गजानन मिश्र
पुरना दरभंगा के वर्तमान मधुबनी जिला मे लोहना ग्राम एवं एकर परोपट्टा प्राचीन कालहिं सँ अध्यात्मिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण सँ प्रख्यात रहल अछि| लोहना ओ एकर परोपट्टा के ग्राम यथा सरिसब,उजान गंगोली भौर,भट्टपुरा, रुपौली आदि सांस्कृतिक,अध्यात्मिक और शैक्षणिक मामला मे मिथिला, बल्कि समस्त भारत मे पछिला एक सहस्त्राब्दि मे एक महत्वपूर्ण स्थान रखलक अछि|
पुरना संस्कृत अभिलेख मे लोहिनी नाम के उल्लेख भेटैत अछि| लोहिनी के भगवती प्राचीन कालहिं सँ एहि परिसर के तीर्थस्थल बनौने छथि| तहिना लोहना के वीरेश्वर महादेव सेहो प्राचीन काले सँ पूज्य ओ तीर्थस्थल रहलाह अछि| १७-१८ वी सदी मे जाहि विदेश्वर मठ के स्थापना होयबाक उल्लेख भेटैत अछि, से पहिलुक महादेव वीरेश्वरनाथ के मात्र नव स्थापत्य प्रतीत होईत अछि| १५-१६ वी सदी के अप्रकाशित संस्कृत अभिलेख जे यामलसारोद्धार के अंश थिक और जे पंडित भवनाथ झा के सौजन्य सँ प्रकाश मे आयल अछि, के अनुसार लोहिनी भगवती तथा वीरेश्वरनाथ महादेव प्राचीन कालीन थिक| लोहिनी सँ लोहना ओ वीरेश्वर सँ विदेश्वर कोना और कहिया भेल-से खोज के विषय थिक| एहि लोहना सँ सटले अछि पुरान नगर सर्षप जे आई सरिसब के नाम सँ प्रख्यात अछि| एहि परिसर मे अछि लोहिनी भगवती के विशाल उद्यान जे आई उजान के नाम सँ जानल जाईत अछि| लक्ष्मण नदी सँ संपोषित रहल अछि ई परोपट्टा| ई लक्ष्मणा नदी एक छोटक्षीण धार के रूप मे आइयो एतय बहैत अछि| ई नदी कमला के एक सहायक ढहर थिक,ओहिना जेना जीबछ कमला के एक धार थिक| खजौली-रामपट्टी-भौर—पैएटघाट होईत जे कमला धार आइयो बहैत अछि, से लक्ष्मणा नदी प्रतीत होईत अछि जेना आई उपलब्ध सॅटॅलाइट इमेजरी सँ बुझना जाईत अछि| सकरी सँ लोहना धरि भूखंड बहुत उंच अछि जे कमला और लक्ष्मणा नदी सँ संपोषित होईत अछि| सकरी के कमला धार सँ लोहना क पूरब वला बलान धार के क्षेत्र के खूब उंचगर होयब तथा कमला-लक्ष्मणा सँ पोषित होयब एहि परोपट्टा के विकास हेतु उपयुक्त प्राकृतिक सेटिंग तैयार कयलक| प्राचीन तिरभुक्ति और मध्यकालीन तिरहुत के एक शासन केंद्र दरभंगा सँ जे राजमार्ग तत्कालीन बंगाल के पुरनिया होईत जाईत छल और आइयो जाईत अछि, से एहि लोहना-सरिसब होईत जाईत अछि| ई राजमार्ग आवागमन के सहज बनौलक|
