2 जनवरी, 1975 कए समस्तीपुर मे भेल तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्राक हत्या एकटा सामान्य घटना नहि छल। हुनक हत्या एकटा शहर क सपना क हत्या छल। सीबीआई 38 साल स जांच करि रहल अछि। 38 साल स दरभंगा अपन एहि नेता क हत्या पर स पर्दा उठबाक बाट ताकि रहल अछि। ललित बाबू क हत्या स हुनक अनुज कए सत्ता भेट गेल आ पुत्र कए राजनीतिक जमीन, अनाथ भेल त केवल ओ शहर आ समाज जेकर ओ नेता छलाह। तारीख पर तारीख सुनैत-सुनैत ३8 साल बीत गेल, आखिर कहिया आउत फैसला…
कुमुद सिंह
पिछला 38 साल स बिहार खास क मिथिला ललित नारायण मिश्र हत्याकांड पर चलि रहल सुनवाई पर फैसला सुनबाक बाट ताकि रहल अछि। सीबीआई एहि मामला क जांच करि रहल अछि। कोनो जांच एजेंसी क इतिहास मे इ सब स पुरान मामला अछि, जेकर निबटारा तीन दशक बितला क बावजूद एखन धरि नहि भ सकल अछि। सवाल उठैत अछि जे आखिर कतेक दिन आओर सीबीआई आ कोर्ट ललित बाबू क हत्यारा कए तकबा आ सजा देबा मे आओर लगाउत। जखनकि ललित बाबू क हत्याक मामला देशक एहन पहिल मामला अछि जाहि मे सुप्रीम कोर्ट सुनवाई बिहार स बाहर आन राज्य मे करबाक निर्देश देने अछि। कोर्ट क कहब छल जे एहि मामला क निष्पक्ष जांच बिहार मे नहि भ सकैत अछि, संगहि ओहि ठाम सबूतक संग सेहो छेड़छाड़ भ सकैत अछि। कोर्ट क निर्देश पर एहि मामला क सुनवाई पटना स दिल्ली पटियाला कोर्ट मे स्थानांतरित कएल गेल। बाद मे एकरा तीसहजारी कोर्ट आनल गेल। जाही ठाम रोज सुनवाई भ रहल अछि।
सात जनवरी, 1975 कए दर्ज एहि मामलाक सुनवाई तीस हजारी कोर्ट मे कहबा लेल रोज भ रहल अछि, मुदा प्रगति क नाम पर इ मामला गवाही स आगू नहि बढि़ सकल अछि। 1300 हजार पन्ना लिखबाक बावजूद इ आई धरि तय नहि भ सकल, जे ललित नारायण मिश्रक हत्या के आ किया केलक। पिछला 36 साल मे मामलाक एकटा मुख्य आरोपित आ बचाव पक्षक चारि टा वकीलक निधन भ चुकल अछि। 17 दिसंबर, 1979 स दिल्ली क तीसहजारी कोर्ट मे एकर सुनवाई चलि रहल अछि। एहि स पहिने एकर सुनवाई पटना मे चलि रहल छल। पटना मे भेल सुनवाई क दौरान बचाव पक्ष क मात्र तीन टा गवाहक गवाही भेल छल।
एहि मामला मे एखन धरि करीब 170 गोटे अपन गवाही द चुकल अछि। एहि मे जनवरी 1994 स 2002 क बीच कुल आठ टा मे स पांच टा मुख्य आरोपित क गवाही भेल। एहि मे संतोष आनंद, सुधोव, गोपालजी, अतेश आनंद आ रंजन द्विवेदी प्रमुख छथि। पत्रकार आ पूर्व मंत्री अरुण शौरीक तक क गवाही भेल। ओ 1975 मे एहि मामला स संबंधित दू टा आलेख इंडियन एक्सप्रेस मे लिखने रहथि। एना करि कए अधिकतर गवाह एहि मामला मे कोनो खुलासा करबाक कोशिश नहि केलक अछि।
