विपक्षक भाषा बजैत किछु मीडिया देखेलक अपन ज्ञानक सबूत
बिहार मे जतय 11412 करोड़ क अनियमितता पर हंगामा मचल अछि, ओतहि उप्र में 33 हजार करोड़, मप्र मे 41 हजार करोड़, महाराष्ट्र मे 22 हजार करोड़ आ झारखंड मे 6 हजार करोड़ क अनियमितता पर अगर बिहार विपक्ष चुप अछि त एहन मीडिया सेहो चुप अछि।
जाहि रिपोर्ट क आधार पर किछु मीडिया नीतीश सरकार आ बिहारक सरकारी कर्मचारी कए बेइज्जत करबा मे लागल अछि ओहि रिपोर्ट आधार पर त देशक अन्य राज्य सहित केंद्र सरकार तक घेरा सकैत अछि। बिहार मे 11412 करोड़ क अनियमितता कए अगर विपक्षक भाषा मे किछु मीडिया घोटाला कहि आ लिख रहल अछि त इ संपादक आ संवाददाता दूनू क ज्ञान पर सवाल उठा रहल अछि। जाहि वित्तीय अनियमितता कए लकए एतबा बवाल मचल अछि, दरअसल ओ कोनो घोटाला नहि अछि, केवल बिहार क अफसरशाही क लापरवाही अछि, सेहो किछु आन पैघ राज्य स कम । कमालक गप इ अछि जे कांग्रेस आ राजद क पैघ नेता तक इ मानैत छथि जे एहि मामला मे कोनो दम नहि अछि आ नीतीश कोनाओ बिल क व्यवस्था कडी लेताह। सरकार लेल बिल इकठृठा करब कोनो भारी काज नहि अछि, हां कनि सतर्कता बरतब जरूरी अछि, नहि त चारा घोटाला जेका स्कूटर पर भैंस लदा जाइत। मुदा किछु मीडिया त एकरा चारा घोटाला एखने मानि लेलक आ जनता कए एकटा गलत जानकारी देलक।
सवाल उठैत अछि जे मीडिया एतबा सतही आ मूर्ख सन व्यवहार किया करैत अछि, केन्द्र आ अन्य राज्य मे सेहो एहन या एहि स पैध वित्तीय अनियमितता भ रहल अछि। बिहार मे जतय 11412 करोड़ क अनियमितता पर हंगामा मचल अछि, ओतहि उप्र में 33 हजार करोड़, मप्र मे 41 हजार करोड़, महाराष्ट्र मे 22 हजार करोड़ आ झारखंड मे 6 हजार करोड़ क अनियमितता पर अगर बिहार विपक्ष चुप अछि त एहन मीडिया सेहो चुप अछि। कहबाक अर्थ इ जे एहन मीडिया अपन दिस स किछु बुझबाक या कहबाक सामर्थ नहि रखैत अछि। सवाल अछि जे एकर संबंध मे बुझबा लेल संपादक या संवाददाता कोशिश तक नहि केलथि। भ सकैत अछि एहि राशि क एक-एक टका खर्च भेल हुए आ विकास क गति बढ़ेबा मे जुटल अफसरशाही खर्च राशि क बिल-वाउचर जुटेबा मे समय स जुटि नहि सकल हुए। एहन मे एकरा चारा घोटाला स पैघ घोटाला कोना कहि सकैत छी, जखन कि चारा घोटाला मे बिल गडबर छल, स्कूटर पर भैंस लादल गेल छल, नीतीश सरकार त एखन तक इ कहबे नहि केलथि अछि जे ओ माल कोनो आ कथि पर अनलथि। त फेर एकर तुलना चारा घोटाला स करबाक पाछू कोनो न कोनो पूर्वाग्रह त जरूर अछि। किया कि सरकारी काम काज स जुडल एकटा बच्चा सेहो इ बुझी सकैत अछि जे बेइमान स बेइमान सरकार सेहो सरकारी फंड क राशि बगैर खर्च केने अपन जेब मे रखबाक गलती नहि करत। बेइमानी करनिहार कम स कम बिल-वाउचर दुरुस्त रखैत अछि। योजना राशि क गबन नहि करैत। हां, बिल-बाउचर जुटेबा मे जरूर लापरवाही भ सकैत अछि किया कि ओकर दिमाग टारगेट पूरा करबा मे होइत अछि, बिल वाउचर ओकरा लेल सेकेंडरी जिम्मेदारी होइत अछि। एहन मे इ संभव अछि जे बिल नहीं तैया हुए, जेकरा तैयार करबा मे किछु समय लागि सकैत अछि। हां, बिल जमा केलाक बाद अगर कोनो चारा घोटाला सन उदाहरण सामने अबैत अछि त हम एकर तुलना ओकरा स कडी सकैत छी, मुदा एखन त रचना तक नहि भेल अछि त आलोचना कोना भ सकैत अछि।
एहि लेल विपक्ष आ मीडिया क आरोप स घेरायल सरकार एहि संकट मे तीन सूत्रीय रणनीति पर काज करि रहल अछि। पहिल त विपक्ष कए एहि प्रकार स भटका देलक जे मुदृदा वित्तीय अनियमितता स हुनकर व्यवहार पर केंद्रीत भ गेल। एहि मे सरकार काफी हद तक सफल रहल अछि। दोसर सीबीआई जांच क आदेश पर स्टे लेबा लेल कोशिश करब, किया कि नीतीश कए बुझल अछि जे सीबीआई क अर्थ अछि कांग्रेस ब्यूरो आफ इंवेस्टिगेशन। अगर सीबीआई जांच भेल त ओ सेहो लालू, मुलायम, शिबू आ मायावती जेकां कांग्रेस क इशारे पर नाचबा लेल मजबूर भ जेताह।
तेसर चरण जल्द स जल्द उक्त राशि क या कम स कम ओहि राशि क बिल-वाउचर जुटेबा लेबाक अछि जे हुनकर कार्यकाल मे खर्च भेल अछि। लालू क चिंता एहि ठाम अछि आ हंगामा सेहो एतबे लेल भ रहल अछि। लालू चाहैत छथि जे बिल पूरा समयक बनाउल जाए, अगर नीतीशक कार्यकालक बिल बनैत अछि त राबडी देवी क मुष्किल बढि सकैत अछि। बताउल जा रहल अछि जे नौ हजार करोड मे स लगभग 5 हजार करोड़ क हिसाब मिल गेल अछि। बाकी मिलेबा लेल कोर्ट किछु दिनक मोहलत अगर द दैत अछि आ सरकार सीबीआई जांच क आदेश पर रोक लगेबा मे सफल भ जाए। त पूरा मामला नीतीशक पक्ष मे आबि जाइत एहन मे मीडिया कए गंभीरता देखा इंतजार करबाक चाही जे सरकार केहन बिल जमा करैत अछि, वाउचर क जांच क बाद एक बेर फेर सरकार कए बेइमानी आ धोखाधड़ी क लेल जबावदेह ठहराउल जा सकैत अछि, जखन धरि एहि बिल-वाउचर कए ओके नहि करि देल जाइत अछि, तखन धरि सरकार कए बरी नहि कैल जा सकैत अछि, मुदा एकरा घोटाला सेहो कहब गलत अछि।