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बैकिंग छोड़ि‍ सब किछु करैत अछि बैंकर

March 14, 2018
in विचार
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दोसरसमाचार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

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कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

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May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

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नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

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December 5, 2019

आई बैंक मे काज करब अत्यंत कठिन अछि आ कर्मचारी आ अधिकारी अत्यंत दयनीय परिस्थिति मे काज क रहल अछि, देशक आर्थिक रूप से सबल केनिहार संस्था आई धरि अपन दयनीय आर्थिक परिस्थिति क प्रति सचेत नहि भेल अछि आ नहि भारत सरकार आ राज्य सरकार सब बैंक कए सबल करबाक हेतु कोनो प्रयास क रहल छथि, ई अत्यंत दुखद अछि, साल 2017-18 मे सरकारी बैंक सब कुल मिला कए एक लाख करोड़ क नुकसान हेबाक आकलन अछि, जाहि मे बेसी पाई बड़का बड़का उद्योगपति से लेबाक अछि, मुदा हालक समय मे जेना ज्ञात भेल, कतेको एहन नीरव मोदी आ माल्या आ आन एहन महानुभाव लोक सब देश छोड़िकए चलि गेलाह, बाकी बहुत कर्ज़ देश क बिभिन्न न्यायालय मे अटकल छै, जा धरि भारत सरकार पूर्ण इच्छा आ ताकत क संगे, बैंक कए अप्पन सहयोगी संस्था बुझि सहयोग नहि करत, आ कपटपूर्ण बीमा बिक्री , आ अन्य अलाभप्रद काज कए बैंक से बंद नहि करत, ता धरि बैंक मे आ बैंक लेल “अच्छे दिन” आबय स रहल । बैकिंग आ बैंकिंग व्‍यवस्‍था पर विस्‍तार स प्रकाश देलथि‍ अछि श्री जीबन मिश्रा – समदिया

भारत मे बैंकक प्रारम्भ 1770 से शुरू होएत अछि, बैंक ऑफ हिंदुस्तान, जे करीब साठि साल क बाद बंद भ गेलै, फेर जनरल बैंक ऑफ इंडिया क 1786 मे स्थापना भेलै, मुदा ओ किछुए दिन मे बंद भ गेलै । 1806 मे बैंक ऑफ कलकत्ता क स्थापना भेल, 1809 मे एकर नाम बदलि कए बैंक ऑफ बंगाल भेल, बाद मे एकर विलय बैंक ऑफ बंबई (स्थापना-1840), आ बैंक ऑफ मद्रास(स्थापना-1843) आ ई तीनु के विलय भए कए इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (स्थापना-1921) बनल । इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया मुख्यतया: ब्रिटिश सरकार क बैंक छल । इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया क 1955 मे भारतीय स्टेट बैंक क नाम देल गेल आ आई भारतीय स्टेट बैंक देशक सबसे पैघ बैंक अछि आ एकर आई दुनिया मे पहिल पचास पैघ बैंक मे स्थान अछि । भारतीय रिजर्व बैंक क स्थापना 1935 मे भेल आ 1949 मे एकरा राष्ट्रीयकृत कयल गेल । भारतीय रिजर्व बैंक, बैंक सबहक बैंक भेल आ देशक सबटा बैंकक नियम आ परिचालन संबंध मे आदेश दैत अछि, एकर अलावा ओ देशक मौद्रिक नीति, करेंसी नोट छपाई एवं वितरण, महंगाई नियंत्रण, आ रिजर्व बैंक एक्ट मे निर्धारित काज क सम्पादन करैत अछि । एकर अलावा देसी रिसायत सबहक क अपन अपन सरकारी काज लेल अपन अपन बैंक छल, जेना बैंक ऑफ जयपुर, बैंक ऑफ बीकानेर, बैंक ऑफ बरोदा, बैंक ऑफ मैसूर, बैंक ऑफ इंदौर, बैंक ऑफ सौरास्त्र, बैंक ऑफ पटियाला, बैंक ऑफ त्रावणकोर, ई सब बैंक संसद दिस स पारित अलग अलग नियम से चलैत रहल आ 1960 मे बैंक ऑफ बरौदा क छोरि ई बाकी बैंक भारतीय स्टेट बैंक क सहयोगी बैंक के रूप मे सरकारी बैंक बनल । बैंक ऑफ जयपुर, बैंक ऑफ बीकानेर के मिला कए 1963 मे स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर भेल ।  एकर अलावा बहुत रास औद्योगिक घराना आ व्यापारी वर्ग अपन व्यक्तिगत मुनाफाक दृष्टि से बैंक सब खोलने छल जतय मुनाफा कए प्राथमिकता देल जा रहल छल, 1969 मे इन्दिरा गांधी देश मे तहिया क पैघ 14 टा बैंकक राष्ट्रीयकृत कए बैंक कए सामाजिक उत्थान क एकटा माध्यम क रूप मे प्रस्तुत केलनि, फेर 1980 मे 6 टा बैंक कए राष्ट्रीयकृत कए कुल 20 टा राष्ट्रीयकृत बैंक, आठ टा एसबीआई आ सहयोगी, कुल 28 टा बैंक भेल । एकर अलावा सेहो किछू पुरान प्राइवेट बैंक बनल रहल आ राज्य सरकार जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक, विभिन्न सरकारी बैंक अपन अपन क्षेत्र क हिसाब से अपन मालिकाना मे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक बनौलक। 1990 मे नव आर्थिक नीति अयलाक बाद विदेशी बैंक आ नव नव प्राइवेट बैंकक स्थापना भेल, हर्षत मेहता घोटाला कांड मे एक टा सरकारी बैंक न्यू बैंक ऑफ इंडिया फेल भेल, प्राइवेट बैंक मे बैंक ऑफ राजस्थान, बैंक ऑफ कराड़, ग्लोबल ट्रस्ट बैंक फेल भेल, 2017 मे भारतीय स्टेट बैंक के सबटा सहयोगी बैंक कए एसबीआई मे विलय कए चिरप्रतिक्षित निर्णय कार्यान्वित भेल।

