चीनी दार्शनिक यात्री फाह्यान अपन यात्रा वृतांत मे पाटलिपुत्र क एकटा अस्पताल क जिक्र करैत लिखने छल जे एतय भारत सहित विश्व क सुदूर कोना से लोग इलाजक लेल अबैत छल । सन् 1951 मे पटना स्थित कुम्हरार मे जे खुदाई भेल छल ओहि मे से एकटा माटिक मुहर भेटल छल जाहिमे ‘अरोग्य विहार’ लिखल छल जे संभवत: फाह्यान क कथन क पुष्टि करैत छल। 60क दशक मे जखन भारतीय राजनीति क युवा तुर्क पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अपन कोनो बीमारी क बेहतर इलाज लेल दिल्ली आएल छलाह त दिल्ली क चिकित्सक हुनका से कहने छलाह कि अहॉंक बेहतर इलाज बिहारे टा मे संभव अछि । बिहार 70क दशक तक एहि मामला मे अगुआ रहल । पटना मे मेडिकल पढाई लेल 1874 मे टेम्पल मेडिकल स्कूल खुलल त बंगालक बाद दोसर सबस पैघ अस्पताल 1886 मे दरभंगा मे खुलल । 200 बेड वाला ओ अस्पताल महिला लेल एकटा वरदान छल, किया कि नहि केवल ओहि मे अलग स महिला वार्ड छल बल्कि महिला चिकित्सक सेहो छलीह । बिहारक पहिल ऑपरेशन थियेटर वाला इ अस्पताल देशक पहिल एहन अस्पताल छल जे नि:शुल्क इलाजक देबाक नीति अपनेलक । शिक्षा क्षेत्र जेकां चिकित्साक क्षेत्र मे सेहो दरभंगा महाराजक उल्लेख आन ठाम सेहो भेटैत अछि । कलकत्ता मेडिकल कॉलेजक अलावा 1916 में लुटियन जोन मे लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज आ अस्पताल बनि चुकल पहिल सार्वजनिक अस्पताल क निर्माण क अधिकतम खर्च तिरहुत क महाराजा रमेश्वर सिंह उठौने छलाह । बिहार चिकित्साक क्षेत्र मे अगुआ भेलाक बावजूद कोना पछुआ गेल । बीमारी आ जनसंख्याक अनुरूप इलाजक व्यवस्था किया नहि बढल । देश मे सबस नीक इलाज केनिहार बिहार कोना असाध्य रोग स पीडित भ गेल । देश कए नि:शुल्क इलाजक कन्सेप्ट देनिहार बिहार क लोग आइ कोना दवाई आ जांच क नाम पर लूटल जा रहल छथि । बहुत रास एहने सवाल पर प्रकाश दैत प्रस्तुत अछि पत्रकार सुनील कुमार झा आ नीलू कुमारी क लिखल शोध परक आलेख ‘ बढैत गेल बीमारी, घटैत गेल इलाज – समदिया
प्राचिन काल मे विदेह, अंग आ मगध ई बिहार क तीन टा भाग छल । मगध आयुर्वेदिय चिकित्सा पद्धति क लेल शुरूए स विख्यात छल । पौराणिक कथा मे छल जे कृष्ण क पुत्र शाम्ब कए कुष्ठ रोग स मुक्ति क लेल विशेष सुर्य पुजा कैल गेल छल जाहि लेल विशेष रूप से मग ब्राह्मण कए बजाओल गेल छल जे शाम्ब कए कुष्ठ मुक्त केलाह । कालान्तर मे यैह मग ब्राह्मण बिहार क पटना, नालंदा आदि आदि जगह पर बसि गेल । मानल जाएत अछि जे यैह मग ब्राह्मण क कारण एहि प्रदेश क नाम मगध पड़ल । मगं धारयति इति मगध: । मौर्य साम्राज्यक सुत्रधार चाणक्य क कौटिल्य अर्थशास्त्र मे सेहो मरणोपरांत शव परीक्षा क उल्लेख भेटैत अछि जाहि स ई सिद्ध होएत अछि जे आयुर्वेद आ विकृतिविज्ञान ओ समय सेहो उन्नत छल ।
