16 अप्रैल, 2010 अक्षय तृतीया क दिन कतेक गोटेक लेल क्षत-विक्षत हेबाक दिन भ गेल। एहि लोकक गलती मात्र एतबा छल जे इ भारत क आम जनता क ओहि वर्ग स अबैत छथि, जिनकर जेब आवागमन क लेल साधारण ट्रेन क साधारण श्रेेणी वाला डिब्बा मे सफर करबाक इजाजत दैत अछि। एहि एकटा मजबूरी हुनका नई दिल्ली रेलवे स्टेशन क प्लेटफॉर्म 12 आ 13 क बीच भगदड़ मे फंसा कए अनंतक यात्रा पर पठा देलक या फेर घायल करि देलक। एहि त इ सब सेहो महग टिकट क एवज मे पूरा खातिरदारी क संग हवाई यात्रा करितथि। एतबा त जरूर जे हिनका वो सुविधा सेहो नहि भेटैत अछि जे राजधानी, शताब्दी सन ट्रेन मे सफर करिनिहार कए भेटैत अछि। पैघ लोकक एहि ट्रेनक प्लेटफॉर्म आखिरी क्षण मे नहि बदलल जाइत अछि। संग-संग दुपहरिया मे प्लेटफॉर्म पर बाट तकबा लेल सेहो पैघ लोक मजबूर नहि छथि, हुनका लेल प्रतीक्षालय बनल अछि। अछि। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मामूली सुविधा क अभाव, नीतिगत निर्णय क क्रियान्वयन मे अनावश्यक विलंब आदि रेलवे क प्रबंधकीय विफलता, अक्षमता कए देखा रहल अछि। रेल मंत्रालय अपन खामी कए सुधारि लिए त फेर यात्री कए सेहो इंतजार करबा स ल कए प्लेटफॉर्म, सीढ़ी, ओवर ब्रिज पर चलबा आ ट्रेन पर चढ़बा क सलीका ठीक स सिखाउल जा सकैत अछि, ककरो एहि मे की आपत्ति भ सकैत अछि। सवाल उठैत अछि जे रेलवे अपन गरीब यात्री लेल न्यूनतम सुविधा देबा लेल कहिया तैयार होएत। किया कि बिहार जेबा लेल ओहि भीड़ मे मौजूद ककरो लग हवाई यात्रा या रेलवे क पैघ लोकवाला ट्रेन में जेबाक विकल्प नहि छल। अन्यथा भगदड़ क शिकार कोई शौक स नहिहोइत अछि।
ममता बनर्जी इतबा पैघ दुर्घटना क बावजूद नैतिक जिम्मेदारी लेबा क स्थान पर कहलथि जे एहि घटना लेल यात्री अपने दोषी छथि, जखन कि ओ इ कहबा लेल जनताक सामने अबितथि जे यात्री कए अपन सुरक्षा क लेल स्वयं सतर्क रहबाक चाही। जाहिर अछि लोक सतर्क छलथि, अन्यथा मृतक क संख्या 2 नहि 20 सेहो भ सकैत छल। जखनकि रेलवे क सतर्कता क आलम इ अछि जे स्टेशन पर प्राथमिक उपचार क साधन सेहो उपलब्ध नहि अछि, जेघायल कए तत्काल राहत देल जा सके।
रेल मंत्री ममता बनर्जी आम आदमी क परिवहन क कमान अपन हाथ मे रखबाक बावजूद ओकर पीड़ा शायद नहि बुझैत छथि। सूती साड़ी आ हवाई चप्पल पहरि कए आम आदमी क बराबरी नहिकैल जा सकैत अछि। एकरा लेल पैघ आ मजबूत कलेजा चाही, जे भीड़ मे ठूंसि-ठूंसि कए सफर करबाक हिम्मत दिए, अनारक्षित डिब्बा मे मोटरी मे अपन गृहस्थी क संग-संग कीड़ा-मकोड़ा क तरह घुसि जेबाक हिम्मत दिए आ सुविधाहीन प्लेटफॉम पर मौसम क परवाह केने बिना ट्रेन क अंतहीन इंतजार करबाक सब्र दिए। दरअसल भारत क गरीब जनता कए कोनो तरहक राहत नहि देबाक कसम सरकार आ प्रशासन तंत्र खा रखने अछि। राहत क नाम पर खैरात बांटबा क प्रवृत्ति विकसित भ गेल अछि। फेर इ उम्मीद कोना कैल जा सकैत अछि जे केवल आ केवल जनता क सुविधा कए ध्यान मे रखैत काज कैल जाएत। 2004 नवंबर मे सेहो एहि स्टेशन पर छठ पूजा क पहिने भगदड़ मचल छल। ओकर बाद निर्णय लेल गेल जे आनंद विहार टर्मिनल शीघ्रातिशीघ्र प्रारंभ कैल जाए। पिछला छह साल स रेलवे एहि पर विचार करि रहल अछि। गरीब रथ हुए या दुरंतो, रेल मंत्रालय अखबार मे छपेबा लेल जे दावा करै मुदा गरीब लोकक पीड़ादायक सफर कए एहि स कोनो खास राहत नहि भेटल अछि। दुनिया क सबस पैघ रेलवे तंत्र क हाल इ अछि जे दुर्घटना भेलाक एक दिन बाद तक एकर असली कारण क जानकारी ककरो नहि अछि। एहन मे त बस एतबा कहल जा सकैत अछि जे ममता जी पहिने अपने रेल मंत्रालय चलेबाक सलीका सीखू, फेर गरीब जनता कए ट्रेन पर चढ़बाक सलीका सिखाउ।
apna otay civilization ke bad abhav chhai lok bheriya dhassan janka delhi se bihar bihar s delhi aabait jai chhaith aur saman balti lota dibba bora peti je sab apne soichi nahi sakait chhi garibi alag chiz chhai aur civilized alag chiz chhai apne kahiyo bihar ke kono trane ke ticket ke pryas karu khali nahi bhetat e sab ki chhay