बैंक क राष्ट्रीयकृत करबाक पाछू धारणा सामाजिक न्याय आ सामाजिक उन्नति क पर्याय क रूप बैंक कए प्रयुक्त करब छल, 1990 मे नव आर्थिक नीति एलाक बाद आ शुल्क आओर व्यापार पर सामान्य समझौता-1994 आ एकर परवर्ती विश्व व्यापार संगठन-1995, आ उदारीकरण क घोषित सरकारी नीति क अंतर्गत बैंक क नियम सब मे बहुत रास परिवर्तन आयल, देश विदेश मे नव नव कानून बनल, दुनिया भरि कए देश सबहक बैंकिंग क अनुभव बासेल ढांचागत सुधार आ नियामक सख्ती, कारोबारी जोखिम, ऋण जोखिम, भविष्य कए जोखिम संभावना आदि इत्यादि पर देश विदेश मे बनल बहुत रास कानून भारत मे सेहो लागू भेल, मुदा आन दिस सुधार नहि भेला कारण सरकारी बैंक कए लाभप्रदता दिन प्रतिदिन कम भेल जा रहल अछि, जेकर मूल कारण मे ऋण के नहि चुकयबाक बढि रहल प्रवृति, सरकारी उदासीनता, न्यायिक वसूली प्रक्रिया के सुस्ती, विभागीय कार्य आचार-विचार(एथिक्स) क अभाव, अलाभप्रद कार्य क अधिकता, भारतीय रिजर्व बैंक क अप्रभावी नियमावली आ अजब गज़ब आदेश और केन्द्रीय सतर्कता आयोग क अप्रभावी आ अवसादी कार्यप्रणाली अछि, विमुद्रीकरण मे जनता क भेल दुरगंजन आओर पीएनबी घोटाला मे सरकारी खजाना कए बहुत नोकसान हेबाक पाछू भारतीय रिजर्व बैंक आ केन्द्रीय सतर्कता आयोग क भूमिका संदेहास्पद रहल।

