भवेश नंदन झा
बाढ़ि-रौदी स बचई लेल बनाओल जा रहल “नदी जोड़ो परियोजना” कए धकियेबाक साजिश कैल जा रहल अछि। बाढ़ि नाम सुनैत बिहारक मिथिला क्षेत्रक निवासी काँपि उठैत छैथि। मुदा सौंसे दुनिया आ भारत क अधिकतर राज्यक बीच मे विवादक मुख्य कारण पानिक बंटवारा छैक ओ सब पानि क कमी स त्रस्त अछि। माने कियो पानि क कमी स त्रस्त त कियो पानिक अधिकता स। ई अंतर बिहार मे सेहो देखबा मे अबैत अछि, जतए उत्तर बिहार आ दक्षिण बिहार मे ई अंतर देखबा मे अबैत छै। एहि अंतर कए पाटबाक प्रयास भेल रहए दूरदर्शी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी क शासनकाल मे, 2002 मे, जखन देश मे भयानक रौदी पड़ल छल। ओ एहि मामिला क स्थायी निदान लेल एकटा टास्क फ़ोर्स क गठन केलथि जेकर रिपोर्टक मुताबिक बाढ़ि आ रौदी क समाधान लेल “नदी जोड़ो परियोजना” सुझाउल गेल छल। एकर बाद तात्कालीन राजग सरकार क सबस बेसी लागत वाला एहि महत्वाकांक्षी परियोजना पर काज शुरू भेल। एहि बीच 2004 मे कॉंग्रेस नीत संप्रग सत्ता मे आयल आ ओ एक-एक क राजग सरकार क परियोजना कए कातियाब लागल। अटल सरकारक एहि महत्वपूर्ण परियोजना कए मात्र एहि लेल धकियाउल जा रहल छैक कियेक त एहि परियोजना स तत्कालीन भाजपा सरकारक नाम जुड़ल छैक। एतबे नहि ओहि समय क एक-एक टा महत्वाकांक्षी परियोजना सबहक एहने हश्र कैल गेलैक। ओ चाहे “स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना” हो, “रेल फ्रेट कॉरिडोर” हो, “प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना” आ कि छह टा “एम्स परियोजना”। सब कए सब वर्तमान सरकारक दुराग्रह क शिकार भ गेल। ओहो तखन जखन एहि तरहक पैघ स्तर क परियोजना क नाम कोनो परिवार विशेष जेना “जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी आ संजय गाँधी” क तर्ज पर नहि राखल गेल छल। कनि सोचियौ जखन ओना राखल गेल रहितै तखन की होइतै, शायद विलम्ब नहि क रद्द करि देल गेल होइतै। जखन कि वर्तमान प्रधानमत्री मनमोहन सिंह पैघ अर्थशास्त्री मानल जाइत छथि मुदा ओ एकोटा एहन योजना ल कए नहि एलथि जे भारत क भविष्य क निर्माण करबा मे सहायक होई। एहि बीच बाढ़ि पीड़ित आ रौदी पीड़ित आम लोकक आशा तखन जागल जखन 27 फरवरी, 2012 कए सर्वोच्च न्यायालय ठंडा बस्ता मे डालि देल गेल एहि “नदी जोड़ो परियोजना” कए समयबद्ध तरीका स लागू करबाबक निर्देश देलक। ई समूचा देश लेल सुखद समाचार छल जतए बिहार, असम सन राज्य पानिक अधिकता स परेशान अछि त ओम्हर दक्षिण भारत क राज्यक बीच मे पानिक कमी आ बँटवारा क चलते सदिखन तनाव बनल रहैत छैक। जे काज केन्द्र सरकार कए अपने स करबाक चाहैत छल ओकर पहल सर्वोच्च न्यायालय कैलक। मुदा सरकार क मन मे किछु आओर गप चलि रहल छै, ओ एखनो एहि “नदी जोड़ो परियोजना” पर काज करबा लेल तैयार नहि अछि, एहन साजिश चलि रहल छै जाहि स कोनो व्यवधान देखा एहि परियोजना कए कार्यान्वयन रोकल जा सकै। ओकरा बाढ़ि-रौदी पीड़ित किसान आ आम लोकक पीड़ा स कोनो माने-मतलब नहि लगैत छै। एहि बीच मे संप्रग सरकार दिस स दू टा एहन वरिष्ठ लोकक बयान आयल जाहि स एहि गपक खुलासा भ रहल छै। सबस पहिने प्रधानमंत्रीक करीबी आ जल संसाधन आ संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल क बयान आयल, जाहि मे ओ कहला जे “ ई परियोजना केन्द्र सरकार क प्राथमिकता मे नहि छै” जखन कि सर्वोच्च न्यायालय स्पष्ट रूप स समयबद्ध ढंग स एहि परियोजना कए पूरा करबाक निर्देश देने अछि। फेर योजना आयोग क उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया एहि “नदी जोड़ो परियोजना” पर सवाल उठा देलथि आ कहला जे “एहि परियोजना मे तकनीकी, पर्यावरणीय आ आर्थिक अवरोध अछि। आर्थिक अवरोध त छै, कियेक त वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आओर मोंटेक सिंह अहलूवालिया क नजरि मे रौदी स पीड़ित आ आम किसान, बाढ़ पीड़ित आम आदमी कोनो मायने नहि रखैत अछि। जेकरा एहि परियोजना स सबस बेसी फायदा हेबाक छैक। सरकार कए सीधा कहबाक चाहि जे सरकारी धन केवल कारोबारी आ पूंजीपतिक कल्याण क लेल अछि। एहि तरहक बहाना किया, एहि परियोजना मे तकनीकी, पर्यावरणीय आ आर्थिक अवरोध छै, इ गप बड्ड दुख दैत अछि। जहाँ धरि आर्थिक