• मुखपृष्ठ
  • ईपेपर
  • संपर्क
Esamaad
  • समाचार
  • समाद विशेष
  • चित्रालय
  • विचार
  • संपादकीय
  • देश-दुनिया
  • फीचर
  • साक्षात्‍कार
  • खेल
  • तकनीक
No Result
View All Result
  • समाचार
  • समाद विशेष
  • चित्रालय
  • विचार
  • संपादकीय
  • देश-दुनिया
  • फीचर
  • साक्षात्‍कार
  • खेल
  • तकनीक
No Result
View All Result
Esamaad

एखनो अछि मिथिलाक छाती पर गरल सुगौली कील क टीस

March 5, 2017
in विचार
A A

दोसरसमाचार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

मिथिलाक धरोहर छलाह प्रदीप

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

May 30, 2020
नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

December 5, 2019
विकाश वत्सनाभ 
एखनहुँ भूमंडलीकरणक एहि परिवेश मे अपन क्षेत्रीय अस्मिताक मादे हम सभ सचेष्ट छी। एहि ग्लोबल भूगोल मे अपन लोकल भूगोल तकबाक हमरा लोकनिक ई प्रवृत्ति सदिखन एहिना जागृत रहय एकर भगवत प्रार्थना करैत छी।
तिरहुत महाराज प्रताप सिंहक बाद 1785 मे माधव सिंह जखन राजा बनलाह तँ ओ अपन निवास दरिभङ्गा केँ बनौलनि। हिनक शासन काल मे मात्र पाँच बरखक बाद 1790 मे लार्ड कार्नवालिस ‘परमानेंट सेटलमेंटÓ कें तहत तिरहुत कें अपन अधीन बना लेलक। जाहि समय तिरहुत पर ईस्ट इंडिया कम्पनीक अधिकार भेलैक ताहि समय  नेपाल मे राजा पृथ्वी नारायणक नेतृत्व मे गोरखा सभक शासन छलैक। गोरखा सभ  1762 मे बंगालक नबाब मीर कासिमक सेना कें परास्त केने छल आ अपन साम्राज्य विस्तार कें आगाँ बढ़बैत नेपालक तराई क्षेत्र कें सेहो 1768 मे जीत लेलक। ताहि समयक तिरहुतक कलेक्टरक रिपोर्टक मुताबिक गोरखा सभ तिरहुतक करीब 200 गाम पर अपन कब्जा कÓ लेने छल। एहि बीच कतेको गाम सभ जे रैयत कर देबय मे सफल नहि भेलै  ताहि गाम सबकेँ लूटल गेल आ जनता लोकनि केँ अनेक प्रकार सँ प्रताडि़त कयल गेल। गोरखा सभक बढ़ैत प्रभाव आ प्रभुत्वक कारण सँ कंपनी आ नेपालक बीच मतभेद बढैत चलि गेल। 1814 मे गोरखा सेना परशराम थापा कें नेतृत्व मे तिरहुत पर आक्रमण करैत ओ लोकनि एतुका 22 गोट गाम पर कब्जा कय लेलक जकर विरोध मे ब्रिटिश गवर्नर जनरल हेस्टिंग्स गोरखा कें विरुद्ध युद्धक घोषणा केलक। गोरखा लोकनिक युद्ध कौशल आ ब्रिटिश सेनाक भौगौलिक दिक्कतक कारण सँ अंग्रेज केँ बहुत हानि भेलै आ गोरखा सभ अंग्रेज कें कतेको ठाम 1814 -15 मे परास्त केलक मुदा अप्रैल 1815 मे बहादुर गोरखा सैनिक नेता अमरसिंह थापा कें आत्मसमर्पण करबाक हेतु बाध्य होबय पड़लै। लगभग दू बरख धरि भेल एहि युद्धक समाप्तिक लेल गोरखा आ अंग्रेज सैनिक कें बीच 1815 मे एकगोट ऐतिहासिक संधि भेल जेकरा हम सब सुगौली संधि कें नाम सँ जनैत छी।