गुप्त साम्राज्य क काल मे सेहो एतौका चिकित्सा विज्ञान उन्नत छल । चन्द्र गुप्त विक्रमादित्य क दरबार मे धन्वन्तरि राजवैद्ध छलाह । पाटलिपुत्र मे हुनकर आरोग्य शाला धन्वन्तरि विहार आयुर्वेदक उत्कर्ष स्मारक छल । नालंदा विश्वविद्यालय मे रसशास्त्र क विशेष पढ़ाई होएत छल, ओकर खंडहर मे अखनो रसशासास्त्र क भट्टी देखार होएत छल । मिथिला आयुर्वेद क जनक कहल जाएत छल । आयुर्वेद क पहिल परीक्षा संस्कृत संजीवनी समाज दिस से लेल गेल जे बाद मे बिहारोत्कल संस्कृत समिति दिस स कैल गेल । राजकीय धर्मसमाज संस्कृत कॉलेज, मुजफ्फरपुर मे आयुर्वेद क विभाग स्थापित भेल, जतय प्राचीन प्रणाली से आयुर्वेद क शिक्षा विभाग स्थापित भेल । 1914 मे सर्वप्रथम प्रान्तीय वैद्ध सम्मेलन सेहो पटना मे भेल । उस्मानीया कमिटी क रिपोर्ट क आधार पर जखन 1925 मे आधुनिक पद्धति से आयुर्वेदीय शिक्षा क लेल मद्रास मे कॉलेज खुलल त बिहार सेहो एकरा स अछुता नहि रहल आ 1926 मे पटना मे राजकीय आयुर्वेदिक स्कूल आ राजकीय तिब्बी स्कूल क स्थापना भेल । मुगलकाल मे पटना हकीमी चिकित्सा क सबसे पैध केन्द्र छल । हकीम सैयद काजी हुसैन क नाम एतेक मशहुर छल कि मरीज दिल्ली से पटना हुनका स इलाज क लेल आबैत छल । हुनका मसीहे जहॉं क पदवी भेटल छल ।
पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति
मुगल क समय से ई मशहूर भए गेल छल जे पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति बहुत चमत्कारी छल किएक त मुगल सम्राट जहॉंगीर क काल मे एकटा अंगरेज चिकित्सक हुनकर महिलाक असाध्य रोग कए ठीक कए देने छलाह । एहि लेल भारत मे पाश्चात्य चिकित्सा क मांग बढ़ल । एहि मांग क देखैत 1835 मे भारत क पहिल मेडिकल कॉलेज कलकत्ता मे खोलल गेल, जतय चिकित्सा पद्धति क स्नातक स्तर क पढ़ाई शुरू भेल । कलकत्ता स रेलवे संपर्क रहला क कारण कलकत्ता क चिकित्सक पटना आबिकए अपन सेवा दिअ लागल । 1885 ई. क गजट मे एकटा सिविल असिस्टेन्ट सर्जन क पद लेल विज्ञापन आयल अछि जाहि से ई साबित होएत अछि जे ओहि समय मे एलौपेथिक डाक्टर क मांग ओहि समय मे हुए लागल छल । 1874 ई मे तत्कालिक अंगरेज गर्वनर सर रिचार्ड टेम्पल क नाम पर पटना मे एकटा मेडिकल स्कूल खुलल जेकर नाम टेम्पल मेडिकल स्कूल राखल गेल । ओहि समय एहि मे 165 विद्याथी पढ़ैत छल जेकरा मे तीन चौथाई मुश्लिम छल । पढ़ाई उर्दू जुबान मे होएत छल आ पढ़ाई पूरा केलाक बाद विद्यार्थी कए प्रैक्टीसक लेल लाइसेंस सेहो भेटैत छल। पढ़ाई क अवधि स्नातक पाठ्यक्रम स कम छल । ई स्कूल क प्राचार्य पटना क सिविल सर्जन होएत छल । टेम्पल स्कूल मे छोट सन एकटा अस्पताल सेहो छल । ओकरा बांकिपुर जेनरल हॉस्पीटल कहल गेल जे बाद मे पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल बनि गेल ।
