मुकुन्द मयंक
बर्ष 2012 या 2013 छल हेते, लहरियासराय (दरभंगा) स्थिति एकटा कोनो निजी विद्यालय पर मैथिली काव्य गोष्टि आयोजित छल। ओ हम्मर कोनो मैथिली काव्य गोष्टि मे पहिल भागीदारी छल। गोष्ठी के संचालक छलाह कवि श्री चन्देश ओ अध्यक्ष छलाह जगदंब अहीं अवलंब हमर…’, ‘मिथिला के धिया सिया जगत जननी भेली…’ तू नहि बिसरिहें गे माय…’, ‘बाबा बैद्यकनाथ कहाबी…’ और ‘चलू चलू बहिना हकार पूरै ले…’ जेहेन अनगिनत कालजयी गीतक रचना सभक रचना कर’ वाला मैथिली साहित्य जगत में ‘मैथिलीपुत्र प्रदीप’ के नाम सँ सुविख्यात शिक्षक-कवि प्रभु नारायण झा – मैथिली पुत्र प्रदीप। हमरा अखनो मोन अछि जे अप्पन अध्यक्षीय भाषण मे मैथिली पुत्र प्रदीप मात्र एतबा कहला जे ” मैथिल अपन्न समय के बहुत दुरुपयोग करैत छथि, अहाँ सब समय कए सदुपयोग करू।“ आ माइक संचालक दिस बढ़ा देने छलाह।
मैथिली साहित्य जगत कए आइ अपूरणीय क्षति भेल अछि। साहित्य क एकटा युग क अंत भ गेल अछि। मिथिला क दोसर विद्यापति क रूप मे प्रख्यात मैथिली पुत्र प्रदीप क लहेरियासराय क बेलवागंज स्थित आवास पर शनिदिन भोर करीब 6.30 बजे देहावसान भ गेल। प्रदीप क जन्म 30 अप्रैल, 1936 फागुन कृष्ण पंचमी कए भेल छल। हुनक पैतृक गाम दरभंगा जिलाक तारडीह प्रखंड मे कैथवार छल।
प्रदीप अपन प्रारंभिक जीवन मे बिहार सरकार क प्रारंभिक विद्यालय मे सहायक शिक्षक छलाह। 1999 मे दरभंगा क गौरी शंकर मध्य विद्यालय, कोतवाली चौक स ओ सेवानिवृत्त भेलाह। एकटा शिक्षक क रूप मे नौकरी करैत ओ सतत मैथिली क सेवा करैत रहलाह। मिथिला क कण-कण मे समा गेल हुनकर गीत ‘जगदंब अहिं अवलंब हमर हे माई अहां बिनु आस केकर’ हुनका दोसर विद्यापतिक दर्जा द देलक। मैथिली पुत्र कए मिथिला रत्न, सुमन साहित्य सम्मान, वैदेह सम्मान, मिथिला रत्न सम्मान, भोगेंद्र झा सम्मान सहित दर्जन स बेसी पुरस्कार भेटल अछि।
मिथिला-मैथिली के विकास लेल सतत चिंतनशील रह’ वाला हितचिंतक आई भले हमरा सभसँ दूर चलि गेला, लेकिन अपन लेखनी सँ मिथिला-मैथिली के मान-सम्मान के नित नव प्रतिमान गढ़ वाला मैथिली पुत्र प्रदीप अपन रचना मे हरदम हमरा सभक बीच जिबैत रहता।
लोक चलि जाएत अछि, बात मोने रहि जाएत छैक बहुत दिन तक , जीवन भरि तक… हमरा जानकारी मे कथवार गामक निवासी ओ ऋषि परंपरा के कवि मैथिली पुत्र प्रदीप बेसी भक्ति गीत लिखने छथि, एक बेर कोनो पत्रकार द्वारा पुछला पर एहि विषय मे ओ कहला जे हम तँ गीतक रचना मैया के सुनाबै लेल करैत छी, आब लोक सब ओकरा रिकार्ड क’ लएत अछि एहि मे हमर की दोष। प्रदीप एहन कवि छलाह जिनकर रचना कागज स बेसी लोकक कंठ मे बसल अछि। लोक हुनका हुनकर गीत स चिन्हैत अछि आ हुनकर गीत करीब 4 दशक स मिथिलाक गोसाउन घर मे सतत गाउल जाइत रहल अछि।
मैथिली पुत्र प्रदीप के लिखल आ रामबाबू झा के गाओल गीत ”बाबा वैद्यक नाथ कहाबी से सुनि शरण मे एलौ ने” आ एहि गीतक दोसर पाँति “दानी कहबै छी दुनिया मे मुदा दान कहां हमरा दय छी” हम्मर प्रिय नचारी थीक। अप्पन गामक महादेव मंदिर के लाउडस्पीकर पर बच्चे सँ ई नचारी सुनैत आबि रहल छी, आई हम्मर प्रिय भक्ति गीतक रचनाकार नहि रहला, सादर श्रद्धाजंलि।