ई संधि जे ईस्ट इंडिया कंपनी आ नेपालक़ 1814-16 केँ  दौरान भेल से ब्रिटिश-नेपाली युद्ध सँ अस्तित्व मे आयल जाहि पर 2 दिसम्बर, 1815 कें हस्ताक्षर कएल गेल आ  4 मार्च 1816 कें एहि पर अनुमोदन भेल। नेपालक़ दिस सँ एहि पर राज गुरु गजराज मिश्र जिनकर सहायक चंद्र शेखर उपाध्याय रहथिन आ कंपनीक़ दिस सँ लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडशॉ हस्ताक्षर केलक। एही संधि मे नेपाल कें अपन एक तिहाइ भूभाग गमाव परलै जे नेपालक राजा द्वारा पछिला 25 बरख मे जीतल क्षेत्र जेना पूरब मे सिक्किम, दार्जिलिंग पश्चिम मे कुमाऊँ आ गढ़वाल आ दक्षिण मे तराई बला क्षेत्र शामिल अछि। एहि क्रम मे अंग्रेजी सरकार द्वारा अपन कूटनीति आ आर्थिक लाभ क़े तहत मिथिला क़े दू भाग मे बाँटल गेलै । इतिहासकार राधाकृष्ण चौधरी ‘खण्डबालाज ऑफ़  मिथिलाÓ मे एहि मादे लिखने छथि जे पहिने तँ उपजल तत्कालीन असंतोष कें दबेबाक लेल पहिने 1817 मे आ पुन: 1857 मे उपजल सिपाही विद्रोह कें दबेबाक लेल नेपाल द्वारा अंग्रेज कें कयल गेल सहायतका एबज मे 1860 मे तराई क्षेत्रक एक पैघ भूभाग नेपाल कें पुन: वापिस कय देल गेल जकर परिणाम स्वरुप एखनुक जनकपुर धाम ,राजमहिसौथ ,राजविराज ,विराटनगर तमाम महत्वपूर्ण स्थान सभ नेपाल सरकारक अधीन भ गेलै।
ई सत्य छैक जेना बंगालक विभाजन  किंवा पंजाबक विभाजन वा आन अन्य अन्य विभाजन सभ पर बहस होइत अछि मुदा मिथिलाक विभाजन मात्र एकटा मौन स्वर बनि रहि गेल अछि। इतिहासकार लोकनि सेहो सुगौली केर एहि विभाजन मे मिथिलाक दु:खक सन्दर्भ मे कम आ भारतीयताक परिपेक्ष मे एकर महिमामंडन करैत छथि। एहि ठाम पंडित सीताराम झाक लिखल ई पाँति समिचीनी बुझि पड़ैत अछि :
सभकियो लेलनि बंसी डोर, मारय माछ खाथि नित झोड़
हमरा कहैथ चाली गाँथ, सभसँ बुडि़बक दीनानाथ
आइ भोरे जखन फेसबुक पर छलहुँ तँ बहुत रास स्टेस्ट्स आदि आजुक ऐतिहासिक विषय पर दृष्टिगोचर भेल छल। जाहि मे एकटा प्रतिक्रिया अहाँ सभक संग एहि ठाम साझा करैत छी- आइ चारि मार्च अछि। जाहि इलाका केँ बचेबाक लेल महाराजा पुरुषोत्तम ठाकुर अपार प्राण गमेला, महाराजा नरेंद्र सिंह अपन जानक आहुति देलनि, महाराजा राघव सिंह बहादुरिक परिचय देलनि से अंत मे ब्रिटिश हुकुमातक हाथे नेपाल केँ प्रपात भेलै। एहि बटाबारा सँ नहि केवल तिरहुतक हृदयस्थली जनकपुर विदेश भ गेल अपितु गोनू झा सेहो विदेशी भ गेलाह। एहि तरहक आन अनेको प्रतिक्रिया एखन लोक सभ पसरि रहलैथ अछि।
एमहर आबि कए मुखर मिथिला अभियानी डा. लक्ष्मण झा जाहि समय मिथिला सोसलिस्ट पार्टी कए अध्यक्ष रहैत एहि मादे आंदोलन आरम्भ करैत आह्वान कएल गेल। एहि ठाम हुनक ओहि ऐतिहासिक वक्तव्य केँ राखि रहल छी – आइ सँ एक सय अठतीस वर्ष पूर्व 1816 इस्वीक 4 मार्च केँ अंगरेजी इस्ट इण्डिया कम्पनी ओ