1922 मे एहि स्कूल कए कॉलेजक दर्जा प्रदान कैल गेल। पटना मेडिकल स्कूल क स्थान पर मेडिकल कॉलेज क निर्माण लेल तिरहुत रियासत दिस स महाराज रामेश्वर सिंह नहि केवल 5 लाख टकाक आर्थिक मदद देलथि बल्कि दरभंगा हाउसक पश्चिमी भाग क 30 बीघा जमीन सेहो मेडिकल कॉलेज लेल दान केलथि । एहि दान स दरभंगा हाउसक ऐतिहासिक बगान इतिहास बनि गेल छल । एतबे नहि बाद मे महाराजा रमेश्वर सिंह अपन दोसर पुत्रक नाम पर देशक सबस उन्नत रेडियोलॉजी विभागक भवन आ उपकरण सेहो मेडिकल कॉलेज कए दान देलथि, जे पटना मेडिकल कॉलेज कए एशिया भरि मे सबसे उन्नत मेडिकल कॉलेज बना देलक । शुरू मे एहि कॉलेज मे 30 टा विद्यार्थी क प्रवेश भेल जाहि मे बेसगर कए अंग्रेज भेल बाद मे भारतीय लेल सेहो एकरा सुलभ कए देल गेल। फेर यैह कॉलेज क स्नातक चिकित्सक पूरा बिहार मे फैले लागल । बिहार सरकार दिस से इ चिकित्सक लेल एकटा संवंर्ग बनाओल गेल जे एकटा विशेष विभाग लेल काज करैत छल । वरिष्ठ चिकित्सक कए सिविल सर्जन बनाओल गेल आ कनीय चिकित्सक कए सिविल असिस्टेंट सर्जन बनाओल गेल।
आइ 1748 शय्या क एहि अस्पताल मे अलग से 220 शय्या क एकटा एमरजेंसी वार्ड सेहो अछि जे इंदिरा गांधी सेन्ट्रल इमरजेंसी क नाम से जानल जाएत अछि । पूरा भारत क मेडिकल कॉलेज मे एहि कॉलेज क स्थान 2015 क आंकड़ा क अनुसार 28म अछि । सौंसे भारत मे मेडिकल कॉलेज क इतिहास मे छठम पुरान मेडिकल कॉलेज अछि पहिल नंबर पर JIPMER, पोंडिचेरी (1823), कलकत्ता मेडिकल कॉलेज (1835), मद्रास मेडिकल कॉलेज, (1835), क्रिशिचयन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर (1900) आ किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनउ (1911) शामिल है ।
पटना स्थित टेम्पल स्कूल कए 1925 मे दरभंगा स्थानंतरित कैल देल गेल जे 1946 मे महाराजा कामेश्वर सिंहक आग्रह पर दरभंगा मेडिकल कॉलेज क रूप मे उत्क्रमित क देल गेल । कहल जाएत अछि जे पहिल मेडिकल शिक्षक क रूप मे सिलहट, आसाम क शिक्षक असगर अली खॉं कए नियुक्ति भेल छल।
दस्तावेजे कहैत अछि जे 1917 मे जखन पटना विश्वविद्यालय क स्थापना भेल छल तखने स एतय चिकित्सा विज्ञान क पढ़ाई क मांग जोर पकड़ै लागल छल । ओहि मांग कए देखैत 1925 मे जखन प्रिंस ऑफ वेल्स पटना आएल त पटना मेडिकल कॉलेज क नींव राखलक ओकर नाम प्रिंस वेल्स मेडिकल कॉलेज राखल गेल आ टेम्पल मेडिकल स्कूल कए लहेरियासराय दरभंगा स्थानातरित कैल देल गेल । पटना क टेम्पल मेडिकल स्कूल क सभटा भवन आ अस्पताल कए प्रिंस वेल्स अस्पताल मे स्थानान्तरित कैल देल गेल । बिहारक आधुनिक चिकित्सा विज्ञान क विकास आ विस्तार एतहि स भेल।
दरभंगा देलक देश कए पहिल नि:शुल्क चिकित्सा
1863 मे लिखित रियाज ए तिरहुत पुस्तक मे अयोध्या प्रसाद बहार लिखैत छथि दरभंगा मे महाराजा बहादुर क खर्चा से बनल एकटा अस्पताल अछि जाहि मे हजार से बेसी भयंकर बिमारी क इलाज अछि । एकर डॉक्टर कालीकुमार, जे सिविल सर्जन छथि मसीहाई इलाज करैत छथि । एहि अस्पताल क बाद लोग कम मरैत अछि एहि कस्बा क । फेर अफसोस करैत लिखैत छथि जे नीक लोग (अभिजात्य वर्ग ) क दवाई नहि खाएत अछि । डाक्टर क मोल नहि बुझैत अछि ।
