पुष्यमित्र
मोदी-अमित शाह सरकार के विरोध एखन तक खाली देशद्रोही बुद्धिजीवी आ गरीब-दलित-आदिवासी-मुसलमान जनता करैत रहे, तीन-चाएर दिन स देश के उद्योगपतियो सब क्रांति क झंडा उठाय कए ठाढ़ भ गेल छथिन. गांधी जी क प्रिय मानसपुत्र जमनालाल बजाज क पौत्र उद्योगपति राहुल बजाज एकर शुरुआत केलखिन, भरल सभा में अमित शाह कए कहलखिन कि हम अहां क नीति क आलोचना करै चाहै छी, मुदा हमरा इ डर बुझाबै य कि अहां आ अहां क समर्थक सभ एकरा नीक अर्थ आ नीक भावना मे ग्रहण नै करथिन. तकर बाद किरण मजूमदार शा नाराजगी व्यक्त केलखिन आ तकर बाद उद्योगपति हर्ष गोयनका जे आरपीजी समूह के मालिक छथिन क्रांतिकारी कविता ‘राजा बोला रात है… यह सुबह-सुबह की बात है.’ ट्विट केलखिन. इशारा देश के एखुनका राजा रहथिन. उद्योगपति कुनू देश क रहै, अपना जानतौं सरकार क विरोध में ठाड़ नै होएत छै. ऊ सभ कोशिश करैत छथिन कि सरकार स मिलाइये कए चली, बिगाड़ नै हु. मुदा इहो गप सत्त थीक जे लोकतांत्रिक देश मे सरकार कए बनाबै आ बिगाड़ै क खेल उद्योगपतिये सभ खेलैत छथिन, मुदा चुप्पेचाप.
देश क राजनीतिक चालचलन के अध्ययन करै बला विशेषज्ञ सभ ई गप जानैत छै कि लोकतांत्रिक देश क राजगद्दी क फैसला किछ पैघ व्यापारिये सभ करैत छथिन. जखन व्यापारी पलैट जाएत छै, तखन सत्ता क कुरसी क पौवा हिलै लागै छै. ई बुझल गप छै कि मनमोहन सिंह क कुरसी कुनू अन्ना आंदोलन, कुनू हिंदुत्व क उभार के कारण नै गेलै. हुनकरो खिलाफ कारपोरेट रहै. कारपोरेट हुनका सं उम्मीद राखले रहै कि उदारवादी अर्थव्यवस्था क देश में सबसे पैघ पैरोकार मनमोहन सिंह अपन राज में गरीब क फिरी में बांटै बला सभ टा सब्सिडी खत्म करवा देथिन, श्रम कानून मे एहेन परिवर्तन करथिन कि मालिक सभ क कुनू मजदूर क हटायब आ पैसा काटब आसान भ जाये. कारपोरेट जगत क अपेक्षा रहै कि मनमोहन सिंह सभ टा सरकारी स्वामित्व बला कंपनी क निजीकरण कै देथिन. भूमि अधिग्रहण कानून कए एहेन कमजोर कै देथिन कि ककरो उद्योग ल सौ-दू सौ एकड़ जमीन कीनै ल परेशान नै हुए पड़ै. ऑनलाइन कारोबार कए बढ़ावा भेटै, जेकरा स छोट-मोट व्यापारी सभ क दुकान-धंधा बंद भ जाये, हरदी से नून तक, कपड़ा स गंजी तक सभ खरीद बिक्री चाएर पांच टा पैघ कंपनी क हाथ में सीमित भ जाये. मुदा मनमोहन सिंह कारपोरेट क मनोकामना क पूर्ति नै कए सकलखिन. ऊ अपनै चाहैत रहथिन, कोशिशो केलखिन, मुदा यूपीए सरकार असकर हुनकर सरकार त नै रहै. पहिलुक खेप में वामपंथी पार्टी सभ क कंट्रोल रहै, तकर बाद सोनिया गांधी क लीडरशिप बला राष्ट्रीय सलाहकार परिषद, जेकरा में देश भर क जनसमर्थक आंदोलनकारी शामिल रहथिन.