13 हजार पन्ना स बेसी लंबा एकर सुनवाई भ चुकल अछि, मुदा एखन धरि किछु प्रश्नक उत्तर नहि भेट सकल अछि। सीबीआई इ बतेबा मे एखनो असमर्थ अछि जे आखिर पूर्व रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र कए समस्तीपुर मे छोट अस्पताल रहबाक बावजूद बिना प्राथमिक उपचार कए दानापुर किया आनल गेल। गौर करबाक विषय अछि जे दरभंगा स समस्तीपुर क दूरी मात्र आधा घंटा रहितो दरभंगा नहि ल जायल गेल, जाहि ठाम इलाजक बेहतर सुविधा छल। जखन कि ललित बाबू दरभंगा स सांसद छलाह आ हुनकर घायल हेबाक समाचार सुनि दरभंगा क प्रसिद्घ चिकित्सक डॉ. नवाब समस्तीपुर लेल विदा भ गेल छलाह। सीबीआई आइ धरि इ तक पता नहि लगा सकल अछि, जे समस्तीपुर स दानापुर जेबा लेल जाहि ट्रेन क व्यवस्था कएल गेल ओकर स्तर सवारी गाड़ी क स्तर स नीचा रखबाक निर्देश केकर छल। सीबीआई क दस्तावेज मे इ आश्चर्य जताउल गेल अछि जे आखिर गंभीर रूप स घायल रेलमंत्री क विशेष टे्रन कए कोना आ केकर आदेश स समस्तीपुर स दानापुरक बीच करीब डेढ़ सौ किलोमीटरक दौरान कई बेर रोकल गेल आ मामूली गाड़ी कए आगू बढ़ाउल गेल।
सीबीआई पिछला 38 साल मे इ पता सेहो नहि लगा सकल जे दानापुर ल जेबाक विचार केकर छल आ एकर पाछु तर्क कि छल। तीन दशक बितलाक बावजूद इ प्रश्न निरूत्तर अछि, जे समस्तीपुर मे ललित बाबू स गंभीर स्थिति हुनक छोट भाई जगन्नाथ मिश्र क छल, मुदा ओ बचि गेलाह आ ललित बाबू क निधन भ गेल। ज्ञात हुए जे एहि हत्याकांड क किछु दिन बाद जगन्नाथ मिश्र बिहार क मुख्यमंत्री बनलाह।
सीबीआई क दस्तावेज कहैत अछि जे ललित बाबू मोकामा धरि चलैत-फिरैत अवस्था मे छलाह त दानापुर पहुंचैत-पहुंचैत हुनकर मौत कोना भ गेल। सवाल उठैत अछि जे अगर मोकामा क बाद ललित बाबू क स्थिति एकाएक गंभीर भ गेल त हुनका पटना मे किया नहि उतारि लेल गेल।
बिहार मे विकास क राजनीति क जन्मदाता ललित बाबू हत्याक पाछु आनंदमार्गी सबहक हाथ बताउल जा रहल अछि। किछु गोटे एकरा विशुद्घ रूप स राजनीतिक हत्या मानि रहल छथि। एहन लोक क कहब अछि जे ललित बाबू कांगे्रस मे काफी मजबूत भ गेल छलाह। रूस स हुनक नजदीकी कांगे्रस क किछु नेता लेल परेशानी बनि गेल छल। एहि संदेहक पाछु सेहो ठोस तर्क देल जाइत अछि। 2 जनवरी, 1975 कए जखन समस्तीपुर मे ललित बाबू पर बम स हमला भेल तखन बिना कोनो तय कार्यक्रम कए प्रधानमंत्री कार्यालय क एकटा पैघ अधिकारी बेगूसराय मे छलाह। कहल जाइत अछि जे ओ अधिकारी रामविलास झा क संपर्क मे छलाह। ललित बाबू एकटा संबंधिक कहब अछि जे समस्तीपुर स दानापुर ल जेबाक फैसला दिल्ली स आएल छल, मुदा प्रश्न उठैत अछि जे जखन ललित बाबू होश मे छलाह आ जगन्नाथ मिश्रक गंभीर हालत कए देख हुनकर तत्काल इलाज लेल चिंतित छलाह, तखन आखिर वो दानापुर जेबा लेल तैयार कोना भेलथि। सवाल इहो अछि जे मोकामा क बाद आखिर कि भेल जे ललित बाबू दानापुर पहुंचैत-पहुंचैत नहि बचि सकलाह। सवाल बहुत अछि मुदा उत्तरक बाट तकैत-तकैत आंख पथरा रहल अछि। आशा अछि हुनक हत्याक 39म वर्ष मे मिथिला अपन एहि पुत्रक हत्यारा आ हत्या क पाछु कारण कए जानि सकत।
