आइ बिहार लालटेन युग स बाहर आबि गेल। 125 सालक यात्राक उपरांत बिजली सबतर बिजली पहुंच गेल। दरभंगाक लक्ष्मीविलास पैलेस स 1888 मे एकटा यात्रा शुरु भेल छल, एकटा सपना बुनल गेल छल, ओ आब जा कए पूरा भेल। बिहार क घर घर बिजली पहुंचत । कोनो टोला कोनो गाम बचल नहि रहल।
1879 मे न्यूयार्क मे शुरु भेल बिजली उत्पादनक दू साल बाद इंग्लैंड मे बिजली पहुंचल आ इंग्लैंड स भारतक कोलकाता क यात्रा केलक मुदा भारत मे एकर सार्वजनिक वितरण 1897 मे शुरु भेल । ओना बिहार मे बिजलीक सार्वजनिक वितरण करीब 40 साल बाद भ सकल । 1940 धरि बिजली एकटा विलासिता क साधन छल जे काफी महग छल । एकर उपयोग अंग्रेज, राजा-महाराज, सरकारी कर्मचारी, पैघ व्यापारी वर्ग या कारखानाक कर्मचारी सब करैत छलाह । आम जनता तक बिजली क पहुंच नहि भ सकल छल।
बिजलीक मामला मे बिहार आइ एकटा लक्ष्य पूरा लेकर। यात्रा खत्म नहि भेल अछि । बिजलीक मामला मे बिहार बहुत जल्द आत्मनिर्भर बनत। प्रस्तुत अछि बिहार मे बिजलीक यात्रा क उतार चढाब पर पत्रकार सुनील कुमार झा आ नीलू कुमारी क इसमाद लेल लिखल इ विशेष रपट जगमग बिहार में टिटिमाइत बिजलीक इतिहास – समदिया
वेद मे सेहो अछि बिजली क ज्ञान
बिजली स भारत संबंध जरुर सौ साल पुरान अछि मुदा कृतिम प्रकाशक चर्च वेद मे सेहो अछि। धातु क तार बनाकए ओकर उपयोग करबाक चर्च वेद मे अछि।
युवं पैदवे पुरूवारमश्विना स्पृधां श्वेतं तरूतारं दुवस्यथः। शर्यैरभिद्युं पृतनासु दुष्टरं चर्कत्यमिन्द्रमिव चर्षणीसहम्।।
-ऋग्वेद अष्ट1।अ8।व21।मं10।।> >
दरभंगा राज पुस्तकालय मे राखल अनमोल पांडूलिपि मे स एक महर्षि अगस्त रचित अगस्त संहिता मे विद्युत उत्पदान क सूत्र सेहो भेटैत अछि।
संस्थाप्य मृण्मये पात्रे, ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्।
छादयेच्छिखिग्रीवेन , चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्॥
एहि श्लोक मे ऋषि अगस्त लिखैत छथि जे मिट्टी क पात्र ल कए , ओहि मे ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) राखि आ शिखिग्रीवा (Copper sulphate) राखू, फेर बीच मे भीजल काष्ट पांसु (wet saw dust) लगाउ, ऊपर पारा (mercury) आ दस्त लोष्ट (Zinc) राखू, फेर तार कए मिलायब त ओहि स मित्रावरुणशक्ति (Electricity) का उदय होएत अर्थात बिजली उत्पन्न होएत।
(एतय प्रोटॉन आ इलेक्ट्रॉन कए क्रमश मित्र आ वरूण कहल गेल अछि )
ऑंगा एहि संहिता मे लिखल अछि…
अनेन जलभंगोस्ति प्राणो दानेषु वायुषु, एवं शतानां कुंभानांसंयोगकार्यकृत्स्मृत: ।।
अर्थात सौ टा घइला क शक्ति क पाइन मे प्रयोग करबा पर पाइन अपन रूप बदैल कए प्राण वायु ( ऑक्सीजन ) आ उदान वायु (हाईड्रोजन) मे बदैल जाएत अछि ।
