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नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

पत्रकार पुष्यमित्रक इ सवाल गंभीर अछि जे मोदी क विकल्प केहन चाहैत अछि कारोबारी जगत। मनमोहन जे कारोबारी जगत लेल नहि क सकताह ओ मोदी हाथ खोली कए केलथि, मुदा कारोबारी जगह कए ओकर लाभ नहि भेल बल्कि ओकर लाभ केवल दूटा कारोबारी कए भेल। सवाल अछि कारोबारी जगत आइ लाभक बंटवारा चाहैत अछि या नीति मे बदलाव।

December 5, 2019
in विचार
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पुष्यमित्र

मोदी-अमित शाह सरकार के विरोध एखन तक खाली देशद्रोही बुद्धिजीवी आ गरीब-दलित-आदिवासी-मुसलमान जनता करैत रहे, तीन-चाएर दिन स देश के उद्योगपतियो सब क्रांति क झंडा उठाय कए ठाढ़ भ गेल छथिन. गांधी जी क प्रिय मानसपुत्र जमनालाल बजाज क पौत्र उद्योगपति राहुल बजाज एकर शुरुआत केलखिन, भरल सभा में अमित शाह कए कहलखिन कि हम अहां क नीति क आलोचना करै चाहै छी, मुदा हमरा इ डर बुझाबै य कि अहां आ अहां क समर्थक सभ एकरा नीक अर्थ आ नीक भावना मे ग्रहण नै करथिन. तकर बाद किरण मजूमदार शा नाराजगी व्यक्त केलखिन आ तकर बाद उद्योगपति हर्ष गोयनका जे आरपीजी समूह के मालिक छथिन क्रांतिकारी कविता ‘राजा बोला रात है… यह सुबह-सुबह की बात है.’ ट्विट केलखिन. इशारा देश के एखुनका राजा रहथिन. उद्योगपति कुनू देश क रहै, अपना जानतौं सरकार क विरोध में ठाड़ नै होएत छै. ऊ सभ कोशिश करैत छथिन कि सरकार स मिलाइये कए चली, बिगाड़ नै हु. मुदा इहो गप सत्त थीक जे लोकतांत्रिक देश मे सरकार कए बनाबै आ बिगाड़ै क खेल उद्योगपतिये सभ खेलैत छथिन, मुदा चुप्पेचाप.

 

देश क राजनीतिक चालचलन के अध्ययन करै बला विशेषज्ञ सभ ई गप जानैत छै कि लोकतांत्रिक देश क राजगद्दी क फैसला किछ पैघ व्यापारिये सभ करैत छथिन. जखन व्यापारी पलैट जाएत छै, तखन सत्ता क कुरसी क पौवा हिलै लागै छै. ई बुझल गप छै कि मनमोहन सिंह क कुरसी कुनू अन्ना आंदोलन, कुनू हिंदुत्व क उभार के कारण नै गेलै. हुनकरो खिलाफ कारपोरेट रहै. कारपोरेट हुनका सं उम्मीद राखले रहै कि उदारवादी अर्थव्यवस्था क देश में सबसे पैघ पैरोकार मनमोहन सिंह अपन राज में गरीब क फिरी में बांटै बला सभ टा सब्सिडी खत्म करवा देथिन, श्रम कानून मे एहेन परिवर्तन करथिन कि मालिक सभ क कुनू मजदूर क हटायब आ पैसा काटब आसान भ जाये. कारपोरेट जगत क अपेक्षा रहै कि मनमोहन सिंह सभ टा सरकारी स्वामित्व बला कंपनी क निजीकरण कै देथिन. भूमि अधिग्रहण कानून कए एहेन कमजोर कै देथिन कि ककरो उद्योग ल सौ-दू सौ एकड़ जमीन कीनै ल परेशान नै हुए पड़ै. ऑनलाइन कारोबार कए बढ़ावा भेटै, जेकरा स छोट-मोट व्यापारी सभ क दुकान-धंधा बंद भ जाये, हरदी से नून तक, कपड़ा स गंजी तक सभ खरीद बिक्री चाएर पांच टा पैघ कंपनी क हाथ में सीमित भ जाये. मुदा मनमोहन सिंह कारपोरेट क मनोकामना क पूर्ति नै कए सकलखिन. ऊ अपनै चाहैत रहथिन, कोशिशो केलखिन, मुदा यूपीए सरकार असकर हुनकर सरकार त नै रहै. पहिलुक खेप में वामपंथी पार्टी सभ क कंट्रोल रहै, तकर बाद सोनिया गांधी क लीडरशिप बला राष्ट्रीय सलाहकार परिषद, जेकरा में देश भर क जनसमर्थक आंदोलनकारी शामिल रहथिन.