1886 मे लिखित आईना ए तिरहुत मे बिहारी लाल फितरत साहेब लिखैत छथि जे राजा क खर्च से खास दरभंगा मे एकटा बहुत नीक आ अव्वल दर्जा क अस्पताल बनाओल गेल छल । एकरा बनेबा मे ओहि समय 24 हजार टका खर्च भेल छल। एकटा अस्पताल खड़गपुर जिला, भागलपुर मे सेहो बनाओल गेल छल ओकरा बनेबा मे 35 हज़ार टका खर्च भेल छल । फितरत साहेब लिखैत छथि जे ओहि समय मे ओ अस्पताल मे सभ तरह क मेडिकल औजार रहैत छलाह ।
दस्तावेज कहैत अछि जे 1886 मे दरभंगा क महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह दरभंगा मे एकटा अस्पताल क निर्माण केलाह जेकर नाम राज लेडी डेफरीन अस्पताल राखल गेल। अंग्रेजी चिकित्सा कए बढ़ावा देबाक लेल कलकत्ता क बाहर पहिल एहन अस्पताल छल जतय इलाज क लेल लोग अफगानिस्तान, नेपाल आ बांकि देश स अबैत छल। ओहि समय मे एतय इलाज क लेल उच्च श्रेणी क आधुनिक मशीन छल आ ओहि समय मे ई अस्पताल मे मुफ्त इलाज होएत छल। संभवत: निशुल्क इलाज क परिकल्पना यैह अस्पताल भारत कए देने छल। 1934 क भूकंप से ई अस्पताल कए सेहो क्षति भेल, एकर उपकरण सेहो क्षतिग्रस्त भ गेल। तत्कालीन महाराजा कामेश्वर सिंह ओहि अस्पताल क मरम्मत करवेलथि आ ओतय ऑपरेशन थियेटर स्थापित केलथि आ ओकर नब नाम देलथि लेडी बेल्डिगटन हॉस्पिटल। सन् 40 क दशक मे भारत मे उपलब्ध एहन कोनो चिकित्सीय मशीन नहि छल जे एतय नहि लगाओल गेल छल। वर्तमान मे एहि अस्पताल क नाम महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह मेमोरियल अस्पताल अछि। दिल्लीक तीनमूर्ति भवन में दरभंगा महाराजक उल्लेख हुनक शिक्षा आ स्वास्थ्य क क्षेत्र मे हुनक काज लैल भेल अछि। दरभंगा महाराज नहि केवल तिरहुत या बिहार मे अस्पतालक निर्माण मे आर्थिक मदद देलथि बल्कि नयी दिल्ली मे बनल पहिल अस्पताल सेहो दरभंगा महाराजक आर्थिक सहयोग स बनल अछि। दस्तावेज कहैत अछि जे 17 मार्च, 1914 कए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज क नींव रखल गेल आ फरवरी 1916 मे कॉलेज शुरू भेल। तिरहुत क आखिरी राजा डॉ सर कामेश्वर सिंह कए लिखल गेल एकटा पत्र मे ब्रिटिश सरकार एहि अस्पताल क निर्माण मे आर्थिक सहयोग लेल तिरहुत कए आभार प्रकट केलथि अछि।
1907 क गज़ट कहैत अछि जे ओहि समय दरभंगा मे 6 टा अस्पताल छल – दरभंगा क लेडी डफरीन अस्पताल, लेहरियासराय क बनवारी लाल अस्पताल, पुरूष आ महिला क अस्पताल मधुबनी, आ समस्तीपूर मे एकटा अस्पताल छल । एकर अलावा 13टा सार्वजनिक दवाखाना छल जे बहेरा, बेनीपट्टी, दलसिंह सराय, खजौली, मधुबनी, माधेपुर, मलमाल, नंदनी, नरैहया, नरहान, पुसा, रोसड़ा, सकरी आ ताजपुर मे छल । गज़ट मे लिखल अछि जे ओहि समय महाराज अस्पताल आ दवाखाना खोलबा पे खूब जोर देने छलाह, फलत: कैक टा अस्पताल आ दवाखाना खुलल, मरीज क उपचार करेबा क संख्या सेहो 1894 मे 117553 छल जे 1899 मे 130438 भए गेल छल आ 1904 मे 301536 भए गेल छल । गजट क अनुसार जो कहल जाए त दवाखाना क संख्या मे एक दसक मे 131 प्रतिशत वृद्धि भेल छल ।
अद्भुत अस्पताल