अगस्त संहिता मे विद्युत क उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) क लेल करबाक सेहो विवरण भेटैत अछि। ओ बैटरी स तांबा वा सोना वा चांदी पर पॉलिश चढ़ेबाक विधि निकालथि तें अगस्त कए कुंभोद्भव (Battery Bone) सेहो कहैते छथि।
अगस्त संहिता आ आन आन ग्रंथ मे बिजली उत्पादन कए अनेक प्रकार सए प्रतिपादित कैल गेल अछि जेना
तड़ित – रेशमी वस्त्र क घर्षण स उत्पन्न विद्युत
सौदामिनी – रत्न क घर्षण स उत्पन्न विद्युत
विद्युत – बादल स उत्पन्न विद्युत
शतकुंभी – सौ सेलों वा कुंभो स उत्पन्न विद्युत
ह्यदनि – जमा कैल गेल बिजली विद्युत
अशनि – चुम्बकिय दण्ड स उत्पन्न विद्युत
अगस्त संहिता पर आधारित प्राचीन विद्युत बैटरी मेसोपोटामिया ( वर्तमान इराक) मे पाएल जाएत अछि जकरा बगदादी बैटरी कहल जाएत अछि। एकर काल संभवत: 250 ईसा पूर्व क अछि। जेकरा भारत मे निर्माण कए संभवत: बेबिलोन मे पर्थियन राजा क काल मे निर्यात कैल गेल छल।
वाल्मिकि रामायण मे सेहो हनुमान जी लंका क शोभा क विवरण करैत कहैत छलाह जे ओतय हरेक मार्ग पर विद्युत स जरय बला दीप लागल छल।
ताम् सविद्युत घन आकीर्णाम् ज्योति मार्ग निषेविताम ।।
( बा0 रा0 सुन्दर कांड पंचम सर्ग 3-5)
यूरोपियन वैज्ञानिक सेहो मिस्त्र क पिरामिड क अध्यन काल पौलक जे सुरंग क छत आ छज्जा पर धुऑं क करियापन नहि छल। अर्थात सुरंग वा पिरामिड क अंदर मोमबत्ती वा मशाल, दीपक आदिक प्रयोग नहि होएत छल। फेर हुनका प्रकाश कतय स भेटल एहि क खोज मे जखन वैज्ञानिक ओतुका देवार क चित्रकारी क अवलोकन केलनि त पता चलल जे ओहि काल मे हाई-वोल्टेज संयंत्र क उपयोग होएत छल, जाहि मे इंसुलेटर लागल रहैत छल आ फिलामेंट स सभ जब प्रकाश करल जाएत छल। एहि स पता चलैत अछि जे पिरामिड क निर्माण काल (2500 ईसा पूर्व ) मे सेहो बिजली क प्रयोग होएत छल।
आधुनिक विज्ञान आ बिजलीक खोज
आधुनिक विज्ञान मे बिजली क खोज आ उपयोग क इतिहास 1878 मे शुरू भेल। अमेरिका मे बल्ब क अविष्कार वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन केलथि। ओ अपन घर मे प्रकाश लेल डाइरेक्ट करंट ( डी.सी. ) क वितरण प्रारंभ केलक। ओ अमेरिका आ इंग्लैंड मे सेहो एक संग बिजली सप्लाई कए रहल छलाह। 1881 ई मे इंग्लैंड क सर्रे शहर मे बिजली सड़क बत्ती प्रणाली बनायल गेल। ओहि ठामक हेमंड नामक आदमी 1881 मे हेमंड इलेक्ट्रीसिटी स्पलाई कंपनी बनेलक जे इंग्लेंडक ससेक्स शहर कए 24 घंटा बिजली आपूर्ती करय लागल। 1880 मे अल्टरनेटिव करंट (ए.सी.) प्रणाली क अविष्कार हेबाक कारण अमेरिका आ यूरोप मे एसी बिजली सेहो सप्लाई होएय लागल।
