कुमुद सिंह
एकटा दुस्साहस छल मैथिली मे इपेपर क शुरुआत। आइ समाद अपन आठम डेग पूरा केलक। 2007 स 2008 धरि इ सपनाक काल छल, सब दिन किछु नहि किछु नव विवाद, नव समाधान आ नव चुनौती अबैत रहल। 2008 मे जखन समाद नेट पर देखार भेल त हम सब चहकि उठलहुं। ओ क्षण जीवन मे फेर नहि आउत। पत्रकारिता स दूर, शिक्षाक कोनो प्रमाणपत्र नहि, योग्यताक नाम पर केवल जोश आ सामने एकटा एहन विशाल लक्ष्य जेकर कोनो अंदाजा नहि। 2007 मे मैथिली क प्रति चारुकात घोर निराशाक भाव छल। ऊपर स पत्रिकाक अकाल आ पुरान अखबार क त कोनो नमूना तक ककरो दलान पर नहि भेटल। एहन मे पत्रकारिताक पाठ कोना पढब, की पढब आ के पढाउत, बहुत रास सवाल छल। तकनीक क नाम पर किछु ज्ञात नहि छल। एकटा कंप्यूटर घर मे छल जे सफाई करबा लेल छू लैत रहि। मुदा समयक संग सबटा होइत गेल। सखी लोकनिक टोली बनल। कंपोज, अनुवाद, खबरक चयन आ पेज बनेबाक जिम्मा अलग अलग लोक कए देल गेल। अपन अपन जिम्मा सब कुशलता स निभेबाक प्रयास कैल। 2009 मे जखन इसमादक रूप मे नव मंच भेटल त काज आओर सुभितगर भ गेल। एहि बाट पर बहुत लोक संग भेलथि आ बहुत अलग भ गेलथि, मुदा सबहक योगदान बराबर अछि। आइ इसमाद अपन कंटेंट आ समाचारक चयन लेल अलग पहचान बना लेने अछि। हमर एकमात्र इ उपब्धि कहल जा सकैत अछि। पिछला यात्रा पर अगर ध्यान केंद्रित करि त इसमाद जे मसला उठेलक ओ तत्कालीन पत्रकारिता क प्राथमिकता मे नहि छल, मुदा समयकाल इ साबित केलक जे ओ मसला पत्रकारिता क प्राथमिकता मे हेबाक चाहैत छल। संसाधनक अभाव क बावजूद इसमाद अपन यात्रा मे निरंतरता बनेने रहल। समय समय पर पैघ पत्रकार सब इसमाद क शोध आ रिपोर्ट कए उल्लेख करैत रहलाह। हमरा सब लेल इ एकटा आशिर्वाद जेना अछि। इसमाद क एक एक दिन मैथिली पत्रकारिताक नव इतिहास रचैत अछि। हमरा स नीक, हमरा स पैघ आ हमरा स पुरान बहुत बटोही भ सकैत छथि, मुदा इतिहासकार लिखबा काल हमरा सब कए उल्लेख करताह तेकर उम्मीद जरूर करैत छी। आगू फेर कखनो…। देखैत रहूं इसमाद डॉट कॉम।
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रैयाम चीनी अशोक पेपर
IIIT मुद्दा तो पुराना है !
पर युँ ही मिथिला के
सवालों को भूलना भूलाना है!!
कहाँ है मिथिला उद्योग
क्या किसी ने कभी जाना है?
भाई अभी मुझे माफ़ करो
रिश्तेदारों को जिताना है !!!!