सुरेन्द्र किशोर जी बिहारक विकास लेल चिंतित रहैत छथि। समय-समय पर ओ अपन चिंता कलम स लिखैत रहला अछि। हिन्दुस्तान स सेवानिवृत्त भेलाक बाद हुनक इ चिंता आओर प्रखर रूप मे सामने आयल अछि। बदलैत बिहार कए देखबाक हुनकर नजरि कए समाद परिवार समय-समय पर समर्थन केलक अछि। समाद परिवारक विशेष अनुरोध पर ओ अपन इ आलेख एहि ठाम देबाक स्वीकृति प्रदान कैलथि अछि।
मात्र तीन मास मे बिहार क राजनीति मे की भ गेल जे मतदाता क मूड एना बदलि गेल ? किया बिहार विधानसभा क सितंबर क उप चुनाव मे 18 सीट मे स 13टा सीट पर राजग हारि गेल ? की इ बदलल मूड एक बेर फेर बदलत या इ मूड अगिला साल तक कायम रहत ? हाल क लोक सभा चुनाव मे पैघ बहुमत स बिहार मे चुनाव जीतय वाला एनडीए बिहार विधान सभा क उपचुनाव मे किया एना पराजित भ गेल? की अगिला साल हुए वाला बिहार विधान सभा क आम चुनाव मे मतदाता क एहने मूड कायम रहत या फेर बदलत? तीन मास मे बदलल इ मूड क पाछु स्थानीय आ तात्कालिक कारण अछि बा एकर स्थायी भाव छै?
इ किछु सवाल अछि, जेकर ठोस जवाब अबैय वाला समय मे ताकल जाइत। मुदा फिलहाल सरसरी तौर पर देखबा स दूटा गप सामने अबैत अछि। इ गप लोक सभा चुनाव क बाद घटित भेल अछि। एकटा त नीतीश कुमार क नेतृत्व वाला बिहार राजग इ तय केलक अछि जे एहि बेर कोनो नेताक परिजन कए टिकट नहि देल जाइत आ देबो नहि केलक। एहि अभियान क पाछु नीतीश कुमार क मुख्य भूमिका छल। मुदा एहि काज मे जदयू अध्यक्ष शरद यादव सेहो हुनकर समर्थन केलथि। एहि स लोहियावादी समाजवादी क छवि सुधरल। नीतीश कुमार क एहि पहल क देश भरि मे सराहना भेल। नीतीश कुमार एहन समय मे इ काज केलथि, जखन भाजपा सेहो परिवारवाद क थाल मे धंसल जा रहल अछि। जदयू क एहि डेग कए देश आ प्रदेश क राजनीति क सुधारीकरण क दिशा मे एकटा महत्वपूर्ण कदम मानल गेल। कम्युनिस्ट पार्टी क अलावा जदयू मात्र देश मे अब एकटा एहन प्रमुख दल अछि, जाहि मे परिवारवाद नहि अछि। मुदा राजग यानी एनडीए क परिवारवादी नेता एकरा अपन राजनीतिक भविष्य क लेल Óघातक’ मानलाह। जदयू सांसद पूर्णमासी राम आ जदयू क डॉ जगदीश शर्मा एहि पर विद्रोह सेहो करि देलथि। एहि दूनू क परिजन उम्मीदवार बनलथि। डॉ शर्मा क पत्नी जीत गेलीह, मुदा पूर्णमासी राम क पुत्र हारि गेलाह।
मुदा इ मामला केवल एहि दूनू नेता कए प्रभावित नहि करैत अछि, बल्कि बिहार राजग क ओ अनेक नेता कए सेहो प्रभावित करैत अछि जे अपन परिजन क लेल भविष्य मे राजग स विधायिका क टिकट आ मंत्री पद चाहैत छलाह। कईटा लोक कए परिवारवाद क आधार पर पहिने टिकट भेट जाइत छलैन मुदा आब ओ बंद भ गेल । पूरे बंद भ गेल। जाहिर छै जे एहन लोक इ चाहत जे नीतीश कुमार क इ परिवारवाद विरोधी अभियान फेल भ जाए। एहि मे स संभव अछि जे किछु लोक एहि प्रयोग कए फेल करबा लेल एहि उप चुनाव मे सक्रिय सेहो भेल हेताह। किछु नेता निष्क्रिय रहि गेल हेताह। मुदा राजग क किछु नेताक एहिन् उप चुनाव मे निष्क्रियता क सेहो विपरीत असर राजग उम्मीदवार पर पड़ल होयत, त इ स्वाभाविक अछि। जतय तक चुनावी मुकाबला कड़ा हेबाक संभावना छल, ओहि ठातहिनकर कम प्रभाव देखला पर मतदान मे निर्णायक अंतर भ जाइत अछि। एहि बेर एहने भेल।
