मिथिला क वैदुष्य १८ वी सदी मे पुनः किछु अवधि हेतु मंगरौनी मे जाग्रत भेल छल पंडितराज गोकुलनाथ उपाध्याय एवं हुनक वंश द्वारा । महामहोपाध्याय पीताम्बर उपाध्याय ‘विद्यानिधि’ के पुत्र न्याय,मीमांसा,ज्योतिष,कर्मकांड के उद्भट पंडित ‘तार्किक कुलगुरु’गोकुलनाथ उपाध्याय,हुनक पुत्र ‘सर्वस्वदाता’ महामहोपाध्याय रघुनाथ, हुनक पौत्र महामहोपाध्याय भवानीदत्त के वैदुष्य के कारण मंगरौनी बंगाल के नवद्वीप और बनारस के सामान ज्ञान-विज्ञान के प्रख्यात केंद्र छल । उक्त भवानीदत्त के पुत्र छलाह शंकरदत्त जे १८५७ के क्रांति-नायक वीर कुंवर सिंह के गुरु छलाह । गोकुल नाथ उपाध्याय के एक भाय मदन उपाध्याय भारी तांत्रिक ओ सिद्ध पुरुष छलाह जनिका कारणे मंगरौनी तंत्र-विद्या केंद्र के रूप मे सेहो प्रसिद्ध छल । निकटस्थ भौआरा के तिरहुत-राजधानी के राजा राघवसिंह, प्रताप सिंह आदि द्वारा राजकीय संरक्षण हिनका लोकनि के प्राप्त छल-से अनुमान होईत अछि ।
यामलसारोद्धार के एक अप्रकाशित संस्कृत अभिलेख जे पंडित भवनाथ झा के सौजन्य सँ प्रकाश मे आयल अछि और जे १५-१६ वी सदी के रचना प्रतीत होईत अछि, के अनुसार कोकिलाक्षी भगवती अर्थात कोइलख ग्राम के पश्चिम कमला नदी के पुरबी तट पर गहन वन मे मंगल- मठ अछि जतय ज्ञान-विज्ञानं दायिनी चतुर्भुजा भगवती छथि और जे एक पैघ विद्या-केंद्र अछि । एहि मंगलवनी लग कमला के पश्चिमी तट पर बृहत् मधुवन अछि । उक्त भौगोलिक विवरण मंगलवनी यानि मंगरौनी तथा मधुवन यानि मधुबनी के पहचान स्थापित करैत अछि । संगहि मंगरौनी के एक विद्या-केंद्र के रूप मे उल्लिखित करैत अछि । हरिपुर-लोहा-जगतपुर बाटे बहैत कमला धार के एक धारा पहिने मंगरौनी के दक्षिण और मधुबनी के उत्तर सँ होईत चकदह बाटे ककना वला कमला धार सँ बहैत छल । नक्शा मे ई आई ‘छुतहरी धार’ के रूप मे अंकित अछि| एहि धार के पूरब मंगरौनी तथा पश्चिम मधुबनी पडैत अछि ।
दरभंगा गजेटियर १९६४ मे उल्लेख अछि जे मंगरौनी मे २४ टा पोखरि छैक । एहन पैघ विद्या-केंद्र जे मंगरौनी छल, हेतु कोनो आश्चर्य नहि । संगहि कमला कात क गाम मंगरौनी मे एतेक पोखरि के अवस्थिति एतय जल-प्रबंधन के वैज्ञानिक नीति के रेखांकित करैत अछि । मंगरौनी बौद्धिक दर्शन एवं सेकुलर विकास- दुनू मे अग्रगण्य छल । पंजी-अभिलेख मे फंदह्वार सँ उपनामित अछि मंगरौनी । फंदह्वार और पलिवार मंगरौनी के रूप मे पंजी अभिलेख मे एकर उल्लेख मंगरौनी के प्राचीनता और विशिष्टता के द्योतक थिक । काशी प्रसाद जायसवाल शोध संसथान पटना द्वारा ई अभिलेखित कयल गेल अछि जे मंगरौनी पुरातत्व के दृष्टिकोण सँ आरंभिक मध्य काल के स्थल अछि ।
मंगरौनी सरिपहुं मिथिला के एक प्राचीन धरोहर थिक ।