सन् 1880 से 1890 धरि बिजली क इतिहास करंट युद्घ क नाम से जानल जाएत अछि। एहि समय बिजली क दू तरह प्रणाली डीसी आओर एसी क सर्वश्रेष्ट्र घोषित करबाक लेल शीतयुद्ध होबय लागल। डीसी प्रणाली क संस्थापक आ वितरक एडिसन छलाह त एसी प्रणाली क वितरक जार्ज वेसटिंगहोज को निकोला टेस्ला, फरान्टी, सीमेंस आ स्टेनली आदि वैज्ञानिक छलाह। एडिसन आ वेसटिंगहोज एक दोसर क खिलाफ प्रचार प्रसार करय लागल। एडिसन आ हुनकर आदमी लोग सबकए ई बताबै लागल जे एसी क प्रयोग घातक अछि आ एहि स जानमालक नुकसान होएत ओतहि वेसटिंगहोज आ ओकर लोग सब डीसी कए खतरनाक बताबै लागल। जगह जगह जनता कए प्रयोग देखेबाक नाम पर जानवर कए करंट दए दए कए मारय लागल। मुदा एसी प्रणाली क लाभ जेना हाई वोल्टेज कए लंबा दूरी तक भेजनाय आ, ट्रांसफार्मर स बिजली क वोल्टेज कम या बेसी केनाय आ कम लागत क चलते एसी प्रणाली सर्वमान्य भेल आ पूरा विश्व मे एकर उपयोग होमय लागल।
भारत मे बिजलीक उत्पादन आ विकास
भारत में बिजली का विकास 19वीं सदी के अंत में शुरू भेल। दस्तावेजक अनुसार फ्लौरी एंड कंपनी कोलकाता मे सबसे पहिने सन 1879 मे बिजली क प्रदर्शन केलक । नौ साल बाद सन 1888 मे दरभंगा आ सन् 1897 मे दार्जिलिंग मे बिजली आपूर्ति शुरू भेल । व्यावसायिक रूप स भारत मे बिजली तखन आयल जखन 1897 मे इंग्लैंड क किलबर्न एंड कंपनी कोलकाता मे बिजली वितरण क लेल इंडियन इलेक्ट्रिक कंपनी बनेलक । 1899 मे एकटा थर्मल केन्द्र कोलकाता मे लगाउल गेल । बाद मे एकर नाम बदलि कए कलकत्ता इलेक्ट्रीसिटी सप्लाई कारपोरेशन राखलक जेकर मुख्यालय लंदन मे छल । आजादी क बाद 23 बर्ष लागल तखन जाकए 1970 मे एकर मुख्यालय लंदन से कलकत्ता आबि सकल । फेर 1898 मे बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रामवेज कंपनी क स्थापना भेल जे बंबई मे बिजली क सप्लाई शुरू केलक। ओकर बाद लगभग हरेक पैघ शहर मे पावर हाउस खुलल जे डीजल वा कोयला स चलैत छल ।
देश मे पहिल जल विद्युत पॉवर हाउस 1897 मे बर्दवान क महाराज सर विजोय चंद महताब बहादुर दिस स दार्जिलिंग मे लगाओल गेल। 1899 मे कलकत्ता इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कारपोरेशन, इमामबाग मे देशक पहिल ताप विद्युत केन्द्र लगेलक। पहिल स्ट्रीट लाइट बंगलौर मे 1905 मे लागल जे एशिया क पहिल सड़क-बत्ती छल। पहिल बिजली क ट्रेन 1925 मे मुंबई वीटी आ कुर्ला क बीच चलल।
बिहार मे बिजली क इतिहास