नेपालक गोरखा राजा मिथिलाक भूमि केँ लूट कय माल बनाय अपनामे बांटलक । पांच हीस कय दच्छिन स चारि हीस ( 20 हजार वर्गमील )लेलक अंगरेज ओ एक हीस उत्तर स सिरोभाग ( 5 हजार वर्गमील ) लेलक गोरखा । सीमा लेल दुनू मिलि मिथिलाक पच्छिम स पूब तक ईंटक पाया गाड़लक । से पाया जा उखड़त नहि ता मिथिला उन्नतिक कोन योजना – नदी, नहर, बांध, सड़क, उद्योग या व्यापारक – चलि सकत? आउ, सब मिलि छाती परक ई कील उखडय़ से उपाय सोची, करी। आलस ओ गोलैसी छोडय़ पड़त । साहस, धैर्य ओ त्याग सय बढब ताहीखन उद्धार अछि ।
एखन जेहन भारत आ नेपालक बीच ‘ओपन बॉर्डर रिलेसनÓ छैक तेहन प्राय: आन ठाम कतहुँ नहि भेटैत अछि। एहि सँ पाया पारक दुनू भागक मिथिलाक आवाजाही एखनहुँ निर्वाह भÓ रहल अछि मुदा डा. लक्ष्मण झा जे  कील गाड़ल जेबाक सन्दर्भ दैत पायाक विरोध करैत छथि से एहि तथ्यक पुष्टि करैत अछि  जे ‘सुगौली संधिÓ भारत आ नेपालक बीच एहेन विवाद ठाढ केने अछि जेकर टीस एखनहुँ दुनू पारक मैथिलीक भीतर छैक। भारत सँ बेसी विरोधक स्वर नेपाल मे उठैत अछि आ एहि संधिक परिणामक भुक्तभोगी एखन धरि पाया पारक ओ सम्पूर्ण मैथिल छथि जिनका अपन पहिचान अपन अधिकार आ अपन स्मिताक लड़ाइ एखनो धरि नेपाल मे लड़ परि रहल छनि।
1950 मे भारत आ नेपाल एकटा मैत्री संधि केँ तहत एहि तरहक पछिला विवाद सभ कें सुलझेबाक प्रयास केलक जाहि मे अपन अपन सीमा मे उपस्थित भू -भाग पर नियंत्रण रखैत आपसी सम्बन्ध आ परस्पर सहियोग कें बात सोंझा आयल। आब एहन पृष्ठभूमि मे भारतीय मिथिला कें पुन: नेपाल मे मिलेबाक अथवा नेपाली मिथिला केँ पुन: भारत मे मिली जेबाक प्रासंगिकता कतहुँ सँ ठोस नहि अभरैत अछि। तखन हँ, जे साझा संस्कृति, भाषा, व्यवहार, बेटी -रोटीक सम्बन्ध, अपन स्वतंत्र स्मिताक आ अपन भूगोलक जे संघर्ष छैक तकरा तमाम राजनीतिक विषमताक बादो अक्षुन्न रखैत ओकरा खाध-पानि देबाक उद्दोग हमरा लोकनि अवश्य करैत रही। सीमा भने हमरा सबकेँ पृथक करैत हो, कोशी गंडकी जमुनी बेलौंति मे भले विषमताक पानि बहय लागल हो, दरभंगा आ जनकपुर भले दू टा अलग प्रशासन तंत्र सँ संचालित आ शोषित भÓ रहल हो मुदा जे मिथिला एकहकटा मैथिलक छाथि मे जिबैत छैक ताहि केँ ब्रम्हण्डक कोनो अदालत अपन कोनो निर्णय सँ पृथक नहि कय सकैत अछि। एहि सन्दर्भ मे एहिठाम धीरेन्द्र प्रेमर्षिक एक प्रसिद्ध पंक्ति केँ रखैत अपन विचार पर पूर्णविराम दैत छी ।
मानैत छी जे आब रहल नइ दुनियाके भूगोलमे
तैयो हमसब बचाकऽ रखलौं जकरा माइक बोलमे
सोहर- लगनी- जटाजटिन कि झिझिया- साँझ- परातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए एकहक मैथिल छातीमे
Tags: mithilaSugauliSugauli Sandhi

