रत्नेश्वर झा
राजा निमि द्वारा सदानीरा गंडकी के पूर्व आर्यवर्तक जाहि भूभाग के यज्ञ स ठोस बना बसोवास के क्षेत्र बनल वेह भूमि हुनक मंथन से प्राप्त शरीर के प्राप्तिक परिणाम स मिथिला बनल।
मिथियन्ते यह रिपुव: स मैथिल:।
जे शत्रु के दमन करैत हुए, ओ बाहरी एवम मनुखक अपन आंतरिक शत्रु सेहो भ सकैछ। अहि कारणे शरीर रहैत ओ विदेह कहेलाह आ जनक परंपरा के अधिष्ठाता भेलाह। मिथिलाक सनातन आर्य संस्कृति अपन आलोक स दिगदिगंत के आलोकित कयलक आ तैं देशेषु मिथिला श्रेष्ठ मनुजेषु श्रेष्ठ मैथिल: पुराण में वर्णित भेल। भारत व भारतीयता के प्रणेता मिथिला भेल जे भारतीय दर्शनक 4 गो दर्शन देलक संगहि जैन व बुद्ध के आविर्भावक भूमि सेहो बनल। कालक्रम में मिथिला किछु अवसान दिस बढ़ल, तथापि पाल, सेन ओ कर्णाट वंशक अतुलनीय शासन परम्पराक भूमि सेहो रहल।
आधुनिक काल मे मिथिला खण्डवला राजवंशक अधीन शासित रहल। एहि कालखंडमे वैश्विक परिवेश के अनुकूल अतहु सामाजिक आर्थिक उन्नयनक कार्य राजसत्ता द्वारा भेल। माटि आ आवोहवा के अनुकूल कुसियार, कुतरुम आदि क खेती होवय लागल आ चीनी, जूट कागज़ आदि क पैघ उद्योग लेल कारखाना लगाओल। विकास के क्रम कए आगा बढ़बैत, रेल हवाई आदि यातायातक व्यस्था भेल। राज परिवार द्वारा भिन्न भिन्न तीर्थस्थल पर भव्य मंदिर सब बनाओल गेल। गाम गाम शिवालय ओ कालीस्थानक संग एतय, अहिल्याक उद्धार भूमि अछि, जानकीक फुलवारी संग भगवती स्वरूपा सीताक प्राकट्यभूमि पुनौरा अछि। श्रृंगी ऋषिक सिंघेश्वर, कुश मुनी स संबद्ध कुशेश्वर, कपिल मुनिक कपिलेश्वर संगहि दरभंगाक भगवती मन्दिर ओ शिवालय। दरभंगा कए समग्र मिथिलाक केंद्र मानी ओतय भव्य राजमहल ओ किला बनाओल गेल। गोलमार्केट, चौरंगी, पुस्तकालय, अनाथालय, गौशाला चिकित्सालय आदि समग्र व्यवस्था जन जन लेल राज सत्ता द्वारा कयल गेल। मिथिलाक सामाजिक सांस्कृतिक विकास लेल ठाम ठाम मैदान बनाओल गेल, ग्राम कचहरिक व्यवस्था कयल गेल। राज काज के संचालन हेतु, मधुबनीक भौरा में, राजनगर में आलीशान राजधानी पतिशर्क निर्माण भेल। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम लेल कांग्रेस पार्टी कए समय समय पर दान राज दरभंगा द्वारा भेटल। मुदा आई स्वातंत्रयोत्तर भारत में उपेक्षित अछि।
भारत भारि में एसबीएस बेसी भूदान में जमीन देवय वाला दरभंगा राज आइ उपेक्षित अछि। जयपुर, जोधपुर, हैदरबाद आदि राजाक राजधानी सभक जे भव्यता आईयो ओतुका राज्यक सत्ता बचेने अछि, ओहि के सामने दरभंगाक समस्त विशिष्टता के शासन ओ सत्ता द्वारा नष्ट कयल गेल अछि। नदीक मातृक अहि भूमिक सब नदी के अवैज्ञानिक रूप से बांध बानही एतुका भूभाग के विनष्ट कयल जेल अछि। सतत राष्ट्र आ राष्ट्रीयता क परिचय देवय वाला मिथिला आई उपेक्षाक दंश झेल रहल अछि। एतुका बौद्धिक शक्ति आ प्रबल जनशक्ति शेष भारतक चाकरी में लागल अछि। एतुका लोक कए अपन राज आ अपन राजाक जानकारी नहीं आ भ्रम पसारी दरभंगा राजक देल आधारभूत संरचना सब कए बर्वाद कयल गेल अछि। एतुका लोक वैदिक जीवन के जीलक वेद कहैत अछि-
सं गच्छध्वं सं वदध्वं, सं वो मनांसि जानताम।
देवा भागं यथा पूर्वे, संज्ञानाना उपासते।
अर्थात सब मिल कए चालू, मिली कए बाजू आ सब एक संग चालू। जहिना विद्वान सब एकमत भ के अपन अपन भाग ग्रहण करै छथि तहिना अहू मतभेद विसरि एक भ अपन अपन भाग ग्रहण करु। एहि प्रकारे मिथिला विद्यगारा के भूमि रहल ओ नित नव ज्ञान विज्ञानक प्रणेता। आई ई उपेक्षित भूभाग अपन विनष्ट कृषिक उन्नयन चाही रहल अछि। सब उद्योग के पुनर्जीवन चाही रहल अछि। राज दरभंगा धरोहर संग समस्त ऐतिहासिक, पौराणिक आदि स्थानक उद्धार चाही रहल अछि। महाराज रामेश्वर, महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ओ महाराज कामेश्वर सिंह सन उदारवादी शासक क देल ओ बनाओल समस्त संरचना के पुन: बहाली चाही रहल अछि। जनक पितृ तुल्य राजा छलाह आ ओहि परिपाटिक अनुसरण कए राज दरभंगा अपन जन जन के विकास बाट देखेने छल। मिथिलाक ओहि गौरव मयी इतिहास, परिपाटी आ भव्य व्यवस्थाक अवलोकन मुहिम चलेबाक जरुरत अछि। हम सब अपन अतीत क गरिमा ओ सामर्थ्य कए बुझी आ पुन: सबल ओ सुन्नर मिथिलाक लेल उद्धत होइ तेकर प्रयास हो। जय मिथिला।
लेखक मिथिला पार्टी क संयोजक छथि आ इ हुनक निजी विचार अछि।