• मुखपृष्ठ
  • ईपेपर
  • संपर्क
Esamaad
  • समाचार
  • समाद विशेष
  • चित्रालय
  • विचार
  • संपादकीय
  • देश-दुनिया
  • फीचर
  • साक्षात्‍कार
  • खेल
  • तकनीक
No Result
View All Result
  • समाचार
  • समाद विशेष
  • चित्रालय
  • विचार
  • संपादकीय
  • देश-दुनिया
  • फीचर
  • साक्षात्‍कार
  • खेल
  • तकनीक
No Result
View All Result
Esamaad

विद्यापति क नजरि मे आधुनिक हेबाक व्‍यापक अर्थ

December 17, 2017
in विचार
A A

दोसरसमाचार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

मिथिलाक धरोहर छलाह प्रदीप

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

May 30, 2020
नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

December 5, 2019
सविता खान
आधुनिकता क व्‍याख्‍या, परिभाषा आओर संकल्‍पना कतहूँ से धर्मांधता आओर स्‍खलित समाजिक जीवन क कामना पर निर्भर नहि छल, जतय धर्म, मानवीयता क पाछॉं ठाढ़ भकए आदमी कए रैशनल हेबा स बाधित कए दिअ । आधुनिक हेबाक व्‍यापक अर्थ मानव मुक्‍ति मे देखल देल गेल छल,  वही मुक्‍ति आओर मनुखक क मानक संकल्‍पना 15वीं सदी मे मैथिल दार्शनिक विद्यापति स्‍थापित करैत छथि, आओर 18वी सदी मे दार्शनिक हीगेल करैत छथि । विद्यापति कए महज कवि कोकिल बनाकए हुनकर दार्शनिक, सामाजिक संदर्भ कए अनदेखा कैल गेल अछि ।  विडंबना अछि जे हिंदी साहित्‍य संसार मैथिल पदावलि क लए कए हुनका क्‍लेम त कए लेलथि, मुदा फारसी क विद्वान खुसरो कए ओ खाली ‘फुटकल रचना’ करनिहारक संज्ञा देने अछि । 
 
आय जखन हम धर्म आओर सामाजिक सरोकार क द्वंद स जुझि रहल छी, तखन कि हमर पुर्ववर्ती समाज से किछु लिखित वा मौखिक परंपरा क विरासत अछि, जेकर फलक सर्वकालिक होए, शाश्‍वत होए ? एहन मे विद्यापति क पदावली, जे कि संस्‍कृत मे नहि भए कए देसिल बयना मैथिली मे लिखल गेल, क आशय हमरा बुझय होएत जे किएक एकटा संस्‍कृत विद्वान अभिजातीय भाषा संस्‍कृत कए छोड़ि एकटा देसी, लोकभाषा कए अपन पदावली क माध्‍यम बनेलथि ? एहि पदावली क उदेश्‍य जनसामान्‍य क बीच आनंद अनुभूति क संचार छल, आम लोगक कामानुभूति कए वृहद, विषद रूप दकए पुरषार्थ्‍ क परम लक्ष्‍य निर्वाण या मानव मुक्‍ति छल । ई हुनकर सामाजिक अस्‍तित्‍वक  सरोकारे छल, जे कामानुभूति कए अभिजात्‍य क अनुभव मात्र नहि मानिकए एकटा गाइडबुक रचि रहल छल, जे जनसामान्‍य क भाषा में, हुनकर एकटा अंतरंग संसार क निर्माण कए रहल छल । हुनकर सामाजिक अस्‍तित्‍व क भूमि तैयार कए रहल छी, मातृभाषा कए गरिमा प्रदान कए रहल छल । 
 