प्रथम विश्वयुद्धक मनोरोगी अंग्रेज सैनिकों आओर एंग्लो-इंडियन क लेल रांची स्थित कांके मे एकटा मानसिक अस्पताल क स्थापना कैल गेल । एकर पहिल मेडिकल सुपरिटेंडेंट कर्नल ओवेन एआर बर्कले-हिल छलाह । एकर दोसर सुपरिटेंडेंट जेई धनजीभाई क पहल पर 1925 मे भारतीय मानसिक रोगी कए सेहो एहि अस्पताल मे जगह भेटय लागल ।
अपन ख़ास चिकित्सा पद्धति आओर कैकटा कारण से ई भारते टा नहि अपितु दुनिया मे अपन ढंग क अनोखा मानसिक अस्पताल छल । एहिक मरीज़ नाटक करैत छल, फुटबॉल, हॉकी खेलते छल, गीत-संगीत का कार्यक्रम दैत छल, रांची क बाज़ार मे खरीदारी करैत छल, पिकनिक मनाबै जाएत छल आओर सर्कस-जादू, थियेटर क आनंद सेहो लैत छल । हिंदी, अंग्रेज़ी, उड़िया, बांग्ला आदि भाषा मे 10 से बेसी अख़बार आओर पत्रिका पढ़ाबैत छल ।
ब्रिटिश भारत मे खाली एहि पागलखाना मे एकटा पैघ आ नीक लायब्रेरी छल जाहिमे पढ़ाकू टाइप क मानसिक रोगी विश्व साहित्य मे माथ घुसेने रहैत छल । साल 1925-29 क बीच रांची क सभटा खेल क्लब कए हराकए एतूका मानसिक रोगी फुटबाल आओर हॉकी क सभटा टूर्नामेंट मैच जीत लेने छल । चालीस क दशक मे जखन देश मे बहुत कम सिनेमाघर छल तखन कांके क मानसिक अस्पताल क पास मार्च 1933 मे सेहो अपन प्रोजेक्टर, प्रशिक्षित ऑपरेटर और सिनेमा हॉल छल । ब्रिटिश भारत मे ई असगर शिक्षण संस्थान छल जे लंदन विश्वविद्यालय से एफिलिएटेड छल अओर मनोचिकित्सा मे पोस्टग्रेजुएट क डिग्री दैता छल । तखन भारत क कोनो विश्वविद्यालय मे पोस्टग्रेजुएट पढ़ाई क व्यवस्था नहीं छल । देशक ‘पागलों क पहिल डॉक्टर’ यानी मनोचिकित्सक (डॉ. एलपी वर्मा, पोस्टग्रेजुएट मनोचिकित्सक, एमडी) यैह संस्थान देलक । ओ मनोचिकित्सा मे डॉक्टर ऑफ मेडिसिन क डिग्री लेनिहार भारत क पहिल व्यक्ति छल । स्वतंत्र भारत मे मानसिक रोग संबंधी पहिल केंद्रीय नीति ‘मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987’ ओहि ड्राफ्ट पर आधारित छल जेकरा रांची मनोचिकित्सा संस्थान क डॉ. डेविस 1949 में लिखने छल ।
ब्रिटिश दस्तावेज क अनुसार पहिल सरकारी पागलखाना बिहार क मुंगेर मे 17 अप्रैल 1795 को खोलल गेल । एहिक बाद पटना क बांकीपुर मे गंगा कात मे 1821 मे अविभाजित बिहार का दोसर पागलखाना शुरू भेल ।
1948 मे क्लीनिकल साइकोलॉजी एंड इलेक्ट्रोनसाइकोग्राफी विभाग खुला । 1948 मे देश में पहिल बेर एतय साइको सर्जरी आ 1952 मे न्यूरोपैथोलॉजी की शुरुआत सेहो एतय भेल छल ।
मंदिर क टका स स्वास्थ्य क काज
आचार्य कुनाल किशोर लग जखन पटना क महावीर मंदिर क कार्यभार आएल त ओ एकर आय क सदुपयोग करबाक लेल प्रयासरत रहल । पटना क प्रमुख चिकित्सक संगे मिलिकए 2 जनवरी, 1988 मे जे महावीर आरोग्य संस्थान क छोटा सन बिरवा किदवईपुरी मोहल्ला मे प्रारंभ भेल छल, आय ओ राज्यक आधुनिकतम अस्पताल मे एक छल । महंग चिकित्सा केना गरीब आदमी कए सेहो न्यूनतम खर्च पर भेटय एकर उदाहरण अछि ई अस्पताल । 