ज्योति श्रीवास्तव
वर्ष 2016 क पंचायत चुनाव क प्रक्रिया चलि रहल अछि। किछु समय बाद नव पंचायत गठित भ जायत। जिला परिषद सन कईटा संस्था क पुनर्गठन भ जायत, मुदा एहि बेर वर्ष 2011 क चुनाव क बाद सरीखा दृश्य कम देखबा लेल भेटत। जे महिला पांच साल तक पंचायत क बागडोर सम्हारि चुकल छथि आ अपन पति क दखलंदाज़ी मे काज केने छथि ओ आब अपन सोच स विकास क बागडोर सम्हारबा लेल तैयार छथि। हालांकि आजुक समय मे ई शत प्रतिशत नहि अछि आ पति क दखल स पूर्णरूपेण मुक्त हेबा मे समय लागत, मुदा 2011 क मुक़ाबला मे एहि बेर महिला बेसी सबल बनिकए सत्ता सम्हारबा लेल तैयार देखा रहल छथि।
बिहार देश क एहन पहिल राज्य छल जाहि ठाम पंचायत चुनाव मे महिला लेल 50 फीसदी आरक्षण क व्यवस्था लागू भेल छल। सीएम नीतीश कुमार लेल इ एकटा एहन सपना छल जेकरा पूरा करब हुनका लेल बहुत पैघ चुनौती छल। बिहार मे एकरा महिला सशक्तीकरण क दिशा मे मील क पाथर कहल जाइत अछि। हालांकि देश क कईटा राजनीतिक पंडित तखन आशंका जतौने छलाह। महिला सशक्कतीकरण क मामला मे कोनो पैघ सफलता क उम्मीद स बहुत सहमति नहि जताउल गेल छल। एकर पाछु तर्क छल जे बिहार मे महिला क शिक्षा आ साक्षरता दर काफी कम छल। विश्लेषक क मानब छल जे आरक्षण क फायदा महिला कए नहि भेटत, बल्कि पुरूष हुनकर कान्ह पर बंदूक राखिकए चलौताह। एहि तरह इ आरक्षण छलावा साबित होएत। राजनीतिक पंडित क दलील शुरूआती साल मे सही साबित भेल। मुदा जेना जेना समय बीतल बिहार मे महिला आरक्षण क दाह स ग्रामीण क्षेत्र मे बदलाव देखबा मे अबैत गेल। इ नज़ारा विकास क किछु कम मुदा महिला क उभरैत राजनीतिक ताक़त आ सूझबूझ क रूप मे बेसी देखबा लेल भेटल।
वर्ष 2011 क पंचायत चुनाव मे 50 फीसदी महिला मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, वार्ड सदस्य इत्यादि पद लेल प्रत्याशी बनिकए चुनाव मैदान मे उतरलथि। पंचायत चुनाव प्रचार क दृश्य किछु एहन छल जेकरा देखि कए एक बेर त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क फैसला पर कोफ्त भेल। अगर कोनो महिला किरण देवी कोनो पंचायत स मुखिया प्रत्याशी बनलथि त हुनकर चुनाव प्रचार तक हुनकर पति अपन नाम स करैत छलाह। पति क नाम आ पतिक पहचान क बिना महिला प्रत्याशी क पहचान गौण छल। अधिकतर पंचायत मे त महिला प्रत्याशी अपन चुनाव प्रचार सेहो अपने नहि केलथि आ जीत कए मुखिया सन पद पर आबि गेलीह। चुनाव परिणाम एलाक बाद त स्थिति आओर हास्यास्पद भ गेल।
