पटना : कोरोना मामलाक सुनवाई क दौरान राज्य सरकार दिस स देल गेल हलफनामा मे हाईकोर्ट कए कहल गेल अछि जे संक्रमण क तेसर लहर स निपटबा लेल ऑक्सीजन क उत्पादन आ आपूर्ति मे बिहार आत्मनिर्भर राज्य बिन रहल अछि. स्वास्थ्य विभाग क अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत हलफनामा पर कोर्ट कए एहि संबंध मे जानकारी देलथि अछि.
कोर्ट कए इ सेहो कहल गेल अछि जे राज्य क 15 जिला मे 20 आरटीपीसीआर लैब काज क रहल अछि. 20 आओर जिला मे लैब स्थापित भ्ज्ञ रहल अछि. ओहि मे 10 जून अंत तक और बाकी अगस्त तक चालू भ जायत. बाकी बचल तीन जिल मे मोबाइल लैब क जरिए आरटीपीसीआर जांच क व्यवस्था होएत. कोर्ट कए कहल गेल जे मार्च में 1305479, अप्रैल में 2767844 आ मई में 3489367 कोविड जांच भेल.
10 चिकित्सा संस्थान मे स्थापित भ रहल अछि ऑक्सीजन प्लांट
कोर्ट कए कहल गेल जे राज्य क नौ सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित आईजीआईएमएस मे औसतन ढाई स तीन हजार लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन उत्पादन करबा योग्य प्लांट स्थापित भ रहल अछि. वर्तमान मे उक्त सबटा 10 चिकित्सा संस्थान मे 280 स 300 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन उत्पादन शुरू भ चुकल अछि. एहि सबटा अस्पताल मे प्लांट क संग ऑक्सीजन टैंक सेहो स्थापित भ रहल अछि.
इ प्लांट सितंबर अंत तक पूरा क्षमता (ढाई स तीन हजार लीटर प्रति मिनट) क अनुसार शुरू भ जायत. ओतहि राज्य सरकार 4 मई स ऑक्सीजन प्रमोशन नीति कए लागू केलक अछि, जेकर लाभ राज्य क तमाम प्राइवेट अस्पताल कए ऑक्सीजन प्लांट बैसेबाक मे मदद भेटत.
बिहटा ईएसआईसी क प्रबंधन पर केंद्र सरकार स जवाब तलब
राज्य मे करोना महामारी पर सुनवाई करैत पटना हाई कोर्ट केंद्र सरकार स पूछलक जे बिहटा स्थित ईएसआईसी अस्पताल क संचालन क जिम्मा तीन क बजाए एक प्रबंधन लग मे किया नहि अछि? गौरतलब अछि जे वर्तमान मे उक्त अस्पताल क संचालन भारतीय सेना, ईएसआईसी आ बिहार सरकार तीनू क डॉक्टर क देखरेख मे भ रहल अछि. चीफ जस्टिस संजय करोल क खंडपीठ शिवानी कौशिक आ अन्यक जनहित मामलाक सुनवाई करैत बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स सेहो पूछलक जे राज्य मे कोविड स जुड़ल चिकित्सा संस्थान क बायो मेडिकल कचरा कोना नष्ट कैल जाइत अछि?
हाई कोर्ट कहलक-संचालन एकहि हाथ मे किया नहि
सुनवाई क दौरान ईएसआईसी अस्पताल मे पदस्थापित सेना क नोडल अफसर क हलफनामे पर चर्चा भेल. कोर्ट कए बताउल गेल जे अस्पताल मे कोविड मरीज लेल 217 बेड, जाहि मे सात आईसीयू अछि. एहि मे केयर इंडिया एनजीओ आ बिहार सरकार क साझा सौजन्य स दवा क व्यवस्था अछि. मरीज कए एडमिट कैलाक बाद पहिने हुनकर हालात कए स्थिर क ऑब्जर्वेशन मे राखल जाइत अछि. बाद मे लक्षण क गम्भीरता आ नाजुकता पर मरीज कए आईसीयू या साधारण वार्ड मे राखल जाइत अछि. कईटा मरीज ठीक भ कए घर जा चुकल छथि. हाई कोर्ट कहलक जे जखन बिहटा क उक्त अस्पताल पूर्णत: काज क रहल अछि तखनओकर संचालन एक हि हाथ मे किया नहि अछि. एहि मामला क आगू सुनवाई आब नौ जून कए होएत.