मिथिला प्रकृतिपूजक संस्कृति रहल अछि। ई इलाका शाक्त साम्प्रादाय क इलाका रहल अछि। जे साम्प्रदाय सबसे पहिने महिलाक महत्व कए चिन्हलक आओर उपासना क अधिकार टा नहि बल्कि पुरोहित क काज मे सेहो महिला क सहभागिता शामिल केलक । सनातन हो, बौद्ध हो वा फेर जैन, मिथिलाक महिला सब ठाम अपन एकटा खास महत्व रखैत छथि। हम आम तौर पर सीता, गार्गी, आओर मैत्री क चर्च करैत छलहूँ, मुदा ठेरिका, मल्लिनाथा आओर बौद्ध धर्म वा जैन धर्म मे मिथिलानी कए नजरअंदाज कए दैत छी। एना नहि अछि, जैन धर्मांवली क 19म तीर्थंकर मिथिला क बेटी छलीह। बौद्ध धर्म मे सेहो मिथिलाक कईकटा बेटी अपन महत्वपूर्ण जगह बनेलीह। जतय धरि सनातन धर्म क सवाल अछि न्याय, धर्म आ साहित्य आदि विषय पर मिथिलाक बेटी क अपन एकटा अलग नजरिया हमेशा देखबा लेल भेटैत अछि । मिथिलाक राजनीतिक वजूद मे सेहो मिथिलानी क योगदान महत्वपूर्ण अछि। एक स बेसी बेर महिलानी मिथिला क सिंहासन पर बैसि चुकल छथि। इसमाद मिथिलाक महिला पर एकटा पूरा श्रृंखला अहाँक सोझा राखय जा रहल अछि। एक माह धरि हम अहाँ कए मिथिलाक ओ तमाम महिला क संबंध मे बतायब जे धर्म, राजनीति आओर समाज क निर्माण, विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभौने छथि। हम ओ महिला क बारे मे अहाँ कए जानकारी देब जे नहि खाली मिथिला बल्कि विश्व स्तर पर अपन नाम स्थापित केलथि आओर धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक दिशा कए नब ठेकान देलथि।प्रस्तुत अछि एहि इसमाद क शोध संपादक सुनील कुमार झाक एहि श्रृंखला क खास प्रस्तुति। ई जे एकटा मिथिलानी छलीह – समदिया
मल्लिनाथा
मल्लिनाथा, मिथिलाक राजा कुम्भा, महारानी प्रजावती क पुत्री आओर मिथिला क राजकुमारी छलीह । आगाँ चलिकए मल्लिनाथा जैन धर्म क उन्नीसम तीर्थंकर बनलीह । मल्लिनाथा जैन धर्म क इकलौती महिला तीर्थंकर छलीह जे महावीर स पहिने क छलीह । मल्लिनाथा क जन्म मिथिलाक इक्ष्वाकु राजवंश मे मार्गशीर्ष क शुक्ल पक्ष क एकादशी कए अश्विनी नक्षत्र मे भेल छल । हिनकर माता क नाम रक्षिता देवी छलथि ।
मल्लिनाथा मिथिला मे मार्गशीर्ष मास कए शुक्ल पक्षक एकादशी तिथि कए दीक्षा प्राप्ति केने छलीह । दीक्षा प्राप्ति क दू दिन बाद खीर स ई प्रथम पारण केने छलीह । एहिक उपरान्त एक साल धरि दिन-राति कठोर तप केलाक बाद भगवान मल्लिनाथा कए मिथिले मे अशोक वृक्ष क नीचा ‘कैवल्य ज्ञान’ क प्राप्ति भेल । हिनकर देहक वर्ण नीला, जखनकि चिह्न कलश छल । मल्लिनाथा क यक्षक नाम कुबेर आओर यक्षिणी क नाम धरणप्रिया देवी छलथि । जैन धर्मावलम्बी क अनुसार मल्लिनाथाक गणधरक कुल संख्या 28 छल, जेकरा मे अभीक्षक स्वामी हिनकर प्रथम गणधर छलथि ।
मल्लिनाथा सदिखन सत्य आओर अहिंसा क अनुसरण केलथि अओर अनुयायी क सेहो यैह राह पर चलबाक सन्देश देलथि । फाल्गुन मासक शुक्ल पक्ष क द्वितीया तिथि कए 500 साधू क संग ई सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त केलथि । जैन धर्मावलंबी क अनुसार हिनकर प्रतीक चिह्न- कलश, चैत्यवृक्ष- कंकेली (अशोक), यक्ष- वरुण, यक्षिणी- जया छलथि ।