सवाल ओ परिवारवादी नेता क राजनीतिक पारिवारिक कैरियर क जे अछि। एहि पारिवारिक राजनीतिक कैरियर कए कायम रखबा लेल त जदयू सांसद पूर्णमासी राम अपन पुत्र कए राजद स बगहा मे उम्मीदवार बनबा देलथि। ओ पहिने कहि देने छलाह जे हमर पुत्र कहि रहल छथि जे हुनका उम्मीदवार नहि बनाउल गेल त ओ जहर खा लेताह।
राजनीति मे परिवारवाद क खात्मा क काज राजनीतिक सुधार क आइ मौलिक काज भ चुकल अछि। इ सती प्रथा आ बलि प्रथा क कानूनी समाप्ति स अधिक कठिन काज लगैत अछि। सुधार क काज करैयवाला सुधारकगण एहि दुनिया मे कई बेर गोली सेहो खाइत रहलथि अछि। एहि ठाम त मात्र गद्दी जेबाक खतरा नीतीश कुमार क समक्ष अछि। मुदा एहन सुधारक लोक इतिहास पुरूष होइत छथि। आब भला कहू जे परिवारवाद क आधार पर सब ठाम टिकट देल जा रहल अछि इ वाजिब राजनीतिक कार्यकर्ता क बलि भेल की नहि? कोनो चुनावी सीट कए कोनो राजनीतिक परिवार क साथ सती किया करि देबा लेल प्रयासरत रही ? इ लोकतंत्र अछि या राजतंत्र? आब इ नीतीश कुमार पर निर्भर करैत अछि जे ओ अगिला कोनो चुनाव मे Óएहि सुधार कार्यक्रम क गलती कए सुधारि कए’ अपन गद्दी बचेबाक कोशिश करैत छथि या फेर इतिहास मे अपन गौरवशाली नाम कए दर्ज करबैत छथि। स्मरण रहे जे पूरा देश क राजनीति मे आइ परिवारवाद क बुराई एतबा व्यापक आ गंभीर भ चुकल अछि जे एकर खिलाफ भारी विद्रोह एक न एक दिन हेबाके छैक। यदि आइ नीतीश कुमार अपन डेग पाछु करि लैत छथि त कोई अन्य सुधारक एकर श्रेय ल लेत। आइ नहि त काल्हि इ हेबाके छै । एहि लेल सवाल इ बनल जा रहल अछि जे एकटा नेता क बेटा, बेटी या पत्नी कए टिकट भेटत त कोनो दोसर नेता एकरा स वंचित किया हुए चाहत ? एहि तरहे इ बुराई क श्रृखंला पूरा राजनीति कए निगलि लेत। जेना करोड़पति आ अरबपति क एहि देश क संसद पर कब्जा होइत जा रहल अछि। एखने एहि साल 543 मे स 360 करोड़पति लोक सभा सदस्य चुनल गेलाह अछि। एहि गरीब देश मे इ एकटा खतरनाक बुराई अछि, जेकरा स कोनो व्यक्ति या संगठन कए एक दिन लड़बाक छैक। किया कि जाहि देश मे 84 करोड़ लोक क रोज क औसत आय मात्र बीस टका अछि ओहि देश क संसद पर सिर्फ करोड़पति क कब्जा केना हुए देल जा सकैत अछि ? यदि होइत त ओ सरकार क मंत्री कैबिनेट क बैठक मे एहि गप कए लेकए झगड़ा करताह जे हुनका एहन होटल मे राखल गेल जेकर एकटा कोठलीक एक राति क भाड़ा मात्र एक लाख टका छल।
इ बहुत नीक गप अछि जे ताजा उप चुनाव मे झटका खेलाक क बावजूद शरद यादव आ नीतीश कुमार कहि देलथि अछि जे ओ परिवारवाद क विरोध जारी रखताह। जाहिर अछि जे शरद-नीतीश क एहि ऐतिहासिक कदम स डॉ राम मनोहर लोहिया क आत्मा कए शांति भेटल होयत। शायद इ डेग आगू कखनो एहि देश क लेल निदेशक सेहो साबित हुए!