हुनकर पदावली क नायक आओर नायिका गैर-वैदिक परंपरा स निकलल राधा-कृष्‍ण छथि, अखैन धरि क आदर्श परंपरा स भिन्‍न स्‍खलित स्‍त्री, ग्‍वालिन राधा आओर जन नायक कृष्‍ण जेकरा हम मिथिला क शैव, वैष्‍णव आओर शाक्‍त परंपरा मे पहिने आओर बाद मे सेहो सेहो कहियो एतबा सामाजिक स्‍वीकृति दैत सोझा नहि आएल अछि । ओ‍तहि आम जन से व्‍यापक आओर अभिन्‍न कनेक्‍ट स्‍थापित करैत गोप-ग्‍वालिन नायक/नायिका राजकवि विद्यापति क बृहद सामाजिक सरोकारे क उपज मानल जा सकैत अछि । समाजक आम जन कए संक्रमण क काल मे हुनकर लोकभाषा, मातृभाषा, नायक-बिंब क जरिया एकटा संबल प्रदान कए रहल छल । एहन सामाजिक-भाषाई संदर्भ हमरा सामुदायिक सिद्वांत व्‍याख्‍या मे बिरले भेटैत अछि, तखने त चैतन्‍य हुनकर पद मे परमानंद क अवस्‍था कए प्राप्‍त करैत छल, टैगोर हुनका स प्रेरित भए छद्म नाम से ब्रजबुली मे भानूसिंह रचनावली रचि रहल छल । हलॉंकि किछु विद्वान एकरा संक्रमण आओर संस्‍कृत क अवसान क काल नहि मानैत छथि, किएक मिथिला मे अनेकाने साहित्‍यिक आओर दर्शन (नबन्‍याय) संबंधी  नब ग्रंथ लिखल जा रहल । विद्यापित क एकटा आन रचना, पुरूषपरीक्षा, जे जेंडर विषयक/संबंधी भारतीय परंपरा मे लिखल गेल पहिल आओर आखिरी किताब मानल जा सकैत अछि । एहिक अनुवाद ग्रियर्सन टेसट ऑफ मैन, 1826 मे केलथि, जेकरा एकटा नियामक ग्रंथ मानल गेल, जे पुरूषार्थ क लेल गुण कए अनिवार्य मानि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष क संदर्भ मे पुरूष क अवधारणा कायम कए रहल छल, चरित्र निर्माण कए रहल छल, जाहि गुण महज शारीरिक भर नहीं छल । एहिक धर्म संबंधी अवधारणा दिस जखन हम देखैत-बुझैत छी, त विद्यापति क धर्म महज निजी आओर शुद्ध निजी व्‍यापार (प्राइवेट अफेयर ) अछि, पब्‍लिक/सार्वजनिक उद्घोष क ओहिमे तनिको गुंजाइश नहि अछि । संगे मोक्ष सेहो सामाजिक दायित्‍वों से प्रस्‍थान नहीं अछि, बल्‍कि व्‍यक्‍ति कए मोक्ष सामाजिक सरोकारों क जरिये टा हासिल होए, एहन प्रस्‍तावना अछि । 
 
पुरूषपरीक्षा शुद्ध रूप से एक लोकचर्या आधारित उपयोगितावादी सिद्धांत क अवधारणा सोझा आनैत अछि, जेकरा बाद मे पश्‍चिम क विचारक जेम्‍स मिल सेहो सोझा आनैत अछि । पुरूषपरीक्षा क पुरूष एकटा एहन लैंगिक अवधारणा अछि जे अपन सेक्‍युलर स्‍वरूप मे धर्म कए निजी राखैत अछि, शौर्य क गुण कए लकए एकटा नीतिनियामक समाज कए सरोकार रखैत अछि । विद्यापतिये क एकटा आन रचना कीर्तिलता मे लिखल महज तीन शब्द ‘जीवन मान सौं’ (लाइफ विथ डिग्‍निटी ) जखन जीवन केहन होए क एतबा समीचीन आओर अस्‍मितापरक व्‍याख्‍या करैत अछि त आश्‍चर्य होएत अछि जे नब संदर्भ क सामाजिक आंदोलनों क भान आओर रूपरेखा हमरा केतबा सरलता से महज तीन शब्द मे भेट जाएत अछि । केना आम जनक चिंता एकटा संस्‍कृत विद्वान कए देसिल बयना तक लए आबैत अछि आओर केना मोक्ष आओर पुरूषार्थ्‍ अपन विषद रूप मे जनसामान्‍य कए प्राप्‍य बनाओल जा सकैत अछि । कि यैह समाजिक सरोकार आओर धर्म क सेक्‍युलर व्‍याख्‍या, बिना वर्ण/जाति क पुरूष क अवधारणा हमरा कुनू और दार्शनिक, साहित्‍य वा राज्‍य निर्देश मे नीति पाठ बनाकए निर्देशित कए पाबि रहल अछि वा ई नीतिहीन, धर्महीन, लोकहीन समाजिक सरोकारों क दौर छल, जाहिमे हम धर्माधता क द्वंद मे फंसि गेल छी ? एहन मे की विद्यापति क दर्शन हमरा एकटा दृष्‍टि दे सकैत अछि, जतय निजी आओर सार्वजनिक क मिटैत दूरी क खामियाजा समाज कए नहि उठाबे पड़त । 
 (साभार – प्रभात खबर)
(लेखिका दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय मे प्राध्‍यापक छथि । कुशल वक्‍ता, विचारक आ लेखिका छथि । हुनकर ई आलेख पिछला हफ्ता भारतीय भाषा केंद्र, जेएनयू मे विद्यापति पर भेल  त्रि-दिवसीय कार्यशाला मे देल गेल विशेष व्‍याख्‍यान क हिस्‍सा अछि । )