अवरोधक गप छै त’ एहि देश मे पाई खाली एकटा बेकार सनक आयोजन “राष्ट्रमंडल खेल” लेल पूर्व ब्रितानी गुलाम देश सबहक दिल्ली क “ल्यूटियन जोनक” फूटपाथ पर संगमरमरी टाइल्स बिछेबा लेल छै? तकनीक केवल चन्द्रमा पर यान पठेबाक लेल छै? मुदा सबस बेसी हास्यास्पद तर्क छै पर्यावरणक चिंताक। एहि देश मे नदी क धार रोकबा स कोनो क्षति नहि होइत छै, पहाड़ कए डायनामाइट स उड़ेला पर कोनो फर्क नहि पडैत छै, मुदा नदी क पाइन सब नदी मे समान रूप स बांटि देला स पर्यावरण क समस्या आबि जाइत अछि। “नदी जोड़ो परियोजना” आई देशक सबस’ पैघ आवश्यकता छै। जाहि स’ किसान कए अतिवृष्टि-अनावृष्टि स’ नुकसान कम होएत, मानसून पर निर्भरता कम होएत, किसान कए आमदनी बढ्त, देश क खाद्यान्न समस्या समाप्त होएत, महंगाई कम होएत, बाढ़ि स छुटकारा भेटत आ जान-माल क नुकसान कम होएत, पलायन रोकगा मे मदद भेटत। ताहि लेल एहि परियोजना कए सर्वोच्च प्राथमिकता भेटबाक चाही, जे दुर्भाग्यवश एहि वर्तमान शासन व्यवस्था मे कतहु देखबा लेल नहि आबि रहल अछि। सबस बेसी कमी खलि रहल अछि विपक्षी दलक एहि मामिल पर चुप्पी साधबा स।
भवेश नंदन झा- लेखक स्वतंत्र पत्रकार आ फिल्मकार छथि।
बड्ड नीक आ सटीक विश्लेषण केलौं अहां., याह वास्तविकता अईछ सत्ताक संतूर कँ। विशेष रूप सँ मिथिलांचलक विकास और ईंहांक समस्याक निपटारा प्राथमिकता सूची में कहियो स्थान पाबिये नय सकल। नदी जोड़ो परियोजना सँ राज्य में कथित नीली क्रांति के मार्ग प्रशस्त भ सकैत अइछ मुदा देखअ पड़त जे नीतीश बाबू केन्द्र सँ हक़ ल सकैत आ कि न…
एकदम सही कहालिये अहाँ अकबर जी… “सत्ताक संतूर” सेहो नीक संज्ञा देलियै …. ई “नदी जोड़ो परियोजना” लगैए जेना बिहार के लेल ही बनाओल गेल रहै.. बिहार अहि मामिला में पूरा देश के प्रतिनिधित्व क रहल छै …जत’ बाढ़ि-रौदी दुनू के प्रकोप रहल छै.. ई परियोजना के जल्द शुरुआत होबाक चाही ..आ ओ बिहार स होई …
aahan ke etek mahatvapurna mudda uthabai lel dhanyawaad Bhavesh ji…aahan ke vichar se shat-pratishat sahmat chhi..jakhan sarkar ke ichha-shakti ke abhaav chhai te katbo srvochha nyayalaya kahi diye tayio hinka sabh ke kaan par joon tak nahi rengat..agar kono expert committe ke report ke seho refer kartoun athva ehi issue se judal kono data seho refer karitoun te humra janak readers ke kani aur gyan bhetatai..Dhanyawaad
Paryavaran ke chinta Via america India me ayal aich, aa ahan ke ta jankaari hoyat ki ai-kail Congress sarkaar America ke neeti aur niyat dunu ke aatmsadya ka lene aich, kono aascharyak baat nai ki atek mahatvpoorn project ke sarkaar jani bujhi ke latka rahal chai. Bihar ke lel durbhagya che ki koi aipar aawaj nai utha rahal che. Bahut neek aarticle aich.
DEAR BHAVESH,
FIRST OF ALL, PLS. ACCEPT OUR THANKNESS TO SHARED YOUR INFORMATIVE NEWS WITH US.
HOWEVER, WE R VERY GREATFULL TO U & FELLING VERY NOSTALOGIC WHILE WE READ BALOHAM JAGDANANDAN………………………..
GOD BLESS YOU.
FURTHER, YOUR ABOVE ARTICLE VERY INFORMATIVE FOR US. WE R HOPING YOU WILL SHARE THE QUALITY, USEFUL NEWS WITH US IN NEAR FUTURE….
RGDS.
अप्पन भाखा अप्पन बोली में अप्पन बात…सुन्दर लिखल गेल.
बड्ड नीक लागल अपनेक प्रयासक ई रूप देखि,आब सुप्रीम कोर्ट सेहो ललकार लगौलक अछि सरकार कें …..ओना हम सोचैत छलौंह जे भवेश बाबु खाली हिंदी पत्रिकारता में छथि,मुदा ई पन्ना देखि मन्न हर्षित भेल ….जय…हो
Bihar’s flood problem can only be solved if Indian government work with Nepal government and construct dams on all rivers deep in Nepal. This will benefit both countries. but who will do it. First we need a Mithila state, so that our CM can work on this program. If we can fix this, our grand children’s future will be secured, otherwise they too will be forced to become laborers, just like most of us. Wake of Mithila, Wake up!!
Bahut neek…
Best Regards,
Vibhay Jha
http://www.VKJha.in