एखन सोचै छी त भरोस नै होय य कि कुनू सरकार एहनो भ सकै य जे जनता क अधिकार अपने स दै ल तैयार भ जाये. सूचना के अधिकार, भोजन के अधिकार, शिक्षा के अधिकार, काम के अधिकार (रोजगार गारंटी-मनरेगा), जंगल क अधिकार. सोचियौ, इ सभ अधिकार यूपीए क पहिलुक टर्म में सरकार द्वारा जनता क देल गेलै. वाएह सूचना क अधिकार कि दस टका में सरकार स अहां कोनो सूचना मांएग सकैत छी. ऊ अधिकार स पंचायत स ल कए प्रधानमंत्री कार्यालय तक स सूचना मांगल गेलै. रोड पर चलैत आदमी सरकार स सवाल करे आ जवाब भेटै. मुदा पांच स सात साल होएत-होएत सरकार पस्त भ गेलै, आब एहेन फेरा क देले छै कि मागूं एक टा सूचना, अहां क दस मास तक इम्हर स ओम्हर दौड़ायत. भोजन क अधिकार, मने गरीब आदमी क मास भैर खाय कए लगभग फ्री मे इंतजाम, स्कूल मे मिड डे मील, आंगनबाड़ी मे पोषाहार. मने खाय बिना कियौ मरै नै. खायल-पियल लोक क ई गप नीक नै लागलै, लेबर क सरकार घर बैसा क भोजन दै छै, आब कियो किया खेती-मजूरी करतै. मुदा जेकर घर में दिन त राएत नै, आ राएत त दिन नै भनसा चढ़ैत रहै, जेकर बाल बच्चा दूध आ नीक भोजन कहिये देखने नै रहै, ओकरा ल त इ काज स्वर्ग क प्राप्ति रहै. रोजगार गारंटी मने केकरो काज चाही त सरकार न्यूनतम मजदूरी क आधार पर सौ दिन साल में रोजगार देतै. बहुत सक्सेस नै रहलै इ योजना, भ्रष्टाचार हुए लागलै. तहियो गरीब क जीवन में एकरा से बहुत फर्क पड़लै. जे बिहार के जनता दू पैला धान ल गिरहथ क दुआर पर दिन भर बेगारी करैत रहै, जेकर बाल-बच्चा दिल्ली-पंजाब में छिछियाबै, ओकर भाव पहिलुक बेर बढ़लै. काज कराबै बला कए ओकर खोसामद करै पड़लै. हम सभ अपन गाम में देखले छी कि पंजाब क लेबर सप्लायर सभ एक स एक औफर लै कए आबै, मोबाइल देबौ, टीबी कीन देबौ. मुदा इहो योजना क सत्यानाश भ गेलै. फेर लेबर सभ दिल्ली आ पंजाब में छिछुआबै छै. एखन जे स्कूल आ कौलेज कए कहल जाएत छै कि अपन-अपन खर्चा क इंतजाम अपने स करू, आ सभ संस्थान में फीस बढ़ल जा रहल छै.
याद करू 12-13 साल पहिनै, एक टा सरकार शिक्षा क अधिकार मानैत कानून बनेले रहै. बारह बरख तक पढ़ाई फिरी, हर दू किलोमीटर में एकटा स्कूल हेतै, तीन किमी में हाइस्कूल. प्राइवेटो स्कूल में गरीब बच्चा क फ्री एडमिशन हेतै. वाएह सरकार कानून बनेलकै कि जंगल क प्रबंधन ओतै रहै बला आदिवासी समाज करते. ओकरे नाम पर जंगल क पट्टा कटतै. यूपीए-1 मे सरकार जनता कए, खास कै क गरीब जनता कए अधिकार पर अधिकार दैत रहे, मुदा जहिया इ सभ होत रहै हमर ओकर मोल नै बुझलियै. सरकार जनता क अधिकार दियै, ई कारपोरेट जगत के नीक नै लगैत रहै. मुदा ई दुनिया देखलकै कि 2008 क वैश्विक मंदी क बीच भारत ठाढ़ रहलै कियै कि ऊ अपन पैसा गरीब जनता क खुशहाली में खर्च करलकै. ऐ बेरका मंदी में सरकार पस्तहाल छै किया कि नोटबंदी, कैशलेश इंडिया आ जीएसटी के जरिये ऊ देश के गरीब जनता आ छोट कारोबारी क अहित केलकै, आ पैघ कारोबारी कए गलत तरीका सं लाभ पहुंचेलकै. मुदा तहियो, कारपोरेट जगत क अपन हिसाब किताब छै. ओकर अपने पेट एतेक पैघ छै कि जनता खुशहाल हुए, ई गप ओकरा बरदास्त नै होएत छै. चाएर आदमी अरबपति भ जाये, बाकी सभ कंगाल भ जाए, याएह एखनका आर्थिक नीति थीक. त मनमोहन सिंह क परफोरमेंस स कारपोरेट नाराज भ गेलै, आ खिसियायल कारपोरेट मोदी कए पाछू ठाड़ भ गेलै. महंगाई आ भ्रष्टाचार आधार बनलै. कारपोरेट क खुश करै ल जे कभ काज मनमोहन सिंह केलखिन जेना 2जी स्पैक्ट्रम बंटवारा, कोल ब्लॉक आवंटन. वाएह सभ हुनकर गरदन क घेघ बैन गेलैन. सरकार चैल गेलैन.