बिहार मे बिजलीक इतिहास किछु मायने मे भारत क बिजली इतिहास अछि। 1879 मे सबसे पहिने कोलकाता मे बिजलीक उत्पादन भेल, नौ साल बाद 1888 मे नव नव तैयार भेल दरभंगाक लक्ष्मीश्वर विलास पैलेस मे बिजली क उपयोग शुरु भेल । इ पहिल राजमहल छल जे बिजली से रोशन भेल छल । एहि कैंडल लेस पैलेस क फोटो इंग्लैंड स प्रकाशित अखबार इ टाइम्स अपन पहिल पन्ना पर लगौने छल । 1898 मे भेल महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह क निधन से पूर्व हुनक कईटा फोटो मे एहि महल मे लागल बिजली क आधारभूत संरचना देखबा मे भेटैत अछि । 1907 मे एक दिस टाटा जमशेदपुर मे शहर बसा रहल छलाह त दोसर दिस 1914 मे राजनगर क महल सेहो बिजली स रोशन भ रहल छल । 1914-15 तक बिजलीक खपत राज निवास स बाहर कारखाना क कर्मचारी निवास तक पहुंच गेल । एहि अवधि मे जमशेदपुर आ रोहतास बिजलीक उत्पादन शुरु क देलक। लोहट चीनी कारखाना मे उत्पादित बिजली कारखाना क कर्मचारी कए नि:शुल्क उपलब्ध छल । 1934 क भूकंप क बाद बिजलीक वितरण मे तेजी आयल आ धीरे-धीरे बिजलीक विस्तार तिरहुत क आन इलाका मे सेहो होइत गेल ।
बिहार मे शुरु स प्राकृतिक रूप स बिजली उत्पादन कए अनदेखा कए गेल । आजादी क पहिने 1937-39 क बीच बिजली क विस्तार लेल पटना आ डेहरी मे जल विद्युत लेल स्थल क चुनाव कैल गेल । बिहार मे प्राकृतिक संपदा क भरमार छल तखनो ई दुर्भाग्य जे 1950 धरि बिहार मे पनबिजली क उत्पादन लगभग शून्य छल । ओना आज़ादी स पहिने बिहार क बिजली क खपत सेहो बड्ड बेरंग छल। TISCO आ रोहतास इंडस्ट्री पैघ स्तर पर बिजलीक खपत करैत छल।
ओना देखल जाये त देश जखन आज़ाद भेल त बिहार भारतक ऊर्जा खपतक नक्शा पर नहिए क बराबर छल। श्रीकृष्ण सिंह क शासन काल मे बिजली मद मे 707.3 लाख टकाक राखल गेल छल जाहि मे 2.15 लाख टका रेलवे क बिजलीकरण लेल छल।
1950 धरि प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 3 किलोवाट छल । सेहो मात्र 15 टा जिला जेना पटना, दरभंगा, जमशेदपुर, गया, रांची, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया आ भागलपुर आदि मे खपत होइत छल। जाहि मे ज्यादातर बिजली टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी स अबैत छल।
संथाल क मुकाबला मे तिरहुत इलाके मे बिजली क खपत काफी कम छल, बावजूद तिरहुत मे सार्वजनिक बिजली वितरण कंपनीक इतिहास 1938 मे दरभंगा लहेरियासहाय पावर जनरेशन कंपनी क स्थापना स होइत अछि । 1937 से 39 क बीच तिरहुत क 7टा जिला मे छोट छोट बिजली संयंत्र स्थापित भेल । 1962 तक दरभंगा जिला मे दू टा सरकारी पॉवर हाउस क निर्माण समस्तीपुर आ सकरी मे भ गेल छल, जाहि से 1218 किलोवाट आ 875 किलोवाट बिजली क उत्पादन होइत छल । 1962 तक दरभंगा जिलाक लगभग 120 टा गाम आ शहर मे बिजली पहुँच गेल छल, जाहि मे दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, जयनगर, झंझारपुर, राजनगर, सकरी, बहेरिया, ताजपुर, रोसड़ा, लोहट, पंडौल, राघोपुर, पुसा, वैनी, पूसा बजार, हसनपुर, महेशपट्टी, भगवानपुर, किओटी, मंगरौनी आदि प्रमुख छल । 1975 मे अचानक बिहारक नौटा बिजली संयंत्र कए सरकार बंद क देलक। सरकारक एहि नीति स क्षेत्र मे अंधकार पसरि गेल आ कईटा शहर लौट कए लालटेन युग मे चलि आयल ।