आई एकटा साधारण बैंक मे काजक कोनो अंत नै छै, ने काजक कोनो नियमावली रहल, उदाहरण स्वरूप यदि हम कहि जे एक बैंक आई कोन कोन काज करै छै, ते ई लिस्ट 200 प्रकारक काज तक पहुंचत, बहुत रास काज करबाक लेल सरकार एकोटा पाई नै दै छै, नव कर्मचारी क भर्ती बंद छै आ जे अबितो छै, साल डेढ़ साल मे नब नोकरी भजियाबह लगइए, भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकिंग विनियमन नियम 1949 के अनुसार बैंक के प्रमुख काज जनता से रुपया पाई जमा ल के जनता के व्यावसायिक आ अन्य कानूनी रूप से मान्य उपयोग ले ऋण देब रहल अछि, फेर एही मे अनेक आयाम जुरल, आई एकर आयाम मे प्रतिदिन कोनो ने कोनो नब कार्य जुरि रहल अछि, जाही मे बेसि तर अलाभप्रद आ एकाध अनैतिक कार्य के आयाम सेहो जोरा रहल अछि, विमा से जुरल कार्य, आधार से जुरल कार्य, अलाभप्रद छोटछीन भुगतान कार्य जेना विधवा पेंशन, वृद्ध पेंशन, विकलांग पेंशन, गॅस सब्सिडि, नरेगा भुगतान, आदि इत्यादि जे पहिने राज्य सरकार क रहल छल, सरकारी भ्रष्टाचार के खतम करबाक नाम पर बैंक के सुपुर्द भ गेल, बैंक के अहि सब कार्य के करबा से कोनो विरोध नै छै, मुदा पर्याप्त कर्मचारी चाही, जगह चाही, एही से बैंक के आमदनी के निश्चितता हो, सरकार अपन जे खर्चा कम केलक से बैंक के भेटक चाही, किए ते सब काज मे पाई खर्चा लगै छै। एही सब ऊटपटाँग निर्णय के कारण बैंक मे बैंकिंग के काज छोड़ि सब काज होबए लागल, जेना प्राथमिक स्कूल मे पढ़ाइएटा नै होई छै। बैंक के समस्या दोसर सेहो छै, ओ जे ऋण देलक ओही मे से बहुत गोटे के दस फोन के बाद पाई जमा करत, आब यदि कर्मचारी भरि दिन आधार आ गॅस सब्सिडि के हिसाब लोक के देथिंह, ते वसूली के करत, अहि द्वारे डुबत कर्ज बढि रहल अछि, बहुत रास राज्य सरकार राजनीतिक फायदा के लेल किसान कर्ज माफी आ सांसद विधायक अपन अपन समर्थक के मुद्रा लोन आ अन्य अन्य स्कीम के लोन लेल बैंक मे बहुत दवाब बना अंट शंट कहि, अनुचित फायदा ल रहल छथि। सांसद विधायक के समर्थक से मुद्रा लोन आ अन्य अन्य स्कीम के लोन लेल केकर हिम्मत जे वसूली करत, से साल दु साल तीन मे ई सब लोन सरकारी खजाना के नोकसान पर बंद क देल जायत। पहिने पी-एम-आर-वाइ आ आन आन स्कीम मे सालाना 3-4 मात्र नियत लोन देबाक परंपरा छल, मुदा मुद्रा लोन, जे बिना सेकुरिटी(प्रतिभूति-कोलेटरल) बला लोन छै, जाही मे वसूली के संभावना ओतबे होई छै जेतबा ऋणी के भरबाक इच्छा, तही पर बेसि जखन नेताजी के लोक, बैंक के पाई 3-6 महिना मे पूरा डुबल मानि बुझु, बैंक अपन आन मद से कमौल लाभ मे ई नुकसान/घाटा के हिसाब क दै छै।

हम बैंक में, बैंकिंग से इतर काज के एकटा लिस्ट द रहल छी, जे अहि बात के स्पष्ट करत जे कोना सरकार अपनहि अप्पन बैंक के बर्बाद करबाक लेल व्याकुल बनल अछि, एही मे से कोनो काज से बैंक के एक्कोटा पाई के आमद नै छै, मुदा कर्मचारी आ अन्य व्यवस्था के खर्चा बैंक के जिम्मा रहल।

