टीम समदिया
दरभंगा। राज्यसभा क उपसभापति व प्रख्यात पत्रकार हरिवश कहला अछि जे महात्मा गांधी क जीवन दर्शन हर युग में प्रासंगिक रहत। आइ जखन दुनिया कए बचेबाक बाट ताकल जा रहल अछि त गांधी असगर विकल्प क रूप मे दुनियाक समझ ढार छथि। हुनकर विकास मॉडल मे विश्व कए बचेबाक क्षमता अछि आ जे हुनका नहि पढलक, देखलक आ बुझलक ओ सहो हुनकर देखाउल बाट पर चलबाक गप दोहरा रहल अछि। इ साबित करैत अछि जे दुनिया कए बचेबा लेल दुनिया मे गांधी क कोनो विकल्प नहि अछि।
श्री हरिवंश सोमदिन कामेश्वरनगर क नरगौना परिसर स्थित जुबिली हॉल मे इसमाद क 10 साल पूरा भेला पर आयोजित आचार्य रमानाथ झा हेरिटेज सीरीज क अंतिम व्याख्यान मे ‘गांधी ही विकल्प’ विषय पर विष्णु कांत झा स्मृति व्याख्यान द रहल छलाह।
हरिवंश कहला जे ग्लोबलाइजेशन क दौर मे खतरा सेहो ग्लोबल होइत जा रहल अछि। पहिने दुनिया विचार स चलैत छल, मुदा आब आब टेक्नोलॉजी स चलि रहल अछि। औद्योगिक क्रांति क बाद ग्लोबल वार्मिंग क कारण बाढ़, भूकंप, ग्लेशियर क पिघलब, पीबा लेल जल, स्वच्छ हवा आदि क कमी पैघ समस्या बनि चुकल अछि। जनसंख्या क संगहि भौतिक सुख-सुविधा बढ़ैत जा रहल अछि। समस्या एहन जे कम हेबाक बदला मे भीषण भ चुकल अछि। आर्थिक विकास क दौड़ मे विश्व विनाश क कगार पर ढार अछि। अगिला पीढ़ी क जीवन सुरक्षित रख पायब चुनौती बनैत जा रहल अछि। वैज्ञानिकक साफ कहब अछि जे कार्बन कए कम नहि कैल गेल त दुनिया तबाह भ जायत।
हरिवंश महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस क चर्चा करैत कहला जे वो एकटा वैज्ञानिक छलाह, मुदा तखनो गांधी क मानवता क सिद्धांत क तहत जनसंख्या वृद्धि, जल संकट, जलवायु परिवर्तन आओर बीमारीक इलाज लेल मिल-जुल कए काज करबाक सिद्धांत कए स्वीकार केलथि। स्टीफन हॉकिंस कहला अछि जे हमरा लग दुनिया कए नष्ट करबाक हथियार त अछि मुदा लेकिन विश्वव्यापी समस्या स निबटबाक कोनो उपाय नहि अछि। ओ एहि स बचबा लेल उपाय सेहो बतेलाह अछि। ओ कहला जे वैज्ञानिक कए आगू आबि कए बतेबाक चाही जे विकास लेल बेहतर पर्यावरण क जरूरत होएत।
हरिवंश कहला जे आइ दुनिया मे 720 करोड़ लोक रहैत अछि। जखनकि धरती क प्राकृतिक संपदा महज 200 करोड़ लोक लेल सीमित अछि। भारत क आबादी 2030 मे 130 करोड़ होएत जखनकि भारत लग दुनिया क महज 2.1 प्रतिशत भू-भाग अछि। आबादी क अनुसार फिलहाल हम दुनिया क 17 प्रतिशत आबादी छी। अनुमान क अनुसार पानी, पेट्रोल, कोयला सन संसाधन महज 47 साल तक चलत। एहन मे बढ़ैत आबादी लेल खाद्यान्न आ अन्य संसाधन कतए स आउत।
ओ कहला जे महात्मा गांधी विकास क जाहि मॉडल क कल्पना केने छलाह ओहि मे भौतिक विकास स बेसी मानसिक शांति पर ज़ोर छल। गुलामी क पहिल जंजीर भौतिक सुख होइत अछि। गांधी की आर्थिक नीतिक चर्च करैत हरिवंश कहला जे हुनकर आर्थिक मॉडल मे लोक आर्थिक रूप स स्वतंत्र होइत छल। आइ दुनिया पूंजीवाद क चंगुल मे फंसल अछि, गांधीक आर्थिक नीति ओहि समय मे भारत समेत दुनिया क कईटा देश कए गुलामी स मुक्त हेबाक बाट देखेने छल।