बिजली खपतक मामला मे बिहार एखनो बड पाछू अछि। ओना पाछू त अपन देश सेहो अछि । भारत मे प्रति व्यक्ति बिजली खपत विश्व मे सबसे कम अछि । पूरा दुनिया मे औसतन बिजली खपत 2429 युनिट प्रति व्यक्ति अछि, ओतहि भारत मे ई मात्र 734 यूनिट अछि । इहो तखन जखन कि भारत मे कुल संघीय पूंजी क 15 फिसदी स बेसी राशि बिजली उत्पादन पर खर्च कैल जाएत अछि।
मुनाफा स घाटा क सौदा भ गेल बिजली
1975 धरि बिजली क कंपनी घाटा मे नहि छल। बिजली उत्पादन क प्रचुरता छल आ कहियो कतहू बिजली क कटौती नहि होएत छल । फेर 1975 मे बिजली बोर्ड क राजनीतिकरण क शुरूआत भेल 1975 मे जगन्नाथ मिश्र क शासनकाल मे, अयोग्य आ बेकार लोग सब कए बोर्ड मे शामिल कैल गेल । एहि संबंध मे बिजय बरौलिया कहैत छथि जे सरकार बिहारक निजी संयंत्र कए बंद करैत कहलक जे लाइट डीजल क खपत कम करबा लेल इ कैल जा रहा अछि, मुदा संयंत्र बंद भेला स शहर मे जेनरेटर युग आबि गेल आ ओहि स कही बेसी डीजल क खपत शुरु भ गेल । बरौलिया कहैत छथि जे 1976 मे दरभंगा क मांग महज 2 मेगावाट क छल, जखनकि हमर संयंत्र स आपर्ति 3 मेगावाट । सबस कमाल क गप ई रहल जे 2002 तक अबैत अबैत दरभंगा शहर क मांग 18 मेगावाट भ गेल जखनकि आपूर्ति एक मेगावाट कम यानि 2 मेगावाट भ गेल । शहर मे जेनेरेटर क संख्या आ ओहि स उत्पादित बिजली क मात्रा करीब 5 मेगावाट तक पहुंच गेल छल ।
बरौलियाक दावा अछि जे डीसी बिजलीक बदला मे बरौनी क एसी बिजली देबाक नाम पर एहि संयंत्र कए रातोरात बंद करब दरभंगा कए अंधकार मे धकेलब छल । पूर्वोत्तर राज्य मे लाइट डीजल क छोट छोट बिजली संयंत्र एखनो शहर कए रोशन क रहल अछि । अक्टूबर 1976 मे दरभंगा क इतिहास मे पहिल बेर लोड सेडिंग भेल । 80 अबैत अबैत शहर मे बिजली जेबाक नहि बल्कि एबाक चर्च हुए लागल ।
एहन दू कारण स भेल। एकटा मांगक अनुरूप उत्पादन आ वितरण नहि भ सकल आ दोसर अयोग्य लोक सब कए बिजली विभाग मे घुसायल गेल । नेता एकरा चुनाव जीतबा क हथकंडा बना लेलक । हरिजन आ आदिवासी कए फ्री मे बिजली देबाक नारा लगाकए कांग्रेससरकार सत्ता बचेबा मे लागि गेल । चुनावी वादा क अनुसार बिना मीटर एकल बत्ती कनेक्सन बांटल गेल जेकर जमि कए दुरूपयोग भेल । बिजली विभाग कए घाटा लागब एतय स शुरू भेल । ताधरि बिजली बोर्ड राजनेता आ नौकरशाहक गुलाम बनि कए रहि गेल छल जेकरा नहिते कोनो नीतिगत निर्णय लेबाक अधिकार छल नहिए सरकारी अनुमोदन क बिना राशि खर्च करबाक । सभटा वित्तीय आ प्रशासनिक अधिकार बोर्ड स छिनी कए सचिवालय कए द देल गेल । बिजली उत्पादन बढ़ेबाक लेल फंड क कमी भेल फलत: अपूर्ति मे कटौती हुए लागल । हालत ई भ गेल जे मार्च 2005 क अंत धरि बिजली उत्पादन शून्य आ खरीद असंभव जेका भ गेल । ओना 2015 धरि देशक सभटा बिजली वितरण कंपनी क घाटा 3.8 लाख करोड़ छल आ एहि पर कर्ज 4.3 करोड़ टकाक छल ।