बैंक में कार्य: –

  1. कमजोर वर्ग पेंशन वितरण
  2. आधार सुधार/ई-केवाईसी
  3. सब्सिडि भुगतान
  4. सरकारी सहायता भुगतान
  5. सरकारी कार्यालय आदेश अनुपालन
  6. टीडीएस / कर प्रबंधन
  7. जनधन खाता योजना
  8. मुद्रा ऋण
  9. सामान्य बीमा
  10. जीवन विमा
  11. प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना
  12. ऋण माफी डाटा एंट्री
  13. स्टैंड अप इंडिया/स्किल इंडिया
  14. प्रधान मंत्री बीमा योजनाए
  15. अटल पेंशन योजना
  16. कन्या समृद्धि योजना
  17. बिल भुगतान सुविधा
  18. एलपीजी गैस सब्सिडि जमा/निकासी

आरबीआई के अलावा पचिसो संस्थान, राज्य सरकार अप्पन अप्पन अङ्ग्रेज़ी बैंक पर दवाब बना के करा रहल अछि, जेना, महाराष्ट्र सरकार डेढ़ लाख तक के हरेक किसान के ऋण माफी देलक, अहि ले एक एक किसान के पाँच पन्ना के फोर्म भरवा मे बैंक के मदद आ एक सौ कॉलम के कम्प्युटर डाटा शीट मे विविध डाटा एंट्री डीटेल  बैंक के करबाक आदेश भेटल, परिणाम जे बैंक सब बैंकिंग काज त्याग क एही मे लागल अछि, पछिला एक साल से सम्पूर्ण महाराष्ट्र मे बैंक मे दोसर कोनो काज नई भ रहल छै, जेकर पूरा फायदा प्राइवेट बैंक उठा रहल अछि। फेर अगिला साल नब कर्जा देबाक पाछु बैंक सब बेहाल रहत, जेकर वापसी के कोनो संभावना के रेकॉर्ड कम से कम नै छै।

देखियौ जे भारत सरकार के विभिन्न विभाग कोना बैंक पर नियंत्रण आ अप्पन अप्पन ढफली बजा रहल अछि।

  1. वित्त मंत्रालय: बैंकिंग, बीमा, म्युचुअल फंड, कर संग्रह और फाइलिंग, काला धन नियंत्रण, विदेशी मुद्रा
  2. गृह मंत्रालय: एफएटीएफ दिशानिर्देश, ग्राहक जानिए नियमन और काला धन
  3. मानव संसाधन विकास मंत्रालय: शिक्षा ऋण, शिक्षा सब्सिडी वितरण, ग्रामीण क्षेत्र मे कौशल विकास, छात्रवृत्ति वितरण, शिक्षा निधि वितरणक अधिकार
  4. कृषि मंत्रालय: कृषि ऋण, ग्रामीण विस्तार कार्यक्रम, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय समावेशन, पशुपालन, मत्स्य पालन, बागवानी, नाबार्ड सब्सिडी वितरण, ऋण माफी कार्यान्वयन, स्वयं सहायता समुह गठन, संयुक्त देनदारी समूह गठन, किसान क्लब गठन
  5. बिजली मंत्रालय: बुनियादी ढांचा वित्तपोषण, सौर परियोजनाएं आदि
  6. ग्रामीण और शहरी विकास मंत्रालय: सभक लेल ग्रामीण आवास योजना, मनरेगा भुगतान, राष्ट्रीय ग्रामीण जीवनयापन योजना, स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना, सभक लेल शहरी आवास योजना
  7. एमएसएमई मंत्रालय: सूक्ष्म और लघु उद्यमों क लेल उधार प्रत्याभूति न्यास , लघु एवम मध्यम उद्योग कर्ज सूचना आदि
  8. भारी उद्योग मंत्रालय: औद्योगिक प्रतिष्ठानों क लेल औद्योगिक वित्त प्रबंध
  9. विदेश मंत्रालय: अनिवासी भारतीय खाता, विदेशी मुद्रा जमा योजना , विदेशी मुद्रा प्रेषण,  विदेशी मुद्रा नियमन दिशा निर्देश
  10. पेट्रोलियम मंत्रालय: तेल कंपनियों के वित्त मामला , एलपीजी सब्सिडी डीबीटी योजना आदि
  11. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय: गर्भवती माताओं के नकद ऋण, नवजात शिशुओं के नकद ऋण
  12. कानून मंत्रालय: मुकदमेबाजी से जुड़ल जमा/निकासी
  13. स्वास्थ्य मंत्रालय: मेडिक्लेम, अस्पताल वित्त प्रबंधन आदि
  14. सामाजिक कल्याण मंत्रालय: वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन आदि
  15. उपरोक्तक अलावा, सम्पूर्ण सरकारी क्षेत्र क वेतन, निजी क्षेत्र वेतन, भुगतान और निपटान प्रणाली, मुद्रा आपूर्ति, साख पत्र, बैंक गारंटी
  16. सीवीसी- सतर्कता और अनुशाशन से जुड़ल बात