4 दिसम्बर, 2005 कए द्वारकापीठ क शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती एकर 60 बिस्तर से युक्त नब अस्पताल परिसर का उद्घाटन केलक । मंदिर प्रशासन चढ़ावा क राशि क सदुपयोग करैत फुलवारीशरीफ मे आधुनिकतम तकनीकी सुविधा से युक्त कैंसर अस्पताल सेहो प्रारंभ केलथि । एहिना मातृत्व-शिशु कल्याण कए ध्यान मे राखिकए 250 बिस्तर से युक्त अस्पताल क निर्माण योजना बनल आओर शुरुआती चरण मे 38 बिस्तर बला मातृत्व-शिशु वात्सल्य अस्पताल क नींव 1 अप्रैल, 2006 कए मुख्यमंत्री नीतिश कुमार राखलथि । मात्र 20 टका पंजीकरण शुल्क, आ 100 टकाक बिस्तर शुल्क आओर 4 से 5 लाख टका खर्च बला आपरेशन एतय मात्र 15 से 25000 रुपए भए जाएत छल।
भोरे कमिटि बनल वरदान
स्वास्थ्य संबंधी जरूरत क आंकलन आ जरूरत पूरा करबाक लेल कैक टा कमिटी क गठन केलक जाहि मे भोरे कमिटी आ मुदालियर कमिटी प्रमुख छल । 1943 सर जोसेफ भोरे क अध्यक्षता मे बनल ई कमिटी बिहार क चिकित्सा जगत लेल वरदान बनिकए आयल । 1946 मे जखन ई अपन रिपोर्ट देलक त ओहि मे पहिल सुझाव ग्रामीण क्षेत्र मे चिकित्सा क लेल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र क स्थापना छल ।
अपन तीन सालक सर्वे क बाद ओ बतेलक जे जों भारत क स्वास्थ्य सेवा क नीक केनाय अछि ते एतय एकटा एहन योजना बनाबै पड़त जे भारतक स्वास्थ्य आ स्वच्छता क बढ़ावा दए सकय । कमिटी अपन रिपोर्ट मे पाओलक जे मृत्यु दर बहुत बेसी अछि, औसत आयु मनुष्य क मात्र 27 साल छल, कैक तरह क बिमारी छल जेकर इलाज अखैन धरि नहि आएल छल । सभटा देखलाक बाद ओ अपन गाईडलाईन जे देलक ओहि मे छल जे पायक अभाव मे कोनो बच्चा कए चिकित्सा सेवा स मरहूम नहि होमय पड़य । आवश्यक मेडिकल सुविधा सभकए भेटेय। कमिटी जे अपन मिनिमम आवश्यकता जे बतेलक ओ छल हरेक एक लाखक आबादी पर 62 टा डॉक्टर्स, 151 टा नर्स, 567 शय्या बला अस्पताल ।
कमिटी ग्रामीण स्तर पर दू टा पीएचसी निर्माण क योजना बतेलक, शॉर्ट टर्म आ लॉग टर्म । शॉट टर्म मे हरेक 40 हजार क आबादी पर 2 टा सर्जन, 2 टा फिजिशियन, 2 टा मिडवाईफ, 1 टा नर्स, 4 टा प्रशिक्षित दाई, 2 टा सेनेटरी इंस्पेक्टर, 2 टा हेल्थ असिस्टेंस, 1 टा फॉर्मासिस्ट आ 15 टा फोर्थ ग्रेड क कर्मचारी क जरूरत बतोउलक । आ लॉंग टर्म का योजना मे प्रत्येक 10 हजार से बीस हज़ार क आबादी पर 75 शय्या बला स्वास्थ्य उपकेन्द्र खोलबा क बेगरता बतेलक जाहि मे कम से 6 टा फिजिशियन आ 6 टा सर्जन होए 2 टा सेनेटरी इंस्पेक्टर, 2 टा हेल्थ असिस्टेंस, 6 टा मिडवाइफ, 25 टा मेड, 10 टा सुपरवाइजर, 10 टा गायनाकॉलोजिस्ट, 20 टा दाय, 6 टा मलेरिया क विशेषज्ञ आ 4 टा टीबी क विशेषज्ञ होए । एहन हरेक 60 टा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मिलाकए 1 टा रेफरल अस्पताल वा जिला अस्पताल होए । एकटा जिला अस्पताल मे 2500 शय्या, 269 टा डॉक्टर, 625 टा नर्स, 50 टा हॉस्पीटल सोशल वर्कर आ 723 टा साधारण वर्कर । 300 मेड, 350 टा सुपरिटेंडेंट, 300 प्रसुति विभाग क चिकित्सक, 300 कुष्ट आ 54 टा टीबी क विशेषज्ञ, 400 मानसिक रोगी क विशेषज्ञ, आ 250 दाय क नियुक्ति होए ।
