मनीष/संतोष
दरभंगा । काशी विद्यापीठ क प्रध्यावपक प्रो रवि प्रकाश पांडेय कहला अछि जे पूंजीवाद साम्यजवाद आ उपनिवेशवाद आदि पर पूरा विश्व् में चर्चा आ शोध होइत रहल अछि मुदा सब विद्वान दरभंगा महाराज कए सर्वश्रेष्ठा मानलथि अछि, ओ कहला जे विज्ञान, शिक्षा, समाज, उद्योग आदि क क्षेत्र में दरभंगा महाराज जे अपन योगदान देलथि, ओ जे समरस समाज क स्थापना केलथि ओकर सही-सही मूल्याकन हेबाक चाही। श्री पांडय कहला जे एहि इलाका क विकास लेल महाराजा कामेश्वर सिंह क विजन कए बुझब जरुरी। गुरुवार कए ललित नारायण मिथिला विश्वाविद्यालय क समाजशास्त्र विभाग में महाराजा कामेश्वरर सिंह क पूण्यतिथि पर बाजि रहल छलाह। श्री पांडय कहला जे तिरहुत क्षेत्र मे पोखरिक अधिकता बता रहल अछि जे एहि ठामक नेतृत्वकर्ता खेत आ खेती पर केतबा सजग छलाह आ खेती कए लाभदायक बना रखबा लेल केतबा अग्रसाची छलाह।
श्री पांडेय कहला जे पोखरि एक दिस जतए खेत कए उर्वरक बनेबा मे सहायक भेल, ओतहि किसान आत्मरनिर्भर रहल। महाराजक दूरदृहष्टि क इ सबस पैघ उदाहरण अछि। श्री पांडेय कहला जे एहन नहि जे दरभंगा महाराज दुनिया मे भ रहल परिवर्तन स एहि इलाका कए अनभिज्ञ रखलाह। जखन विश्वे मे औद्योगिक क्रांति शुरु भेल त दरभंगा मे सेहो ओकर प्रभाव साफ तौर पर देखल गेल। देश में अन्य भूभाग में कारखाना पूंजीवादी व्यंवस्था क निशानी रहल, मुदा दरभंगाक औद्योगिक नीति क सबसे पहिल लक्ष्य रोजगार क अवसर पैदा करब रहल । एहन उद्योग क एहि ठाम स्थापना कैल गेल जेकरा लेल कच्चा माल स्थानीय स्तर पर उपलब्ध छल आ रोजगार स्थानीय लोक कए उपलब्ध कराउल गेल। श्री पांडेय कहला जे दरभंगा महाराज लेल सबस पैघ श्रद्धांजलि त हुनक विजन कए आगू बढा मिथिला कए समूद्ध करब अछि। सेमिनार मे प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो हेतुकर झा महाराज संग अपन स्मरण कए विस्तार स रखलथि । श्री झा कहलथि जे महाराजा क देल वस्तु कए धरोहर समान सहेजबाक जरुरत अछि । कईटा वस्तु गायब भ चुकल अछि, कईटा वस्तु क लेखा नहि अछि। एकर जांच हेबाक चाही। जे गायब भेल ओ वस्तु दरभंगा क धरोहर छल आ दुनिया मे आर कतहु नहि उपलब्ध छल। एकर सीबीआइ स जांच हेबाक चाहैत छल, मुदा एहि ठामक लोक जांच क मांग नहि केलथि, किया त हुनका ओ धरोहर अपन नहि लगलैन। श्री झा कहलथि जे एहि धरोहर सब कए अपन बुझबाक जरुरत अछि, इ समस्त मिथिला नहि बल्कि देश क धरोहर छी। श्री झा कहलथि जे महाराज अपन संपत्ति जनता लेल देलथि एरि पाछू एकटा उद्देश्य इ छल जे हुनकर साधन क लाभ आम लोग कए उपलब्ध भ सकैछ, मुदा एखन धरि एहन नहि भ सकल अछि। डॉ झा कहला जे इतिहास नहि बदलि सकैत अछि। 1558 स 1962 क इतिहास खंडवाला राजवंशक अछि। करीब 400 साल क इतिहास अहां मिथिला या तिरहुत क इतिहास स अलग कोना क सकैत अछि । एतबा दिन मे जे एहि राज्यक नेतृत्व केलथि वो विद्वान छलाह। आन राज्य मे योद्धा क इतिहास अछि, मुदा एहि ठाम विद्वान क इतिहास अछि । एहि ठाम क नेतृत्वकर्ता सब सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक उत्थान समेत भारत क स्वतंत्रता संग्राम मे बहुमूल्य योगदान देलथि, जेकर चर्च दुनिया भरि क विद्वान करैत छथि, मुदा एहि ठाम क लोग ओहि योगदान कए घृणा क नजरि स देखैत अछि। एहन मे लगैत अछि जेना एहि ठामक लोक हुनकर योगदान स नहि बल्कि मिथिला आ ओकर समृद्ध इतिहास स घृणा करैत छथि। नहि त विश्वविद्यालय क स्थापना क एतबा दिन बाद महाराजक पुण्य तिथि क आयोजनक पाछू कोन कारण अछि। प्रो झा एहि लेल कुलपति साकेत कुशवाहा कए साधुवाद देलथि । एहि असवर पर कुलपति साकेत कुशवाहा कहलथि जे देश मे बहुत राजा आ जमींदार भेल, मुदा जाहि स्तर पर दरभंगा महाराज सामाजिक आ आर्थिक रूप से सब तबका लेल रोजगारक अवसर पैदा केलथि ओ अपने आप मे एकटा मिशाल अछि। श्री कुशवाहा कहलथि जे आजुक सरकार मनरेगा कए अपन उपलब्धि आ सोच बता रहल अछि मुदा दरभंगा महाराज काज क बदला मे अनाज योजना 1938 मे शुरु केने छलाह, जे मनरेगा क समान छल। कुलपति एकर संग तकनीकी शिक्षा, स्कीरल डिवलपमेंट लेल महाराजक प्रयास कए सामने रखलथि। ओ कहला जे आइ हुनका पर सवाल बहुत उठैत अछि, मुदा हुनका बुझबाक, पढबाक आ लिखबाक प्रयास कियो नहि केलक। एहन में हुनकर विजन कए सकारात्मकक सोच क संग आगू बढेबाक जरुरत अछि आ इ तखन होएत जखन एहि ठामक लोग महराजक काज कए बुझबाक प्रयास करत। सभा कए कुलसचिव डा अजित कुमार सिंह, विद्या कुमार झा, बैद्यनाथ चौधरी, गोपी नारायण सिन्हाव, मीरा मिश्रा आदि सेहो संबोधित केलथि। धन्य वाद ज्ञापन महाराजा कामेश्वार सिंह चेयर क निदेशक विनोद कुमार चौधरी देलथि।