एतेक विभाग के सूचना आ नियम के पालन मे बैंक के असल काज पाछू रहि जाइ छै, जे देश मे सस्ता कर्ज़ आ सही व्यक्ति के सही कर्ज देबाक काज छै जाही से देश के प्रत्येक नागरिक के रोजगार हो आ देश आगू बढ़ै।

भारत सरकार आ विमा कंपनी सब सेहो अपन अपन विमा पॉलिसी के बैंक के माध्यम से आई काल्हि बेच रहल अछि, सब बैंक के अपन अपन साझीदार विमा कंपनी छै, जे प्रत्येक पॉलिसी पर बैंक मैनेजमेंट आ बीमा बेचनिहार के कमिशन भेटई छै। उच्च पदाधिकारी विमा पॉलिसी पर कमिशन के चक्कर मे आन काज के छोरि दिन राति एही पर लागल रहै छथि, दरमहा के अलावा ई बायली आमदनी बैंक मे घनघोर अव्यवस्था के प्रमुख कारक बनि रहल अछि। उच्च स्तर के अधिकारी साल मे आराम से करीब औसतन 1 करोड़ के कमिशन कमा रहल छथि, दरमहा आ आन सुविधा ते बैसल ठाम भेटिए रहल छैन, बैंक के सबटा काज के ज़िम्मेदारी नीचा बला अधिकारी के छै, ओ त्राहि त्राहि क रहल अछि, कोनो दोसर नोकरी भेटला पर तुरत आन ठाम चलि जाइए, फलतः बचल कर्मचारी पर बोझ बढ़िए रहल छै।

आई एकटा बैंक क्लर्क के 25000 कुल वेतन मे गुजारा कठिन छै, बैंक के जे नियम बनल छै तही दुवारे प्रत्येक पाँच साल पर वेतन वृद्धि के नियम छै, मुदा बैंक के सालाना घाटा मे रहबाक कारण वेतन वृद्धि नई भ रहल छै आ वेतन वृद्धि नै हेबक कारण नब नोकरी वाला साल दु साल मे दोसर ठाम परा जाई छै, फलतः बचल कर्मचारी के काज बढ़िए जा रहल छै। सरकार एही साल 2.11 लाख करोड़ बैंक मे नव पूंजी देबाक घोषणा केलक, मुदा जे लोन के लीकेज छै, सब पाई खर्चा बेकार के बरबादी छै। इहो पाई सरकार बैंक मे अप्पन हिस्सा बेच के द रहल छै, जेकर कोनो मतलब नै, बैंकिंग के कार्यक्रम आ कामकाज मे ज अविलंब सुधार नै होयत ते बैंक के बर्बाद होई से क्यो नहि रोकि सकत। पाई के काज पाइए से होई छै। ज ऋणी कर्जा लेलहा पाई नै देतई ते जमाकर्ता के पाई कोना वापस भेटतई, अंततः सरकार के जनता पर टेक्स से एकर भरपाई हेतै जेकर कोनो तुक नै छै।