झारखंड अलग बिजली विलग
सन् 2000 मे जखन झारखंड बिहार स अलग भेल त आन आन खनिज संपदा संगे बिहार क सभटा कोयला सेहो एकरे हिस्सा मे चलि गेल । पतरातू (840 मेगावाट ), तेनूघाट (420 मेगावाट ) आ सुवर्णरेखा (130 मेगावाट) सन परियोजना लए झारखंड बिहार स अलग भ गेल । बिहार क 70 प्रतिशत बिजली उत्पादन यैह तीनू परियोजना स होएत रहल छल। बंटवारा स पहिने तक बिहार क बिजली उत्पादन क 48 प्रतिशत उद्योग समूह मे जाएत छल आ 20 प्रतिशत कृषि क लेल। मुदा अलग भेलाक बाद सभटा इंडस्ट्री झारखंडक हिस्सा मे चलि गेल आ उद्योग समूह क बिजली ग्राहक क संख्या घटि कए 25.1 प्रतिशत रहि गेल। ओतही किसानी ग्राहक क संख्या 20 प्रतिशत स बढ़िकए 32.5 प्रतिशत भए गेल। मुदा उद्योग क ग्राहक घटला स बिजली क रेवेन्यू सेहो घटि गेल आ बीएसबीई क सलाना घाटा बढ़िकए 365 करोड़ सलाना भए गेल।
सितंबर 2014 धरि बिहार मे बिजली क कुल 2198.25 मेगावाट क उत्पादन होएत छल जाहि मे से 89 प्रतिशत थर्मल पावर से 5 प्रतिशत पुन: प्राप्त उर्जा स्त्रोत आ 6 प्रतिशत जलविद्युत स आबैत अछि। इहो मे से 85 प्रतिशत केन्द्र सरकार से, 13 प्रतिशत बिहार सरकार से, आ 2 प्रतिशत बिजली निजी क्षेत्र से उत्पादित होएत अछि। बिहार मे अखन चारि टा थर्मल पावर मुख्य रूप स काज कए रहल अछि जाहि मे बरौनी, कांटी, एनटीपीसी कहलगॉंव, आ एनटीपीसी बाढ़ शामिल अछि। एहि मे बरौनी थर्मल पावर क कैक टा यूनिट काज केनाय बन्न कए देलक अछि वा पुनरूद्धार मे अछि। ओतहि कांटि थर्मल पावरक उत्पादन एयरपोर्ट ऑथरिटी क पर्यावरण सुरक्षा क सवाल क कारण 250 मेगावाट स घटि कए 195 मेगावाट भए गेल अछि। वर्तमान मे पावर सप्लाई क शिखर घाटा -6.2 प्रतिशत अछि जखनकि भारत स्तर पर ई -4.50 प्रतिशत अछि।
अदलैत बदलैत रहल नियम
भारत मे बिजली क नियमन आ नियंत्रण क लेल अंग्रेज सरकार 1910 मे एकटा कानुन बनेने छल जेकरा भारतीय विद्युत अधिनियम – 1910 कहल जाएत अछि। ई कानून 2003 तक चलल। विद्युत आपूर्ति अधिनियम 1948 आ विद्युत विनिमायक आयोग अधिनियम 1998 जोड़ल गेल। जाहि स विद्युत आपूर्तिआ विनिमय मे सरकारी दखल बढ़ल आ एकर बंटाधार हेबाक प्रक्रिया शुरू भेल। 