करीब 80 साल पहिने जे इलाका हवाई जहाज देखने छल ओ आइ आकाश निहारि रहल अछि मुदा कोनो जहाज ओकर आसमान मे नहि देखा रहल अछि। एहि इलाका क पुरान दस्तावेज आ बूढ-बूढानुष लोक सब स इ पता चलैत अछि जे बिहार नहि बल्कि उत्तर भारत मे पहिल बेर जाहि जमीन पर हवाई जहाज उतरल छल ओ जमीन पूर्णियाक लाल बालू मैदान छल। आइ पूर्णिया क खाली आसमान आ परती बनल एयरपोर्ट बहुत किछु कहि रहल अछि। पूर्णिया बहुत किछु बिसरी गेल, बहुत किछु बिसरा देल गेल। इतिहासक एकटा फाटल पन्ना कए सामने रखबाक प्रयास क रहल छथि पत्रकार ममता शंकर आ मुकुल सिंह। – समदिया
1933 मे देखल सपना आइ धरि नहि भेल पूरा
दोहराउल जाएत विंग्स ओवर एवरेस्ट अभियान
पूर्णिया क लाल बालू मैदान। जी हां, बिहार क हवाई इतिहास मे एहि मैदानक अपन महत्व अछि। एहि मैदान पर बिहार जनता पहिल बेर उडबाक सपना देखने छल। आइ धरि इ सपना पूरा नहि भेल। मुदा मिथिलाक एहि इलाका क लोक बिहार मे सबस पहिने अपन आंखि स हवाई जहाज देखने छथि एहि स के इनकार क सकैत अछि। पूर्णियाक लोक कए रेल गाडी त बहुत बाद मे देखबा लेल भेटल, मुदा हवाई जहाज देखबाक सौभाग्य 1933 मे भेट गेल छल। मुदा पूर्णिया क आम लोक कए पूर्णिया मे हवाई जहाज चढबाक इच्छा आइ धरि परा नहि भ सकल अछि। जखनकि बिहार दोसर सबस पैघ एयरपोर्ट पूर्णिया मे बनाउल गेल, जाहि पर दुनिया क सबस पैघ विमान सेहो उतरि सकैत अछि। कहबा लेल पूर्णिया मूलक दू गोटे एविएशन उद्योग मे सेहो गेलाह। केएन राय जमशेदपुर मे टाटानगर एविएशन कंपनी क स्थापना केलथि त एहि ठाम क सुब्रतो राय सहारा सेहो हवाई जहाज क कंपनी खोललथि। मुदा पूर्णिया आ पूर्णिया क आम लोकक हिस्सा मे किछु नहि आयल। आइ धरि भारत सरकार दरभंगा महाराजक बनाउल पूर्णिया एयरपोर्ट आम जनता लेल खोलबा पर आनाकानी क रहल अछि। देखी त पूर्णियाक आसामान खाली अछि आ एयरपोर्ट परती जमीन मात्र। एहन मे पूर्णिया समेत एहि पूरा इलाकाक लोक एकरा आम जनता लेल खोलबाक मांग करैत आबि रहल अछि। पूर्णियाक पूर्व सांसद पप्पू सिंह सेहो एहि लेल पूरा ताकत लगा देने छथि। एक दिस पूर्णियाक जनता एक बेर फेर अपन आसमान मे जहाज देखबा लेल छटपटा रहल अछि त दोसर दिस इंग्लैंड मे विंग्स ओवर एवरेस्ट नामक ओहि अभियान कए 80 साल बाद फेर स दोहरेबाक योजना तैयार भ रहल अछि। एहि योजना पर इंग्लैंड सरकार सेहो गंभीर अछि। ओहि योजना मे मुख्य भूमिका निभेनिहार पेरेग्रीन फेल्लोज क पोता जार्ज एलमंड पूर्णिया स फेर जहाज उडेबाक इच्छा व्यक्त केलथि अछि। फिल्म मेकर जार्ज एलमंड एहि मे हुनकर मदद करबा लेल आगू एलथि अछि। इ दूनू गोटे दरभंगा राज परिवार स मदद क गुहार केलथि अछि। ओ सब शीघ्र भारत सरकार आ बिहार सरकार स एहि संबंध मे गप करबाक योजना बना रहल छथि। 