ओहि कमिटी क आग्रह पर ही तहिया से प्रत्येक 40000 क आबादी पर एकटा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र क निर्माण हुए लागल। चिकित्सक क कमी क देखैत प्रत्येक पचास लाख क आबादी पर एकटा मेडिकल कॉलेज क स्थापना क सुझाव देल गेल जेकरा मे कम से कम सौ विद्यार्थी क प्रवेश भए सकय । भोरे कमिटी क एहि सिफारिस क देखैत बिहार मे 8 टा मेडिकल कॉलेज खोलल गेल पटना मे नालन्दा मेडिकल कॉलेज क साथ दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, रांची, जमशेदपुर, आ धनबाद मे मेडिकल कॉलेज क स्थापना भेल । जाहि मे प्रत्येक साल 650 छात्र एमबीबीएस क डिग्री प्राप्त करय लागल।
सबहक लेल स्वास्थ्य
साल 1978 मे भारत सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन क सहयोग से ‘’सबके लिए स्वास्थ्य’’ कार्यक्रम क शुरूआत केलक । एहि सेवा क तहत सुदूर गाम धरि स्वास्थ्य सेवा क विस्तार कए साकार केनाय छल । न्युनतम आवश्यकता कार्यक्रम क देखैत हरेक पांच हजार क आबादी पर एकटा स्वास्थ्य उपकेन्द्र बनाओल गेल । हरेक तीस हजार क जनसंख्या पर जे स्वास्थ्य केन्द्र बनाओल गेल छल ओहि मे चारि टा मौलिक चिकित्सक पदस्थापित रहत ई प्रावधान कैल गेल । संगे प्रत्येक एक लाख बीस हज़ार क आबादी पर तीस शय्या बला रेफरल अस्पताल क निर्माण केनाय छल जतय कम से कम चारि टा विशेषज्ञ (एकटा सर्जन, एकटा फिजिशियन, एकटा शिशुरोग विशेषज्ञ आ एकटा प्रसुति रोग विशेषज्ञ ) क सेवा उपलब्ध कराओल गेल । एहि क अलावा अनुमण्डल अस्पताल आ जिला अस्पताल मे सेहो विशेषज्ञ क भर्ती करल गेल । मेडिकल कॉलेज आ अस्पताल क सभटा आधुनिक यांत्रिक उपकरण स सुसज्जित कैल गेल जाहि स आधुनिक स आधुकिन चिकित्सा उपलब्ध कराओल जाए । एहि क बाद बिहार मे चिकित्सा क सेवा मे दिन दुना राति चौगुना तरक्की भेल ।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान मे बिहार मे 9 टा मेडिकल कॉलेज, 25 टा जिला अस्पताल, 22 टा सब डिविजन अस्पताल, 70 टा कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, 533 टा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1243 टा अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र, आ 8858 टा सब-सेन्टर अछि । ( आंकड़ा मार्च 2007 धरि कए अछि )
प्रत्येक 10 हजार क आबादी पर 1 टा मेडिकल ऑफिसर अछि जेकर संख्या 5124 अछि ओतहि प्रत्येक 2500 क आबादी पर एकटा ए एन एम अछि जेकर संख्या 11294 अछि । एहिना संविदा पर 1763 डॉक्टर, 3900 स्टॉफ नर्स, 6000 एएनएम नर्स, 477 टा हेल्थ मेनेजर, 533 टा ब्लॉक अकांउटेट, आ 69124 आशा नर्स अछि ।
IPHS क अनुसार बिहार मे कम से कम 18 टा मेडिकल कॉलेज हेबाक चाही जे अखैन 9 अछि । ई नौ टा मेडिकल कॉलेज मे हरेक साल 510 टा एमबीबीएस आ 100 स्पेस्लिस्ट निकलैत अछि जे IPHS क आंकड़ा अनुसार 1264 आ 540 हेबाक चाही ।
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