समीक्षा – किसलय कृष्ण
“भाषाक पानि जखन जैड मे ढरेतइ , त’ मैथिली’क झंडा अकास मे फहरेतई ” मैथिली रचनाकार स्व. मनोरंजन झा’क ई पांति तखन सार्थक लागल जखन नई दिल्ली’क श्रीराम सेंटर’क प्रेक्षा गृह मे विगत 29 ,अगस्त,2011 कें मैथिली मे अविनाश चन्द्र मिश्र’क चर्चित नाटक ‘मुक्तिपर्व’क मंचन आरम्भ भेल | दर्शक सँ भरल प्रेक्षा गृह मे जखन मंच पर सँ पर्दा हटल आ तेथ सुमिरन आरम्भ भेल रंगकर्मी सभ द्वारा त’ सांचे मैथिली’क झंडा अकास मे लहरैत बुझायल | दिल्ली’क सक्रिय रंग संस्था मैलोरंग द्वारा प्रस्तुत आ युवा रंग निर्देशक प्रकाश झा द्वारा निर्देशित ई नाटक कैक दृष्टियें महत्वपूर्ण रहल | खास कय सूत्रधार (निलेश दीपक) आ बिपटा (संतोष झा) ‘क अभिनय’क कोलाज़ बनैत छल जे दर्शक के आनंदित करैत एकटा छाप छोड़बा मे सक्षम रहल | ई बात अलग अछि जे हिनका सबहक संवाद गायन मे पार्श्व संगीत आ स्वरक तारतम्य’क आभाव अंत धरि खटकैत रहल जे पूर्वाभ्यास’क कमी दिस सेहो संकेत करैत अछि आ ध्वनि उपकरण’क गड़बड़ी दिस सेहो | मुदा सूत्रधार-बिपटा’क गायन शैली मे निर्देशक’क परिकल्पना एहि कारणे स्मरणीय आ अनुकरणीय रहत जे मिथिलाक विभिन्न लोक गायन शैली’क अद्भुत समावेश कयल गेल छल |
ई नाटक एक आओर कारण सँ ऐतिहासिक अछि जे अछि मैथिली रंगमंच पर एकटा नव प्रयोग ” नटुवा नाच”क प्रारंभ शिल्प’क स्तर प्रायः पहिल बेर भेल अछि | किर्तनिया , विदापत आदिक बाद एहि शैली कें ‘नटुवा नाच’ कहब कते समीचीन अछि , एहि विन्दु पर इतिहासकार आ आलोचक लोकनि सोचि सकैत छथि | पूर्वी मिथिला क्षेत्र’क सहरसा,सुपौल,पुरनिया आदि मे नटुवा आ नाच दुनू सँ क्रमशः दू तरहक मनोरंजक कार्यक्रमक बोध होइत अछि आ से प्रकाश झा निर्देशित एहि नाटक मे एक दिस जतय बिपटा आ सूत्रधार’क अभिनय आ संवाद नटुवा कें जीवंत करैत छल त’ दोसर दिस आन अभिनेता सबहक आंगिक अभिनय आ संवाद नाच मोन पाड़बा मे सक्षम | अस्तु कोलाज़ रूप मे नटुवा-नाच नाम देले जा सकैत छल | मैलोरंग’क पुरान अभिनेता मुकेश झा ‘चुड़क’ के भूमिका मे एक बेर फेर अपन अभिनय क्षमता’क छाप छोड़लनि आ अपन अद्भुत आंगिक आ वाचिक अभिनय सँ चुगला’क लोक चरित्र कें जीवंत केलनि | चारुवक्र (राधाकांत), साम्ब(अनिल मिश्र ),
नारद (प्रवीण झा),सामा (स्वप्ना) आदिक अभिनय प्रशंसनीय छल , त’ श्रीकृष्ण’क भूमिका मे भास्कर केर संवाद वाचन सुन्दर | सामान्य मंच सज्जा पर गोविन्द सिंह यादव’क प्रकाश संयोजन बेर-बेर अपन कमाल देखा रहल छल | मिथकीय कथा कें समकालीन सन्दर्भ सँ जोड़ी मंच पर उपस्थापित करब एकटा दुष्कर काज थिक आ तकरा युवा निर्देशक प्रकाश जाहि सहजता आ बोधगम्यताक संग मंच पर प्रस्तुत केलनि से अभूतपूर्व छल | हाँ एहि बेर संगीत’क स्तर पर गुंजन झा निराश क’ रहल छलाह आ अनुभवी राजीव मिश्र सेहो ध्वनि’क तारतम्य बैसेबा मे पहिलुक प्रस्तुति सभ सँ झूस छलाह , जकरा आगामी प्रस्तुति सभ मे सुधारल जा सकैत अछि |
सम्पूर्ण रूप मे मैलोरंग आ प्रकाश झा एहि लेल बधाई आ प्रशंसा’क पात्र छथि जे ओ सभ एक बेर फेर राष्ट्रिय रंग क्षितिज पर मैथिली’क झंडा फहरेबा मे सफल भेलाह आ विश्वास अछि जे हुनका सबहक रंगयात्रा मैथिली मंच कें समृद्ध करत |
dhanyvaad kislay krishna jee.muktiparv natak’k samiksha nik lagal.
nik lagal samiksha…..
maine muktiprave ke bare me pradha h. mujhe accha laga…
मुक्तिपर्व नाटक हिन्दी में कई बार देखने छी, काश दिल्ली
में मैथिली में देख पबितो. कृष्ण जी क धन्यबाद
vakai….prakas ji natak sanyojan gajab ka kiya tha.badhai fir se