Related Posts

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

मैथिलीपुत्र प्रदीप : मिथिलाक लोकक गीतकार

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

मिथिलाक धरोहर छलाह प्रदीप

May 31, 2020
कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

कागज पर नहि मैथिलक कंठ मे बसल अछि कवि प्रदीप क गीत

May 30, 2020
नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

नीति या हिस्सा आखिर केकरा लेल तमसायल अछि कारोबारी जगत

December 5, 2019
फिल्मक समीक्षा : “गामक घर”  शून्य स अनंत धरि

फिल्मक समीक्षा : “गामक घर” शून्य स अनंत धरि

November 14, 2019
गांधीजी की छलाह ?

गांधीजी की छलाह ?

October 2, 2019
Next Post

बिहार मे खुलत नीरा प्रोसेसिंग क चारि टा कारखाना

कुशेश्‍वर स्‍थान मे बनत बर्ड रेस्‍क्‍यू आ ब्रीडिंग सेंटर

कियो नहि उठेलक मिथिलाक विकासक नैतिक दायित्व

Comments 1

  1. Archit Shivam says:
    5 years ago

    हमहूं अपन मैथिली रटना सब साझा करय चाहति अछि । से केना करू ?

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

टटका समाचार

साहित्य समाद – समटल प्रकाश

प्राथमिक शि‍क्षा मे मैथि‍ली भाषाकेँ पढ़ाई लेल चलाओल गेल ट्वीटर ट्रेंड : भारत संगे नेपालक मैथिल लेलनि हिस्सा

सात जिला मे बनत बहुउद्देशीय इंडोर स्‍टेडि‍यम, सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक आ स्विमिंग पुल, केंद्र देलक 50 करोड़

एम्स मे शिफ्ट होयत डीएमसीएच क सामान, मार्च मे होएत उद्घाटन, नव सत्र स पढाई

होटल मैनेजमेंट क पढ़ाई करती बालिका गृह क 16 बालिका लोकनि, 29 कए जायतीह बेंगलुरु

हेलीकॉप्टर स आब वैशाली आबि जा सकता सैलानी, पर्यटन विभाग बना रहल अछि कॉमर्शियल हेलीपैड

फेर स शुरू होएत पंजी सूत्रक पढाई, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय शुरू करत डिप्लोमा कोर्स, genetic relations पर होएत शोध

बिहारक पंचायत क वित्‍तीय स्थिति मे भेल सुधार, पहिल बेर भेटत एक हजार करोड़ तकक उपयोगिता प्रमाण पत्र

आइटीआइ छात्र कए नौकरी देबा लेल 200 कंपनी आउत बिहार, मार्च तक तैयार होएत डेटाबेस

बेसी पढ़ल गेल

No Content Available

सर्वाधिकार सुरक्षित। इसमाद डॉट कॉम मे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ता लग सुरक्षित अछि। रचना क अनुवाद आ पुन: प्रकाशन वा आर्काइव क उपयोग लेल इ-समाद डॉट कॉम प्रबंधन क अनुमति आवश्यक। प्रबंधक- छवि झा, संपादक- कुमुद सिंह, राजनीतिक संपादक- प्रीतिलता मल्लिक, समाचार संपादक- नीलू कुमारी। वेवसाइट क डिजाइन आ संचालन - जया झा।

हमरा स संपर्क: esamaad@gmail.com

  • मुखपृष्ठ
  • ईपेपर
  • संपर्क

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2007-2019 | esamaad.com

No Result
View All Result
  • समाचार
  • समाद विशेष
  • चित्रालय
  • विचार
  • संपादकीय
  • देश-दुनिया
  • फीचर
  • साक्षात्‍कार
  • खेल
  • तकनीक

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2007-2019 | esamaad.com

error: कॉपी डिसेबल अछि