रामबाबू सिंह
मधेपुर । मोदी सरकारकें वर्तमान पारीक अंतिम आम बजट सँसदमे प्रस्तुत कएल गेल। ई बजट आम जनताकेँ कसौटी पर कसगर सिद्ध भेल आ कि नै से तँ रामहि जानथि कारण जतय बड़का बड़का अर्थशास्त्रकें निपुण लोकनि कोनो निष्कर्ष धरि नै पहुँच सकथि ओतय हम कोन खेतक मुरई? जतेक मुँह ओतेक बात सुनल आ बुझल जाइए आ ओतबे फराक। मुदा एकटा सामान्य नागरिक होयबाक नाते अपन मन्तव्य अहि सन्दर्भमे जरूर चेपS चाहब। चेपब अहि द्वारे कि ई हमर जन्मसिद्ध अधिकार अछि आ कर्तव्यक जँ बात करि तँ तकर वोध किछुए दिन पहिने माननीय करौलनि।
कर्तव्यवोध सँ हालिया साहेब जीक साक्षात्कार मोन पड़ि गेल। रोजगारकेँ मुद्दा पर बेबाक भ ओ बजलाह जे देशक पढ़ल लिखल प्रवीण युवा वर्ग हाथक सफाई सेहो देखा सकैए छथि। अहिसँ 65% युवावर्ग हस्त कलामे सिद्धस्त सेहो भ जएताह संगहि छोटछिन ढऊआ कौड़ीसँ अप्पन व्यवसाय साहेब सनक लोकक बाम दहीनमे पकौड़ा छानिक सेहो लगा सकैए। साहेब केर तँ खुनमे व्यापार छनि से कएको बेर स्वयं उद्धोषन कए चुकलाह अछि। मुदा देशमे व्यापारक स्थिति जाहि तरहे पाताललोकमे सनहिआयल जा रहल अछि से देखि ओंघायल अहिरावणक निनि सेहो उचटि गेल हेतनि मुदा हाय रे करम आँखिक सोझामे तबाह होयत व्यवसाय एतहुका कुम्भकरणकें नै सुझैत छनि। ओ तँ एकरा अपन उपलब्धि बुझि उत्सव मनबैत अछि। वास्तवमे ‘विनाशकाले विपरीत बुद्धि” एकरे कहल जाएत अछि। सम्प्रति देशमे व्यापारक एहन कोनो क्षेत्र नै जतय मरघट सन दृश्य नै देखल जाइत होय, परञ्च अहि सन्दर्भमे सरकारक सोच पर एकटा आरो कहबि मोन पड़ैत अछि जे ” किदन फटे तँ मल्हार गबै”।
देशक बजटके 68% सँ बेसी केवल जनताकेँ जेबीए सँ टैक्स स्वरूप कटैत अछि। अहि देशक लोक पकौड़ा बेचय वा अपन देहक खून सरकारकेँ मतलब खाली टैक्स सँ रहैछ। सुविधाकें नाम पर केवल घोषणाक झुनझुना हाथमे धरा दैत अछि बस। सरकारकेँ अहाँ परजीविक पर्याय कहि सकैत छी। अपनहुँ पेटक जोगार जँ ओ सभ कमा लिए तँ देश पर उपकार तँ होइतहि संगहि आम लोक सेहो हिनकर सभक कृतज्ञ होयतै।
देशक अतेक बड़का संसाधनकेँ उपयोग अपन पसिनके लोकक बीच बानर जकाँ बाँटि दैत अछि मुदा स्वयं देशहितमे किछु कमउताह से नहि होयत छनि। अगबे टैक्स कोना बेसी सँ बेसी असुली कएल जाए ताहिलेल दुनिया भरिक अर्थशास्त्रिक भजारक जमघट लगेने रहैत अछि। मुदा टैक्स कम आ आम लोक एकर बोझ तर नै पिसाई ताहिलेल कियो नैS सोचैत अछि?
एखन टैक्स मुक्त देश सऊदी अरब, तेलक दाम ऊपर नीचा सँ होयत प्रभावकेँ संतुलित करय लेल बिलियन डॉलर केर व्यवसायिक प्रोजेक्ट पर काज कS रहलैए जाहिसँ भविष्यमे निफिकिर भ रहि सकैए। सीखबाक बेगरता अछि, बुद्धिमान तँ तन मन धनसँ रावणो रहय मुदा अहंकारीक अज्ञानता सँ अपन समस्त कुलक ‘खोप सहित कबूतराय नमः” करा श्रधांजलि द अपनो चलि गेलाह।
इच्छाशक्तिक घोर अभाव केवल एकमात्र कारण अछि। रेलवे लग अथाह संसाधन अछि जे बेच सँ नीक ओकर आर्थिक रुपे विकास कएल जाए। देशक पर्यटन स्थल पर काज कएल जाए। हजारो करोड़क आईपीएल मे नीलामी सँ खूब धन बटोरि सकैए छथि मुदा ओतय साँप सूँघि जाएत छनि। लाखो करोड़क कर्जा ल क बुलेट ट्रेन गुजरातमे थुथुन चमकेबासँ पहिने ओहि रुपैयाक निवेश रोजगारमूलक होय ताहि पर सोचथि। मतलब कमेबाक काज केवल आम जनता टाकेँ नैS अपितु देशक सरकारकेँ सेहो सोच होयबाक चाहि आ से एहन तरहक सोच विकसित करबाक मानसिकता कहिया धरि आओत से चिंतनीय अछि?
अमेरिका केर हमर धरती उर्वरता सँ भरपूर देखाइत अछि। दुनियामे हमर देश अवसरक देश अछि आ से सुनि हम आत्ममुग्ध आ आह्लादित होयत रहैत छी मुदा ई अवसर हमरा सभकें किएक नैS सूझि रहल अछि? खाली खैरात कतेक कोना आ कतयसँ भेट जाए ताहिलेल खकटल रहला सँ देश विश्व गुरु बनि जेतै कि? नित नवका नवका बात सुनैत छी अहिबेर एक तँ शेयर बजारकें निवेश पर सालमे 15% टैक्स काटत आ दोसर एखन धरि मिडिल क्लास केर की परिभाषा होइछ से आदरणीय वित्त मंत्री जीकेँ नहि बुझल छनि।