गजानन मिश्र
एकटा छल नाथपुर । सुपौल जिला के छातापुर सँ उत्तर और बलुआ बाज़ार सँ दक्षिण तथा प्रतापगंज सँ पूरब,अररिया जिला के नरपतगंज सँ पश्चिम। एकर पुरबी कात मे जे धार बहैत छैक,तकरा सुरसर के नाम सँ जानल जाईत अछि। वर्तमान मे नाथपुर और एकरा सँ सटल साहेबगंज,राजगंज ग्रामीण क्षेत्र अछि, मात्र राजस्व मौजा। मुदा नाथपुर लगभग 150 वर्ष पहिने धरि तत्कालीन सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, पुरनिया, कटिहार, किशनगंज, खगरिया, नौगछिया तथा एहि सँ लागल नेपाल तराई क्षेत्र के सभ सँ पैघ बाज़ार छल। ओहि समय मे कोसी नदी सुरसर बाटे बहैत छलीह। नाथपुर कोसी नदी के पश्चिमी कात मे स्थित छल। फ्रांसिस बुकानन के पुरनिया रिपोर्ट 1809-10 सँ जानकारी भेटैत अछि जे तत्कालीन पुरनिया जिला के सभ सँ पैघ बाज़ार नाथपुर छल, जतय तत्कालीन बंगाल सूबा के प्रतिष्ठित व्यापारी जगत सेठ के कोठी सेहो छल। एतय अंग्रेजी हाकिम,निलहा साहेब,शोरा के कोठीवाल आदि सभ रहैत छलाह। पुरनिया जिला के पहिल पक्का मकान एहि ठाम छल। वर्तमान निर्मली सँ ल’ पुरनिया धरि तथा नेपाल तराई के धान,चाउर,सरिसो,घी,शक्कर, माछ, नील, शोरा, लकड़ी, नेपाली दवा-जड़ी-बूटी, आदि नाथपुर मे 2000 हज़ार मन के नाव पर लादि कोसी नदी के मार्गे कलकत्ता पठाओल जाईत छल एवं एहिना कलकत्ता सं आयात होईत छल। तत्कालीन तिरहुत के परगना यथा-नरसिंहपुर कुढा, मल्हनी, नारेदीगढ़, कब्खंड और उत्तराखंड के लेल नाथपुर मुख्य navigation केंद्र तथा प्रमुखतम बाज़ार छल। एही नाथपुर मे फ्रांसिस बुकानन कोसी नदी मे माछ के सर्वे 1807-8 मे कयने छलाह जाहि मे हुनका 132 प्रकार के माछ कोसी नदी मे भेटलनि।
ई नाथपुर एकटा परगना सेहो छल। एकर उल्लेख परगना के रूप मे आइन-ई-अकबरी मे अछि। अंग्रेजी शासन काल के शुरू मे पुरनिया जिला मे नाथपुर परगना छल। ओना एहि सं पहिने नाथपुर परगना सूबा बिहार के सरकार मुंगेर के शासन के अंतर्गत छल जकरा सँ सूबा बंगाल के सरकार पुरनिया के फौजदार सैफ खान नाथपुर 1722 ई मे छीन क’ एकरा पुरनिया मे मिलौलनि।
नाथपुर 19 वी सदी धरि तत्कालीन बंगाल सूबा के एक व्यस्ततम राजमार्ग अवध-तिरहुत-पुरनिया- बंगाल पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव छल। तिरहुत के राजधानी दरभंगा सं झंझारपुर- मधेपुर-परसरमा- प्रतापगंज- नाथपुर धरि राजमार्ग छल। नाथपुर मे कोसी नदी पार करबाक व्यबस्था छल। ओहि पार मटियारी-अररिया-पुरनिया अथवा रानीगंज-श्रीनगर-पुरनिया सड़क अलग-अलग काल खंड मे चलन मे छल। पुरनिया सँ ताजपुर होईत दिनाजपुर अथवा गौड़-बंगाल के सड़क प्राचीन काल सँ चलन मे रहल अछि। एहि प्रकारें दिल्ली-अवध-दरभंगा- पुरनिया-गौड़ राजमार्ग पर नाथपुर एक प्रमुख पड़ाव छल। आई जे फोर-लेन सड़क अछि,से प्रायः कनेक भिन्नता संग अही लाइन पर अछि।
दरभंगा-मधेपुर-नाथपुर सड़क के दुरी 25 कोस छल जेना ईस्ट इंडिया कम्पनी के अभिलेख मे दर्ज अछि। एहि राजमार्ग पर 12-13 म’ कोस पर मधेपुर अवस्थित अछि अर्थात मधेपुर दरभंगा-नाथपुर राजमार्ग के मध्य मे अछि। मधेपुर 19 वी सदी धरि तत्कालीन तिरहुत के एक पैघ बाज़ार छल और 1877 ई मे हन्टर लिखैत छथि जे मधेपुर भविष्य मे एक खूब पैघ बाज़ार होयबाक सम्भावना राखैत अछि। की मध्य मे रहबाक कारणे एकर नाम मधेपुर पडल अछि?
मुदा 1875 ई मे कोसी अपन धारा परिवर्तन कयलक। जे कोसी नाथपुर के सटले पूरब बहैत छल, से नाथपुर के पश्चिम 5 किलोमीटर दूर घसकि बहय लागल। एहि क्रम मे नाथपुर पुर्णतः कोसी मे ध्वस्त भ’ गेल। ई तथ्य hunter 1877 ई के ग्रन्थ a statistical account of bengal मे लिखैत छथि। नाथपुर के ध्वस्त भेलाक बाद एतय सँ उत्तर स्थित अंचरा घाट/कनमा कोसी के मुख्य घाट के रूप मे विकसित भेल।
नाथपुर जाहि सुरसर धार वला कोसी के कात मे छल, से कोसी एही स्थल पर 12-13 सदी मे सेहो बहैत छलीह। 13 वी सदी मे तत्कालीन गौड़ बंगाल के पहिल मुस्लिम शासक बख्तिआर खिलजी के साम्राज्य मे जे पुरनिया शामिल छल, तकर पश्चिमी सीमा इयेह नाथपुर वला कोसी नदी छल। एहन सम्भावना प्रतीत होईत अछि जे एहू सँ पहिने जाहि सेन वंश और पाल वंश के बंगाल मे शासन छल और जाहि मे पुरनिया ओकर उत्तर-पश्चिमी सीमा-प्रांतीय सरकार छल, तकर सीमा इयेह कोसी छल जेकर पश्चिमी कात मे नाथपुर अवस्थित छल। एहि तरहे नाथपुर के अस्तित्व 9-10 वी सदी सँ होयब लगैत अछि। आई भने नाथपुर गाम मात्र अछि, मुदा तिरहुत प्रांगण के इतिहास मे सदिखन स्वर्णाक्षर मे लिखल रहत-‘एकटा छल नाथपुर।