15 जून 2003 कए जे विद्युत अधिनियम 2003 लागू करल गेल जेकर मुख्य उदेश्य प्रतिस्पर्धा आनब आ सभकए विद्युत उपलब्ध केनाय छल। एहि अधिनियम मे राष्ट्रीय विद्युत नीति, ग्राम विद्युतीकरण, प्रेषण मे खुला पहुँच, वितरण मे खुला पहुँच, अनिवार्य एसईआरसी, लाइसेंस मुक्त उत्पादन आओर वितरण, पावर ट्रेडिंग अनिवार्यता आओर विद्युत क चोरी क कठोर दंड क व्यवस्था अछि। इलेक्ट्रीसिटी सप्लाई एक्ट 1948 क कानून कए जन बिजली कानून कहल गेल जेकरा अनुसार राज्य सरकारे टा कए बिजली उत्पादन, संचरण आ वितरण क अधिकार देल गेल। एहि कानून क परिपालन मे सभ राज्य कए अलग अलग शहर क बिजली कंपनी क एकीकरण वा सरकारीकरण कए राज्य बिजली बोर्डक स्थापना कैल गेल जे एकटा स्वायत्त विभाग होएत जाहि पर कोनो नौकरशाह आ राजनेता क दखलअंदाजी नहि होएत। बोर्डक चैयरमेन आ सदस्य वैह गोटे बनताह जे बिजली क विशेषज्ञ होएत। एहि प्रकार सभटा प्रदेश बिजली क वयवस्था संभालि लेलक। सप्लाई एक्टक अनुसार कोनो भी बिजली बोर्ड 3 प्रतिशत से बेसी मुनाफा नहि लए सकैत अछि।
90 क दशक जखन मनमोहन सिंह वित्त मत्री छलाह तखन भारत विकाशसील देश बनिकए उभरल। भारतक बिजली बाजार पर विदेशी कंपनी क गिद्ध दृष्टि पड़य लागल मुदा विद्युत अधिनियम 1910 क आ सप्लाई एक्ट 1948 क कारण बिजली क निजीकरण क अनुमति नहि छल, चूंकि बोर्ड पर सरकार आ नौकरशाह क पकड़ बेसी छल एहि लेल पुरनका कानुन कए तोड़ैत विद्युत अधिनियम 2003 बनाओल गेल जाहि स विद्युत सुधार क नाम पर बिजली बाजार विदेशी कंपनी क हाथ मे चलल गेल आ प्रति यूनिट बिजली क दर दिन दूना राति चौगुना बढ़य लागल।
हर घर बिजलीक सपना
नीतीश कुमार क ड्रीम प्रोजेक्ट मे हर घर बिजली सेहो शामिल अछि। अप्रैल 2014 मे ई अभियान शुरू भेल छल जाहि मे बिजली कंपनी कए बिहार 3320 गाम मे बिजली पहुँचेनाय रहय। अप्रैल 2017 तक ई ऑंकडा छल जे 2661 गाम मे बिजली पहुँच गेल छल। मात्र 659 एहन गाम बचल छल जतए 27 दिसंबर, 2017 कए बिजली पहुँचल गेल। अप्रैल क बाद एहि काज मे रफ्तार आएल आ आय बिहारक सभ गाम मे बिजली अछि।
ज्ञात होए जे 2014 मे ओडिशा, झारखंड, असम, मध्यप्रदेश आ छत्तीसगढ़ क सभटा गाम मे बिजली पहुँचेबाक लक्ष्य भेटल छल, जेकरा मे एहि लक्ष्य क हासिल करय बला पहिल राज्य बिहार बनि गेल।
बिहार क बिजली स दौडैत अछि मुबंइ क ट्रेन
ई आर्श्यजनक लागत मुदा सत्य यैह अछि, बिहार क नबीनगर मे भारतीय रेल आ एनटीपीसी क संयूक्त पॉवर प्लांट भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड से एहि साल अगस्त महिना स मुबंई क लोकल ट्रेन कए बिजली आपुर्ती भए रहल अछि । एहि प्लांट क 90 प्रतिशत बिजली पर रेलवे क अधिकार अछि शेष 10 प्रतिषत बिजली बिहार सरकार किनैत अछि । नीतीश कुमार एहि प्लांट क आधारशिला तहिया रखने छल जहिया ओ रेल मंत्री छलाह।