहैत छथि जे बिहार पर आधारित एहि किताब कए बिहार सरकार दिस स छपबाक चाहैत छल, मुदा मध्यप्रदेश स छपल. ओ कहैत छथि जे भोजपुरी मे किताब छापब एकटा संकट अछि. ताहि लेल साहित्य रचना सेहो कम अछि. आइ सरकारी पुरस्कार क घोषणा भ जाय त 60 क स्थान पर 600 साहित्यकार पैदा भ जायत. प्रमोद तिवारी साहित्यक नव विधाक चर्च करैत कहला जे भोजपुरी साहित्य कए केवल कागज पर नहि मानि सकैत छी, यूट्यूब आ ओहन अन्य माध्यम पर सेहो बहुत साहित्य रचना भ रहल अछि. एहि पर हस्तक्षेप करैत तारानंद वियोगी कहला जे एहन प्रयोग सब भाषा मे भ रहल छै, मुदा मूल साहित्यक स्थान त हमेशा ओहिना रहत आ ओकरा बेसी स बेसी मजगूत करबाक जरुरत सब दिन बनल रहत.
सभाक अध्यक्ष शेफालिका वर्मा कहलीह जे साहित्य क कोनो विधा मे कथावस्तु लेखक अपने तय करैत अछि. ओकर आसपास क वातावरण ओकर रचना मे देखाइत छै. आजुक काल मे जे रचना भ रहल अछि ओकर कथावस्तु सेहो लेखक तय क रहल छथि. ओ जे देखि रहल छथि वैह लिखी रहल छथि. समाज मे बहुत लिखल जा रहल अछि. जरुरी छै अपन भाषा मे लिखब. अपन भाषा पर गर्व करब. हम मैथिल छी त मैथिली बाजब लिखब, हिंदी हमर राष्ट्रीय भाषा छी, ओकर अलग सम्मान छै. हमरा सब जखन अपन भाषा मे लिखब त नव विषय आ नव विचार दूनू साहित्य मे देखबा लेल भेटत. करीब दू घंटा तक चलल एहि विमर्श मे सब एहि मुद्दा पर एकमत रहलाह जे मैथिली आ भोजपुरी क साहित्य कए एक दोसर स परिचित हेबाक जरुरत छै आ साहित्य मे नव नव विषयक समावेश एकरा अगिला पीढी लेल उपयोगी बना सकैत छै.