अभिषेक रंजन
बेशक तिरहुत मे शौचालयक क घोर अभाव अछि। मुदा तिरहुत सरकार क समाधि क संगहि जतय शहीद खुदीराम बोस कए फांसी देल गेल छल ओतहु झाडालय(शौचालय) बना देल गेल। सरकार कए एहि स उपयुक्त स्थान भरि तिरहुत मे शौचालय बनेबा लेल नहि भेटल। हिंदी मे एकटा गीत अछि- “शहीदों के चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा!” मुदा अफ़सोस, तिरहुत मे एहन चिता शौचालय लेल उपयुक्त भूमि मानल जाइत अछि। हालत इ अछि जे फांसी क बाद शहीद खुदीराम बोस कए मुजफ्फरपुर क बर्निंगघाट पर अंतिम संस्कार कैल गेल छल, मुदा ओ स्थल पर शौचालय बना देल गेल। एहिना किंग्सफोर्ड कए जाहि स्थल पर बम मारल गेल छल ओ स्थल पर मुर्गा दुकान खुलल अछि। इ शहीद क प्रति घोर अपमान आओर अपराध अछि। जाहि खुदीराम बोस कए बंगाल क किताब मे आतंकी कहबा पर देशभर मे बवाल मचि जाएत अछि, ओहि व्यक्ति क शहादत स्थल पर एकटा शर्मनाक खामोशी देखा रहल अछि। 2015 मे इ देखब जे आखिर बिहार सरकार एकर सुधि लैत अछि बा नहि। इ सेहो देखब जे शहीद क चिता पर शौचालय क जगह स्मारक बनेबाक अभिलाषा पूरा करबा मे केंद्र सरकार कोनो पहल करैत अछि बा नहि? ज्यों हम सब मिलि कए प्रयास करि त अमर शहीद खुदीराम बोस क एहि चिता स्थली कए ना खाली सम्मान लौटा सकब, सही अर्थ मे इ एकटा शहीद क शहादत क प्रति हमर सबहक श्रद्धांजलि होएत।
ज्ञात हुए जे खुदीराम बोस सबस कम बैस मे फांसी क सजा पाउनिहार छलाह आ हुनकर चिता स्थल सेहो ओतहि अछि। आइ नहि त खुदीराम बोस क चिता स्थल पर कोनो निशान बचल, नहिये हरेक साल कोनो मेला लगैत अछि। हकीक़त त इ अछि जे लगभग 18 साल क उम्र मे हँसैत हँसैत फांसी क फंदा कए चूमनिहार अमर शहीद खुदीराम बोस क चिता स्थली पर शौचालय बनल अछि। शहादत भूमि पर शौचालय क गप सुनि कए केकरो आश्चर्य होएत! कतेक लाज क गप अछि जे एकटा शहीद क शहादत कए सम्मान क बदला ओहि ठाम शौचालय बना देल गेल। दस्तावेज कहैत अछि जे 11 अगस्त, 1908 कए एहि वीर क्रांतिकारी कए फांसी पर चढ़ा देल गेल आ ओतहि हिनकर समाधि बना देल गेल। गंडक नदी क तट पर बसल सोडा गोदाम चौक, चंदवारा नाम स प्रसिद्ध इ जगह मुजफ्फरपुर स्थित केंद्रीय कारागार स करीब दू किलोमीटर क दायरा मे अछि, जतय शहीद खुदीराम बोस कए फांसी देल गेल छल। इ जगह क पुष्टि ऐतिहासिक दस्तावेज सेहो करैत अछि। बनारस स छपल विख्यात साप्ताहिक समाचार-पत्र “भारत जीवन” क 17 अगस्त, 1908 क अंक मे प्रकाशित समाचार स सेहो एकर पुष्टि होइत अछि। (संदर्भ : स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन, लेखक महेश शर्मा)
सांझखन भ जाइत अछि स्थल मदिरालय :
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट क मानल जाए त सांझ हेबाक साथे एतय शराबी का जमघट लागनाय शुरू भए जाएत अछि । खुलेआम शराब बेचल-कीनल जाएत अछि । खुदीराम बोस स जुड़ल स्थल क बारे मे ऐहन गप सुनिकए ककरो मोन व्यथित भए सकैत अछि। एहन गप नहि अछि जे स्थानीय लोग कए एहि स्थलक भान नहि अछि। किछु त शौचालय निर्माण स तमसालय छथि, मुदा वंचित तबका क लोगक एहि इलाका मे एहि काज कए रोकबाक कियो हिमाकत नहि क पाबि रहल छल। ओना 11 अगस्त कए शहीद क पुण्यतिथि क पूर्वसंध्या पर किछु अज्ञात युवा एहि शौचालय कए तोडबाक प्रयास केने छलाह, जेकर मलबा अखनो धरि ओहिना ओतय पड़ल अछि। गप एकदम साफ अछि, सघन आबादी बला एहि क्षेत्र मे शौचालय क ढ़ांचा तोड़बाक एहि घटना कए स्थानीय लोगक समर्थन प्राप्त रहल होएत। शौचालय टूटबा स कतहू न कतहू नुकसान त स्थानीय लोगक भेल मुदा तखनो ओ इ घटना स बहुत खुश देखा रहल छलाह। आब ओ चाहैत छथि जे शहीद क स्मारक जल्द स जल्द बनि जाये।