Related Posts

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

मिथिलाक धरोहर छलाह प्रदीप

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

May 30, 2020
नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

December 5, 2019
फिल्मक समीक्षा : “गामक घर”  शून्य स अनंत धरि

फिल्मक समीक्षा : “गामक घर” शून्य स अनंत धरि

November 14, 2019
गांधीजी की छलाह ?

गांधीजी की छलाह ?

October 2, 2019
Next Post

एक मुद्दा एक बैनर स चलत आब मिथिला राज्य आंदोलन

गंगेश गुंजन कए उप्र हिन्दी संस्थान क सौहार्द सम्मान

नचिकेता कए मैथिली मे साहित्य अकादेमी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

टटका समाचार

साहित्य समाद – समटल प्रकाश

प्राथमिक शि‍क्षा मे मैथि‍ली भाषाकेँ पढ़ाई लेल चलाओल गेल ट्वीटर ट्रेंड : भारत संगे नेपालक मैथिल लेलनि हिस्सा

सात जिला मे बनत बहुउद्देशीय इंडोर स्‍टेडि‍यम, सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक आ स्विमिंग पुल, केंद्र देलक 50 करोड़

एम्स मे शिफ्ट होयत डीएमसीएच क सामान, मार्च मे होएत उद्घाटन, नव सत्र स पढाई

होटल मैनेजमेंट क पढ़ाई करती बालिका गृह क 16 बालिका लोकनि, 29 कए जायतीह बेंगलुरु

हेलीकॉप्टर स आब वैशाली आबि जा सकता सैलानी, पर्यटन विभाग बना रहल अछि कॉमर्शियल हेलीपैड

फेर स शुरू होएत पंजी सूत्रक पढाई, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय शुरू करत डिप्लोमा कोर्स, genetic relations पर होएत शोध

बिहारक पंचायत क वित्‍तीय स्थिति मे भेल सुधार, पहिल बेर भेटत एक हजार करोड़ तकक उपयोगिता प्रमाण पत्र

आइटीआइ छात्र कए नौकरी देबा लेल 200 कंपनी आउत बिहार, मार्च तक तैयार होएत डेटाबेस

बेसी पढ़ल गेल

No Content Available

सर्वाधिकार सुरक्षित। इसमाद डॉट कॉम मे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ता लग सुरक्षित अछि। रचना क अनुवाद आ पुन: प्रकाशन वा आर्काइव क उपयोग लेल इ-समाद डॉट कॉम प्रबंधन क अनुमति आवश्यक। प्रबंधक- छवि झा, संपादक- कुमुद सिंह, राजनीतिक संपादक- प्रीतिलता मल्लिक, समाचार संपादक- नीलू कुमारी। वेवसाइट क डिजाइन आ संचालन - जया झा।

हमरा स संपर्क: esamaad@gmail.com

  • मुखपृष्ठ
  • ईपेपर
  • संपर्क

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2007-2019 | esamaad.com

No Result
View All Result
  • समाचार
  • समाद विशेष
  • चित्रालय
  • विचार
  • संपादकीय
  • देश-दुनिया
  • फीचर
  • साक्षात्‍कार
  • खेल
  • तकनीक

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2007-2019 | esamaad.com

error: कॉपी डिसेबल अछि