मैथिली दिवस पर आयोजित छल बिहार रिसर्च सोसाइटी सभागार में कार्यक्रम
कुर्सी स बेसी पहुंचल लोक, बहुत दिन बाद भेल एहन बौद्धिक समाज क जुटान
कुमुद सिंह
पटना। मैथिली आंदोलन मे पटनाक आकाशवाणी आ आन संस्थाक योगदान सर्वोपरि अछि। आकाशवाणी पटना नहि केवल बिहार मे बल्कि समस्त देश मे मैथिली कए स्थापित करबा मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा केने अछि। मैथिली नाटक हो बा फेर मैथिली मे समाचार क प्रसारण, आकाशवाणी, पटना हरदम एकरा लेल अगुआ बनल। इ दावा वृहस्पतिदिन मैथिली साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित ‘मैथिली दिवस‘ कार्यक्रम मे आकाशवाणी, पटना आ अन्य संस्थाक मैथिली भाषा क विकास मे योगदान विषय पर अपन संस्मरण सुनबैत आकाशवाणी, पटना क पूर्व उद़घोषक छत्रानन्द सिंह झा उर्फ बटुक भाई कहला। आकाशवाणी पर मैथिली कार्यक्रमक चर्च करैत ओ कहला जे 1949 मे कुमार गंगानन्द सिंह लिखित नाटक ‘जीवन संघर्ष‘ पटना आकाशवाणी स प्रसारित पहिल मैथिली नाटक छल। आनंद मिश्र, शंकर कुमार झा आ अन्य क अभिनय स सजल एहि नाटक कए बाद मे एनपीडी सेहो प्रसारित केलक। ओहि समय मे राष्ट्रीय स्तर पर मैथिली क नाटकक कोनो पहचान नहि छल। एनपीडी केवल कर्नाट और इंडियन क्लासिकल ड्रामा क प्रसारण करैत छल। मुदा मैथिली भाषा कए मान्यता नहि रहितहुं एहि नाटकक प्रसारण भेल। समाचार क दुनिया मे मैथिली क पहिल वाचक रहल श्री सिंह झा कहला जे आकाशवाणी पर मैथिली समाचारक प्रशारण जरूर दरभंगा केंद्र स होइत अछि, मुदा समाचार क निर्माण पटना आकाशवाणी करैत अछि। जखन मैथिली समाचार वाचन क प्रक्रिया शुरू भेल त इ जिम्मेदारी हुनके भेटल। पहिने इ सप्ताह में एक दिन छल, फेर प्रतिदिन भ गेल।
बटुक भाई कहला जे 50 स 60 क दशक में पटनाक बहुत रास संस्था बहुत मेहनत केलक आ सक्रिय भ काज केलक। बाद क कालखंड मे परिपक्व संगठनिक अभाव स इ आंदोलन शिथिल भेल, मुदा निरंतर जारी रहल। एकर विकास लेल पटना मे प्रयोग खूब भेल, मुदा अनुभव क कमी क कारण पटना मे मैथिली आंदोलन चरमोत्कर्ष पर नहि पहुंच सकल। एकर बावजूद चेतना समिति सन संस्था आइ सेहो समस्त भारत मे मैथिली जगत क सबस पैघ आ समृद्ध संस्था अछि। ओ कहला जे चेतना समिति अपने आप मे पटनाक मैथिली आंदोलनक दशा बतबैत अछि। चेतना समिति क पुरान गप क चर्च क बीच ओ कहला जे चेतना समिति क संस्थापक वैद़यनाथ मिश्र यात्री जरूर छथि, मुदा एकर नियमावली निर्माण मे डॉ0 अमर नाथ झा आ एकर स्वरूप विस्तार मे तत्कालीन राज्यपाल देवकान्त बरूआ क योगदान कए बिसरल नहि जा सकैत अछि।
विभिन्न संस्थान सबहक योगदान क चर्च करैत श्री सिंह झा कहला जे 1973 मे कंकडबाग मे आयोजित अमरनाथ झा जयन्ती सबस महत्पूर्ण एतिहासिक आयोजन छल। एहि कार्यक्रम कए पटना क मैथिली आंदोलनक स्वर्णिम इतिहास कहल जा सकैत अछि। एहि कार्यक्रम मे तत्कालीन मुख्यमंत्री केदार पांडेय मैथिली कए लोक सेवा आयोग मे शामिल करबाक घोषणा केने छलाह। ओहि दिन इ घोषणा सेहो भेल छल जे कंकडबाग क एकटा पार्क क नाम अमरनाथ झा क नाम पर राखल जाएत, मुदा इ आइ धरि पूरा नहि भ सकल। बटुक भाई अपन स्मरण मे बहुत रास कटु अनुभव कए कात करैत बस एतबा टीस जतौलाह जे मैथिल समाज क संगठनिक अराजकता क शुरुआत पटना मे बहुत पहिने भ गेल छल। ओ कहला जे एकर सबस पैघ अनुभवन हरिमोहन झा क अभिनंदन स्मारिका अछि जेकर कटुताक कारण विमोचन तक नहि भ सकल आ हुनका नुका कए स्मारिका सौंपल गेल छल।
आजुक कार्यक्रम क अध्यक्षता करैत डॉ0 हेतुकर झा कहला जे मैथिली आ मिथिला एक दोसरक पूरक अछि। एहन मे कोनो भाषा मे अगर मिथिला लेल आ मैथिली मे कोनो विषय लेल काज होइत अछि त ओ मैथिली आ मिथिला क काज मानल जेबाक चाही। ओ कहला जे सामाजिक वैज्ञानिक आइ इ मानबा लेल बाध्य क रहल छथि जे भविष्य विजुअल आ डिजिटल मीडिया क अछि। साहित्य आब सीरियल आ शॉर्ट फिल्म क माध्यम स सामने आउत। एहन मे मैथिली आंदोलन कए सेहो प्रिंट युग स बाहर निकलबाक प्रयास करबाक चाही आ बेसी स बेसी विजुअल आ डिजिटल मंच पर अपन मजबूत उपस्थिति दर्ज करेगाक चाही। समारोह कए संबोधित करैत समाजशास्त्री डॉ महेन्द्र नारायण कर्ण कहला जे आइ पहचान बना कए राखब सब क्षेत्र लेल जरूरी भ गेल अछि। भाषा आ साहित्य जे पहचान दैत अछि ओ सबस बेसी स्थायित्व दैत अछि। आइ मैथिल समाज सब दृष्टि स सब विधा मे अपन उपस्थिति दर्ज करा रहल अछि। लंदन तक मे किछु मैथिल संगठित भ रहल छथि। एहि अवसर पर विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति‘ द्वारा लिखित आ भैरव लाल दास द्वारा संपादित पुस्तक ‘सुधा मंजरी‘ क लोकार्पण कैल गेल । सभा क संचालन साहित्यकार अषोक केलथि, जखनकि धन्यवाद ज्ञापन करैत संस्थान क कोषाध्यक्ष डॉ शिवकुमार मिश्र कहला जे मैथिली आंदोलन क दूटा पुरान मांग जे आइधरि पूरा नहि भ सकल अछि ताहि मे स एकटा मांग पर संस्थान अगिला एक साल तक विभिन्न प्रकार स काज करत। ओ कहला जे अगिला मैथिली दिवस तक मैथिली मे प्राथमिक शिक्षा देबा लेल हमसब अपन अपन स्तर स मंथन करब आ अगिला आयोजन मे एहि पर समीक्षा करब। समारोह मे पटनाक लगभग पूरा बौद्धिक समाज जुटल छल।