समाधिक प्रति निगम रहल उदासीन
नगर आयुक्त क मानल जाय त इ स्थल विवादित अछि आ न्यायालय मे विचाराधीन सेहो। जा धरि हमरा ज़मीन नहि भेटत, ता धरि हम किछु नहि क सकब। मुजफ्फरपुर क नगर आयुक्त कहैत छथि जे “शौचालय आब नहि अछि। ओ तोडि देल गेल अछि। हम शौचालय नहि बनवेने छी, नहिये तोड़ने छी। कोनो एनजीओ क मदद स शौचालय बनाउल गेल छल। जतय तक ज़मीन क गप अछि 1932 मे निगम ओ जमीन कए कीनलक अछि। जाहि पर कियो आर अधिकार जमा रहल अछि आओर कोर्ट मे मोक़दमा चलि रहल अछि । अखन प्रस्ताव हमरा लग आयल अछि जे ओ जगह क नापी करा कए कोर्ट से ज़मीन वापस ल कए स्मारक बनओल जाये। कोर्ट स मुक़दमा जीत कए जखन हमर कब्ज़ा मे ज़मीन वापस आबि जाएत त निश्चित रूप स हम ओतय स्मारक बनाएब। जाहिर गप अछि जे वर्तमान स्थिति मे नगर निगम एहि ठाम किछु करबाक इच्छा नहि रखैत अछि, चाहे ओतए किछु कियो बना सकैत अछि।
विधानसभा मे सेहो उठल मामला
दुर्भाग्यवश बिहार सरकार सेहो एहि मामला मे खामोश अछि। निर्दलीय विधायक किशोर कुमार अमर सेनानी शहीद खुदीराम बोस स जुडल स्थल क बदहाली का मामला 5 मार्च, 2011 कए विधानसभा मे शून्य काल क दौरान उठौलथि, जाहि मे सरकार स ओ स्थल कए राष्ट्रीय स्मारक क रूप मे विकसित करबाक मांग केलथि। तखन विधानसभा मे किशोर कुमार कहने छथि जे “फांसी क बाद शहीद खुदीराम बोस कए मुजफ्फरपुर क बर्निंगघाट पर अंतिम संस्कार कैल गेल छल, मुदा ओ स्थल पर शौचालय बना देल गेल। एहिना किंग्सफोर्ड कए जाहि स्थल पर बम मारल गेल छल ओ स्थल पर मुर्गा दुकान खुलल अछि। इ शहीद क प्रति घोर अपमान आओर अपराध अछि। मुदा स्थिति मे सुधार नहि भेल।
चिता स्थल कए संवारबाक पहल
किछु स्थानीय लोग शहीद खुदीराम बोस क चिता भूमि क सौन्दर्यीकरण का बीड़ा उठेने छथि। हस्ताक्षर अभियान, मशाल जुलूस जेहन कार्यक्रम क माध्यम स एहि जगह कए सरकारी पहचान दिएबा मे लागल छथि। एहि काज मे हुनका कई टा संगठन क सहयोग सेहो भेट रहल अछि। समिति स जुड़ल लोक शहीद खुदीराम बोस स्मृति स्मारक बनेबा लेल, पर्यटन क दृष्टि स एकर विकास करबा लेल आ चिता स्थल लग खाली पड़ल भूमि पर सुंदर वा भव्य पार्क बनेबाक संगहि मोहल्ला क नामकरण शहीद खुदीराम बोस नगर करबाक मांग सरकार आ स्थानीय जन प्रतिनिधि स करि रहल छथि। मुदा सरकार हिनकर सबहक कोनो मांग पर कोनो विशेष कार्रवाई नहि केलक अछि। समिति क संयोजक आओर चिता स्थल पर स्मारक बनेबाक लेल संघर्षरत शशिरंजन ओहि चंद लोक मे स छथि, जे लगातार सक्रिय छथि। एहि मसला पर श्री रंजन सोझ जबाब दैत कहैत अछि, “जा धरि इ जगह क जीर्णोद्धार नहि होएत, हमर संघर्ष जारी रहत।” हालहि मे जखन ओ स्थानीय भाजपा सांसद अजय निषाद क संज्ञान मे इ गप आनलाह त ओ नहि खाली चिता स्थल पर अपने जा कए जायजा लेलथि, बल्कि एहि स्थल क पुनर्निर्माण लेल अपन सांसद निधि कोष स 20 लाख टका देबाक घोषणा सेहो केलथि। स्वयं सांसद एहि गपक पुष्टि केलथि अछि।