 

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एखन सोचै छी त भरोस नै होय य कि कुनू सरकार एहनो भ सकै य जे जनता क अधिकार अपने स दै ल तैयार भ जाये. सूचना के अधिकार, भोजन के अधिकार, शिक्षा के अधिकार, काम के अधिकार (रोजगार गारंटी-मनरेगा), जंगल क अधिकार. सोचियौ, इ सभ अधिकार यूपीए क पहिलुक टर्म में सरकार द्वारा जनता क देल गेलै. वाएह सूचना क अधिकार कि दस टका में सरकार स अहां कोनो सूचना मांएग सकैत छी. ऊ अधिकार स पंचायत स ल कए प्रधानमंत्री कार्यालय तक स सूचना मांगल गेलै. रोड पर चलैत आदमी सरकार स सवाल करे आ जवाब भेटै. मुदा पांच स सात साल होएत-होएत सरकार पस्त भ गेलै, आब एहेन फेरा क देले छै कि मागूं एक टा सूचना, अहां क दस मास तक इम्हर स ओम्हर दौड़ायत. भोजन क अधिकार, मने गरीब आदमी क मास भैर खाय कए लगभग फ्री मे इंतजाम, स्कूल मे मिड डे मील, आंगनबाड़ी मे पोषाहार. मने खाय बिना कियौ मरै नै. खायल-पियल लोक क ई गप नीक नै लागलै, लेबर क सरकार घर बैसा क भोजन दै छै, आब कियो किया खेती-मजूरी करतै. मुदा जेकर घर में दिन त राएत नै, आ राएत त दिन नै भनसा चढ़ैत रहै, जेकर बाल बच्चा दूध आ नीक भोजन कहिये देखने नै रहै, ओकरा ल त इ काज स्वर्ग क प्राप्ति रहै. रोजगार गारंटी मने केकरो काज चाही त सरकार न्यूनतम मजदूरी क आधार पर सौ दिन साल में रोजगार देतै. बहुत सक्सेस नै रहलै इ योजना, भ्रष्टाचार हुए लागलै. तहियो गरीब क जीवन में एकरा से बहुत फर्क पड़लै. जे बिहार के जनता दू पैला धान ल गिरहथ क दुआर पर दिन भर बेगारी करैत रहै, जेकर बाल-बच्चा दिल्ली-पंजाब में छिछियाबै, ओकर भाव पहिलुक बेर बढ़लै. काज कराबै बला कए ओकर खोसामद करै पड़लै. हम सभ अपन गाम में देखले छी कि पंजाब क लेबर सप्लायर सभ एक स एक औफर लै कए आबै, मोबाइल देबौ, टीबी कीन देबौ. मुदा इहो योजना क सत्यानाश भ गेलै. फेर लेबर सभ दिल्ली आ पंजाब में छिछुआबै छै. एखन जे स्कूल आ कौलेज कए कहल जाएत छै कि अपन-अपन खर्चा क इंतजाम अपने स करू, आ सभ संस्थान में फीस बढ़ल जा रहल छै.

 

याद करू 12-13 साल पहिनै, एक टा सरकार शिक्षा क अधिकार मानैत कानून बनेले रहै. बारह बरख तक पढ़ाई फिरी, हर दू किलोमीटर में एकटा स्कूल हेतै, तीन किमी में हाइस्कूल. प्राइवेटो स्कूल में गरीब बच्चा क फ्री एडमिशन हेतै. वाएह सरकार कानून बनेलकै कि जंगल क प्रबंधन ओतै रहै बला आदिवासी समाज करते. ओकरे नाम पर जंगल क पट्टा कटतै. यूपीए-1 मे सरकार जनता कए, खास कै क गरीब जनता कए अधिकार पर अधिकार दैत रहे, मुदा जहिया इ सभ होत रहै हमर ओकर मोल नै बुझलियै. सरकार जनता क अधिकार दियै, ई कारपोरेट जगत के नीक नै लगैत रहै. मुदा ई दुनिया देखलकै कि 2008 क वैश्विक मंदी क बीच भारत ठाढ़ रहलै कियै कि ऊ अपन पैसा गरीब जनता क खुशहाली में खर्च करलकै. ऐ बेरका मंदी में सरकार पस्तहाल छै किया कि नोटबंदी, कैशलेश इंडिया आ जीएसटी के जरिये ऊ देश के गरीब जनता आ छोट कारोबारी क अहित केलकै, आ पैघ कारोबारी कए गलत तरीका सं लाभ पहुंचेलकै. मुदा तहियो, कारपोरेट जगत क अपन हिसाब किताब छै. ओकर अपने पेट एतेक पैघ छै कि जनता खुशहाल हुए, ई गप ओकरा बरदास्त नै होएत छै. चाएर आदमी अरबपति भ जाये, बाकी सभ कंगाल भ जाए, याएह एखनका आर्थिक नीति थीक. त मनमोहन सिंह क परफोरमेंस स कारपोरेट नाराज भ गेलै, आ खिसियायल कारपोरेट मोदी कए पाछू ठाड़ भ गेलै. महंगाई आ भ्रष्टाचार आधार बनलै. कारपोरेट क खुश करै ल जे कभ काज मनमोहन सिंह केलखिन जेना 2जी स्पैक्ट्रम बंटवारा, कोल ब्लॉक आवंटन. वाएह सभ हुनकर गरदन क घेघ बैन गेलैन. सरकार चैल गेलैन.