विमुद्रीकरण के समय मे बैंक के प्रत्येक केशियर अपना दिस से लाख लाख रुपैया तक के नोकसान उठौलक, जेकर कारण ओकर कोनो गलती नई छलै, बैंक आ सरकार द्वारा हो हो आ व्यवस्था के अभाव छल। एकर उदाहरण दै छी। जाली / नकली नोट्स के पता करई ले स्कैनर मशीनों के अपर्याप्त संख्या, 100 मूल्यवर्ग नोटों के शून्य आपूर्ति, 500 रुपये के नब नोट के शून्य-आपूर्ति, भीड़ से निपटबाक लेल पर्याप्त संख्या में काउंटर खोलनबाक लेल कार्य बल  आ कम्प्युटर मशीन के अभाव, नकदी के सुरक्षा से रखबाक अभाव, अत्यधिक भीड़ भाड़, महिला कर्मचारियों से सेहो राति देर धरि काज करा के हुनकर व्यक्तिगत सुरक्षा मानदंड के उल्लंघन भेल, एटीएम मे नव 2000 के नोट के लेल समुचित व्यवस्था नई रहबाक कारण आम जनता के भेल कठिनाई के भुक्तभोगी साधारण कर्मचारी बनल आ ओ बिना कारण गारि मारि सुनलक, साधारण कार्य अवधि से बेसी लेल गेल कार्य के पाई के उचित भुगतान अखईन धरि कतेक ठाम नै भेल अछि, कतेको कर्मचारी ऋण ल के विमुद्रीकरण के समय मे बैंक मे भेल ग़लती के भरपाई केलक, हज़ार के हज़ार कर्मचारी अखईन धरि भारतीय रिजर्व बैंक से पत्र पाबि रहल अछि आ तदनुसार बिना साक्ष्य के डेढ़ साल पहिने भेल नकद प्रेषण मे कथित कमी आ जाली नोट भेट जेबाक कारने पाई भरी रहल अछि।

