मिथिलाक अद्भुत पर्व जुड़-शीतल 14 अप्रैल कए
आशीष झा
मिथिला क प्रकृतिपूजक संस्कृति क अद्भुत पर्व अछि जुड़-शीतल। एहि पर्व क संबंध मे अयोध्या प्रसाद ‘बहार’ अपन पुस्तक रियाज-ए-तिरहुत मे किछु एहने वाक्य लिखने छथि। मुदा ग्लोवल वार्मिंग क एहि दौर मे एहि पर्व क वैज्ञानिक उपयोगिता आ सार्थकता बढि गेल अछि। हम पश्चिम देश क नकल करैत अर्थ आवर क नाम पर ओहि जगह क बत्ती सेहो बंद करि दैत छी, जतए बिजली कखनो-कताल अबैत अछि। की पश्चिम समाज कखनो भनसाघर स निकलैत ऊर्जा पर गौर करैत अछि। की ओ कखनो भनसा घर कए आराम देबाक कोशिश करैत अछि। नहि। मुदा मिथिला मे एकटा पुरान परंपरा अछि जे हमरा एहन करबाक प्रेरणा दैत अछि। जुड-शीतल मिथिला क एकटा एहने लोकपर्व थीक।
आइ बहुत लोक एहि पर्व क संबंध मे नहि जानैत अछि, मिथिला मे सेहो इ पर्व सिमटैत जा रहल अछि। अखबार आ पत्रिका मे सेहो एहि पर्व क संबंध मे कोनो जानकारी नहि अछि। हुनकर सेहो मजबूरी अछि। जुड-शीतल कोनो ब्रांड नहि बनि सकल अछि। इ पर्व न कोनो पैघ नेता मना रहल अछि आ न कोनो कलाकार या खिलाड़ी। फेर कोनो लिखल या देखाउल जाएत। एहन मे एहि पर्व क बारे मे बतेबा लेल नहि त अखबार मे जगह अछि आ नहि चैनल मे समय। मुदा एहि पर्व क रोचकता आ वैज्ञानिकता एकरा मरबा स बचेने अछि। अगर एहि पर्व कए मिथिलाक आन पर्व जेनां छठि आ सामा जेकां प्रचारित कैल जाए, त एहि अद्भूत पर्व पर पूरा विश्व आकर्षित भ सकैत अछि। मूलरूप स इ पर्व सूचिता अर्थात साफ-सफाई स संबंध रखैत अछि, मुदा एकर मुख्य कारक ग्लोवल वार्मिन स बचब अछि। दू दिवसीय एहि पर्व क पहिल दिन सतुआइन आ दोसर दिन कए धुरखेल कहल जाइत अछि।
सतुआइन (14 अप्रैल) : जेनाकि नाम स पता चलैत अछि जे एकर संबंध सत्तू स अछि। सतुआइन क दिन लोक सत्तू आ बेसन स बनल व्यंजन ग्रहण करैत छथि। एकर पाछु तर्क इ देल जाइत अछि जे सतुआइन क अगिला दिन चूंकि चूल्हा नहि जरैत अछि, ताहि लेल सतुआइन क दिन बनल भोजन लोक अगिला दिन सेहो खाइत अछि। एहन मे सत्तू आ बेसन क व्यंजन कए गर्मी क मौसम मे खराब हेबाक आशंका कम होइत अछि। ताहि लेल एकर प्रयोग कैल जाइत अछि। सतुआइन दिन भोर मे जेठ (घर मे सबस पैघ) छोट क माथ पर एक चूडूक पाइन रखैत अछि, माना जाइत अछि जे एहन करबा स पूरा गर्मी क मौसम मे माथ ठंडा रहैत अछि। सतुआइन क दिन गाछ मे पाइन देब अनिवार्य होइत अछि। छोट स ल कए पैघ तक। उच्च स ल कए नीच तक। एक लोटा स ल कए एक बालटी तक पाइन सब कोनो न कोनो गाछ मे जरूर दैत अछि। ओना अनिवार्यता कायम करबा लेल एहि काज कए पुण्य स जोडि देल गेल अछि आ कहल जाइत अछि जे एहि दिन गाछ मे जल डालला स पुण्य होइत अछि।
धुलखेल (15 अप्रैल) : मिथिला मे एहि दिनक बड महत्व अछि। साल मे इ एक दिन एहन अछि जहिया चूल्हाक मरम्मत होइत अछि आ ओकर कोनो प्रकारक प्रयोग नहि कैल जाइत अछि। एहि दिन लोक बसिया भोजन करैत अछि आ भोर स ओहि सब स्थान कए विशेष तौर पर सफाई करैत अछि जाहि ठाम पाइन जमा होइत अछि। जेना तालाब, कुआं, मटका, संप, टंकी आदि। परंपरा क अनुसार एहि स्थान क सफाई क दौरान लोक अपना मे विनोदपूर्ण क्रिया करैत अछि। जेना एक-दोसर क ऊपर पाइन फेंक दैत अछि या फेर पोखरी या ईनार स निकलल थाल एक-दोसर पर फेंक देल जाइत अछि। एहि सफाई स जतए पोखरी आ इनार मे नव जल क आगमन होइत अछि ओतहि समाज क सब वर्ग आ जाति क बीच मेल-मिलाप बढैत अछि। छठि जेका जुड-शीतल मे सेहो कोनो जाति या धर्म क बंधन नहि होइत अछि। लोक मिलजुल कए सार्वजनिक आ निजी जलसंग्रहण स्थल क सफाई करैत छथि। थोडे काल त इ पर्व होली जेका भ जाइत अछि फर्क केवल एतबा होइत अछि जे एहि मे पाइन आ थाल मात्र स एक-दोसर कए पोतल जाइत अछि जखन कि होली मे रंगक प्रयोग होइत अछि। शहर मे लोक आब संप, वाटर फिल्टर आ कूलर कए साफ करि एहि पर्व कए मनेबाक नव शुरूआत केलथि अछि। एहि दिन जतए पहिने माटीक चूल्हा क मरम्मत होइत छल, ओतहि आइ लोक गैस चूल्हा क ऑवर व्लाइलिंग करवा लैत छथि। पोखरी स लकए भनसा घर तक क सफाई क बाद लोग बासी (एक दिन पुरान भोजन) भोजन करैत छथि। मिथिला मे दुपहरिया बाद बहुत ठाम आसमान पतंग स भरि जाइत अछि। मिथिला क कईटा शहर आ गाम मे जुड-शीतलक मेला प्रसिद्ध रहल अछि। एहि पर्व कए बचेबाक जरुरत अछि, एकरा पसारबाक जरुरत अछि, किया कि इ समाज कए धर्म आ जाति क बंधन स मुक्त करैत अछि। अगर पश्चिम क सोच स चलबा लेल शपथ ल चुकल छी तखनो हम इ जरूर कहब जे ग्लोवल वार्मिंग स बचबाक अछि त मनाउ जुड़-शीतल।
जुड़ी शीतल क विषयमे हम अनेक वर्षस लिखी रहल छह जे ई पर्यावरण रक्षक , अबयबला बाढिक पूर्व पोखरे उढहक त्योहार अछि जाकर निहितार्थ बहुत किछू छईक। 14 अपरिलक अश्वनियाम मेषे मिथिलाक नववर्ष सेहो अछि जे मिथिला दिवस्क रूपमे मनेबाक चाही आ मिथिला क झण्डा(आयताकार केशरिया मे हरक नोक पर घइल) घरे घर टांगक चाही- हनुमत ध्वजादान, सलहेश-अंबेडकर क दिन यइह अछि।
Bahut nik .