लोहिनी भगवती तथा विरेश्वर् देव महादेव के संग-संग गौरी सहित कन्यकेश्वर महादेव, सिधेश्वर देव एवं सिधेश्वरी देवी के आशीर्वाद सँ ई परोपट्टा विगत एक सहस्त्रावदी मे मिथिला मे विद्या के सभ सँ पैघ केंद्र रहल अछि| एहि परोपट्टा के विरासत के द्योतक अछि लोहना पाठशाला जे आई अपन गौरवशाली अतीत के कनौसियो भरि नहि अछि| इतिहास लिखैत अछि सिंहाश्रम सँ बीजी महामहोपाध्याय पंडित हलायुध के बारे मे जे ११-१२ सदी मे गौर बंगाल के राजा बल्लाल सेन के महामात्य छलाह| ओ एहि परोपट्टा के छलाह| हुनकहिं वंश मे एहि परोपट्टा मे भेलाह १३ वी सदी मे गुरु हलेश्वर जे अपन भाई महामहोपाध्याय सुरेश्वर के संग एतय शिक्षण करैत छलाह| एहि हलेश्वर और सुरेश्वर के सोदरपुर ग्राम राजकीय दान मे प्राप्त भेल छल| एहि सुरेश्वर के पुत्र महामहो पाध्याय विश्वनाथ जनिक पुत्र महामहोपाध्याय जीवनाथ छलह| एहि जीवनाथ के पुत्र भेलाह महामहोपाध्याय भवनाथ जे मिथिला मे अयाची के नाम सँ प्रख्यात छथि| एहि अयाची के पुत्र शंकर जे ‘बालोहम जगदानंद’ सँ समस्त भारत मे विख्यात छथि| एहि परिसर मे चमेनिया पोखरि प्रख्यात अछि| एहि वंश मे १५ वी सदी मे भेलाह पक्षधर जे अपना काल मे नव्य न्याय के सम्पूर्ण भारत मे सर्वश्रेष्ठ विद्वान छलाह| गौर बंगाल मे नव्य न्याय के संस्थापक वासुदेव सार्वभौम तथा रघुनाथ शिरोमणि पक्षधरे के शिष्य छलाह| एहि परोपट्टा के भौर ग्राम मे महामहोपाध्याय और खंडवला राज के संस्थापक राजा महेश ठाकुर के वंश मे कैक पीढ़ी सँ वैदुष्य एवं शिक्षण कयल जा रहल छल| ई अध्ययन-अध्यापन के कार्य महेश ठाकुर धरि जारी रहल|
विश्वविख्यात मिथिला विद्या केंद्र लगभग १६ वी सदी धरि भारत मे सिरमौर बनल रहल ताहि मे लोहना परोपट्टा के योगदान सर्वाधिक थिक| कर्नाट और ओईनवार वंश के शासन धरि मिथिला क राजनीतिक स्वतंत्रता/स्वायत्त कमोवेश बनल रहल तैं मिथिला स्कूल पल्लवित-पुष्पित होईत रहल| ई राजनीतिक अस्मिता मुग़ल काल(१६ सँ १८ वी सदी) मे ख़त्म भ गेल; दरभंगा मे सरकार तिरहुत के मुस्लिम फौजदार एक पैघ सेना संग बैसैत छल| भौअरा मधुबनी मे सेहो मुग़ल फौज रहैत छल| तैं खंडवला राजा लोकनि के होयबाक बादो हिन्दू दर्शन और मैथिल मेधा हेतु उपयुक्त वातावरण आब नहि छल| ताहि पर सकरी-लोहना- राजमार्ग पूरब मे गौड़-बंगाल तथा पश्चिम मे जौनपुर-दिल्ली के बीच दरभंगा बाटे तुर्क-अफगान-मुग़ल सैन्य के प्रयाण के मुख्य मार्ग छल| खंडवला राज के राजधानी भौर सँ उठि भौअरा मधुबनी आबि गेल जतय मुस्लिम कुप्रभाव अधिक छल| उपरोक्त परिस्थिति मे मिथिला पीठ क्षीण सँ क्षीणतर होईत गेल| निःसंदेह लोहना पाठशाला एक महान विरासत के धारण करैत अछि|