- पहिल चरण मे मैथिली, भोजपुरी आ मगही क 10 हजार स बेसी शब्द क होएत प्रयोग
- पांचवीं कक्षा तक लेल तैयार भ रहल अछि शब्द क सूची
- अलाव क स्थाषन पर घूर, सब्जी क स्था्न पर तिमन बा तरकारी, पारिश्रमिक क जगह पर होएत बोइन शब्द क प्रयोग
दरभंगा। बिहार मे प्राथमिक स्तर पर स्थानीय भाषा मे पढाई दिस सरकार एकटा डेग बढेबाक प्रयास केलक अछि। सरकारक एहि प्रयास स इ संभावना प्रबल भ गेल अछि जे भविष्यक मे प्राथमिक स्तर पर बिहार क स्थानीय भाषा मैथिली, भोजपुरी आ मगही क माध्यम स अध्ययन भ सकत। वर्तमान सरकार एहि दिशा मे पहल करैत एखन विद्यालय मे घर सन माहौल देबाक मादे मैथिली, भोजपुरी आ मगही भाषा क करीब 10 हजार एहन शब्द क सूची तैयार क रहल अछि जे मिथिला, भोजपुर आ मगध क्षेत्र मे बाजल जाइत अछि। मिथिला क्षेत्रक बच्चा कए पांचवीं कक्षा तक आब अमरूद क बदला मे लताम पढाउल जाएत। एहिना पांचवीं कक्षा तक अलाव क स्थान पर घूर, सब्जी क स्थान पर तिमन बा तरकारी, पारिश्रमिक क जगह पर बोइन शब्दब क प्रयोग कैल जाएत। शिक्षा विभागक एकटा अधिकारीक कहब अछि जे बच्चा कए घर क भाषा मे प्राथमिक शिक्षा भेटला स ओकरा ओहि शब्द क प्रयोग आ अर्थ बुझबा मे सुविधा होइत अछि आ बच्चा क शब्द ज्ञान सुलभ भ जाइत अछि। विद्यालय मे घर सन माहौल भेटला स पढाई छोडबाक औसत सेहो कम होएत। स्थानीय भाषा क महत्व कए रेखांकित करैत अधिकारी कहला जे स्थानीय शब्दक क प्रयोग स शिक्षक कए सेहो बच्चा कए बुझेबा मे मदद भेटत। जेना शिक्षक लेल मछली, बछडा, बिछावन,भिंडी क स्थान पर माछ, बाछा, ओछाउन, रामझुमनी बच्चा कए जल्दी बुझाउल जा सकत। स्थानीय भाषा मे प्राथमिक शिक्षा देबाक मांग बिहार मे बहुत पुरान अछि, एहि मांग पर विचार करैत सरकार इ स्वीकार केलक अछि जे प्राथमिक स्तर पर बच्चा स्थानीय शब्दक जल्दी ग्रहण करैत अछि आ ओकरा एकर स्मरण रखबा मे दिक्कत नहि होइत अछि। ताहि लेल सरकार पहिल चरण मे स्थानीय भाषा क शब्द कए किताब मे शामिल करबा क फैसला लेलक अछि। राज्य शिक्षा शोध संस्थान एहि पर काज शुरू क देलक अछि। एहि संबंध मे डायट क दरभंगा केंद्र क प्राचार्य सुभाषचंद्र झा क कहब अछि जे एखन तक करीब 300 शब्द क चयन भ चुकल अछि आ बाकी शब्द क चयन लेल चर्च भ रहल अछि। ज्ञात हुए जे 1984 मे लागू भेल राष्ट्रीय पाठयचर्चा की रूपरेखा मे मानक शब्द पर जोर देल गेल छल, जाहि स बच्चा् कए स्थानीय शब्द क संग संग मानक शब्द सेहो स्मरण रखबाक मजबूरी भ गेल छल। बच्चा क एहि मजबूरी कए खत्म करबाक उद्देश्य स 2004 मे नवका राष्ट्रीय पाठयचर्चा की रूपरेखा लागू भेल छल। बिहार सेहो ओकरा लागू केने छल, जाहि मे स्थानीय भाषा कए प्रयोग पर बल देल गेल छल। मुदा जमीन पर एखन धरि इ लागू नहि भ पाबि सकल अछि। आब जा कए सरकार एहि दिस पहल केलक अछि आ भविष्य मे प्राथमिक शिक्षा क माध्यम स्थानीय भाषा भ सकत।
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