लहेरियासराय क बेलवागंज स एन.एस.डी आ फेर सिंगापुर तक मे अपन अभिनय स लोहा मनेनिहार श्याम साहनी आय अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकल छथि । एकटा छोट जगह स निकली कए एहन मुकाम छुनाय खाली मिथिले लेल गौरव क गप नहि अछि । एन.एस.डी पासआउट श्याम साहनी क मा-पिताजी अखनो बेलवागंज मे माछ बचैत छथि । मिथिला क एहि लाल स इसमाद लेल गप केलथि अछि संपादक(शोध) सुनिल कुमार झा । प्रस्तुत अछि हिनकर गपशप क किछु खास अंश ।
प्रश्न – बेलवागंज स सिंगापुर क सफर ! केहन लागि रहल अछि ।
उत्तर – उत्साहित छी । पहिल बेर एहन तरहक आयोजन मे भाग लेलहूँ अछि ताहि लेल किछु डरल जरूर रही मुदा जोश मे कोनो कमी नही रहल ।
प्रश्न – सिंगापुर कोना जाएब भेल । एतेक लोक मे अहेँक चयन ?
उत्तर – एशिया पेसिफिक थियेटर ब्यूरो क तत्वाधान मे हरेक साल एकटा रंग महोत्सव होएत अछि जाहि मे एशिया क लगभग सभ देश शामिल होएत अछि । एहि मे भारत दिस से हमहूँ गेल रही । एन.एस.डी क डाइरेक्टर वामन केन्द्रें क टीम संगे हम गेल रही । हमर नाटक क नाम छल ‘’साईलेंट स्पीच’’ । इ एकटा मूक नाटक छल जाहि मे हमरा संगे आर चाहि गोटे काज केने छल । एहि नाटक क बहुत वाहवाही भेटल छल ।
प्रश्न – अपना बारे मे किछु बताउ ?
उत्तर – दरभंगा जिला क बेलवागंज क एकटा छोट परिवार स हम आबैत छी । हम पिताजी अखनो माँछ बेचैत छथि । पढ़ाई लिखाई दरभंगा स भेल । जिला स्कूल दरभंगा स दसमा पास केलहूँ तकर बाद सी.एम. साईन्स कॉलेज स जूलोजी ऑनर्स केलहूँ । फेर फाईन आटर्स मे एम.ए केलहूँ । एहि बीच एन.एस.डी. लेल हमर चयन भए गेल । आ हम दिल्ली आबि अभिनय क बारिकी सीखए लगलहूँ ।
प्रश्न – एकटा जूलोजी ऑनर्स कए अभिनय दिस रूझाण कोना भेल ?
उत्तर – बचपने स हम कलाप्रेमी छलहूँ मूर्तिकला आ चित्रकला दिस हमरा बेस रूझाण छल । फेर कॉलेज एलहू त कॉलेज क यूथ फेस्टीवल मे अभिनय दिस जूड़ान भेल । नियमित रूप से हम यूथ फेस्टीवल लेल काज कर लागलहूँ । कैकटा प्राईज सहो जीतल । 2010 मे नेशनल यूथ फेस्टीवल लेल हमरा अवार्ड सेहो भेटल छल । एहि बीच कैक टा रंगमंडल संग काज करबाक मौका भेटल । दरभंगा क ‘’थियेटर यूनिट’’ आ बेगुसराय क ‘’आकाशगंगा रंग चौपाल’’ स जुड़ि कए कैक टा थियेटर केलहूँ । फेर 2011 मे एन.एस.डी लेल सेलेक्शन भेल आ हम दिल्ली चलि एलहूँ ।
प्रश्न – अहाँ हिन्दी आ मैथिली मे बहुत रास प्ले केने छी । दूनू मे अंतर की बुझाएल ?
उत्तर – हमरा जनैत संस्कृत नाट्य परंपरा क बाद सबसे बेसी पुरान नाट्य परंपरा मैथिली अछि । तखन अहाँ खुद अंदाजा लगा सकैत छी जे मैथिली नाटक क परंपरा कतेक सशक्त आ समृद्ध अछि । हिन्दी आ मैथिली मे जे सबसे बेसी अंतर हमरा बुझाएल ओ अछि संसाधनक क कमी । प्रयास कैल जाएत अछि मुदा सफलता ओहि अनुरूप नहि भेटल जाही क अपेक्षा कैल जाएत अछि । देश भरि मे मैथिली क एतेक रंग संस्थान भेला बादो अखैन धरि मैथिली भारंगम (भारतीय रंग मंच ) मे शामिल नहि भए सकल । इ दुख:क गप अछि । हम सभ सेहो एहि प्रयास मे दिन रात लागल छी जे मैथिली सेहो अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनबे ।
प्रश्न – रंगमंच आ रंगमंच क दर्शक लेल कोनो संदेश ।
उत्तर – रंगमंच क आ दर्शक दूनू लेल कहय चाहब मैथिली समृद्ध भाषा अछि आ एकर नाटक सेहो दमदार होएत अछि । कतहूँ भी अगर थियेटर मे मैथिली नाटक क मंचन होएत अछि त अहाँ जरूर देखू । अहाँ देखब तखने नाटक क विकास होएत । मैथिली संगे एकटा पैघ समस्या अछि – लोग जे कियो एकटा लकीर खीच दैत अछि त सभ कियो ओकरा मेटबा मे लागल रहैत अछि । जरूरत अछि ओहि लकीर क पैघ करबा क । जहिया अहाँ लकीर पैघ करय मे लागि जाएब तहिया निश्चित मैथिली रंगमंच सेहो समृद्ध होएत एकर हम भरोषा दैत छी ।
अंत मे
इसमाद स गप करबाक लेल बहुत –बहुत धन्यवाद ।
अहूँक सम्पूर्ण टीम कए धन्यवाद ।
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