आब एखन की भै रहल छै. फोर जी के नाम पर जियो क कून शर्त पर इजाजत देल गेलै, ऊ सभ जानैत छथिन. एयरटेल स लै कए वोडाफोन तलक, सभ चारो खाना चित्त छैथ. बीएसएनएल क त हाले नै पूछू. पुरनका सरकार द्वारा देल गेल सभटा अधिकार एखन ध्वस्त भ गेल छै. रेल के किराया महग भ गेलै, मुदा रेलवे कंगाल भ रहल छै. मंत्री जी कहतै छथिन कि दरमाहा मे सभटा टका खरच भ जाय यै. यौ मंत्री जी यूपीए-1 में लालू जी कोना बिना किराया बढैलै, रेलवे के प्रोफिट में लै आनलै रहथिन यौ. सोझ गप कहु, अहां स नै संभरै य. अंबानी कए बेचै ल चाहैत छी. गैस महग भेल, पेट्रोल महग भेल, सरकारी कोलेज क फीस बढ़ा रहल छी. पियाज नै संभरै य, 120 टका बिकाबै य, मुदा किसान कए भेटलै पांच स दस टका किलो. सरकारी होस्पीटलो क चार्ज अब असूलबै. मने पहिलुक सरकार जनता क अधिकार आ सुविधा देलकै, अहां एक्को पैसा क राहत नै देबै. हां, कारपोरेट क खूब राहत दै रहल छियै. लोन माफ(राइट ऑफ) भ रहल छै, टैक्स मे छूट भेंट रहल छै, जमीन सस्ता मे भेंट रहल छै, कर्मचारी क टेंशन नै रहतै, कखनो राखतै, कखनो निकाएल देतै. कुनू सरकारी कंपनी सस्ता मे कीन लियौ. आब कहू, आब सरकार अहां क कतेक सेवा करत. मुदा कारपोरेट एखनो खिसियायल छै. सरकार स सवाल क रहल छै. किया… किया कि ई सरकार कारपोरेटो क खुश करै में इमानदार नै रहलै. बेइमानी केलकै. अंबानी आ अडानी छोएड़ क सभ क नोकसान भ रहल छै. सब बाप-बाप क रहल छथिन. ऊ देख रहल छथिन कि जेना एयरटेल, आइडिया आ वोडाफोन खत्तम भ गेलै, तेना बजाज, जिंदल, टाटा, बिरला सभ खत्तम भ जेतै. खाली मोदी आ शाह रहतै आ अंबानी आर अडानी. सौंसे मार्केट पर याएह दुनू के कब्जा हेतै. ई खिसियायब कए याएह कारण आ महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन क बाद हिनका सभ कए हिम्मत भेलै कि सरकार क कोश्चन करी. गोस्सा सगरो छै. ई देश खाली मोदी आ शाह, अंबानी आर अडानी क नै छियै. तैं लोक सभ गोस्सा जाहिर क रहल छथिन. मुदा हुनकर गोस्सा स कि देश के गरीब क भला हेतै? जों ई गोस्सा क कारण परिवर्तन हेतै त कि फेर स गरीब क राज एतै जेना यूपीए-1 में आयल रहै? जखन सरकार उद्योगपति क टैक्स रिबेट क बदला मे जनता क अधिकार क गप कै रहल रहै. जखन जनता क सब्सिडी देना अपराध नै मानल जाए रहै. याएह हमर सवाल थीक.
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पुष्यमित्र देशक चर्चित सरोकारी पत्रकार छथि। इ हुनक निजी विचार अछि।