मनीष झा “बौआभाइ”
नई दिल्ली । दिल्ली क श्री राम सेंटर मे “मैलोरंग” द्वारा १५ दिसम्बर २०१४ (सोमदिन) मैथिली नाटक “चान-चकोर” केर सफलतापूर्वक मंचन कएल गेल । कार्यक्रमक पहिल सत्रमे मैलोरंग दिस स ज्योतिरीश्वर सम्मान आ रंगकर्मी श्रीकांत मंडल पुरस्कार जेकि प्रतिवर्ष रंगकर्मक क्षेत्रमे हुनक अद्भुत प्रतिभा लेल देल जाइत रहल अछि केर आयोजन छल जेकि प्रायोजित छल मिथिलानी आ समाजसेवी डा. ममता ठाकुर द्वारा । ज्योतिरीश्वर सम्मान हेतु चयनित छला पटना रेडियो स्टेशन स’ प्रसारित होमय बला “चौपाल” नामक नियमित कार्यक्रमक प्रस्तोता आ वरिष्ठ अभिनेता छत्रानन्द सिंह झा उर्फ बटुकभाइ आ रंगकर्मी श्रीकांत मंडल पुरस्कार हेतु युवा अभिनेता आशुतोष अभिज्ञ जेकि पटना स्थित “भंगिमा”क माध्यम स’ समूचा देशमे बेस नाओं क’ रहल छथि । सम्मान समारोहक पश्चात मैलोरंगक ऑफिशियल वेबसाइट “मैलोरंग डॉट कॉम” आ प्रसिद्ध नाटककार आ मैलोरंग संस्थाक अध्यक्ष महेन्द्र मलंगियाक नाम स’ प्रकाशित पुस्तक “महेन्द्र मलंगिया : जीवन एवं सृजन” केर विमोचन सेहो कएल गेल । कार्यक्रमक दोसर सत्रमे प्रारम्भ भेल महीनो पूर्व नियारल आ अभ्यासल नाटक “चान-चकोर”। ज्ञात होए कि चान-चकोर आंग्ल भाखाक सुप्रसिद्ध नाटककार विलियम शेक्सपीयर रचित जगजियार ऐतिहासिक नाटक “रोमियो-जूलियट” केर मैथिली अनुवाद आ परिकल्पना अछि जेकि स्वयं मैलोरंग क निदेशक प्रकाश झा केने छथि । मूल रचनामे “रोमियो-जूलियट” प्रेमक एकटा एहेन उपमा अछि जे ऊँच-नीच, जाति-पाति आ गरीब-धनिक सन रुढ़िवादी बंधन कए मिथ्या साबित करबा मे सफल रहल अछि । प्रेमक एहि मूल कथाकें आधार पर कतेको सिनेमा आ नाटक रचल गेल । रामेन्द्र (रोमियो) एकटा नीच जातिक युवा अछि जेकरा एकटा उच्च खानदानक बेटी जूली (जूलियट) स’ प्रेम भ’ जाइत अछि आ एम्हर जूलीक विवाह वास्ते सुयोग्य वरकें क्रममे राजकुमार प्रताप केर चयन कैल जाइत अछि मुदा विधिनाकें लिखल एहेन जे रामेन्द्र आ जूलीकें प्रेम शनैः शनैः दुन्नू दिस स एतेक प्रभावी होए लागल जे गुप्त रूप स’ गामक एकटा मंदिरमे भगवान आ पंडितकें साक्षी मानि दूनू एक-दोसराकें संग जीयब-मरब कए गाँठ बान्हि परिणय सूत्रमे बन्हि जाइत अछि मुदा खिस्सा एत्तहि समाप्त नैं होइत अछि । ओकरा दुन्नूकें एहि प्रेमक मध्य जाति-पाति एहेन बाधा भ’ जाइत छैक जे रामेन्द्रकें अपन बालसखा मानेन्द्रक हत्या स’ जेकि जूली केर मसिऔत भाए आ तत्पश्चात राजा बाबूक हत्या रामेन्द्रक हाथ स’ मने दू टा हत्याक संग चुकब’ परैत छैक । हत्याक सजा रामेन्द्रकें जिला-जयवार स’ निर्वासित करबाक आदेशक संग होइत अछि जेकि रामेन्द्र आ जूली दुन्नू गोटे क वास्ते असह्य छल आ एक-एक दिन एक-दोसरा क बिन काटब मोस्किल । जूली क हालत अन्न-पानि त्यागबाक कारणें कमजोर हएब मृत्यु समान छल आ तहिना रामेन्द्रक वास्ते जूलीक संग नैं हएब मृत्यु समान । समसान घाटमे अचेत परल जूलीकें मृत मानि रामेन्द्र बिख खाए अपन प्राण द दैत अछि मुदा चेतना अबैत जूली अपन रामेन्द्रक मृत शरीर देखि अपनें हाथे धरगर चक्कू स’ अपन हत्या क’ लैत अछि आ एहि तरहें ई अमर प्रेम इतिहासमे अंकित भेल आ होइत आबि रहल अछि ।
अंगरेजिया संस्कृतिकें रूढ़िवादी परम्परा पर कुठारघात क’ शेक्सपीयर जाहि विषय-वस्तुकें समेटने छथि ताहि विषय-वस्तुकें मिथिलाक संस्कृतिमे तदनुसार सन्हिया क’ ओकरा आधुनिक रूपमे प्रस्तुत करब बड्ड बेसी साहसक संग सृजनकारी विषय अछि । निश्चितरूपे एहि प्रयोगमे युवा रंग निर्देशक प्रकाश झा सफल रहलाह अछि आ एहि सफल यात्रामे हुनक संग डेगमे-डेग मिलाक’ चलनिहार रंगकर्मी लोकनिक योगदानकें कथमपि बिसरल नैं जा सकैछ यथा : मुकेश झा (चान/रामेन्द्र/रोमियो) ,अनिल मिश्रा (जूलीक पिता),सत्या मिश्रा (चकोर/जूली/जूलियट),प्रवीण कश्यप (पंडितजी),संतोष कुमार (राजा बाबू/मसिऔत भाए),अमरजीत राय (रामेन्द्रक बालसखा/बालेन्द्र), अमित कुमार (रामेन्द्रक बालसखा/मानेन्द्र),मनोज पाण्डे (राजकुमार प्रताप),रमण कुमार (जग्गा),ज्योति झा (ककना वाली दाई),नीरा झा (जूलियटकें माए),राजीव रंजन झा (पार्श्व स्वर),राजीव मिश्रा (पार्श्व ध्वनि),अजीत मलंगिया (तबला वादन), अखिलेश कुमार (की-बोर्ड),दीपक ठाकुर (पार्श्व संगीत), गोविन्द जी (प्रकाश परिकल्पना) आदिकें योगदान उल्लेखनीय सह प्रशंसनीय रहल ।
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