बस एक दिन राति मे खुलैत अछि काल कोठरी
3 दिसंबर, 1889 क जनमल खुदीराम कए चिता स्थल क एहन दुर्दशा देखि अफ़सोस भेल होएत! बिहार सरकार हुनकर शहादत स्थल कए सेहो जेल क एकटा काल-कोठरी तक मे समेट देलक, जतय लोग आम दिन मे नहि जा सकैत अछि। मुजफ्फरपुर जेल क जाहि कोठरी मे खुदीराम बोस कए राखल गेल छल, ओ साल मे खाली एक दिन हुनकर शहादत दिवस क मौके पर खोलल जाएत अछि । सेहो राति कए। आखिर एकटा क्रांतिकारी क शहादत से जुड़ल स्थल कए आमजन लेल खोलबा मे की परेशानी अछि! ज्यों इ सुरक्षा कारण स अछि, त्यों पर्याप्त सुरक्षा जांच घेरा क इच्छुक दर्शनार्थी क लेल जगह खोलल जा सकैत अछि।
के छलथि खुदीराम बोस
अमर शहीद खुदीराम बोस क जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल क मिदनापुर में त्रैलोक्यनाथ बोस क घर भेल छल। देश कए आजाद करेबा क हुनकर ऐहन लगन छल कि ओ नौवीं कक्षा क बाद पढ़ाई छोड़ि देलथि आओर स्वदेशी आंदोलन मे कूदी पड़लाह। एहि क बाद ओ रिवोल्यूशनरी पार्टी क सदस्य बनल आओर वंदेमातरम् पंफलेट वितरित करबा मे महत्वपूर्ण भूमिका निभौलथि। 1905 में बंगाल विभाजन क विरोध मे चलाओल गेल आंदोलन मे सेहो ओ बढ़ि-चढ़िकए भाग लेलथि। इतिहासवेत्ता मालती मलिक क अनुसार 28 फरवरी 1906 कए खुदीराम बोस गिरफ्तार कए लेल गेल । मुदा ओ कैद से भागि गेलथि। लगभग दू महीना क बाद अप्रैल मे ओ फेर से पकड़ल गेल । 16 मई 1906 कए हुनका रिहा करि देल गेल । 6 दिसंबर 1907 कए खुदीराम नारायगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल क गवर्नर क विशेष ट्रेन पर हमला केलथि मुदा गवर्नर बचि गेल। सन 1908 मे ओ दू टा अंग्रेज अधिकारी वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला केलथि मुदा ओ बचि गेल। खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर क सेशन जज से बेहद नाराज छल कियाकि ओ बंगाल क कैकटा देशभक्त क सजा सुनौलथि छल। ओ अपन साथी प्रफुल्लचंद चाकी क संग मिलिकए सेशन जज किंग्सफोर्ड से बदला लेबाक योजना बनोलथि। दूनू मुजफ्फरपुर आएल आओर 30 अप्रैल 1908 कए सेशन जज क गाड़ी पर बम फेंक देलथि, मुदा ओहि समय गाड़ी मे किंग्सफोर्ड क जगह हुनकर परिचित दू टा यूरोपीय महिला कैनेडी आओर हुनकर बेटी सवार छल। किंग्सफोर्ड क धोखा मे दूनू महिला मारल गेल, जाहि क खुदीराम आओर प्रफुल्ल चंद चाकी कए बेहद अफसोस भेल। अंग्रेज पुलिस हुनकर पांछा लागल आओर वैनी रेलवे स्टेशन पर हुनका घेर लेलक। अपना कए पुलिस स घिरल देखि प्रफुल्लचंद चाकी अपना आप कए गोली मारिकए शहादत द देलथि, जबकि खुदीराम पकड़ल गेलाह । 11 अगस्त 1908 कए हुनका मुजफ्फरपुर जेल में फाँसी दए देल गेल। ओहि हुनकर उम्र मात्र 18 साल, 8 महीना, 8 दिन छल। फांसी के बाद खुदीराम एतेक लोकप्रिय भए गेलाह जे बंगाल क जुलाहा हुनकर याद मे एकटा खास किस्म क धोती बुनय लागल। इतिहासवेत्ता शिरोल क अनुसार बंगाल क राष्ट्रवादी क लेल ओ वीर शहीद आ अनुकरणीय भ गेलाह। विद्यार्थी वा आन लोग शोक मनेलक। कई दिन तक स्कूल बंद रहल आओर नौजवान एहन धोती पहिरे लागल, जिनकर किनारी पर खुदीराम लिखल होएत छल।
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बहोत सुन्दर
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