बिहार मे ‘एमपी०’ आ ‘एसपी०’ नाम क दूटा नव अघोषित किंतु पॉवरफुल पद अस्तित्व मेेे आबि गेल। पहिने एमपी क मतलब सांसद आ एसपी क मतलब पुलिस अधीक्षक होइत छल, मुदा गाम में ‘एमपी०’ क अर्थ ‘मुखिया पति आओर ‘एसपी०’ क मतलब ‘सरपंच पति भ गेल। इ एमपी आ एसपी मुखिया आ सरपंच क बदला मे लगभग सब काज करैत छलाह। हद त तखन भ जाइत छल जखन ग्राम सभा स लकए प्रखंड स्तरीय जन प्रतिनिधि क सम्मेलन मे सेहो एमपी आ एसपी प्रतिनिधित्व करैत छलाह। इ हालात केवल अनपढ़ महिला संग नहि छल बल्कि अधिकतर महिला संग छल। पढ़ल लिखल महिला सेहो बस दस्तखत तक जन प्रतिनिधि क रूप मे करैत छलीह। बाकी क अधिकतर काज हुनकर पति करैत छलथि। कई बेर बिहार क सीओ-बीडीओ आ डीएम सरीखे अधिकारी तक एहि व्यवस्था कए मौन स्वीकृति द चुकल छथि। एहन मे पंचायत मे महिला आरक्षण बस छलावा साबित भ चुकल छल।
महिलाक बीच सेहो धीरे धीरे इ चर्च बनल जे आखिर हम सब कहिया ढार होयब। धीरे-धीरे स्थिति मे बदलाव आयल। कईटा जिला स एहन उदाहरण सामने आयल जखन महिला मुखिया आ सरपंच अपन जन प्रतिनिधि हेबाक जिम्मेदारी निभेबा लेल कुर्सी पर बैसलथि। अपने अपने क्षेत्र मे विकास क काज शुरु केलथि आ अपन पति आ घर क दखलअंदाजी सिमित बा खंत्म केलथि। अनपढ़ पंचायत प्रतिनिधि महिला सब सेहो घर क चहारदीवारी स निकलि पंचायत भवन तक पहुंचलथि आ काज मे रूचि लेलथि। कईटा महिला कए एकर ख़ामियाजा सेहो भुगतए पड़ल। हुनका घर आ पति क प्रताडऩा सहए पडल, मुदा ओ झुकली नहि, टूटली नहि। एहि बेर एहन महिलाक संख्या काफी भ चुकल अछि। बिहार मे बदलाव क झलक साफ देखा रहल अछि। पति क फैसला पर महिला सवाल उठा रहल छथि। हस्ताक्षर करबा स पहिने पूरा मामला कए बुझबा लेल समय मांगी रहल छथि। केस स्टडी आ समस्या क पड़ताल क रहल छथि।
आखिरकार ओ महिला जे कहियो ग्राम सभा क बैसार मे नहि अबैत छलीह से आब सभाक अध्यक्षता क रहल छथि। प्रखंड आ जिला स्तरीय सम्मेलन मे महिला जन प्रतिनिधि क रूप में शामिल भ रहल छथि। अपन सूझ बूझ स आवाज़ बुलंद क रहल छथि। पंचायत क विकास मे महिला क भागेदारी धीरे धीरे देखा रहल अछि। राजनीतिक रूप स ग्रामीण बिहार क महिला सबल आ सक्षम भ रहल छथि। एहि स आब कियो इनकार नहि क सकैत अछि। हालांकि इ परिवर्तन एहन शत प्रतिशत नहि कहल जा सकैत अछि आ राजनीतिक पशिक्षण एकटा सतत क्रिया छी जे कालांतर मे आओर मजबूत आ प्रखर रूप मे देखबा लेल भेटत। आजुक परिस्थिति मे एतबा त कहल जा सकैत अछि जे एहि बेर बिहार मे पंचायत चुनाव क उपरांत एमपी आ एसपी क भूमिका आओर सिमित होएत, किया त एकर झलक चुनाव प्रचार मे देखबा मे भेट रहल अछि। एहि बेर महिला क ऊपर पतिक नाम त देखा रहल अछि, मुदा दृश्य कम होइत जा रहल अछि। एहि स उम्मीद क एकटा किरण जगैत अछि जे एक दिन जरुर महिला सशक्तीकरण क इ जनप्रतिनिधि मिसाल पेश करतथि।