 

आब एखन की भै रहल छै. फोर जी के नाम पर जियो क कून शर्त पर इजाजत देल गेलै, ऊ सभ जानैत छथिन. एयरटेल स लै कए वोडाफोन तलक, सभ चारो खाना चित्त छैथ. बीएसएनएल क त हाले नै पूछू. पुरनका सरकार द्वारा देल गेल सभटा अधिकार एखन ध्वस्त भ गेल छै. रेल के किराया महग भ गेलै, मुदा रेलवे कंगाल भ रहल छै. मंत्री जी कहतै छथिन कि दरमाहा मे सभटा टका खरच भ जाय यै. यौ मंत्री जी यूपीए-1 में लालू जी कोना बिना किराया बढैलै, रेलवे के प्रोफिट में लै आनलै रहथिन यौ. सोझ गप कहु, अहां स नै संभरै य. अंबानी कए बेचै ल चाहैत छी. गैस महग भेल, पेट्रोल महग भेल, सरकारी कोलेज क फीस बढ़ा रहल छी. पियाज नै संभरै य, 120 टका बिकाबै य, मुदा किसान कए भेटलै पांच स दस टका किलो. सरकारी होस्पीटलो क चार्ज अब असूलबै. मने पहिलुक सरकार जनता क अधिकार आ सुविधा देलकै, अहां एक्को पैसा क राहत नै देबै. हां, कारपोरेट क खूब राहत दै रहल छियै. लोन माफ(राइट ऑफ) भ रहल छै, टैक्स मे छूट भेंट रहल छै, जमीन सस्ता मे भेंट रहल छै, कर्मचारी क टेंशन नै रहतै, कखनो राखतै, कखनो निकाएल देतै. कुनू सरकारी कंपनी सस्ता मे कीन लियौ. आब कहू, आब सरकार अहां क कतेक सेवा करत. मुदा कारपोरेट एखनो खिसियायल छै. सरकार स सवाल क रहल छै. किया… किया कि ई सरकार कारपोरेटो क खुश करै में इमानदार नै रहलै. बेइमानी केलकै. अंबानी आ अडानी छोएड़ क सभ क नोकसान भ रहल छै. सब बाप-बाप क रहल छथिन. ऊ देख रहल छथिन कि जेना एयरटेल, आइडिया आ वोडाफोन खत्तम भ गेलै, तेना बजाज, जिंदल, टाटा, बिरला सभ खत्तम भ जेतै. खाली मोदी आ शाह रहतै आ अंबानी आर अडानी. सौंसे मार्केट पर याएह दुनू के कब्जा हेतै. ई खिसियायब कए याएह कारण आ महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन क बाद हिनका सभ कए हिम्मत भेलै कि सरकार क कोश्चन करी. गोस्सा सगरो छै. ई देश खाली मोदी आ शाह, अंबानी आर अडानी क नै छियै. तैं लोक सभ गोस्सा जाहिर क रहल छथिन. मुदा हुनकर गोस्सा स कि देश के गरीब क भला हेतै? जों ई गोस्सा क कारण परिवर्तन हेतै त कि फेर स गरीब क राज एतै जेना यूपीए-1 में आयल रहै? जखन सरकार उद्योगपति क टैक्स रिबेट क बदला मे जनता क अधिकार क गप कै रहल रहै. जखन जनता क सब्सिडी देना अपराध नै मानल जाए रहै. याएह हमर सवाल थीक.

—

पुष्‍यमित्र देशक चर्चित सरोकारी पत्रकार छथि। इ हुनक निजी विचार अछि।

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