ओ कहला जे देश जखन आज़ाद भेल तखन गांधी स पत्रकार पूछने छल जे भारत कए विकास क ब्रिटेन मॉडल होएत बा कोनो आओर मॉडल अहां लग अछि। तखन गांधी ब्रिटेन क विकास मॉडल कए खारिज़ क देने छलाह। गांधी कहने छलाह जे आइ ब्रिटेन क आबादी महज एक करोड़ अछि। ओ दुनिया क कईटा देश कए गुलाम बनाकए ओहिठाम क संसाधन छीन लेलक। भारत क आबादी आज़ादी क समय 30 करोड़ अछि, अगर भारत ब्रिटेन क विकास मॉडल पर चलत त ओकरा देश नहि बल्कि ग्रह आ आकाशगंगा तक कए गुलाम बनेबाक जरुरत पडत।
गांधी एकटा पत्र एहि संबंध मे नेहरू कए लिखने छलाह जाहि मे वो कहने छथि जे भारत क विकास मॉडल ओ अछि जाहि मे जनता कए आत्मनिर्भर बनेबाक क्षमता हो। जाहिमे गाम मे लोक खेती करै, पशुपालन करै, सहकारिता कए अपनाबै। शहर में औद्योगीकरण ककरो अधिकार आ पयार्वरण कए क्षति पहुंचा कए नहि हो। गांधी 1928 मे कहला जे आधुनिक सभ्यता क विशेष चरित्र इच्छा क अनंत बहुतायत अछि। बर्धा क आश्रम मे उल्लेखित गांधीक संदेश मे एकरा गांधी पागल दौड कहने छथि। हम बहुत फोटो खींचेबाक इच्छुक नहि रहैत छी, मुदा बर्धा मे हम ओहि संदेशक आगे ढार भ फोटो खींचेबाक इच्छुक भेल रही।
हरिवंश कहला जे आजुक वैज्ञानिक दुनिया कए प्रकृति दिस लौटबा लेल आग्रह क रहल छथि। ओ भले गांधी कए नहि जानैत हो मुदा गांधी जे बहुत पहिने सावधान क गेल छथि वैह बता रहल छथि। ओ कहला जे आइ विचार नहि बल्कि दुनिया कए तकनीक बदलि रहल अछि। इ ठीक नहि अछि। अगर अगिला सदी मे मानव समाज कए पहुंचेबाक अछि त गांधी असगर विकल्प छथि। अपन एक घंटा क संबोधन में करीब दू दर्जन स बेसी स्रोत क उल्लेख करैत हरिवंश कहला जे दुनिया मे एहि धरती कए बचेबा लेल जे जतए जेना कहल जा रहल अछि ओ ककरो नहि गांधी क कहल गप अछि आ इ साबित करैत अछि जे दुनिया लग एखन गांधी क कोनो विकल्प नहि अछि।
एहि स पूर्व हरिवंश मिथिलाक गौरवशाली इतिहास आ दरभंगा महाराजक योगदान पर प्रकाश देलथि। ओ कहला जे न्याय क एहि भूमि पर ज्ञान कण कण मे बसल अछि। एहि ठाम जे बौद्धक संपदा अछि ओ हमरा सब कए भविष्य निर्माण मे बहुत सहायक भ सकैत अछि। एकर अध्ययन आ संरक्षण क जरुरत अछि। दरभंगा मे इतिहास क बहुत धरोहर अछि। राज पुस्तकालय आ महाराजा कामेश्वर सिंह कल्याणी फाउंडेशन आइ देखबाक मौका भेटल। एहि दूनू लाइब्रेरी मे ज्ञान क खजाना भरल अछि। एहि स नव पीढ़ी कए सीखबाक चाही।
दरभंगा महाराजक चर्च करैत हरिवंश कहला जे ओ बीएचयू क छात्र छथि जाहिक स्थापना मे दरभंगा क महाराजाक भूमिका अहम रहल अछि। कलकत्ता आ अन्य शहर मे सेहो दरभंगा क योगदान देखाइत रहैत अछि। दिल्ली क लेडी हार्डिंड अस्पतालक चर्च करैत हरिवंश कहला जे ओकर निर्माण मे सेहो दरभंगा महाराजक दान देखबा लेल भेटल। आचार्य रमानाथ झा आ मिथिला मिहिरक पहिल संपादक विष्णुकांत झाक चर्च करैत हरिवंश कहला जे एहि प्रकारक लोक समाज मे हरदम जीवित रहैत अछि। अंत मे ओ इसमाद फाउंडेशन क व्याख्यानमाला क तारीफ केलथि। ओ कहला जे इसमाद जाहि प्रकार स एहि आयोजन कए पूरा केलक अछि एहिना शैक्षणिक संस्था सब मे सेहो कार्य हेबाक चाही। इसमादक टीम कए एहि लेल बहुत बहुत बधाई।