गिरिजेश
मजदूर क महज एक दिनक आक्रोश लुधियाना पर भारी पडि़ गेल। उद्यमी कए करोड़ क चूना लागि गेल। उद्योगपति कराह उठला। मुदा पेट मे भूख क आगि लेने मजदूर आत्मसम्मान आ हक क लड़ाई मे लगल रहल। ओकरा पर पुलिस-प्रशासन आ स्थानीय लोक एकजुट भ हमला केलथि। एतबा धरि जे बेड़ा मे डरा कए नुकायल मजदूर कए सेहो पुलिस बाहर निकालि कए पीटलक आ बर्बर लोकक हाथ मे सौंप देलक। एहि मे किछु गोटेक जान सेहो गेल, मुदा मजदूर क गप कियो नहि सुनलक। अंत मे मजदूर उठल, सड़क पर उतरल आ देखा देलक जे ओ पंजाब मे नहि भारत वर्ष क एकटा प्रांत मे अछि।
एहि एक दिन क नुकासान स सरकार आ प्रशासन कए सीख लेबाक चाही। कहियो एहन घटना क पुर्नावृत्ति नहि हुए। मजदूर क प्रति सरकार संवेदनशील बनए। अगर प्रशासनिक आ सरकारी स्तर पर भ रहल लापरवाही नहि सुधारल गेल त घाटा क आंकड़ा करोड़ मे नहि अरब मे होएत।
पंजाब खास कए लुधियाना मे मजदूर क संग अमानवीय व्यवहार होइत रहल अछि। अधिकतर मजदूर कए कंपनी पहचान पत्र तक नहि देने अछि। इएसआई आ अन्य सुविधा क त गप दूर। कठिन काज क लेल यूपी-बिहार क लोक कए ताकल जाइत अछि, किया कि ओ कमरतोड़ मेहनत करैत छथि। एहि मेहनत क बदला मे वेतन इतबा कम जे पूछू जूनि। की खायब की बचायब। आलम इ अछि जे कतहू-कतहू एक-एकटा कोठली मे 10-12 गोटे मिलि कए रहबा लेल मजबूर छथि। बमुश्किल इ मजदूर पेटकाटि कए हजार-पांच सौ क बचत करि पाबैत छथि। ओकरो स्थानीय लफंगा पुलिसक सहयोग स लूटैत रहल अछि। गरीबीक शाप स ग्रसित बिहार-यूपीक मजदूर झारखंड आ छत्तीसगढ़क लोहा स पंजाब मे साइकिल बनेबा क काज करैत एलाह अछि, इ पूछने बिना जे इ कारखाना ओहि ठाम किया नहि लागल जाहि ठाम स लोहा आ मजदूर अबैत अछि। ओ चुपचाप बेहतर पंजाब क निर्माण मे दिन-राति एक केने रहैत छथि।
आखिर एहन स्थिति कोनो आबि गेल जे मजदूर कए कानून अपन हाथ मे लिए पड़ल। केकर गलती स एहन भेल? जिम्मेवार चाहे राज्य सरकार हुए, प्रशासन या फेर स्थानीय नेता, पर रोजी-रोटी क जुगाड़ मे आएल मजदूर गुनहगार कोना भ सकैत अछि। हुनका कोन जरूरत छल जे राति मे थाना क बाहर प्रदर्शन केलथि, जखनकि हुनका भोर मे फेर कमरतोड़ मेहनत क लेल काज पर जेबाक छल। अगर इ गुनहगार रहितथि, बेइमान रहितथि त आइ हिनकर पेट आ पीठ एक नहि भेल रहितए। शायदे कोनो मजदूर लुधियाना मे कमा कए बिहार मे पैघ मकान बनेने होयत, बल्कि हिनकर शोषण करनिहार धनपशु बनि गेलाह अछि। खैर छोड़ू . . . ।
इ मजदूर जरूर छथि। सड़क क कात मे, झुग्गी-झोपड़ी आ स्टेशन पर सुतबा लेल विवश छथि, मुदा हिनकर श्रम क बिना लुधियाना की शहर क शायदे कोना छोट सन मकान बनि कए ठार भेल होयत। यूपी-बिहार क श्रम क बिना लुधियाना मेट्रो सिटी बनबाक सपना सोचियो नहि सकैत अछि। आइ पंजाब क खेत बिहार-यूपीक मजदूर कए महत्व बुझि गेल अछि। इ हाल रहल त लुधियानाक कारखाना सेहो हिनकर स्वागत लेल नव-नव योजना चलेबा लेल मजबूर भ जाइत। ताहि लेल एखन समय अछि, बदलू अपन इ कुत्सित मानसिकता आ समृद्ध राखू पंजाब।