कारण आओरो भ सकैत अछि, मुदा विधान सभा उप चुनाव मे राजग क हारि क एकटा दोसरा तात्कालिक कारण इ बूझबा मे अबैत अछि जे राज्य सरकार क राजस्व आ भूमि सुधार विभाग क सूत्र क हवाले स अखबार मे इ खबरि छपल छल जे राज्य सरकार बटाईदारी कानून मे सुधार सहित भूमि सुधार आयोग क किछु सिफारिश कए जल्द लागू करत। इ खबरि क मीडिया मे अबैते राज्य भरि मे छोट -पैघ किसान मे खलबली मचि गेल । ओहि मे स अनेक लोक राजग क ठोस मतदाता छलाह। आशंकित बटाईदारी कानून स तमसा सब जाति क किसान, जिनका लग बंटाई पर देबा लेल जमीन अछि । राज्य सरकार कए अपन Óगलती’ क एहसास करा देलथि। एकर बाद राज्य सरकार 5 अगस्त 2009 कए इ घोषणा करि देेलक जे एखन पुराने सीलिंग आ बटाईदारी कानून लागू रहत । ओहि मे कोनो बदलाव नहि हुए जा रहल अछि। राज्य सरकार इ सेहो कहलक जे बंदोपाध्याय आयोग क रपट समग्रता मे नहि अछि ताहि लेल ओकरा तत्काल लागू नहि कैल जाइत। मुदा राज्य सरकार क इ सफाई पर अनेक किसान कए एखनो विश्वास नहि भ रहल अछि।
जाहि ठाम उप चुनाव भेल , ओहि मे एकटा चुनाव क्षेत्र फुलवारी शरीफ क एक सवर्ण बहुल गाम क एकटा किसान मतदान क दिन यानी 15 सितंबर, 2009 कए कहलथि जे रामाश्रय प्रसाद सिंह (बिहार सरकार क मंत्री) क इज्जत रखबा लेल किछु लोक जरूर जदयू कए वोट देत अन्यथा पूरा गाम बटाईदारी कानून लागू हेबाक आशंका स पी$िडत भ राजग स तमसाइल अछि। एहि गाम क अधिकतर वोट एहि बेर कांग्रेसी उमीदवार कए भेटल। किछु एहने समाद सारण जिला क एकटा राजपूत बहुल गाम स सेहो भेटल छल। एहि गाम क किसान बटाईदारी कानून नहि चाहैत छथि। हालांकि इ आशंका सिर्फ एहि दूनू गाम आ जाति मे नहि अछि।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल मे एकटा अन्य संदर्भ मे कहने छलाह जे हम कई तरह क बीमारी क इलाज करबा लेल मुख्यमंत्री बनलहू अछि। ओनाओ ओ एखन धरि अनेक एहन सराहनीय आ ऐतिहासिक काज कैलथि अछि, जेकर प्रसंशा हुनकर किछु राजनीतिक प्रतिद्घंद्घी सेहो समय -समय पर केलथि अछि। हुनकर कईटा काज कए अन्य राज्य बाद मे अपना ओहिठाम लागू केलक अछि। मुदा हाल क हुनकर किछु डेग क नतीजा स एहन लागल जे सबटा बुराई स एक संग नहि लड़ल जा सकैत अछि। बिहार मे त बिल्कुल नहि, जेतुका प्रशासन आ राजनीति कए हाल कए किछु दशक मे नेता बिगाडि़ कए राखि देलथि अछि। किया कि कईटा बुराई क काई त एतबा भ बैस चुकल अछि जे ओकरा छोड़ैब दुरूह काज अछि। बटाईदारी क समस्या एहने एकटा समस्या अछि, जेकरा मे हाथ लगा कए लालू प्रसाद सन महाबली सेहो पाछु हटि गेल छलाह। सन् 1992 मे किछु वामपंथी दल आ बुद्घिजीवी तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद कए सलाह देलथि जे ओ भूमि सुधार लागू करि दथि। लालू प्रसाद फरवरी, 1992 मे इ घोषणा करि देलथि जे हुनकर सरकार भूहदबंदी क सीमा घटाउत आ बटाईदारी कानून मे संशोधन करि क ए बटाईदार कए हुनका वाजिब हक देल जाइत। मुदा इ घोषणा क सबस कड़ा विरोध तत्कालीन निर्दल विधायक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव केलाह। बाद मे चर्चित पप्पू यादव सांसद सेहो भेलाह। पप्पू यादव क आवाज एक खास दबंग पिछड़ी जाति यानी यादव क आवाज मानल गेल, जे जाति लालू क मजबूत वोट बैंक मानल जाइत अछि।
बाद मे वोटर मे भारी असंतोष कए देखैत लालू प्रसाद अपन घोषणा वापस ल लेलाह। आब जखन नीतीश सरकार एहि पर किछु कहलक त कईटा राजग समर्थक कए लालू प्रसाद बेहतर लगैत छथिन।
दरअसल व्यावहारिक राजनीति करैवाला किछु लोक कहब छैन जे बंटाईदारी सन विवादास्पद मामला मे हाथ देबा स नीक रहत जे नीतीश गाम क विकास क गति कए आओर तेज करथि। कुल मिलाकए इ कहल जा सकैत अछि जे होम करैत हाथ जरबाक आशंका हुए त होम क ज्वाला कए अधिक तेज नहि हुए देबाक चाहि। पुरान मॉडल क जर्जर एम्बसेडर कार क गति कए अचानक अधिक बढ़ा देला पर खतरा बढि़ जाइत छैक। हालांकि नीतीश कुमार कहि रहल छथि जे बंटाईदारी कानून त बिहार मे पहिने स अछि। एहि मे संशोधन करबाक एखन कोनो विचार नहि अछि। दरअसल पूरा मामला मे गलतफहमी फैलल अछि। कौआ कान ल गेल, इ चर्चा एहि गप कए देखि बिना भ गेल जे कान अपन जगह पर अछि कि नहि।