नोट : इ एकटा स्थाई संपादकीय छी जे सब साल केवल साल बदलि इसमाद पर अपडेट भ जाइत अछि। भारत न्याय व्यवस्था पर इ कोनो टिप्पणी नहि छी।
ललित बाबू क मौत आखिर भेल कोना, की अछि कहब हुनक पुत्र विजय बाबूक
आखिर किया बंद नहि भेल ललित बाबूक हत्याकांडक मुकदमा
maithili news, mithila news, bihar news, latest bihar news, latest mithila news, latest maithili news, maithili newspaper, darbhanga, patna
भारत के पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की शुद्ध रूप से राजनीतिक हत्या हुई थी, जिसे इंदिरा गांधी के इशारे पर अंजाम दिया गया था। इस हत्या के बाद ही ललित नारायण मिश्रा के छोटे भाई जगन्नाथ मिश्रा बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। वर्तमान कटिहार मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य औऱ मशहूर सर्जन डॉ. नबाव ने उस समय उनके चिकित्सा की इच्छा जताई थी, लेकिन उन्हें नहीं दिखाकर ललिता बाबू को पटना लाया गया औऱ ट्रेन को जगह-जगह रोकते हुए लाया गया जिससे रास्ते में ही उनकी स्थिति गंभीर हो गई फिर सारा मामला देश के सामने है। ललित बाबू देश के राजनीतिक पटल पर बहुत तेजी से उभऱ रहे थे और वे इंदिरा गांधी के लिए खतरा हो सकते थे। या हो सकता है कि उन्हें कुछ ऐसा राज की जानकारी हो जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती थी। ये सारे कारण उनकी हत्या के पीछे है। जगन्न्थ मिश्रा ने इंदिरा गांधी से अपनी भाई की राजनीतिक हत्या का सौदा करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री की गद्दी ली थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो से इसके सही जांच की उम्मीद करना बेकार है
Darbhanga nahi le jane ka faisla, kiska tha? kyaa cbi yah batayegi/ kya cbi per mukadma nahi thoka ja sakta hai?
our request to all govt agencies kindly trace the accused whoever had involved in this dramatic conspiracy to kill lalit babu. other wise the people of bihar will have not faith in current system .
Jayajee aa hunak sampadak mandalal sadasyagan, Badda harshit bhel mon net par samad dekhi kay. Ek ta baat kahay chahit chhi je lekan aa tankan sambandhi truti kam kayal jay te lokpriyata aar badhat.
cbi par ab bhadosa nahi..lalit babu ko koi nahi mara.
It was an open and shut case. Everybody knows that a bitch along with some close conspirator were involved in his assassination. This is surprising that we are so tolerant, still we are supporting that rougue party.
San me bujhal chhai jakhan CM as Cabinet minister banal a me baad jaggarnath mishra nahi interest lela ta bujhio San got a he e ki chhal. Ekre share o Rane bane bauat chhathi