बैंक एक टा व्यावसायिक इकाई भेल, मुदा राष्ट्रीयकरण से ग्रामीण क्षेत्र मे बहुत रास शाखा खोलल गेल ओतह खर्चा बेसी आ व्यवसाय कम भेल, ताहि पर किसान आ छोट व्यापारी से समय पर पाई के वसूली नै भेला पर साल डेढ़ साल मे ऋण देलहा सबटा पाई एनपीए अर्थात डुबत कर्ज़ के श्रेणी मे आबि गेलाक कारण नव किसान आ नव व्यापारी के लोन दै मे मैनेजर आ कर्मचारी ना नुकुर के पाछा अनुशासनिक प्रक्रिया विभाग आ केन्द्रीय सतर्कता आयोग के डर बड़ भयावह छै, कोनो कर्ज़ कोनो कारण से डुबत ऋण हो, अनुशासनिक प्रक्रिया विभाग आ केन्द्रीय सतर्कता आयोग के नजरि से देखियो ते ओ ई मानि के जांच करत जे हो ने हो, स्टाफ पाई खा के लोन देने हेतई, हेंजक हेंज नियम, जेकर नाम आ जानकारी बेचारा मैनेजर के कहियो बुझल नै सुनल नै, से अनुशासनिक प्रक्रिया विभाग आ केन्द्रीय सतर्कता आयोग उचित अनुचित सत्य असत्य आरोप लगा के बेचारा मैनेजर आ साधारण कर्मचारी के परेशान कय के ओकर सत्यनिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगा आ ओकरा हतोष्ताहित क के बैंक के मूलभूत उद्द्येश्य आ कार्य के रोकि दै छै,  किसान के उपज के लागत से कम पाई  आ देरी से भेटल पाई के कारण ओ बैंक मे समय पर कर्जा के भुगतान नै क पबैत अछि, ताहि से नब कर्जा नै भेटाइ छै आ ओकरा गाम के सूदखोर से 36 % पर पाई उठा खेती के काज ससारअ परै छै, आ ओ कर्जा के जाल मे फसि के त्रस्त आ अंततः खतम भ जाइये। वाणिज्यिक बैंक के अन्य समस्या मे बैंकिंग प्रणाली के नौकरशाहीकरण सेहो छै, ब्लॉक स्तर से जिला स्तर तक सब क्यो ओकर उच्चाधिकारी जेना गप्प करै छै, वास्तविकता मे बैंक के प्रधान कार्यालय के लिखित आदेश के बिना मैनेजर कोनो काज नै क सकै छै, मुदा स्थानीय नेता आ स्थानीय सरकारी अधिकारी लोकनि अपन अलगटेंट देखा, गलत सलत कार्य करबाक लेल बैंक अधिकारी आ कर्मचारी के बाध्य करैत रहलाह अछि, ताहि द्वारे बेसी ठाम नीक आ ईमानदार व्यापारी आ किसान के कर्ज़ नै भेटई छै, किए ते ओ स्थानीय नेता आ स्थानीय सरकारी अधिकारी लोकनि के खुरपूजाई के विरोध मे रहैत अछि, ओकर सोच ई छै जखन हमर व्यवहार ईमानदार अछि, हम मेहनती छी, हमर कागज़ दुरुस्त अछि, तखैन हमर काज मे विरोध कोन छै। राष्ट्रीयकरणक ई साइड नतीजा छिए जे बैंकों के सुचारु कामकाज मे लालफीताशाही, अशाध्य देरी, पहल के अभाव आ त्वरित निर्णय लेने में विफलता आई देश के विकास मे बाधक बनि गेल अछि। राष्ट्रीयकृत बैंक के कामकाज के केंद्र आ राज्य से बढ़ैत राजनीतिक दबाव बाधित क रहल अछि । विभिन्न प्रकार के राजनैतिक दबाव क कारण राष्ट्रीयकृत बैंकों के अक्सर अनेकानेक कठिनाइ से जूझए परैत अछि। अहि तरह के दबाव कर्मियों के ट्रान्सफर पोस्टिंग में सेहो होई छै आ ईमानदार कर्मचारी आ अधिकारी के भरि जन्म छोट स्थान मे काज के लेल बाध्य करैत छै। राजनीतिक दल विशेष के लोक के ऋण देबाक ले, बैंक मैनेजर आ अधिकारी पर दवाब बना, बिना उचित प्रक्रिया आ नियम आ व्यक्तिगत साख पर बिनु विचार केने लोन देला पर बैंक आ अंततः देश के जे हाल हेतई से भ रहल छै।

आई बैंक मे काज करब अत्यंत कठिन अछि आ कर्मचारी आ अधिकारी अत्यंत दयनीय परिस्थिति मे काज क रहल अछि, देश के आर्थिक रूप से सबल केनिहार संस्था आई धरि अपन दयनीय आर्थिक परिस्थिति के प्रति सचेत नै भेल अछि आ ने भारत सरकार आ राज्य सरकार सब बैंक के सबल करबाक हेतु कोनो प्रयास क रहल छथि, ई अत्यंत दुखद अछि, साल 2017-18 मे सरकारी बैंक सब कुल मिला के एक लाख करोड़ के नुकसान हेबक आकलन छै, अहि मे बेसी पाई बड़का बड़का उद्योगपति से लेबक छै, मुदा हाल के समय मे जेना ज्ञात भेल, कतेको एहन नीरव मोदी आ माल्या आ अन्य एहन महानुभाव लोक सब देश छोड़िए चलि गेलाह, बाकी बहुत कर्ज़ देश के बिभिन्न न्यायालय मे अटकल छै, जा धरि भारत सरकार पूर्ण इच्छा आ ताकत के संगे, बैंक के अप्पन सहयोगी संस्था बुझि सहयोग नै करत, आ कपटपूर्ण बीमा बिक्री , आ अन्य अलाभप्रद काज के बैंक से बंद नहि करत, ता धरि बैंक मे आ बैंक ले “अच्छे दिन” अबै से रहल।

नोट – ई लेखक क अप्‍पन विचार अछि ।

Tags: BankingNeerav ModiSBI
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