1933 क ओहि घटना कए दोहरेबा लेल ओ सब एयरोप्लेन कए बनेबाक प्रक्रिया शुरू क चुकल छथि। जार्ज एलमंड एहि संबंध मे कहला अछि जे 1933 जेकां प्लेन कए बनाउल जा रहल अछि। 350 माइल्स रेंज क एहि प्लेन क विंग्स क लंबाई 46 फीट, 5 इंच, प्लेन क लंबाई 34 फीट, 2 इंच आ ऊंचाई 11 फीट, 6 इंच अछि। 6 मिनट मे 10 हजार फीट क ऊंचाई पर उड़ान भरि सकबाक क्षमता वाला एहि प्लेन क स्पीड 180 मील पर आवर अछि। ओ कहला जे 1933 क विंग्स ओवर एवरेस्ट कए ब्रिटेन क रॉयल एयरफोर्स म्यूजियम मे राखल गेल अछि। जार्ज एलमंड कहला जे योजना गांधी फिल्म सन एहि पर एकटा फिल्म बनेबाक सेहो अछि।
लंदन स करांची होइत पूर्णिया पहुंचल छल विमान
20 मार्च 1933 क दिन एहि शहरक इतिहास मे अमिट भ चुकल अछि ओहि दिन आकाश मे उडैत चिडिया जेकां पूर्णिया क जमीन पर उतरल छल दूटा एयरोप्लेन। इ जहाज लंदन स करांची, जोधपुर, दिल्ली, इलाहाबाद होइत बिहार क पूर्णिया क लाल बालू मैदान मे उतरल छल। मैदान क चारूकात दूर दूर गाम स लोक जमा छल, मुदा भीड अनुशासित छल आ मैदान मे पहिने स जमल ऑफिसर्स लोक कए विमान देखबा स रोकबाक कोनो प्रयास सेहो नहि क रहल छल। विमान क बाट कई दिन स ताकल जा रहल छल। कई गोटा त राति मे सेहो मैदान मे रहि जाइत छलाह जे कहू विमान राति मे नहि आबि जाए। ऊपर आकाश निहारैत लोकक आंखि दूटा आकृत्ति देख ठमक रहि गेल। लोग कौतूहल स ओकरा हवा मे उडैत आ धीरे-धीरे जमीन पर उतरैत देख रहल छल। पहिल बेर बिहार क लोक कोनो हवाई जहाज देखने छल, ओकर संबंध मे जानकारी आगिक भांति गाम स गाम पहुंचैत गेल। मुदा इ जानकारी लोक लग नहि छल जे इ विमान पूर्णिया क धरती पर इतिहास रचबा लेल आयल अछि। 22 मार्च कए विमान एलाक बाद विमान स आयल लोक अगुलका रणनीति बनेबा मे जुटि गेलाह। दूनू विमान आ चालक दल लेल पूर्णिया मे पूरा व्यवस्था कैल गेल छल। विमान एबा स पूर्वहि राज दरभंगाक कईटा पैघ ऑफिसर पूर्णिया मे डेरा जमा चुकल छलाह। दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह लगातार ऑफिसर सब संग बैसार करैत छलाह। मुदा आम जनता जहाज देखबा मे व्यस्त छल ओकरा एहि बैसार कोनो जानकारी नहि छल।
पूर्णिया क लाल बालू मैदान स ठीक 15 दिन बाद जहाज उडेबाक प्रक्रिया शुरू भेल। पेरेग्रीन फेल्लोज क नेतृत्व मे सात सदस्यीय दलक एकटा खास लक्ष्य कए साधबा लेल जमीन स आकाश मे विदा भेल। जहाज पर कर्नल ब्लैकर्स, हेराल्ड पेनरोज, पर्सी इथर्टन, जान बुकन, फ्लाइट लेफ्टिनेंट मैकलेनटायर आ चीफ पायलट मारक्यूज ऑफ क्लाइडेसडेल शामिल छलाह। इ पूरा टीम 13 दिन पूर्णिया मे शोध केलक आ राज दरभंगा एहि शोध काज मे महत्वपूर्ण भूमिका मे रहल। 