डॉ प्रवीण झा
‘प्रेमक बसात’ सिनेमा के गीत-ट्रेलर सभटा देखलहुँ। मुदा लिखइ में किछु असौकर्य भेल, तs अनठेने रही। निर्देशक, संगीत सभटा में माँजल आ नीक लोक सभ छथि, मुदा हम छी किछु कुचेष्ट। हिंदी में ‘आलोचक’ सेहो कहि सकइत छी। फ़िल्म तs नहि देखलहुँ, मुदा हमरा जनइत एहि में तीन टा रिस्क लेल गेल अछि।
एक तs दरिभंगा शहरक अधा हिंदू-अधा मुसलमान सन संरचना रहितो कहियो क्यो सांस्कृतिक मिलाप में बियाह वा प्रेम संबंधक चित्रण नहि केलनि। कवि होथु वा फिल्मकार। एहि सँ फराके रहला। वास्तविक जीवन में सेहो संबंध नहिए जेकाँ। बियाह भेलहि मुदा आन ठाम प्रवास केलाक बाद, दरिभंगा में राज-महाराज काल में सेहो संबंध नहि सूनल। जखनि कि आन प्रदेश सभ में कम-बेस होइत रहलइ। आब तs खैर दक्षिणपंथी आ लव-जिहाद धारा चललइ तs शुद्ध प्रेम भेला पर सेहो असंभवे लगति अछि। बॉलीवुड सिनेमा में ई चित्रण कतेक बेर भेल छहि, मुदा मैथिली फ़िल्म में ओकर चित्रण क्रांतिकारी अछि।
दोसर गप्प जे भाषा में मैथिलीक उपयोग किछु भिन्न छहि। आधुनिक छहि। अजुका मैथिली आ सभ अंचलक (कोसी आ मधुबनी मिलाs कय) सामूहिक मैथिली यैह थीक। एतबय नहि दिल्ली-बंबई में रहइत मैथिलक भाषा सेहो एकर समकक्ष। मुस्लिम परिवेशक ऊर्दू मिश्रित भाषा संग मैथिली नब प्रयोग लय निर्देशक के प्रशंसा करब। तखनि ई इच्छा अछि जे किछु ओहि परिवेशक आन चित्रण जेना मर्सिया आ मुसलमान लोक-संस्कृति सेहो देखायल जाय।
तेसर गप्प जे संगीत, कोरियोग्राफ़ी आ शृंगार नब बॉलीवुड सन छैक। आधुनिक, पोछल-पाछल, टीप-टॉप जे कही। आईटम सॉन्ग सेहो बॉलीवुड सँ कमजोर नहि छैक। ललमुनिया के ताड़ी। गायिकाक भास शोख़ आ नब तरंग बला, आ तहिना नीक सिनेमैटोग्राफ़ी। नायिका आ नायक नब ‘हेयर-स्टाइल’ आ फ़ैशन संग आकर्षित करइत छथि। नब तकनीक सभक उपयोग देखार छैक, जे नितिन चंद्रा के ‘मिथिला मखान’ सँ आरंभ भय गेल छल। संभवत: जे सिनेमा हॉल सभ मैथिली सिनेमा नहि लगाs कय बॉलीवुड लगबइत छल, कखनो भोजपुरियो लगबइत छल, आब मैथिली लगाउत। कियैक तs सभटा भेट जेतइन।
पुरान घर खसय, नब घर उठय। ई कहबी चरितार्थ हयत, हमरा आशा अछि। तखनि हम अपने नब आ पुरानक मध्य त्रिशंकु छी, तs ई नहि कहब जे फ़िल्म देखि हमरा केहन लागत। ओना विश्व के कोनो आशावादी मनुक्ख के ‘लाइट ऐट एंड ऑफ़ टनेल’ अहि सिनेमा में निश्चित देखेबाक चाही।
अहि सिनेमा सँ पुरस्कारक अतिरिक्त व्यवसायिक सफलता कय सेहो अपेक्षा अछि। भरिसक मैथिली के एकटा ब्लॉकबस्टर सिनेमा भेटि जाय आ मैथिली फ़िल्म दर्शक के दृष्टांत सेहो विस्तृत होइ।
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लेखक नार्वे मे रहैत छथि आ साहित्यर अनुरागी छथि