3 अप्रैल, 1933 कए जी-एआरडब्ल्यूजेड आ जी-एसीएजेड नंबर क दूनू विमान आकाश मे उड़ान भरलक। मैदानक चारू कात हजारों लोक जमा छल, ककरो किछु बुझबा मे नहि आबि रहल छल। करीब एक घंटा 35 मिनट बाद जहाज मैदान पर घुडि आयल आ मैदान मे बैसल राज दरभंगाक अधिकारी आ अंग्रेज सब एक दोसर कए बधाई दिय लगलाह। किछु अंग्रेज त खुशी आ उत्साह मे रोमांचित भ झूमैत देखल गेलाह। रोमांच किया नहि होएत हुनका ओ फोटो भेट गेल छल जेकरा लेबा लेल ओ सब पता नहि कहिया स योजना बना रखने छलाह। ओ सब दुनिया क सबस ऊंच चोटी माउंट एवरेस्ट क फोटो अपन कैमरा मे कैद क चुकल छलाह। करीब डेढ़ घंटा क इस एक-एक पल कए अपन कैमरा मे कैद क चुकल टीम जखन आसमान स धरती पर आयल त खुशी स ओकर पेड जमीन पर नहि पडि रहल छल।
इ कोनो कहानी नहि बल्कि इतिहासक ओ पन्ना छी जेकरा पढबाक प्रयास बहुत दिन तक नहि भेल। एहि अभियान स माउंट एवरेस्ट क चढ़ाई क सपना पूरा भ सकल। इ विश्व इतिहसक महत्वपूर्ण घटना मे स एक अछि आ एकरा अद्भुत घटना कहल जा सकैत अछि। एतबे नहि, एवरेस्ट क चोटी क लेल गेल पहिल फोटो सेहो राज दरभंगा क अलावा केवल इंग्लैड लग अछि। एहि अभियान क बाद ओ रास्ता भेट गेल जाहि स माउंट एवरेस्ट क लंबा यात्रा सुगम भ सकल। एहि स पूर्व रास्ता क कोनो जानकारी नहि छल। एहन मे चोटी तकबा लेल गेल लोक धुडि कए नहि अबैत दलाह। एहि अभियान स जे रास्ता क पता चलल ताहि स इ साफ भ गेल जे नेपाल क रास्ते चोटी पर पहुंचब सबस उपयुक्त अछि। एकर बाद एवरेस्ट पर चढ़ाई क क्रम मे पहिल सफलता तेंजिंग नोर्गे आ एडमंड हिलेरी कए भेटल। एहि अभियानक सफलता क चर्चा त पूरा दुनिया मे भेल, मुदा जखन शोभायात्रा पूर्णिया आ दरभंगा मे जे निकलल ओ सेहो एकटा इतिहास भ गेल। करीब 51टा हाथी स सुसज्जित शोभायात्रा मे भारी संख्या मे लोक शामिल भेल आ अभियान स जुडल सदस्य क गर्मजोशी स अभिनंदन कैल गेल। एहि अभियानक सफलता क बाद लाल बालूमैदान मे आइ धरि परती पडल अछि। दरभंगा महाराज दरभंगा एविएशन लेल चूनापुर मे दोसर सबस पैघ एयरपोर्ट क निर्माण भेल जे 1942 मे केलथि जाहि ठाम स 1962 धरि आम आदमी लेल विमान सेवा उपलब्ध छल। 1963 मे भारतीय वायु सेना कए हवाले करि देल गेल। कहबा लेल पूर्णिया एयरपोर्ट वायुसेना क एकटा महत्वपूर्ण एयरबेस अछि, मुदा इ जीवंत नहि अछि। एकरा देख लगैत अछि जेना नि:शुल्क भेट गेल किछु चीज त की करि बस रखने रही। कोनो युद्धक विमान एहि ठाम स नहि अभ्यास करैत अछि। इ एयरपोर्ट बाढ राहत आ नेताक क आवाजाही लेल मात्र उपयोग कैल जाइत अछि। आम जनता जे 1933 मे जहाज पर चढबाक सपना देखने छल ओ 80 साल बादो आंखि मे नुकायल अछि। आसमान खाली अछि आ परती पडल जमीन अछि।
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बहुत बहुत बहुत नीक आ दुर्लभ जानकारी ।
एहिना जारी राखू ।
धन्यवाद ।
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